21-02-2011, 03:32 AM | #11 |
VIP Member
|
Re: इस्लाम से आपका परिचय
दुनिया के हर मुसलमान की ख्वाहिश होती है कि वह अपने जीवन काल में एक बार हज की यात्रा अवश्य करे। हज यात्रियों के सपनों में काबा पहुंचना, जन्नत पहुंचने के ही समान है। काबा शरीफ़ मक्का में है। असल में हज यात्रा मुस्लिमों के लिये सर्वोच्च इबादत है। इबादत भी ऐसी जो आम इबादतों से कुछ अलग तरह की होती है। यह ऐसी इबादत है जिसमें काफ़ी चलना-फि रना पड़ता है। सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का और उसके आसपास स्थित अलग-अलग जगहों पर हज की इबादतें अदा की जाती हैं। इनके लिए पहले से तैयारी करना ज़रूरी होता है, ताकि हज ठीक से किया जा सके। इसीलिए हज पर जाने वालों के लिए तरबियती कैंप मतलब कि प्रशिक्षण शिविर लगाए जाते हैं। एहराम: हज यात्रा वास्तव में पक्का इरादा यानि कि संकल्प करके 'काबा' की जिय़ारत यानी दर्शन करने और उन इबादतों को एक विशेष तरीक़े से अदा करने को कहा जाता है। इनके बारे में किताबों में बताया गया है। हज के लिए विशेष लिबास पहना जाता है, जिसे एहराम कहते हैं। यह एक फकीराना लिबास है। ऐसा लिबास जो हर तरह के भेदभाव मिटा देता है। छोटे-बड़े का, अमीर-गऱीब, गोरे-काले का। इस दरवेशाना लिबास को धारण करते ही तमाम इंसान बराबर हो जाते हैं और हर तरह की ऊंच-नीच ख़त्म हो जाती है। जुंबा पर एक ही नाम: पूरी हज यात्रा के दरमियान हज यात्रियों की ज़बान पर 'हाजिऱ हूँ अल्लाह, मैं हाजिऱ हूँ। हाजिऱ हूँ। तेरा कोई शरीक नहीं, हाजिऱ हूँ। तमाम तारीफ़ात अल्लाह ही के लिए है और नेमतें भी तेरी हैं। मुल्क भी तेरा है और तेरा कोई शरीक नहीं है़,...जैसे शब्द कायम रहते हैं। कहने का मतलब यह है कि इस पूरी यात्रा के दोरान हर पल हज यात्रियों को यह बात याद रहती है कि वह कायनात के सृष्टा, उस दयालु-करीम के समक्ष हाजिऱ है, जिसका कोई संगी-साथी नहीं है। इसके अलावा यह भी कि मुल्को-माल सब अल्लाह तआला का है। इसलिए हमें इस दुनिया में फ़क़ीरों की तरह रहना चाहिए।
__________________
Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
Last edited by Sikandar_Khan; 21-02-2011 at 03:33 AM. Reason: edit |
21-02-2011, 03:37 AM | #12 |
VIP Member
|
Re: इस्लाम से आपका परिचय
जन्नत पंहुचाने का वादा करती है हदीस
क्या वाकई होते हैं जन्नत और जहन्नुम....यदि हां तो कहां और कैसे होते हैं.... आखिर क्या है जन्नत का रास्ता.... किन पापों की सजा है- जहन्नुम....क्या इंद्रलोक की सुन्दर अप्सराओं की तरह जन्नत में भी बेहद हसीन हूरें होती हैं?...। ऐसे और भी कितने प्रश्र हैं जो यदाकदा जहन में उठते हैं। जिस तरह हिन्दू व दूसरे अन्य धर्मों में स्वर्ग और नर्क की प्रबल मान्यता पाई जाती है, उसी तरह इस्लाम धर्म के मानने वाले मुस्लिम भाइयों की यह दृड़ मान्यता है कि, इंसान को उसके कर्मों के अनुसार ही जन्नत या जहन्नुम मिलते हैं। इस्लाम धर्म के अनुसार हदीस कहती है कि बंदे तू मुझे छह बातों का विश्वास दिला, तुझे निश्चित रूप से जन्नत में स्थान प्राप्त होगा। आइये जाने उन महत्वपूर्ण छ: बातें को... 1. सच बोलो। 2. बिना सोचे-समझे कभी वादा मत करो यदि करो तो उसे हर हाल में पूरा करो। 3. बदचलनी से बचो यानि हमेशा विनम्र और पवित्र व्यवहार करो। 4. अमानत में पूरे उतरो यानि ईमानदारी बनाए रखो। 5. किसी पर बुरी नजर मत डालो मतलब कि किसी को भी गलत भावना से मत देखो। 6. किसी पर जुल्म न करो यानि कि किसी को भी मन, वचन और कार्य से कष्ट मत पहुंचाओ।
__________________
Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
|
21-02-2011, 04:57 AM | #13 |
Diligent Member
Join Date: Nov 2010
Location: vadodara
Posts: 1,424
Rep Power: 21 |
Re: इस्लाम से आपका परिचय
बहुत बढियाँ सिकंदर भाई जानकारी बांटने के लिए आप का धन्यवाद
__________________
The world suffers a lot. Not because of the violence of bad people, But because of the silence of good people! Support Anna Hazare fight against corruption... Notice:->All the stuff which are posted by me not my own property.These are collecting from another sites or forums. |
21-02-2011, 05:33 AM | #14 |
Senior Member
Join Date: Feb 2011
Location: Rudrapur
Posts: 373
Rep Power: 17 |
Re: इस्लाम से आपका परिचय
बहुत अच्छा धार्मिक महत्व से परिपूर्ण सूत्र बनाया है सिकंदर भाई.
|
21-02-2011, 06:08 AM | #15 |
Member
Join Date: Nov 2010
Posts: 175
Rep Power: 14 |
Re: इस्लाम से आपका परिचय
अधिकांश गैर-मुस्लिमों को यही गलत फहमी है कि इस्लाम का आरम्भ लगभग १५०० वर्ष पहले हजरत मुहम्मद स० अ० व० से हुआ है जबकि हजरत मुहम्मद स० अ० व० पर तो नबुव्वत समाप्त होने का ऐलान हुआ। अर्थात हजरत मुहम्मद स० अ० व० को अंतिम नबी के रूप में भेजा गया, अब उनके बाद कोई नबी संसार में नही आने वाला।
जबकि वास्तविकता यह है कि इस सृष्टि की रचना के बाद सबसे पहले नबी हजरत आदम अ० स० को संसार में भेजा गया जिनको आदम और हव्वा के नाम से जाना जाता है। उसके बाद एक एक करके एक लाख चौबीस हजार नबी दुनिया में आये और उन्होंने इस्लाम को फ़ैलाने के लिए लोगों को दीन (इस्लाम) की दावत दी। परन्तु इन सभी नबियों के नियमों में थोड़ा-थोड़ा फ़र्क था और धीरे-धीरे जैसे-जैसे मानव का मानसिक विकास होता गया, उसी के अनुसार इस्लाम के नियमों एवं ज्ञान में परिवर्तन किया जाता रहा। |
21-02-2011, 06:57 AM | #16 | |
Exclusive Member
Join Date: Feb 2011
Posts: 5,528
Rep Power: 41 |
Re: इस्लाम से आपका परिचय
Quote:
|
|
21-02-2011, 07:40 AM | #17 |
Special Member
Join Date: Jan 2011
Posts: 3,405
Rep Power: 33 |
Re: इस्लाम से आपका परिचय
सिकंदर जी
इस्लाम धर्म से परिचय करवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद बहुत ही अच्छी जानकारी है आपने कई ऐसी जानकारी बांटी जो एक गैरमुस्लिम व्यक्ति शायद ही कभी जान पाता.
__________________
|
21-02-2011, 08:01 AM | #18 |
Administrator
|
Re: इस्लाम से आपका परिचय
इस सूत्र का कोई जोड़ नही क्योकि यह बेजोड़ है, मुस्लिम समाज के प्रति आज दुनिया में जो भ्रांति और अविश्वास का वातावरण है, उसको कम करने में यह सूत्र ज़रूर योगदान करेगा. सिकंदर जी का इस्लाम धर्म की काफ़ी बारीकी से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद.
__________________
अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
21-02-2011, 08:25 AM | #19 |
Exclusive Member
Join Date: Feb 2011
Posts: 5,528
Rep Power: 41 |
Re: इस्लाम से आपका परिचय
बहुत ही सही कहा अभिजी अपने
|
21-02-2011, 08:32 AM | #20 |
Special Member
|
Re: इस्लाम से आपका परिचय
रूहानी सूत्र
बहुत बहुत शुक्रिया सिकंदर भाई इस पाक धर्म से हमारा परिचय करने हेतु
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
Bookmarks |
Tags |
islam |
|
|