06-01-2015, 11:04 AM | #11 |
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Re: मानव जीवन और मूश्किले बनाम सरलताये
So I believe that - Life is like a Roller Coaster ride अगर अभी आप नीचे हैं तो जल्दी ही ऊपर भी आएंगे। और अगर ऊपर हैं तो नीचे भी जाना ही पड़ेगा। So just enjoy this Ride , Don't complain .....आप अकेले नहीं हैं जो दुःख सह रहे हैं , यहाँ हर किसी को ही दुःख का सामना करना पड़ता है।[/SIZE][/QUOTE] dhanywad pvitraa ji ,.. आपने अपने विचार प्रकट किये . सबसे पहले तो मै आपकी गलत फहमी दूर करना चाहूंगी की ये जो कहानी है वो मेरी नही बल्कि किसी और महिला की है और उन्हें मै keise जानती हु वो भी आपको ईमेल द्वारा बताना चाहूंगी . और बात रही( आप अकेले नही इस दुनिया में जिसपर दुःख पड़ा है ) अकेले दुःख न सहने की तो सहने और कहने में बड़ा फर्क होता है . इस सत्य घटना के लिए इतना कहना यहाँ जरुरी समझती हूँ की उस महिला ने जो जो बताया वोऔर एइसे दुःख सहना न मेरे बस की बात है न आपके बस की बात है की हम इतना कुछ सह सकेंगे . जेइसा कीमैंने कहा की उस महिला की दर्दभरी कहानी का सारांश ही रखा है शायद इस बात पर आपने ध्यान नही दिया और मेरा मानना है हर इनसान ख़ुशी चाहता है अ पने जीवन में और सुख चाहता है . और शायद जीवन पर्यंत वो सुख और खुशियों के लिए ही कमाता है मेहनत करता है रिश्ते बनाता है और खुशियाँ चाहता है पर जब जब उस महिला ने सोचा अब चलो सब ठीक है मिला एक गम तो क्या एइसा सोच सोचकर उसने खुद को संभाला किन्तु उसने कभी खुशियों का मुह नही देखा . पवित्रा जी , जी हाँ आपके और .मेरे जीवन में भी दुःख परेशानिया आइन है, पर अपनों के साथ सहकार की वजह से हम सभलते गए हमे सुख मिले खुशियाँ मिली किन्तु उसे हताशा और दुःख मिले वो भी तब जब उसने खुद को संभालकर आगे बढ़ना चाहा उसने आपनी लाइफ से इतनी FIGHT की. कि अब वो थक के टूट गई है . |
06-01-2015, 12:57 PM | #12 |
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Re: मानव जीवन और मूश्किले बनाम सरलताये
मैं समझती हूँ कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में सिर्फ दुःख ही दुःख हों तो वो निराश होगा ही , टूटेगा ही , भगवान से शिकायत करने का हक़ है उसका कि क्यों उसके जीवन में सिर्फ दुःख ही दुःख हैं। पर मैंने पहले भी कहा है कि जो चीज़ हमारे हाथ में ही नहीं है उसके लिए शोक करना कोई फायदा नहीं देता। आप खुद सोचिये जिन हालत में वो महिला हैं , वो असहाय हैं , वो चाह कर भी हालात नहीं बदल सकती हैं। पर ये जीवन सिर्फ उम्मीद के सहारे ही तो जिया जाता है न , एक उम्मीद के शायद हमारा आने वाला कल हमारे आज से बेहतर होगा , शायद मेरे जीवन में सब कुछ अच्छा हो जायेगा। बाकि भाग्य और भगवान पर किसी का ज़ोर नहीं है। हम सिर्फ शिकायत कर सकते हैं भगवान से , सांत्वना दे सकते हैं , हौसला दे सकते हैं , सहारा दे सकते हैं , पर हम सभी जानते हैं कि कुछ चीज़ें हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं।
बाकि अगर आपको मेरी किसी भी बात से ज़रा भी ठेस पहुंची हो तो मैं माफ़ी चाहती हूँ .
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06-01-2015, 02:17 PM | #13 |
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Re: मानव जीवन और मूश्किले बनाम सरलताये
मेरा मानना है की किसी भी इंसान की ज़िंदगी परफेक्ट नहीं होती। हर इंसान के जीवन में सुख और दुःख दोनों आते ही हैं। लेकिन जैसे यहां बात चल रही है कि किसी इंसान के जीवन में सिर्फ दुःख और कठिनाइयां ही हों तो वो क्या करे ?अगर हम भगवान से शिकायत करने लगें तो इस दुनिया में हर रोज़ लाखों लोग होंगे जो किसी न किसी तकलीफ में होंगे भगवन किस -किस की शिकायत सुनेंगे ?भगवान ने हमारे लिए सबसे बड़ा काम पहले ही कर रखा है कि हमें ज़िंदगी दे रक्खी है ,अब उसे जीना हमें है और हमें ये आना चाहिए। मैं मानती हूँ की हर इंसान को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है ,अगर हमारे जीवन में दुःख हैं तो हम उन्हें दूर करने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं और किस स्तर पर कर रहे हैं ,ये महत्वपूर्ण है। महाभारत के युद्ध में अगर भगवान श्रीकृष्ण चाहते तो पूरा युद्ध एक दिन में खुद लड़ कर ख़त्म कर सकते थे ,लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि ये लड़ाई पांडवों की थी और जब अर्जुन भावनात्मक रूप से कमज़ोर हो रहे थे तो श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दे कर उन्हें उनका कर्म याद दिलाया था और उन्हें लड़ने के लिए प्रेरित किया था। पांडवों ने युद्ध लड़ा और जीता भी। अगर हम अपनी लड़ाई खुद नहीं लड़ेंगे तो जीतेंगे कैसे ?मुझे लगता है हमारी ज़िंदगी में सुख या दुःख जो भी है वो बहुत कुछ हमारे कर्मों पर भी निर्भर करता है ,लेकिन अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने का प्रयास हमें खुद ही करना पड़ेगा ,क्योंकि जो इंसान अपनी मदद खुद करता है तभी कोई इंसान उसकी मदद के लिए आगे आता है।
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06-01-2015, 03:23 PM | #14 | |||
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Re: मानव जीवन और मूश्किले बनाम सरलताये
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और मेरा मानना है हर इनसान ख़ुशी चाहता है अ पने जीवन में और सुख चाहता है . और शायद जीवन पर्यंत वो सुख और खुशियों के लिए ही कमाता है मेहनत करता है रिश्ते बनाता है और खुशियाँ चाहता है पर जब जब उस महिला ने सोचा अब चलो सब ठीक है मिला एक गम तो क्या एइसा सोच सोचकर उसने खुद को संभाला किन्तु उसने कभी खुशियों का मुह नही देखा . पवित्रा जी , जी हाँ आपके और .मेरे जीवन में भी दुःख परेशानिया आइन है, पर अपनों के साथ सहकार की वजह से हम सभलते गए हमे सुख मिले खुशियाँ मिली किन्तु उसे हताशा और दुःख मिले वो भी तब जब उसने खुद को संभालकर आगे बढ़ना चाहा उसने आपनी लाइफ से इतनी FIGHT की. कि अब वो थक के टूट गई है .[/QUOTE] Quote:
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बहुत अच्छा ..... सोच को प्रभावित करती हुई बाते ...धन्यवाद
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
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06-01-2015, 09:45 PM | #15 |
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Re: मानव जीवन और मूश्किले बनाम सरलताये
पवित्रा ji , आपको माफ़ी पहले तो मंगनी ही नही चहिये क्यूंकि माफ़ी गलती की होती है और आपने कोई गलती की ही नही फिर माफ़ी keisi ? आप सब मेरा एक प्यारा सा छोटा सा परिवार हो एक लगाव सा है सबस, अब, अब दोस्त हैं हम सब और दोस्ती में बातें हक़ से की जाती हैं न की माफ़ी मांग के . पवित्रा जी मै आपका आभार मानती हूँ क्यूंकि उस कहानी की वजह से और कई लोगो को गलत फहमी हो सकती थी जिससे आपने मुझे बचाया .मै जानती हु आपकेअच्छे पक्ष को आपने अपना पॉइंट ऑफ़ व्यु रखा है.
kuki जी ,... बहुत बहुत धन्यवाद आपने गीता के मर्मको यहाँ रखा और जीवन के दुखो से निजात पाने और सहने के तरीके बताये .. ये मंच ही हम सब दोस्तों को इस तरह अपनत्व से बातें करके खुले मन से अपने अपने भाव लिखने से एक करेगा और हम अपने इस हिंदी फोरम को और ज्यदा मानव जीवन के लिए उपयोगी बनायेंगे. आप सबका साथ आप सबके कमेंट्स ही हमे आगे बढ़ाएंगे .पवित्रा जीkuki जी ने भी बहुत अच्छे मंतव्य दिए . देवराज जी ने दीप जी ने अरविन्द जी ने आदरणीय रजनीश जी ने अपने विचारों को यहाँ रखा मैआप सबकी बहुत आभारी हूँ Last edited by soni pushpa; 07-01-2015 at 03:11 PM. |
06-01-2015, 10:09 PM | #16 |
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Re: मानव जीवन और मूश्किले बनाम सरलताये
सुख-दुख का आनाजाना तो पुरुषार्थ और भाग्य के उपर निर्भर होता है। कुछ विपदा कुदरती होती है। कुछ तकलीफ असहनीय होती है। लेकिन ...दुख का भी जीवन में एक योगदान होता है। ये दुख ही वह ताकत है जो मनुष्य को अंदर से ईतना मजबुत करता है की वह आनेवाले कल के बारे में आशांवित हो सके।
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07-01-2015, 12:12 PM | #17 |
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Re: मानव जीवन और मूश्किले बनाम सरलताये
[QUOTE=Deep_;545631]सुख-दुख का आनाजाना तो पुरुषार्थ और भाग्य के उपर निर्भर होता है। कुछ विपदा कुदरती होती है। कुछ तकलीफ असहनीय होती है। लेकिन ...दुख का भी जीवन में एक योगदान होता है। ये दुख ही वह ताकत है जो मनुष्य को अंदर से ईतना मजबुत करता है की वह आनेवाले कल के बारे में आशांवित हो सके।[/QU
Thanks deep ji ,apke vichaar aapne is sutra par rakhe mai aapki abhari hun . |
07-01-2015, 12:29 PM | #18 | |
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Re: मानव जीवन और मूश्किले बनाम सरलताये
[QUOTE=Pavitra;545246]
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07-01-2015, 02:21 PM | #19 | |||
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Re: मानव जीवन और मूश्किले बनाम सरलताये
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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08-01-2015, 06:17 AM | #20 |
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Re: मानव जीवन और मूश्किले बनाम सरलताये
Bahut gahan baate hain soni ji
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