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Old 16-01-2011, 05:53 PM   #11
devB
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Default Re: || शरलॉक होम्स के जासूसी कारनामे ||

बहुत ही अच्छा प्रयास है. जल्दी से कहानिया भेजिए बोंड जी.
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Old 16-01-2011, 08:13 PM   #12
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Exclamation || शरलॉक होम्स के जासूसी कारनामे ||

तो दोस्तों! पर्दा उठता है| पेश है पहली कहानी|
आज इस कहानी के कुछ ही अंश प्रस्तुत कर पाऊंगा|
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Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||

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Old 16-01-2011, 08:15 PM   #13
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Exclamation || शरलॉक होम्स के जासूसी कारनामे ||

1 # मौत के बीज
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Old 16-01-2011, 08:17 PM   #14
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Lightbulb || शरलॉक होम्स के जासूसी कारनामे ||

सितम्बर के महीने का अंत चल रहा था| पूरे दिन काफी तेज़ हवा चलती रही| इसके साथ ही बारिश कि फुहार सी पड़ रही थी| लन्दन के बीचों-बीच बैठे हम लोग रोजाना कि जिंदगी से अलग विचार करने व पहचानने के लिए मजबूर हो गए थे|
मनुष्य कि सभ्यताओं में मोजूद महान तात्विक बल चिंघाड़ रहा था| शाम होते-होते तूफ़ान बढ़ गया| चिमनी से आती हवा किसी बच्चे कि तरह शोर मचा रही थी| होम्स आग के पास बैठा अपने आपराधिक अभिलेखों को सूचीबद्ध कर रहा था, जबकि मैं दूसरे सिरे पर बैठा क्लार्क रसेल कि सामुद्रिक कथाओं में डूबा हुआ था| मेरी पत्नी मायके गई थी| इसलिए मैं कुछ दिनों के लिए बेकार स्ट्रीट के अपने पुराने मकान में आ गया था|
"क्यों-|" अपने दोस्त की तरफ देखकर मैंने पूछा-"घंटी बजी थी न? आज रात के समय कौन आ सकता है? मुझे तो लगता है तुम्हारा कोई दोस्त ही होगा, वरना इतनी रात में-|"
"मेरा तुम्हारे अलावा कोई और दोस्त नहीं है|" उसने जवाब दिया-"मैं मेहमानों को ज्यादा नहीं बुलाता|"
"फिर कोई क्लायंट?"
"यदि ऐसा है तो मामला गंभीर होगा| कोई छोटी बात तो इस समय किसी आदमी को बाहर नहीं ला सकती| लेकिन मुझे लगता है की यह मकान मालकिन ही होगी|"
होम्स का अंदाजा गलत था| गलियारे में किसी के चलने की आवाज़ सुनाई पड़ी, फिर दरवाज़ा खटखटाया गया| उसने अपनी लम्बी बांह फैलाई तथा लैम्प को खुद से परे हटाते हुए एक खाली कुर्सी पर रख दिया, जिस पर आने वाला बैठता| "अन्दर आ जाओ|" उसने कहा|
आने वाला आदमी जवान था, उसकी उम्र बाईस साल की थी| उसने चुस्त वस्त्र पहने हुए थे जो आकर्षक लग रहे थे| उसके हाथ में थमा टपकता छाता और उसकी लम्बी चमकदार बरसाती भयानक मौसम के बारे में बता रहे थे| जिसमे से होकर वह आया था|
उसने लैम्प की रौशनी में चिंतित भाव से चारों तरफ देखा| मैंने ध्यान दिया की उसका चेहरा पीला था, और उसकी आँखें चिंता से बोझिल हो रही थी, वह कुछ भयभीत था|
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Old 16-01-2011, 08:18 PM   #15
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"मैं आपसे माफ़ी मांगना चाहता हूँ|" उसने आँखों पर लगा सुनहरी चश्मा ठीक करते हुए बताया-"मेरा यकीन है की मैं हस्तक्षेप नहीं कर रहा| मुझे डर है कि मैं तूफ़ान और बरसात के कुछ चिन्ह आपके कमरे में ले आया हूँ|"
"मुझे बरसाती तथा छाता दो|" होम्स ने कहा-"वह यहाँ हुक पर टंगे रहेंगे और अभी सूख जायेंगे| मेरा अनुमान है की तुम दक्षिण-पश्चिम से यहाँ आये हो|"
"हाँ, हाशमि से|" उसने बताया|
"तुम्हारे जूतों की नोक पर लगा मिटटी तथा खड़िया का बुरादा इस बात का सबूत है|"
"मैं आपसे कुछ मामले में सलाह लेने आया हूँ, उम्मीद है आप मुझे निराश नहीं करेंगे|"
"वो तुम्हे अवश्य मिलेगी|"
"और मदद?"
"यह प्राप्त करना हमेशा आसन नहीं है|" शरलॉक होम्स ने कहा-"मदद भी किसी-किसी को मिलती है|"
"मैंने आपके बारे में सुना था, श्री होम्स! मैंने मेज़र पैंडरगास्ट से सुना था कि कैसे आपने उसे टैंकरविले क्लब काण्ड से बचाया था|"
"हाँ जरूर| उस पर पत्तों की धोखाधड़ी का मिथ्या आरोप था|" वह सोचकर बोला|
"वह कहता था कि आप कुछ भी सुलझा सकते हैं मिस्टर होम्स-|" उस आने वाले व्यक्ति ने कहा|
"उसने कुछ ज्यादा ही कह दिया|"
"आप कभी असफल भी नहीं होते|" वह बोला-"जो काम अपने हाथ में लेते हैं पूरा करते हैं|"
"मैं चार बार नाकामयाब हो चुका हूँ, तीन बार व्यक्तियों द्वारा और एक बार स्त्री द्वारा|"
"लेकिन यह सब आपकी सफलताओं के सामने क्या मायने रखता है!" उस व्यक्ति ने प्रशंसा की|
"यह सच है की साधारणतः मैं कामयाब ही होता हूँ|" मिस्टर होम्स के होठों पर मुस्कराहट थी|
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Old 16-01-2011, 08:19 PM   #16
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"फिर तो आप मेरे मामले में भी हो सकते हैं|" उसने कहा-"आप केस हाथ में लेकर देखिये|"
"तुम अपनी कुर्सी आग के पास खींच लो, और विस्तार से अपना मामला समझा दो|"
"मिस्टर होम्स-! यह मामला कोई साधारण मामला नहीं है|" उसके चेहरे पर उलझन के भाव थे|
"मेरे पास केस जब आता है तो तभी आता है जब वह अपने अंत पर पहुँच जाता है|"
"फिर भी मिस्टर होम्स! में आपसे पूछना चाहूंगा कि अपने अनुभव में अभी रहस्यमय और अनसुलझी घटनाओं की ऐसी श्रंखला के विषय में सुना है, जैसी मेरे परिवार में घटित हुई?"
"तुमने मुझे केस के प्रति उत्सुकता जगा दी|" होम्स ने कहा-"मुझे शुरू से पूरी बात बताओ|"

उस आदमी ने अपनी कुर्सी थोडा आगे की और खींची और अपने गीले पैर आग की तरफ बढ़ा दिए|
उसने बताया-“मेरा नाम जॉन ओपेन शॉ है, मगर मेरे केस का जैसा में जानता हूँ इन विचित्र बातों से थोडा ही सरोकार है| यह एक आनुवंशिक मामला है, इसलिए इसकी झलक देने के लिए में शुरू करता हूँ|"
"मेरे दादा के दो बेटे थे-एक मेरे चाचा एलियस और दूसरे, मेरे पिता जोसेफ| मेरे पिता का कावेंट्री में छोटा-सा कारखाना था| जिसे उन्होंने साईकिल के आविष्कार के समय बढ़ा लिया था| वह ओपेन शॉ के न टूटने वाले टायरों के मालिक थे| उनका कारोबार इतना कामयाब रहा कि इसे बेचकर इससे मिलने वाली धनराशी में आराम से अपना जीवन बिताने लगे|"
"मेरे चाचा जब जवान थे, तो अमेरिका जाकर रहने लगे थे और फ्लोरिडा में पौधों का कार्य करते थे| उनका कारोबार बढ़िया चल रहा था| युद्ध के समय वह जैक्सन सेना में थे और बाद में हुड में, जहाँ वह कर्नल हो चुके थे| जिस समय ली ने समर्पण किया, मेरे चाचा फिर पोधों का कारोबार सँभालने लगे| तीन-चार साल वहीँ रहे|
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Old 16-01-2011, 08:19 PM   #17
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सन १८६९ अथवा ७० के आस-पास वे यूरोप वापस लौटे और ससेक्स में हाशमि के निकट एक छोटी भूमि खरीद ली| वह अमेरिका में काफी जायदाद अर्जित कर चुके थे और वहां से लौटने की वजह उनकी काले लोगों के प्रति अरुचि और संघीय नीति के के प्रति नाराज़गी थी| वह एकाकी, सरवने, गुस्से में भद्दी बातें करने लग जाते थे|

वह जितने साल हाशमि में रहे, उन्होंने कभी कस्बे में पांव नहीं रखा| उनके घर के आस-पास एक बगीचा और दो-तीन खेत थे| वहां लोग कसरत करते थे| महीनों वह अपना कमरा नहीं छोड़ते थे| ब्रांडी कुछ ज्यादा ही पीते थे| समाज से भी दूर-दूर रहा करते थे| न उनका कोई दोस्त था, न ही किसी को वे पसंद करते थे, यहां तक कि अपने भाई को भी नहीं|
बस वह मुझे ही पसंद करते थे| तब से उन्होंने मुझे देखा बहुत प्यार करने लगे थे| उस समय मैं बारह साल का था| यह १८७८ की बात है| इसके बाद वह आठ-नौ साल इंग्लैण्ड में रहे| मेरे पिता से कहने के बाद उन्होंने मुझे अपने साथ ही रख लिया था|

वह मुझसे बहुत अच्छा व्यवहार करते थे| कभी-कभी खुश होकर मेरे साथ खेलते भी थे| अपने नौकरों और कारोबारी लोगों के सामने वह मुझे अपने प्रतिनिधि के रूप में पेश करते थे| सोलह साल की उम्र में मैं घर का पूरा मालिक बन चूका था|

घर की सारी चाबियां मेरे पास ही होती थी| मुझे हर जगह जाने, कुछ भी करने का पूरा अधिकार था| उनके अधिकार में सिर्फ अटारी वाला कमरा ही रहता था| उस कमरे में हमेशा ताला लगा रहता था| इसके अन्दर जाने की किसी को इजाजत नहीं थी| मुझे भी नहीं| एक दिन चाबी के छेद से मैंने उसके अन्दर झांका तो उसमें पुराने बक्से और गठरियां ही थी|
यह सन १८८३ की बात है| मेज़ पर एक लिफाफा रखा था, जिस पर विदेशी मुहर लगी थी| ख़त प्राप्त करना उनके लिए सरल कार्य नहीं था, क्योंकि उनके सारे बिल नकद अदा हते थे| उनका कोई दोस्त भी नहीं था|

भारत से| वह उस लिफाफे को उठाकर बोले-पांडिचेरी का डाक टिकट लगा है| यह क्या हो सकता है?

उन्होंने उस लिफ़ाफ़े को जल्दी से खोला, तो पांच बीज निकलकर उनकी तस्तरी में गिर गए| यह देखते ही मुझे हंसी आ गई| लेकिन उनका चेहरा देखते ही मेरी हंसी गायब हो गई| उनकी आँखें बहार को आ गई थी और होंठ लटका हुआ था| चेहरा पीला पड़ चुका था| वह अपने कांपते हाथों से लिफ़ाफ़े को देख रहे थे| 'के...के...के' वह चिल्लाए और फिर देखते ही देखते उनके हाथ पैर ठन्डे होने लगे थे|



.................अभी जारी है...................
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Last edited by Bond007; 16-01-2011 at 08:23 PM.
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Old 16-01-2011, 11:17 PM   #18
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"क्या बात है चाचा-!" मैं भयभीत स्वर में चिल्लाया-"मुझे बताओ तुम्हे क्या हुआ है?"

"मृत्यु-|" उन्होंने कहा और मुझे डर से काँपता हुआ देखकर वह उठे और अपने कमरे की और चल दिए|

उनके जाने के बाद मैंने लिफाफा उठाया, और अन्दर की तरफ गोंद के ठीक ऊपर लाल प्रतीक देखा| उसके ऊपर तीन बार 'के' लिखा हुआ था| उसमे पांच सूखे बीजों के अलावा कुछ नहीं था|
इस डर की क्या वजह हो सकती थी, मैं डर के मरे नाश्ता छोड़कर उठ गया और जैसे ही सीढ़ियों पर चढ़ा, मैंने चाचा को जंग लगी चाबी लेकर नीचे आते हुए देखा| वो चाबी शायद अटारी की थी| उनके एक हाथ में चाबी थी, और दुसरे में पीतल का बक्सा| वह बक्सा कुछ इस प्रकार का बना था जैसे पुराने लोग पैसा रखने का बनाते हैं|

"वह जो चाहे कर लें, लेकिन मैं उन्हें सफल नहीं होने दूंगा|" उन्होंने प्रतिज्ञा करते हुए कहा-"मैरी से कहो कि मेरे कमरे में आग जला दे, और हाशमि के वकील फार्देम को बुला लाये|"
जैसा उन्होंने कहा, मैंने वैसा ही किया|

जिस समय वकील पहुंचा, मुझे कमरे में बुलाया गया| आग तेजी से जल रही थी और आगदान में जले कागज जैसी काली, फूली हुई राख का ढेर पड़ा हुआ था| मेरी नज़र जैसे ही उस पीतल के बक्से पर पड़ी, उस पर 'के' लिखा हुआ था| जैसा कि मैंने लिफ़ाफ़े के ऊपर देखा था|

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Old 19-03-2011, 12:23 AM   #19
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मेरे चाचा बोले-"मैं चाहता हूँ जॉन कि तुम मेरी वसीयत के साक्षी बनो, मैं अपनी सारी जायदाद तुम्हारे पिता के नाम छोड़ता हूँ, जो बाद में तुम्हे मिलेगी| अगर तुम इसका अच्छा इस्तेमाल करो तो| बहुत अच्छी बात होगी| अगर तुम्हे लगे कि तुम इसका लाभ नहीं उठा सकते तो तुम इसे अपने घोर शत्रु के लिए छोड़ देना| मैं शर्मिंदा हूँ कि मैं तुम्हें ऐसी दोधारी वास्तु दे रहा हूँ, लेकिन मैं तुम्हें नहीं बता सकता कि अगला मोड़ कौन-सा हो सकता है, इसलिए जहाँ वकील साहब कहते हैं हस्ताक्षर कर दो|"

"मैंने हस्ताक्षर कर दिए, उसके बाद वो कागज वकील अपने साथ ले गया| इस घटना का मुझ पर काफी प्रभाव पड़ा, मैंने काफी सोच-विचार किया, हर तरीके से अपना दिमाग चलाया, लेकिन कोई फायदा नहीं| मेरे दिल में जो डर बैठ गया था वो निकल नहीं पाया|
कुछ सप्ताह बाद मैं थोड़ा संभल गया, और हमारे जीवन में बाधा डालने वाली भी कोई बात नहीं थी, लेकिन मैं अपने चाचा में कुछ परिवर्तन देख रहा था| अब वह काफी शराब पीने लगे थे| समाज से बिलकुल अलग हो चुके थे| उनका ज्यादातर वक्त उनके कमरे में गुजरता|
उनके कमरे का दरवाजा हमेशा अन्दर से बंद रहता था| जब भी वह बहार होते थे तो गुस्से और नशे की हालत में होते थे| उनके हाथ में एक रिवाल्वर होता, जिससे वह हमेशा गोलियां बरसाते थे और चिल्लाते थे कि उन्हें किसी से डर नहीं लगता है| जब उनका यह गुस्सा ख़त्म हो जाता तो वह अपने कमरे में घुस जाते थे और अपने पीछे ताला लगाकर इसे बंद कर लेते| उसी तरह जैसे वह किसी से डरते हों|
उस समय जब मैं उनका चेहरा देखता था तो सर्दियां होने के बावजूद भी उनके चेहरे पर पसीना होता था|
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Old 19-03-2011, 12:24 AM   #20
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मिस्टर होम्स! अब मैं केस के आखिर में आते हुए बताता हूँ कि एक रात अचानक उन्हें फिर वही गुस्से और नशे के दौरे पड़े| जिनसे वे कभी वापस नहीं आए| जब हमने उन्हें तलाश किया तो वह तालाब में औंधे मुंह पड़े हुए थे| पानी दो फुट गहरा था| चोट का भी कहीं कोई निशान नहीं था|

सभी लोगों ने उसे आत्महत्या मान लिया| लेकिन मैं जानता था कि वह मौत से कितना डरते थे| मैं खुद इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हूँ| कुछ दिन बाद मामला ठंडा हो गया| इसके बाद मेरे पिता ने जायदाद और चौदह हज़ार पौंड जो बैंक में थे अपने अधिकार में ले लिए|"
"एक पल रुको|" होम्स ने हस्तक्षेप किया-"मैं देखता हूँ कि तुम्हारा वक्तव्य अद्वितीय है, ऐसा मैंने आज तक नहीं सुना| तुम्हारे चाचा द्वारा ख़त को हासिल करना व आत्महत्या तारीख मुझे दो|"
"ख़त दस मार्च, सन १८८३ को मिला था| फिर उनकी मृत्यु १० सप्ताह बाद २ मई को हुई|"

"थैंक्यू-| आगे बताओ|"

"जब मेरे पिता ने सारी जायदाद अपने अधिकार में ले ली तो मेरे कहने पर उन्होंने अटारी वाले कमरे का जायजा लिया| हमने वहां पीतल का बक्सा देखा| उसमे रखा सामान नष्ट कर दिया गया था| इसके कवर में एक पर्ची चिपकी हुई थी| जिस पर 'के के' लिखा था| इसके नीचे 'पत्र' मेमो, रसीदें व एक पुस्तिका लिखा था|

हमने सोचा कि यह उन कागजों के विषय में था जो चाचा ने नष्ट कर दिए| और अटारी में कुछ ख़ास सामान नहीं था सिवाय किताबों और कागजों के| इन कागजों में मेरे चाचा ने अमेरिका के बारे में लिखा था| उनमें कुछ युद्ध के समय के थे| जिससे पता चलता था कि उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन अच्छी तरह किया था|

इसी के साथ उन्होंने एक बहादुर सिपाही होने की प्रतिष्ठा भी लूटी थी| दूसरे दक्षिणी प्रान्तों में पुनर्निर्माण के समय के थे, और ज्यादातर राजनीति से ताल्लुक रखते थे| क्योंकि उन्होंने उत्तर से आए राजनीतिज्ञों के विरोध में सक्रिय रूप से भाग लिया था|
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