My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 25-03-2013, 12:37 PM   #11
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मेरी कहानियां/ आख़िरी दिन तक

Quote:
Originally Posted by The Hell Lover View Post
"उसकी आंतें भी सिकुड़
रही थीं लेकिन खाने की इच्छा न हुई. जाने क्यों उसे
अपनी भूख और कष्ट में भी संतोष मिल रहा था."

क्या बात कही हैं? बहुत मार्मिक कहानी लिखी हैं।


बंधु, मैं नहीं जानता कि आपको किस नाम से संबोधित करूं. लेकिन इतना अवश्य कहूँगा कि आप कहानी के मर्म तक पहुँच सके और रामधन की पीड़ा को समझ पाए. आपकी सहृदयतापूर्ण टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद.
जय जी, आपको भी यहाँ देख कर अच्छा लगा. हार्दिक धन्यवाद.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 19-07-2013, 08:35 PM   #12
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default मेरी कहानियाँ / कातरा

मेरी कहानियाँ / कातरा
माँ-बाप ने बड़े लाड़-प्यार और दुलार से पाला था मुझे. अपने इस दुलार के अनुरूप ही उन्होंने मेरी शादी बड़ी धूम धाम से उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर नगर के एक स्वस्थ, सुन्दर और योग्य युवक के साथ की थी. उनकी प्रसन्नता की कोई सीमा नहीं थी.

मुझे भी जैसे मन मांगी मुराद मिल गई थी. पति का प्यार पा कर मैं धन्य हो गयी थी. दो छोटी ननदें तो खाना तक मेरे हाथ से खाती थीं. सास श्वसुर आशीर्वाद देते न थकते थे. जीवन का हर क्षण आनंद से व्यतीत हो रहा था. चार माह पंख लगा कर कैसे उड़ गए, पता ही नहीं लगा. लेकिन एक दिन अचानक मुझ पर गाज गिर पड़ी. एक ही झटके से मेरा सुन्दर, हँसता, खेलता संसार झुलस गया. सब कुछ लुट गया, समाप्त हो गया. मेरे पति अपनी फैक्टरी की मजदूर यूनियन के नेता थे. अफसरों के साथ उनकी किसी मामले को ले कर तना तनी चल रही थी. मालिकान उससे रुष्ट थे. तनाव का वातावरण उत्पन्न हो गया था.

रोज की तरह उस दिन भी हम लोग अपने घर में सोये हुए थे. वह एक भयानक रात थी जब काली रात के अंधकार में द्वार पर एक दस्तक हुयी. देखा तो एक आदमी था. उसने सूचना दी कि फैक्ट्री में एक कर्मचारी को मशीन से गंभीर चोटे आई है. मैंने इन्हें रोकने की बहुत कोशिश की. वास्तव में मुझे डर लगने लगा था और पता नहीं क्यों मेरे मन में अजीन अजीब तरह की आशंकाएं सिर उठने लगीं थी. वे नहीं माने, उस व्यक्ति के साथ चल दिए. उस रात वह जो घर से बाहर गए, तो लौट कर वह तो नहीं आये; उनका पार्थिव शरीर ही घर वापिस आया. सुबह उनकी लहू लुहान देह शहर के बाहर गन्ने के खेतों में पायी गई.

मैं संज्ञा शून्य हो गई थी. इस अवस्था में रहते हुए मैंने पाया कि मैं अपने लोगों के बीच ही अजनबी होती जा रही हूँ. अब वो पहले सा वात्सल्य न झलकता था सास श्वसुर के व्यवहार में. इसकी जगह एक अजीब सी काटने वाली तटस्थता ने ले ली थी. कहीं आग्रह न था. शनै: शनै: मैंने पाया कि उन लोगों ने जान बूझ कर इस दूरी को बढ़ावा दिया था.मेरे लिए उनका आश्रय भी दूर होता गया. मैं इस अंधकार में अकेली भटकने लगी थी.मेरे हरे भरे जीवन में जैसे कातरा (फसलों को नष्ट कर देने वाला कीड़ा) लग गया था.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 19-07-2013, 08:36 PM   #13
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मेरी कहानियाँ / कातरा

पति के जाने के बाद अधिक समय तक उस घर में रहना मेरे लिए असंभव हो गया क्योंकि मुझे अनुभव हो गया कि मेरी उपस्थिति वहां सभी को खटकने लगी थी. मुझे अशुभ माना जाने लगा और मेरा होना वहां पर अपशकुन की निशानी करार दिया गया. वो लोग जैसे मुझे ही मेरे पति की मौत का कारण मान रहे थे. कुलक्षिणी कही गई. जब यह सब हद से बढ़ गया और मेरे लिए असह्य हो गया, तो मैं अपने माता पिता के यहाँ आ गई. जीवन सूखा ठूंठ सा हो कर रह गया. हाय! फसल पाने से पहले ही उस पर कातरा लग गया. माता पिता मेरे आंसू न देख सकते थे, उन्होंने मुझे अपने सीने से लगा लिया. मन को बड़ी शांति मिली. लेकिन इस रकार मैं न पर बोझ बन कर न रहना चाहती थी. उनके चरणों में रहने का स्थान मिल गया था, यही कुछ कम न था. मन में निश्चय कर के मैंने बी.एड. करने का फैंसला किया. डिग्री मिलने के बाद, एक स्कूल में अध्यापिका की नौकरी भी मिल गई.

बड़ा सीधा साधा और सरल जीवन और खाना पहनना हो गया था. बोलती मैं पहले भी कम थी, अब तो सीमित बोलना मेरी आदत बन चुकी थी. अपने काम से काम रखना मुझे पसंद था.अन्य लोगों से मिलने जुलने में भी मुझे कोई रूचि नहीं रह गई थी. हाँ, इसके बावजूद मैं अपनी कक्षा की लड़कियों के विकास को सर्वोपरि मानती और कक्षा में पढ़ाये जाने वाले विषय और कक्षा के बाहर की क्रियाओं को पूरा महत्व देती. जब भी स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते, मैं तन्मयता से उसमे जुट जाती एवं उसे अच्छे से अच्छा बनाने के लिए रुचिपूर्वक सारी तैयारी करवाती. वर्ष में एक बार विभिन्न टीमें मंडलीय स्तर के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए जाती थी. मैं भी अपने विद्यालय की टीम को ले कर जाया करती थी. एक टीम उसी प्रकार लड़कों भी होती. इस प्रकार पढ़ाई और अपने विद्यार्थियों के खेलकूद व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारी में मैं अपने घावों की पीड़ा को भूल गई थी. दूसरे, समय काटने की समस्या भी जाती रही और मैं खुद को अपने माता पिता पर भार न समझती. मैं इस घर की पुनः एक सामान्य सदस्य हो गई थी.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 19-07-2013, 08:37 PM   #14
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मेरी कहानियाँ / कातरा

छः वर्ष का अंतराल कम नहीं होता. आज सोचती हूँ तो लगता है जैसे छः दिन में ही यह सब कुछ पाया, खोया और फिर पाने की कोशिश कर रही हूँ. मेरे अनुभव ने मुझे बताया कि व्यक्ति में असीम शक्ति का स्रोत छिपा है जो देश काल का मोहताज नहीं होता.

पिछले वर्षों की भाँती इस वर्ष भी मंडलीय प्रतियोगिता में हमारे नगर से दो टीमे गई थीं – एक लड़कों की और एक लड़कियों की. मैं लड़कियों की टीम का नेतृत्व कर रही थी. दूसरी लड़कों की टीम, मुझे पता लगा कि, किन्हीं लोकेश जी के नेतृत्व में जा रही थी.

जाते समय लोकेश जी जितने दूर थे और जितने अजनबी थे, वापसी पर वह उतने ही आत्मीय हो चुके थे. उनका निश्छल सौहार्द्य और स्नेहपूर्ण व्यवहार, गंभीरता और शिष्ट हास्य उनके व्यक्तित्व के ऐसे पक्ष थे जिन्होंने मुझे अभूतपूर्व रूप से उनकी ओर आकृष्ट किया था. उनके लिए मन में श्रद्धा उत्पन्न हो गई थी. यूं भी वे मुझसे कम से कम दस वर्ष तो बड़े रहे होंगे. यह लोकेश जी से मेरी पहली भेंट थी. मैंने उनको घर आने का निमंत्रण दिया.

इस के बाद लोकेश जी हमारे घर पर आते रहे. हर बार उनके व्यक्तिव के नए पहलू खुलते, जीवन के कुछ नए रूप दिखाई देते और कई नई बातें उनके बारे में मालूम होतीं. वह लगभग 40 वर्ष के स्वस्थ व्यक्ति थे. शादी अभी तक न की थी. वह तो कहते थे कि शादी का विचार ही न आया. अक्सर उनके शैक्षणिक अनुभव भी मेरे काम आते.

लोकेश जी के प्रति मेरी श्रद्धा ह्रदय में गुदगुदी करने वाली निकटता में तब्दील होने लगी. इस भावना को क्या नाम दूँ? क्या यह प्यार है या यह मेरे ह्रदय की कोई दुर्बलता है? क्या मुझे प्यार करने का कोई हक़ है? क्या मैं किसी पुरुष द्वारा चाहे जाने के योग्य हूँ? अथवा, चेतन होते हुए भी जड़ता का नाटक करना मेरी नियति है? इसी वैचारिक उहापोह के पथरीले रास्तों से होता हुआ लोकेश जी के प्रति मेरा प्यार छटपटाने लगता था. इससे पहले कि पत्थरों से टकराकर मैं अपने व्यक्तित्व के टुकड़े कर लेती, लोकेश जी ने आगे बढ़ कर मेरा हाथ थाम लिया और मुझे सम्हाल लिया. हम दोनों ही एक दूसरे के प्रति आकृष्ट थे, हम दोनो जैसे एक दूसरे की तलाश कर रहे थे. उनके एक उद्गार में मेरा जीवन प्रकाशित कर दिया.

वर्षों के अंतराल के बाद वही चंचलता, वही अल्हड़ता, वही बालपन आज जैसे लौट कर आ गया. मेरी प्रसन्नता की आज कोई सीमा नहीं. ह्रदय की गति मेरी पकड़ में नहीं आ रही. ओह ईश्वर! तूने एक साथ ढेरों खुशियाँ मेरी झोली में डाल दीं. मुझे डर है कहीं मैं दीवानी न हो जाऊँ. रह रह कर लोकेश जी का सौम्य मुख-मंडल मेरी कल्पना के झरोखों से सम्मुख आ जाता है और मैं उनके विचार मात्र से लाज से भर जाती हूँ.

“मन्नी, सच कहूं! मुझे आज तक जिस लडकी की तलाश थी वो तुम हो, तुम्हीं हो,” मैं बहुत थक गया हूँ, मुझे तुम्हारा साथ और सहारा चाहिये, हम दोनों के लिए यह भी किसी वरदान से कम नहीं था कि हम दोनों के माता पिता ने भी हमारी नयी ज़िंदगी के लिए आशीर्वाद दिया.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 20-07-2013, 03:45 PM   #15
dipu
VIP Member
 
dipu's Avatar
 
Join Date: May 2011
Location: Rohtak (heart of haryana)
Posts: 10,193
Rep Power: 91
dipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond repute
Send a message via Yahoo to dipu
Default Re: मेरी कहानियाँ / कातरा

Great
__________________



Disclamer :- All the My Post are Free Available On INTERNET Posted By Somebody Else, I'm Not VIOLATING Any COPYRIGHTED LAW. If Anything Is Against LAW, Please Notify So That It Can Be Removed.
dipu is offline   Reply With Quote
Old 21-07-2013, 12:30 AM   #16
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मेरी कहानियाँ / कातरा

Quote:
Originally Posted by dipu View Post
great
कहानी पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद, दीपू जी.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 21-07-2013, 10:32 AM   #17
sombirnaamdev
Diligent Member
 
sombirnaamdev's Avatar
 
Join Date: Jan 2012
Location: BOMBAY & HISSAR
Posts: 1,157
Rep Power: 36
sombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond repute
Send a message via Skype™ to sombirnaamdev
Default Re: मेरी कहानियाँ / कातरा

thanks to share manga nice
sombirnaamdev is offline   Reply With Quote
Old 21-07-2013, 12:46 PM   #18
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मेरी कहानियाँ / कातरा

Quote:
Originally Posted by sombirnaamdev View Post
thanks to share manga nice



प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, सोमबीर जी.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 26-08-2013, 11:12 PM   #19
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default मेरी कहानियाँ / आत्महत्या

मेरी कहानियाँ / आत्महत्या

“यह खून? यह खून यहां कैसे आया?” एस.एच.ओ. ने अपने अधीनस्थ पुलिस कर्मी से फर्श पर दृष्टि गड़ाते हुये पूछा.

“कहाँ साब .... ?”

“अबे ये मेरे पांवों के पास ... है कि नहीं ... ?”

“मुझे तो साहब नजर नहीं आ रहा ... हिच .. “

“हिकमत सिंह, लगता है तूने ज्यादा पी ली है ...”

“हाँ ... सरकार ...हिच ... नहीं ... सरकार .. “

“तो ये खून तुझे दिखाई नहीं देता?”

“हाँ .... सरकार ...हिच ... कुछ दीखता तो है ... “

कांस्टेबल हिकमत सिंह अपने अफसर की हाँ में हाँ मिलाने को ही अपना फ़र्ज़ मानता था. नशे के जोश में उसने कुछ अटपटा बोल दिया था लेकिन जल्द ही उसने स्वयं को सम्हाल लिया.

“हाँ सा’ब बिलकुल है .. हिच ... ”

“जानता है यह खून किसका है?

“मैं तो कांस्टेबल हूँ सरकार .. “

“ताराचंद जाट का ... “ उसे कानाफूसी का स्वर सुनाई दिया. शराब के नशे में एस.एच.ओ. भी खुलने लगा था. कांस्टेबल जानते हुये भी पहल न कर रहा था.

“हाँ सरकार ... उसी का है ... ठीक?”

“उसका खून किसने किया? जानते हो?”

“नहीं सरकार ... हिच .. किसी ने भी नहीं ... उसने तो .. हिच .. आत्महत्या कर ली बताते हैं ... “

“शाबाश, अब तुमने जिम्मेदारी का परिचय दिया है ... हमें यही साबित करना है कि उसने आत्महत्या कर ली है ... “

“यह काम तो ...हिच .. बाए हाथ का है ... बाएं हाथ का ... आप क्या नहीं कर सकते .. हिच ..? विलायती बोतल बहुत.. हिच .. उम्दा थी सा’ब ... “

“ अबे चुप ...”

“भगवान ... हिच ... आपका इकबाल .. हिच .. बुलंद करे ... हिच .. “
**
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 26-08-2013, 11:19 PM   #20
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default मेरी कहानियाँ / हितैषी कौन?

मेरी कहानियाँ / हितैषी कौन?

ट्रेड यूनियन लीडर भाषण दे रहे थे,

“कुछ स्वार्थी लोग हम पर ये इलज़ाम लगाते हैं कि हमारी मांगें जायज़ नहीं हैं. हमारा यह रिकॉर्ड रहा है कि हम हमेशा जायज़ मांगों के समर्थन में ही आन्दोलन करते हैं, नाजायज़ के लिए नहीं. और लोकतांत्रिक तरीकों से ही हमने अपनी मांगें मनवाई हैं. साथियो, यह समय हमारी परीक्षा की घड़ी है. पिछले कई वर्षों में हमारी एकता ने जो संघर्ष की परम्पराएं कायम की हैं, उनको आगे बढ़ाना है. अपने नोटिस के आधार पर हम कम्पनी में अनिश्चित कालीन हड़ताल की घोषणा करते हैं.”

इधर मजदूरों ने अनिश्चित कालीन हड़ताल की घोषणा की, उधर प्रबंधकों ने भी तालाबंदी की घोषणा कर दी. यूनियन ने श्रम-अदालत में तालाबंदी की घोषणा को चुनौती दी. अदालत ने फैंसला दिया कि तालाबंदी अवैध है.

इस फैंसले के बाद आन्दोलन तेज हो गया. इसी बीच यूनियन के दो बड़े लीडर लापता हो गये. सबको सांप सूंघ गया.

दो दिन बाद उन दोनों लीडरों की लाश क्षत-विक्षत हालत में शहर के बाहर, खेतों में मिली. मजदूरों में भयंकर रोष फैल गया, जैसे ज्वालामुखी फट पड़ा हो. कम्पनी के प्रबंधकों का घर से निकलना दूभर हो गया.

पुलिस भी तहकीकात में सक्रिय हो गई. निरंतर छानबीन के बाद जो तथ्य सामने आये उसने सबके होश उड़ा दिये. जांच में यह रहस्योद्घाटन हुआ कि यूनियन लीडरों की हत्या में कम्पनी प्रबंधकों का नहीं बल्कि दूसरी यूनियन के लोगों का हाथ था जो कई बरस से इस कम्पनी में अपना झंडा लहराना चाहते थे, किन्तु अब तक सफल नहीं हो पाए थे.

दूसरी यूनियन वालों ने मौके का फायदा उठा कर इन लीडरों को ठिकाने लगवा दिया ताकि हत्या का दोष कम्पनी के प्रबंधकों के सिर मढ़ा जाये. लेकिन सच्चाई छुपी न रह सकी.
**
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
दत्तक पुत्र, पूर्वाभास purvabhas, मेरी कहानियाँ, dattak putra, ek tukda maut, galti kee saja, haji abdul sattar, hiteshi kaun, lakshmi, meri kahaniyan, nirman karya, rajnish manga, strike, tiny stories, union tussle


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 07:39 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.