10-11-2012, 09:31 AM | #11 |
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Re: चाणक्य नीति--सम्पूर्ण अध्याय
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बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है। |
10-11-2012, 09:35 AM | #12 |
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Re: चाणक्य नीति--सम्पूर्ण अध्याय
इन सातो को जगा दे यदि ये सो जाए...
१. विद्यार्थी २. सेवक ३. पथिक ४. भूखा आदमी ५. डरा हुआ आदमी ६. खजाने का रक्षक ७. खजांची
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10-11-2012, 09:37 AM | #13 |
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Re: चाणक्य नीति--सम्पूर्ण अध्याय
इन सातो को नींद से नहीं जगाना चाहिए...
१. साप २. राजा ३. बाघ ४. डंख करने वाला कीड़ा ५. छोटा बच्चा ६. दुसरो का कुत्ता ७. मुर्ख
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10-11-2012, 03:29 PM | #14 |
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Re: चाणक्य नीति--सम्पूर्ण अध्याय
जिसके पास धन नहीं है वो गरीब नहीं है, वह तो असल में रहीस है, यदि उसके पास विद्या है. लेकिन जिसके पास विद्या नहीं है वह तो सब प्रकार से निर्धन है.
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10-11-2012, 03:29 PM | #15 |
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Re: चाणक्य नीति--सम्पूर्ण अध्याय
हम अपना हर कदम फूक फूक कर रखे. हम छाना हुआ जल पिए. हम वही बात बोले जो शास्त्र सम्मत है. हम वही काम करे जिसके बारे हम सावधानीपुर्वक सोच चुके है.
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10-11-2012, 03:30 PM | #16 |
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Re: चाणक्य नीति--सम्पूर्ण अध्याय
जिसे अपने इन्द्रियों की तुष्टि चाहिए, वह विद्या अर्जन करने के सभी विचार भूल जाए. और जिसे ज्ञान चाहिए वह अपने इन्द्रियों की तुष्टि भूल जाये. जो इन्द्रिय विषयों में लगा है उसे ज्ञान कैसा, और जिसे ज्ञान है वह व्यर्थ की इन्द्रिय तुष्टि में लगा रहे यह संभव नहीं.
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10-11-2012, 03:30 PM | #17 |
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Re: चाणक्य नीति--सम्पूर्ण अध्याय
वह क्या है जो कवी कल्पना में नहीं आ सकता. वह कौनसी बात है जिसे करने में औरत सक्षम नहीं है. ऐसी कौनसी बकवास है जो दारू पिया हुआ आदमी नहीं करता. ऐसा क्या है जो कौवा नहीं खाता.
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10-11-2012, 03:31 PM | #18 |
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Re: चाणक्य नीति--सम्पूर्ण अध्याय
नियति एक भिखारी को राजा और राजा को भिखारी बनाती है. वह एक अमीर आदमी को गरीब और गरीब को अमीर.
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10-11-2012, 03:31 PM | #19 |
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Re: चाणक्य नीति--सम्पूर्ण अध्याय
भिखारी यह कंजूस आदमी का दुश्मन है. एक अच्छा सलाहकार एक मुर्ख आदमी का शत्रु है.
वह पत्नी जो पर पुरुष में रूचि रखती है, उसके लिए उसका पति ही उसका शत्रु है. जो चोर रात को काम करने निकलता है, चन्द्रमा ही उसका शत्रु है.
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10-11-2012, 03:38 PM | #20 |
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Re: चाणक्य नीति--सम्पूर्ण अध्याय
जिनके पास यह कुछ नहीं है...
विद्या. तप. ज्ञान. अच्छा स्वभाव. गुण. दया भाव. ...वो धरती पर मनुष्य के रूप में घुमने वाले पशु है. धरती पर उनका भार है.
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