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Old 08-09-2014, 05:58 PM   #11
Deep_
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Default Re: गुण और कला

रोचक वार्तालाप! मुझे भी अपनी छोटी सी बात रखने का मौका दिजीए!

गुण वह है जो जन्मजात होते है, कला महेनत करके सिखनी पडती है!
गुण हंमेशा साथ रहेते है, कला कभी कभी छूट भी जाती है, (समय, नोकरी वगेरह की मजबुरी से)
गुण किसी को दिए नही सकते, कला सिखाई जा सकती है!
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Old 08-09-2014, 10:24 PM   #12
emptymind
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Default Re: गुण और कला

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Originally Posted by Lavanya View Post

आजकल लोगों के दिमाग में इतना कुछ भरा होता है कि दिमाग कुछ सोच ही नहीं पाता , आपका दिमाग खाली है तभी आप ये बेहतरीन विचार सोच सके। Thank u
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Originally Posted by Lavanya View Post
मेरा विचार भी यही है कि गुण स्वाभाविक रूप से या प्राकृतिक रूप से मनुष्य में विद्यमान होते हैं और कला कोई भी व्यक्ति थोड़े से अभ्यास से सीख सकता है।
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Originally Posted by rajnish manga View Post
इस रोचक सूत्र में लावण्या जी ने विचार विमर्श का अच्छा विषय चुना है. प्रतिक्रिया स्वरूप रफ़ीक जी, डॉ श्री विजय और श्रीमान empty mind द्वारा अपने अपने विचार रखे गये जिनके आधार पर हमारे विषय 'गुण और कला' के परस्पर अंतर व समानता पर प्रकाश डाला गया है. सूत्रधार के द्वारा भी प्रस्तुत किये गये विचारों की समीक्षा की गई. एक जटिल विषय स्पष्ट होकर सामने आया. आप सभी महानुभाव का बहुत बहुत धन्यवाद
unused खाली दिमाग का ये गुण है या कलाकारी ?

पूज्य गुरुजन से लेकर, पिताजी तक हमारे खाली दिमाग का लोहा मान चुके है।
कहते है - इसके खोपड़ी मे दिमाग की जगह किडनी है,
और दिमाग तो घुटने के जोड़ो के बीच मे कही ढूँढना पड़ेगा।
हीहीही।
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Old 08-09-2014, 11:04 PM   #13
Pavitra
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Talking Re: गुण और कला

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Originally Posted by emptymind View Post
unused खाली दिमाग का ये गुण है या कलाकारी ?

पूज्य गुरुजन से लेकर, पिताजी तक हमारे खाली दिमाग का लोहा मान चुके है।
कहते है - इसके खोपड़ी मे दिमाग की जगह किडनी है,
और दिमाग तो घुटने के जोड़ो के बीच मे कही ढूँढना पड़ेगा।
हीहीही।
वैसे मानना पड़ेगा कि खाली दिमाग का sense of humour बहुत अच्छा होता है .
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Old 08-09-2014, 11:06 PM   #14
Pavitra
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Smile Re: गुण और कला

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Originally Posted by Deep_ View Post
रोचक वार्तालाप! मुझे भी अपनी छोटी सी बात रखने का मौका दिजीए!

गुण वह है जो जन्मजात होते है, कला महेनत करके सिखनी पडती है!
गुण हंमेशा साथ रहेते है, कला कभी कभी छूट भी जाती है, (समय, नोकरी वगेरह की मजबुरी से)
गुण किसी को दिए नही सकते, कला सिखाई जा सकती है!

मुझे ख़ुशी हुई यह देख कर कि आप सभी लोगों ने मेरे विचार के साथ Agree किया और मुझे प्रोत्साहित किया।
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Old 09-09-2014, 02:02 AM   #15
soni pushpa
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Default Re: गुण और कला

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Originally Posted by Lavanya View Post

जी बिल्कुल , आप सभी के विचारों के माध्यम से मेरे विचारों को भी स्पष्टता मिली।


[QUOTE=Dr.Shree Vijay;526871]
प्रिय लावण्या जी, आपने एक सुंदर विषय कों चुना हें, हम चाहते हैं कि आप इस सुन्दर शुरुआत को और आगे बढ़ाएं, चाहे एक एक पोस्ट की कड़ी के रूप में.........
[/QUOTE बहु अच विषय



प्रिय लावण्या जी इतने अछे विषय को चुनने के लिए सबसेपहले आपको मै धन्यवाद देना चाहूंगी. इस विषय ने सबको एकबार सोचने के लिए मजबूर कर ही दिया की सच में हमने तो कभी सोचा ही नही की कला और गुण एक हैं या अलग अलग हैं ...

जहा तक मेरा मानना है की गुण ईश्वर की दी हुई एक अंदरूनी शक्ति है और कला अधिकतर हम इन्सान सीखते हैं और कुछ समय के अभ्यास के बाद किसी कला में पारंगत हो सकते हैं ... इसलिए कला और गुण दोनो अलग हैं.. जैसेकी गुण के कई स्वरुप हम देखते हैं दया, ममता पूज्य भाव, त्याग , वात्सल्य भावना ये सब गुण है एकदूजे के लिए निस्वार्थता ये भी एक गुण है . और कला में आते है नृत्य कला, पाक कला , लेखन कला , हस्त कला आजकल मार्शल आर्ट कला भी है.. बांसुरी बजने की कला ये सब कलाएं है और गुण वो है जो इश्वर द्वारा दिए गए हैं .. गुणों में पारंगत नही होना पड़ता बल्कि ये तो इश्वर की देन है हम इंसानों को ...

Last edited by soni pushpa; 09-09-2014 at 04:34 PM.
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Old 12-09-2014, 03:30 PM   #16
Pavitra
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Question Re: गुण और कला

गुण और कला में जो अंतर है वो अब स्पष्ट हो चुका है।

परन्तु मेरी एक और जिज्ञासा अभी तक जीवित है , वो ये कि अक्सर कहा जाता है कि - " वह व्यक्ति बहुत ही सीधा है " , यानि कि सीधेपन को एक तारीफ के रूप में कहा जाता है , जैसे वह व्यक्ति का कोई गुण हो। सीधापन यानि भोलापन।

अब मेरी जिज्ञासा है कि ये सीधापन क्या होता है , इसकी क्या परिभाषा है ? और आज के ज़माने में सीधा होना क्या वास्तव में एक गुण है ? अगर आज के युग में आप दुनिया को न समझो तो दुनिया आसानी से आपका फायदा उठा लेती है , लोग धोखा दे देते हैं। तो यही सीधापन हमारे लिए एक कमज़ोरी बन जाता है।

मैं चाहती हूँ कि आप सभी लोग अपने अनुसार "सीधेपन" को परिभाषित करें और यह भी स्पष्ट करें कि क्या वास्तव में आज के दौर में सीधा होना अच्छा है या नहीं।
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Old 17-09-2014, 11:12 PM   #17
Pavitra
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Default Re: गुण और कला

गुण और कला में ज़्यादा महत्वपूर्ण तो गुण ही होते हैं , पर फिर भी आज के ज़माने में कला में पारंगत होना ज़्यादा महत्वपूर्ण समझा जाता है।
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Old 18-09-2014, 02:07 PM   #18
emptymind
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Default Re: गुण और कला

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Originally Posted by Lavanya View Post
गुण और कला में जो अंतर है वो अब स्पष्ट हो चुका है।

परन्तु मेरी एक और जिज्ञासा अभी तक जीवित है , वो ये कि अक्सर कहा जाता है कि - " वह व्यक्ति बहुत ही सीधा है " , यानि कि सीधेपन को एक तारीफ के रूप में कहा जाता है , जैसे वह व्यक्ति का कोई गुण हो। सीधापन यानि भोलापन।

अब मेरी जिज्ञासा है कि ये सीधापन क्या होता है , इसकी क्या परिभाषा है ? और आज के ज़माने में सीधा होना क्या वास्तव में एक गुण है ? अगर आज के युग में आप दुनिया को न समझो तो दुनिया आसानी से आपका फायदा उठा लेती है , लोग धोखा दे देते हैं। तो यही सीधापन हमारे लिए एक कमज़ोरी बन जाता है।

मैं चाहती हूँ कि आप सभी लोग अपने अनुसार "सीधेपन" को परिभाषित करें और यह भी स्पष्ट करें कि क्या वास्तव में आज के दौर में सीधा होना अच्छा है या नहीं।
फिर से दिमाग का उपयोग करना पड़ेगा.....
सीधेपन कि परिभाषा - जो छल-कपट से परे है। न तो वो छल-कपट करता है और ना ही दूसरे के छल- कपट को समझ पाता है और हर जगह ठगा जाता है
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Old 19-09-2014, 11:51 PM   #19
Pavitra
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Default Re: गुण और कला

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Originally Posted by emptymind View Post
फिर से दिमाग का उपयोग करना पड़ेगा.....
सीधेपन कि परिभाषा - जो छल-कपट से परे है। न तो वो छल-कपट करता है और ना ही दूसरे के छल- कपट को समझ पाता है और हर जगह ठगा जाता है
तो फिर सीधेपन को गुण मानना तो गलत हुआ। जो दूसरे के छल कपट को भी ना समझ पाये , ठगा जाये तो फिर तो ये बेवकूफी हुई।
लोग तारीफ़ में क्यों इस " सीधेपन " का प्रयोग करते हैं।

आज के ज़माने में समझदार होना गुण कहलाना चाहिए। समझदार व्यक्ति दूसरे का बुरा नहीं करेगा , क्यूंकि उसमें समझ होगी कि दूसरे का बुरा करने से मुझे कोई लाभ नहीं होगा और कभी न कभी तो मुझे मेरे किये का फल मिलेगा ही। सीधापन आज के ज़माने में गुण की श्रेणी में नहीं आना चाहिए।
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Old 20-09-2014, 11:44 AM   #20
emptymind
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Default Re: गुण और कला

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Originally Posted by Lavanya View Post
तो फिर सीधेपन को गुण मानना तो गलत हुआ। जो दूसरे के छल कपट को भी ना समझ पाये , ठगा जाये तो फिर तो ये बेवकूफी हुई।
लोग तारीफ़ में क्यों इस " सीधेपन " का प्रयोग करते हैं।

आज के ज़माने में समझदार होना गुण कहलाना चाहिए। समझदार व्यक्ति दूसरे का बुरा नहीं करेगा , क्यूंकि उसमें समझ होगी कि दूसरे का बुरा करने से मुझे कोई लाभ नहीं होगा और कभी न कभी तो मुझे मेरे किये का फल मिलेगा ही। सीधापन आज के ज़माने में गुण की श्रेणी में नहीं आना चाहिए
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