26-01-2013, 01:39 PM | #11 |
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Re: मानवाधिकार : अपने हिस्से की जीत-हार
भारत में मानवाधिकार अभी भी विकास के प्रारम्भिक चरण में है। फिर भी इस क्षेत्र में विशेषज्ञता कर रहे छात्रों के लिए अनेक अवसर खुले हुए हैं। विकलांगों, अनाथ, दीन-हीन शरणार्थियों तथा नशीले पदार्थ सेवियों के साथ कार्य करने वाले समाजसेवी संगठनों तथा गैर-सरकारी संगठनों में कॅरियर के अवसर उपलब्ध हैं। मानवाधिकार व्यवसायी सामान्यत: मानवाधिकार एवं नागरिक स्वतंत्रता के क्षेत्र में कार्य करने वाले स्थापित गैर-सरकारी संगठनों में भी कार्य कर सकते हैं। ये गैर-सरकारी संगठन मानवाधिकार सक्रियतावाद, आपदा एवं आपातकालीन राहत, मानवीय सहायता, बाल एवं बंधुआ मजदूरों, विस्थापित व्यक्तियों, संघर्ष-समाधान और सार्वजनिक हित की मुकदमेबाजी के क्षेत्र में भी कार्य करते हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठन तथा गैर-सरकारी संगठनों को मानवाधिकार में विशेषज्ञ व्यक्तियों की निरंतर तलाश रहती है। इसमें संयुक्त राष्ट्र संगठन भी शामिल हैं। इनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एमनेस्टी इंटरनेशनल, सीआरवाई, आॅक्सफेम, ह्यूमन राइट वाच, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव्स, एशियन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स, साउथ एशियन ह्यूमन राइट डॉक्यूमेंटेशंस सेंटर, पीयूसीएल, पीयूडीआर जैसे संस्थान मुख्य हैं। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र की कई एजेंसियां जैसे यूएनडीपी, यूएनडीईएसए, वर्ल्ड बैंक, यूनिसेफ, यूनेस्को, एफएओ, यूएनईपी, आईएफएफ, आईएलओ में भी काम की बेशुमार सम्भावनाएं हैं।
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26-01-2013, 01:39 PM | #12 |
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Re: मानवाधिकार : अपने हिस्से की जीत-हार
योग्यता के साथ कुशलता
इस क्षेत्र में आने के लिए शैक्षिक योग्यता से ज्यादा आपके दिल में समाए उस जज्बे की अहम भूमिका है, जो इंसान के दर्द को महसूस करे और मानवता की करुण पुकार को सुने। अगर व्यावहारिक नजरिए से देखा जाए तो आज कुछ शैक्षिक योग्यताएं भी यहां अहम हो चली हैं, जिनकी बदौलत आप एक प्रतिष्ठित जॉब के हकदार बन सकते हैं। मानवाधिकार में स्नातक, परास्नातक, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट जैसे कोर्स प्रचलित हैं। बीए ह्यूमन राइट (3 साल) जैसे कोर्स इस विषय में लोकप्रिय हैं। ह्यूमन राइट्स में पीजी कोर्स के लिए भी आपको किसी खास विषय में स्पेशलाइजेशन की दरकार नहीं होती। कई नामी संस्थानों में ह्यूमेनिटीज, सोशियोलॉजी पृष्ठभूमि या फिर एलएलबी उम्मीदवारों को वरीयता दी जाती है।
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26-01-2013, 01:40 PM | #13 |
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Re: मानवाधिकार : अपने हिस्से की जीत-हार
जरूरी बेहतर कम्युनिकेशन स्किल
मानवाधिकार एक ऐसा क्षेत्र है, जहां आपका वास्ता हर रोज समाज के सबसे पीड़ित और वंचित लोगों से पड़ता है। ऐसे लोगों तक अपनी बात पहुंचाने, उन्हें जागरूक बनाने के लिए आपमें बेहतरीन कम्युनिकेशन स्किल होनी चाहिए। अपनी बात सरकार तक पहुंचाने या आम जनमानस को स्वयं से जोड़ने के लिए उन्हें प्रभावित करना आना चाहिए और इसके लिए लेखन से अच्छा माध्यम कोई नहीं है। किसी के दर्द को अपना बना लेने के लिए आपका अपने आस-पास के वातावरण के प्रति संवेदनशील होना आवश्यक है। बेसहारा लोगों के हालातों के लिए कौन जिम्मेदार है, उनकी स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन, आंकडे आदि के लिए आपको गम्भीर शोध कार्य का होना जरूरी है। अपनी टीम के लोगों के साथ बेहतर समन्वयन, सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के ल्एि भी प्रबंधन आवश्यक है। इसके अलावा बेहतर तकनीकी ज्ञान, आस-पास की घटनाओं की जानकारी, विश्लेषण क्षमता भी काम आते हैं।
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26-01-2013, 01:41 PM | #14 |
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Re: मानवाधिकार : अपने हिस्से की जीत-हार
सुविधा-सैलेरी एवं प्रमुख संस्थान
इस क्षेत्र में वेतन कार्य-प्रकृति पर निर्भर होता है। उच्च वेतन और अन्य विभिन्न लाभ इस तथ्य पर निर्भर करते हैं कि कोई व्यक्ति किसी सरकारी, गैर-सरकारी संगठन या अंतरराष्ट्रीय जैसे क्षेत्र में कार्य कर रहा है या भारत अथवा विदेश में कार्य कर रहा है। कुछ प्रमुख संस्थान : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर डॉ. बीआर अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश भारतीय मानवाधिकार संस्थान, नई दिल्ली भारतीय विधि संस्थान, नई दिल्ली जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली राष्ट्रीय विधि विद्यालय, बेंगलूरु
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