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17-03-2014, 03:18 PM | #1 |
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Re: मुझे मत मारो :.........
बेटियाँ बहुत चंचल, बहुत खुशनुमा होती हैं बेटियां
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
18-03-2014, 05:03 PM | #2 |
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Re: मुझे मत मारो :.........
अतिसुन्दर भावभीव्यक्ति के लिए हार्दिक आभार.........
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19-03-2014, 06:35 PM | #3 |
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Re: मुझे मत मारो :.........
कलियों को मुसकाने दो : खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो आने दो रे आने दो, उन्हें इस जीवन में आने दो जाने किस-किस प्रतिभा को तुम गर्भपात मे मार रहे हो जिनका कोई दोष नहीं, तुम उन पर धर तलवार रहे हो बंद करो कुकृत्य - पाप यह, नयी सृष्टि रच जाने दो आने दो रे आने दो, उन्हें इस जीवन में आने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो जिस दहेज-दानव के डर से करते हो ये जुल्मो-सितम क्यों नहीं उसी दुष्ट-दानव को कर देते तुम जड़ से खतम भ्रूणहत्या का पाप हटे, अब ऐसा जाल बिछाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो बेटा आया, खुशियां आईं सोहर-मांगर छम-छम-छम बेटी आयी, जैसे आया कोई मातम का मौसम मन के इस संकीर्ण भाव को, रे मानव मिट जाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो चौखट से सरहद तक नारी फिर भी अबला हाय बेचारी? मर्दों के इस पूर्वाग्रह मे नारी जीत-जीत के हारी बंद करो खाना हक उनका, ऋनका हक उन्हें पाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो चीरहरण का तांडव अब भी चुप बैठे हैं पांडव अब भी नारी अब भी दहशत में है खेल रहे हैं कौरव अब भी हे केशव! नारी को ही अब चंडी बनकर आने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो मरे हुए इक रावण को हर साल जलाते हैं हम लोग जिन्दा रावण-कंसों से तो आंख चुराते हैं हम लोग खून हुआ है अपना पानी, उसमें आग लगाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो नारी शक्ति, नारी भक्ति नारी सृष्टि, नारी दृष्टि आंगन की तुलसी है नारी पूजा की कलसी है नारी नेह-प्यार, श्रद्धा है नारी बेटी, पत्नी, मां है नारी नारी के इस विविध रूप को आंगन में खिल जाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो.......... (अंतरजाल से
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24-06-2014, 07:35 PM | #4 |
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Re: मुझे मत मारो :.........
मैं एक लड़की हूँ ? : जर्रा जर्रा जब जहाँ का तेरा ही निशां है, फिर अलग सा क्यों मुझे बनाया है| खुशियों की कश्ती क्यों मेरी सागर में खो गयी| क्योंकि शायद मैं एक लड़की हूँ| नजराने पेश करूँ क्या मैं खिड़की हूँ? आने पे उसके सबने खुशियाँ मनाई थी, मेरे आने से फिर क्यों बत्तियां बुझाई थी| बाबा ने भाई को जब स्कूल भेजा था, मैंने तो अक्षरों को सिर्फ खेतों में देखा था| बचपन ये सारा मेरा ऐसे क्यों रो गया| क्योंकि शायद मैं एक लड़की हूँ| नजराने पेश करूँ क्या मैं खिड़की हूँ? योवन के रंग में जब सबने खेली थी होली, माँ बोली आजा बच्चा बैठ जा तो डोली| खुशियों के जब भी जग ने दिए जलाये थे, मैंने तो आंशु अपने चूल्हे सुखाये थे| मेरी जवानी सारी क्यों रातों में खो गयी| क्योंकि शायद मैं एक लड़की हूँ| नजराने पेश करूँ क्या मैं खिड़की हूँ? हर लम्हा हर सांस जब तेरा ही साया है, फिर खुदा मैंने क्यों तुझको न पाया है| क्योंकि शायद मैं एक लड़की हूँ| नजराने पेश करूँ क्या मैं खिड़की हूँ ? :.......... अंतरजाल से:
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25-06-2014, 09:31 AM | #5 |
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Re: मुझे मत मारो :.........
प्रत्येक शुभ कार्य में हम कन्या पूजन करते हैं, लेकिन बड़ा सवाल है कि उसी कन्या को हम जन्म से पहले ही मारने का पाप क्यों करते हैं? आज समाज के बहुत से लोग शिक्षित होने के बावजूद कन्या भूर्ण हत्या जैसे घृणित कार्य को अंजाम दे रहे हैं। जो आंचल बच्चों को सुरक्षा देता है, वही आंचल कन्याओं की गर्भ में हत्या का पर्याय बन रहा है।हमारे देश की यह एक अजीब विडंबना है कि सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद समाज में कन्या-भ्रूण हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। समाज में लड़कियों की इतनी अवहेलना, इतना तिरस्कार चिंताजनक और अमानवीय है। जिस देश में स्त्री के त्याग और ममता की दुहाई दी जाती हो, उसी देश में कन्या के आगमन पर पूरे परिवार में मायूसी और शोक छा जाना बहुत बड़ी विडंबना है।आज भी शहरों के मुकाबले गांव में दकियानूसी विचारधारा वाले लोग बेटों को ही सबसे ज्यादा तव्वजो देते हैं, लेकिन करुणामयी मां का भी यह कर्तव्य है कि वह समाज के दबाव में आकर लड़की और लड़का में फर्क न करे। दोनों को समान स्नेह और प्यार दे। दोनों के विकास में बराबर दिलचस्पी ले। बालक-बालिका दोनों प्यार के बराबर अधिकारी हैं। इनके साथ किसी भी तरह का भेद करना सृष्टि के साथ खिलवाड़ होगा।
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25-06-2014, 09:44 AM | #6 |
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Re: मुझे मत मारो :.........
कन्या भ्रूण हत्या
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11-08-2014, 08:56 PM | #7 |
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Re: मुझे मत मारो :.........
आप किसका वंश चला रही हैं? : सास: बहू, बेटा ही पैदा होना चाहिये। बहू: क्यों? सास: बेटे से ही वंश चलता है। बहू: आपके ससुर का नाम क्या है? सास: वेद प्रकाश सिंह बहू: उनके पिता का क्या नाम है? सास: सत्य प्रकाश सिंह बहू: और उनके पिता का क्या नाम है? सास: उनका तो पता नहीं। बहू: और उनके पिता के पिता का क्या नाम था? सास: बहू, तू ऐसे वाहियात सवाल क्यों कर रही है? बहू: जब आपको खुद ही नहीं पता कि आप किसका वंश चला रही हैं तो बेटे पैदा करके क्या फायदा? मैं अभी अविवाहित हूँ। यदि विवाह नहीं भी होगा तो मेरे कुलनाम को धारण करने वाला कोई व्यक्ति नहीं रहेगा। ऐसा होने से क्या दुनिया खत्म हो जायेगी? दुर्भाग्य है कि मेरे कई पुरुष दोस्तों ने विवाह के बाद अपने माता-पिता को घर से मार-भगाया है। लेकिन बहुत सी लड़कियाँ ऐसी हैं जो आज भी अपने माता-पिता को याद करके उनकी सुध ले लेती हैं। क्या इसीलिये उपरोक्त सास जैसी महिलाओं को लड़के अच्छे लगते हैं? तेजी से कम हो रही महिलाओं की संख्या के चलते भारतीय पुरुषों को विवाह के लिये महिलायें कहाँ से मिलेंगी? क्या ये पुरुष दूसरे पुरुषों से ही शादी करेंगे? क्या संविधान में संशोधन करके समलैंगिक विवाहों को अनुमति देनी होगी? यदि भारत में कन्या भ्रूणहत्या की वजह से महिलाओं की संख्या ऐसे ही कम होती रही, तो वह दिन दूर नहीं जब हमें महिलायें दूसरे देशों से आयात करनी पड़ेंगी। "मेड इन चाइना" बहू कैसी रहेगी? खूब चलेगा अपना वंश, क्यों? ध्यान रहे कि महिलाओं की आयु पुरुषों से कई साल लंबी होती है। ऐसे में महिलाओं की संख्या पुरुषों से कम कैसे हो गयी? करोड़ों कन्याओं को भ्रूण बनते ही मार दिया गया होगा, ज़रा सोचिये। यदि दूरदर्शन पर "कृष्णा" धारावाहिक देखा हो तो बतायें कि किस पात्र ने कन्या-हत्या करने की कोशिश की थी, और उसका क्या अंजाम हुआ? यदि अभी भी समझ में नहीं आया, तो चलिये मेरे आखिरी सवाल का जवाब दीजिये: "पंडित जवाहर लाल नेहरू का एक ही बेटा था, जिसने भारत पर कई वर्षों तक प्रधानमंत्री बनकर शासन किया। उसका नाम बताइये" :..........
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13-08-2014, 12:16 PM | #8 |
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Re: मुझे मत मारो :.........
बिल्कुल सही टिप्पणी
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04-09-2014, 06:03 PM | #9 |
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Re: मुझे मत मारो :.........
ये अनमोल बेटियां ! : आज हर फील्ड में ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन के दम पर दुनिया में अपनी एक नई पहचान बनाई है। आज हम आपको बिजनेस की दुनिया की उन चंद यंग वुमन के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में जानना तो दूर अधिकतर लोगों ने इनके नाम भी नहीं सुने होंगे। लेकिन आज ये सभी यंग वुमन कारोबार की दुनिया में एक सफल और नाम बन चुकी हैं। इनमें से अधिकतर महिलाओं के पास करोड़ों-अरबों की दौलत है.. चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुईं.. लेकिन इन सबके बावजूद इन्होंने संघर्ष किया.. मेहनत की.. और तरक्की के जुनून को सर चढ़ाकर सफलता की नई कहानी बुनी। इन महिलाओं ने न सिर्फ बिजनेस जैसे पुरुष प्रधान क्षेत्र में खुद को स्थापित किया बल्कि बुलंदी पर पहुंची" :.......... दैनिक भास्कर के सौजन्य से :.........
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18-11-2014, 10:14 PM | #10 |
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Re: मुझे मत मारो :.........
हीरे कि कीमत : एक संत की कथा में एक बालिका खड़ी हो गई। उसके चेहरे पर आक्रोश साफ दिखाई दे रहा था। उसके साथ आए उसके परिजनों ने उसको बिठाने की कोशिश की, लेकिन बालिका नहीं मानी। संत ने पूछा...... बोलो बालिका क्या बात है? बालिका ने कहा, महाराज घर में लड़के को हर प्रकार की आजादी होती है। वह कुछ भी करे, कहीं भी जाए उस पर कोई खास टोका टाकी नहीं होती। इसके विपरीत लड़कियों को बात बात पर टोका जाता है। यह मत करो, यहाँ मत जाओ, घर जल्दी आ जाओ। आदि आदि। संत ने उसकी बात सुनी और मुस्कुराने लगे। उसके बाद उन्होंने कहा, बालिका तुमने कभी लोहे की दुकान के बाहर पड़े लोहे के गार्डर देखे हैं? ये गार्डर सर्दी, गर्मी, बरसात, रात दिन इसी प्रकार पड़े रहतें हैं। इसके बावजूद इनकी कीमत पर कोई अन्तर नहीं पड़ता। लड़कों की फितरत कुछ इसी प्रकार की है समाज में। अब तुम चलो एक जोहरी की दुकान में। एक बड़ी तिजोरी, उसमे एक छोटी तिजोरी। उसके अन्दर कोई छोटा सा चोर खाना। उसमे से छोटी सी डिब्बी निकालेगा। डिब्बी में रेशम बिछा होगा। उस पर होगा हीरा। क्योंकि वह जानता है कि अगर हीरे में जरा भी खरोंच आ गई तो उसकी कोई कीमत नहीं रहेगी। समाज में लड़कियों की अहमियत कुछ इसी प्रकार की है। हीरे की तरह जरा सी खरोंच से उसका और उसके परिवार के पास कुछ नहीं रहता। बस यही अन्तर है लड़ियों और लड़कों में। इस से साफ है कि परिवार लड़कियों की परवाह अधिक करता है। बालिका को समझ में आगया क्यों बच्चियों की फिक्र ज्यादा होती है... ईसीलिऐ मेरी प्यारी बहनो आप सब ये कदापि ना सोचे के परिवारजन आपको ज्यादा टोका टाकी करते है तो वो आपसे प्यार कम करते है अपितु यह तो उनका आप के प्रति अत्याधिक स्नेह और चिंता करना स्वाभाविक व्यवहार है !!" :..........
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