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Old 29-03-2012, 09:49 AM   #11
Dark Saint Alaick
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Default Re: कुतुबनुमा

दोस्तो, भारत में एक तिब्बती कार्यकर्ता जामयांग येशी ने आत्मदाह किया ! दुनिया में यह पहला नहीं है, खुद चीन में तकरीबन चालीस बौद्ध भिक्षु यह कदम उठा कर मौत का साक्षात्कार कर चुके हैं, लेकिन ज़रा-ज़रा सी बात पर खाड़ी देशों का रुख करने वाले पश्चिम के कानों पर जूं नहीं रेंग रही ! इस स्थिति की व्यथा मेरे इन शब्दों में प्रकट हुई है ! यद्यपि अभी मैं इस अभिव्यक्ति को अधूरा पाता हूं, तथापि यहां आपके लिए प्रस्तुत है !


वे क्यों आएं तिब्बत


उन्हें जरूरत नहीं धवल उत्तुंग पर्वत चोटियों की
उन्हें भाती हैं बुर्ज-खलीफा सी अट्टालिकाएं

उन्हें नहीं चाहिए पहाड़ों के सीने चीर
बह रहा खनिज युक्त शुद्ध जल
उनके पास हैं तमाम शुद्धि-यंत्र
और प्रयोगशालाएं

उन्हें पसंद नहीं पहाड़ से तने सीने
और वज्र से कठोर अंग
उन्हें मिस तिब्बत से नहीं बिकवानी
बालों को रंगने वाली क्रीम

उन्हें गवारा नहीं
तुम्हारी बर्फ सी आंखों में बसे
सच के स्वप्न
उन्हें बेचना है हॉलीवुड का रंगीन झूठ

बोलो, तुम क्या खरीद सकते हो
विमान का क्या करोगे तुम
तोप छोड़ो, अखबार तो निकाल नहीं सकते तुम
तुम्हारा धर्म अहिंसक है, बन्दूक का क्या करोगे तुम
यह सब बेकार है तुम्हारे लिए

ओ भोले तिब्बतियो
आत्मदाह में नष्ट न करो
वह अमूल्य तेल जो चाहिए उन्हें
जिसके लिए आते हैं वे इराक़, मिस्र, सीरिया, ईरान ...

बताओ तो, वे क्यों आएं यहां
यहां नहीं है कोई तानाशाह
यहां है एक खौफनाक ड्रैगन
जो रातों को भी डराता है उन्हें !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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Old 31-03-2012, 12:01 AM   #12
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Default Re: कुतुबनुमा

विरोध का मतलब हिंसा तो नहीं

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की 31 अगस्त 1995 को दिन-दहाड़े हत्या के मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे बलवंतसिंह राजोआना पर दया करने के लिए पंजाब की मौजूदा सरकार ने जिस तरह का अभियान छेड़ा उसकी उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई कड़ी निंदा ने यह तो साबित कर ही दिया है कि अपने राजनीतिक हित के लिए सत्तारूढ़ सरकार ने राज्य के हितों को ही मानो तिलांजली दे दी थी। यह तो अच्छा रहा कि केन्द्र सरकार ने समय रहते पंजाब में बिगड़ती कानून व्यवस्था की दशा को देखते हुए राजोआना की फांसी पर रोक लगा दी, वरना पंजाब में हिंसा और भी उग्र रूप धारण कर सकती थी, जिसे संभालना राज्य सरकार के लिए बेहद मुश्किल हो जाता क्योंकि वह एक तरह से सरकार प्रायोजित ही थी। जहां तक फांसी की सजा का सवाल है,हो सकता है इससे व्यक्ति के मूल मानवाधिकार का घोर हनन होता हो। यह एक बहस का विषय हो सकता है लेकिन इसके मायने यह तो नहीं कि कानून को ही अपने हाथ में ले लिया जाए और वो भी सरकार के समर्थन से? दुनिया के 96 देशों में फांसी की सजा पर रोक है। संविधान निर्माता बी.आर.अंबेडकर ने भी संविधान सभा में मृत्युदंड हटाने का समर्थन किया था। यह भी हो सकता है कि मौत की सजा मानव धर्म का अपमान हो लेकिन इसका विरोध करने के और भी शांतिपूर्ण तरीके हो सकते हैं। यही कारण है कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जी.एस. सिंघवी और न्यायाधीश एस.जे. मुखोपाध्याय की पीठ को गुरूवार को कहना पड़ा कि एक व्यक्ति को हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया है। मुख्यमंत्री की दिनदहाड़े हत्या की गई थी। यह अपने आप में विरला उदाहरण हैं जहां आतंकी कृत्य के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को राजनीतिक समर्थन मिला है। दोनो न्यायाधीशों की पीठ ने राजोआना की फांसी की सजा के विरोध में सिख संगठनों के आह्वान पर पंजाब में बंद और उस दौरान हुई हिंसक घटनाओं पर चिंता जताई और इसे राजनीतिक ड्रामा करार दिया। अब देखना तो यह है कि उच्चतम न्यायालय की इस अपूर्व टिप्पणी से सत्तारूढ़ सरकार क्या सबक सीखेगी क्योंकि यह मुद्दा भले ही कुछ दिनो के लिए टल गया है लेकिन पंजाब की मौजूदा सरकार लगता है इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न भी बना चुकी है।
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Old 01-04-2012, 09:28 PM   #13
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Default Re: कुतुबनुमा

भाजपा को जवाब तो देना ही होगा

भाजपा के शासन वाले हो बड़े राज्यों गुजरात और मध्य प्रदेश में हाल ही में नियंत्रक एंव महालेखा परीक्षक(सीएजी) तथा लोकायुक्त छापों की कार्यवाही ने पार्टी के शुचिता और साफ सुथरे प्रशासन के दावे की मानो हवा ही निकाल दी है। दो माह पहले सीएजी ने राज्य सरकार को रिपोर्ट दी जिसमें एक ही वर्ष में 16,706 करोड़ रूपए का भ्रष्टाचार होने का खुलासा किया गया। इस तरह सीएजी ने नरेन्द्र मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल में कुल 43 हजार करोड़ रूपए से अधिक के भ्रष्टाचार का खुलासा किया है। रिपोर्ट में यह भी साफ किया है कि कच्चे तेल की खोज के नाम पर सरकारी कोष को हजारों करोड़ का चूना लगाया गया है। तेल खोज के नाम पर करोड़ों रूपए कहां खपाए कोई नहीं जानता जबकि विशेषज्ञों ने शंका जता दी थी कि तेल खोज में बड़ी कामयाबी नहीं मिलेगी। और तो और तेल खोज के नाम पर राज्य के पेट्रोलियम निगम को करीब साढ़े बारह हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा। इसी तरह सरकार ने जाने माने अदानी समूह को कच्छ के मुंदडा में 5.94 करोड़ वर्ग मीटर जमीन 32 रूपए प्रति वर्ग मीटर की दर से उपलब्ध कराई जबकि उसकी बाजार कीमत 15 हजार रूपए प्रति वर्ग मीटर है। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार ने अदानी समूह के अलावा रिलायंस और एस्सार को भी बहुत फायदा पहुंचाया। उधर मध्य प्रदेश पर नजर दौडाएं तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। राज्य में महज पिछले दो वर्षों में लोकायुक्त छापों में सरकारी कर्मचारियों की 348 करोड़ की काली कमाई जब्त की गई है। यह आंकड़ा तो राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में रखा गया अधिकृत है। अपुष्ट आंकड़ा तो न जाने कहां तक पहुंच सकता है। पिछले दो बरसों में जिन 67 सरकारी कर्मियों के ठिकानों पर छापे मारे गए उनमें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा के बड़े अफसर शामिल हैं। जब चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जैसे अदने कर्मचारियों के यहां छापों में करोड़ों रूपए की बेनामी संपत्ति मिल रही है, आला अफसरों और मंत्रियों की काली कमाई क्या होगी, इसका तो अंदाजा लगाना ही मुश्किल है। भ्रष्टाचार विरोध केनाम पर संसद तक ठप कर देने वाली भाजपा गले तक भ्रष्टाचार में डूबे इन दो राज्यों को लेकर चुप क्यों है, यह समझ से परे है। उसे जवाब तो देना ही होगा।
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Old 02-04-2012, 07:24 PM   #14
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Default Re: कुतुबनुमा

व्यावसायिक शिक्षा एक दूरदर्शी कदम

कहते हैं जो समय से पहले ही चेत जाए वह हर चुनौती का सामना आसानी से कर सकता है। केन्द्र सरकार ने देश की बढ़ती आबादी को देखते हुए सन 2020 में शिक्षा और रोजगार की संभावनाओं का आकलन कर जो तैयारी अभी से की है वह एक बड़ा दूरदर्शी कदम कहा जा सकता है। सरकार को राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा पात्रता ढांचा (एनवीईक्यूएफ) पर राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की समिति की जो रिपोर्ट मिली है उसमें कहा गया है कि 2020 में जब बीस से पैंतीस वर्ष के लोगों की आबादी 32.5 करोड़ हो जाएगी, तब लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण चुनौती हो जाएगी । इस समस्या का हल व्यावसायिक शिक्षा के माध्यम से निकाला जा सकता है। इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर ही शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने की कवायद के तहत सरकार अगले वर्ष से स्कूली स्तर से स्नातक स्तर तक व्यवसायिक पाठ्यक्रम शुरू करने जा रही है। सरकार ने व्यवसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम का जो खाका तैयार किया है, उसमें सात स्तरों के प्रमाणन की व्यवस्था होगी और यह स्नातक स्तर तक होगी । पहले दो स्तरों तक पढ़ाई और प्रशिक्षण कार्य सीबीएसई एवं राज्य शिक्षा बोर्ड के तहत होगा। इसके तहत नवीं, दसवीं, 11वीं और12वीं स्तर के छात्रों को प्रतिवर्ष 1000 घंटे से 1200 घंटे तक पढ़ाई एवं प्रशिक्षण जरूरी बनाया गया है। इसे स्नातक स्तर तक बढ़ाया जाएगा। व्यवसायिक शिक्षा में आटोमोबाइल, मनोरंजन, सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, मार्केटिंग, कृषि, निर्माण, एप्लायड साइंस, पर्यटन तथा प्रिंटिंग व पब्लिशिंग क्षेत्र का लगभग हर विषय पाठ्यक्रम में होगा। अब तक उपलब्ध सरकारी आंकड़ों के अनुसार स्कूल स्तर पर फिलहाल 11वीं और 12वीं के केवल तीन फीसदी बच्चे व्यवसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम के दायरे में हैं जबकि लक्ष्य 25 प्रतिशत निर्धारित है। कुल मिला कर आने वाले समय की सभी संभावनाओं को देखते हुए सरकार जो कदम उठाने जा रही है उसके दूरगामी परिणाम तो सामने आएंगे ही साथ ही एक दशक बाद भी भारत का युवा रोजगार के क्षेत्र में खुद को इसलिए आत्म निर्भर महसूस करेगा क्योंकि उसके सामने नौकरी ही विकल्प नहीं होगा । वह खुद का व्यवसाय भी आसानी से शुरू कर सकेगा। युवाओं को सरकार की इस पहल का स्वागत करना चाहिए।
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Last edited by Dark Saint Alaick; 03-04-2012 at 09:03 PM.
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Old 03-04-2012, 09:01 PM   #15
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Default Re: कुतुबनुमा

भारत की प्रतिबद्धता पर अमेरिकी मुहर?

आतंकवाद के खिलाफ मौजूदा केन्द्र सरकार जिस गंभीरता के साथ काम कर रही है, उसे एक बड़ी कामयाबी मंगलवार को उस समय मिली, जब अमेरिका ने मुम्बई हमलों के मास्टर माइंड, पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और इस संगठन की राजनीतिक शाखा जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद पर एक करोड़ अमेरिकी डालर के इनाम की घोषणा की। इस घोषणा के साथ ही उसने आतंक के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता पर भी एक तरह से मुहर लगा दी। भारत नवंबर 2008 में मुंबई पर आतंकी हमले के बाद से लगातार सभी मंचों से कहता आया है कि इन हमलों में पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है। भारत यह भी खुलासा कर चुका है कि लश्कर के प्रशिक्षण का मुख्य केन्द्र पाकिस्तान में लाहौर के पास मुरीदके में है और इसकी शाखाएं पाकिस्तान में फैली हुई हैं। यही कारण है कि मंगलवार को अमेरिकी घोषणा के बाद विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा ने कहा कि सईद पाकिस्तान में कहीं सुरक्षित रह रहा है। निश्चित रूप से अब यह कहा जा सकता है कि आतंकवाद के खिलाफ मनमोहन सिंह सरकार द्वारा हाल के बरसों में उठाई गई आवाज के चलते पाकिस्तान में लगातार पनप रही आतंकी चुनौतियों की प्रकृति पर भारत और अमेरिका में पारस्परिक समझ काफी गहरी हुई है। यही कारण है कि विदेश मंत्री कृष्णा ने न केवल अमेरिकी सरकार के ‘रिवार्ड्स फॉर जस्टिस’ कार्यक्रम के तहत सईद के खिलाफ एक करोड़ अमेरिकी डालर के इनाम की घोषणा का स्वागत किया, बल्कि यह भी कहा कि अमेरिका दुनियाभर में इन सभी आतंकवादियों पर नजर रखता है, उसे सईद पर भी अपनी नजर रखनी चाहिए थी, क्योंकि भारत हमेशा जोर देता रहा है कि सईद मुम्बई हमले का मास्टरमाइंड है। एक बात और है कि भारत और अमेरिका ने हाल के वर्षों में आतंकवाद विरोधी संयुक्त कार्य समूह, आतंकवाद विरोधी सहयोग पहल, गृह सुरक्षा वार्ता और खुफिया तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सूचनाओं के नियमित आदान प्रदान के जरिए आतंक के खिलाफ जिस सहयोग को मजबूत किया है उससे लश्कर और आतंकी संगठनो के बीच यह संदेश भी जाएगा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय एकजुट है। ... लेकिन विचारणीय यह है कि क्या इसे अमेरिका की भारतीय हितों और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता माना जाना चाहिए ! कहना ही होगा कि जब तक पाकिस्तान पर भारत के वांछितों पर कार्रवाई का कोई प्रत्यक्ष दबाव अमेरिका की ओर से नज़र नहीं आता, यह मान लेना सिर्फ खुशफहमी ही होगा !
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Old 04-04-2012, 09:48 PM   #16
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Default Re: कुतुबनुमा

भरोसेमंद युवा पीढ़ी को तराशने की जरूरत

अक्सर हमें यही सुनने को मिलता है कि आज का युवा केवल अपने करियर,पढ़ाई, कंप्यूटर और आधुनिक सुख-सुविधाओं में ही उलझा रहता है, लेकिन हाल ही में छेड़े गए एक खास अभियान के निष्कर्षों को चौंकाने वाला कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। अंतर्राष्ट्रीय मानवीय संगठन केयर इंडिया द्वारा दिल्ली और हैदराबाद में युवाओं की सोंच का पता लगाने के लिए पिछले दिनो चलाए गए एक अभियान में सामने आया कि आज के युवा और छात्र अपनी पढ़ाई के अलावा न केवल सामाजिक कार्यों से भी जुड़ना चाहते हैं बल्कि इसके लिए फेस बुक जैसे आधुनिक संचार माध्यम को अपना हथियार भी बनाना चाहते हैं। भारत में महिलाओं और लड़कियों की समस्याओं के प्रति छात्रों और युवाओं को जागरुक करने के मकसद से चलाए गए इस अभियान के तहत करीब चालीस हजार छात्रों से संपर्क किया गया। इनमें 9 हजार छात्रों ने लिखित रूप से तथा 21 हजार छात्रों ने ई-मेल के जरिए महिलाओं और लड़कियों की स्थिति बेहतर बनाने के अभियान को समर्थन देने का संकल्प जताया। यदि हम इस अभियान को एक पैमाना माने तो यह साफ हो जाएगा कि आज की युवा पीढ़ी वाकई बेहद संवेदनशील है और समाज के प्रति अपने गुरूत्तर दायित्व को भी भली-भांति समझती है। अभियान से यह तथ्य भी सामने आया कि नई पीढ़ी बदलाव चाहती है और अपने देश के लिये कुछ करना चाहती है। वह चाहती है कि इसके लिए उसे उचित दिशा, मंच और राह मिले। निश्चित रूप से यह हमारे देश के लिए एक शुभ संकेत तो है लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि हम इस पीढ़ी की उम्मीदों को किस नजरिए से देखते हैं। इस अभियान ने यह तो साबित कर दिया युवा पीढ़ी को अगर सही नेतृत्व मिले तो वह समाज को एक नई दिशा दे सकता है। वह चाहता भी है कि उसे समाज का एक महत्वपूर्ण अंग मान कर उसका इस्तेमाल किया जाए। महिलाओं और युवतियों के प्रति हमारे युवाओं की जो सोंच इस अभियान में परीलक्षित हुई है, उससे हम इतने तो भरोसेमंद हो ही सकते हैं कि आज का युवा अपने इर्द-गिर्द हो रही हर हलचल पर नजर रखे हुए है। बस,जरूरत है तो ऐसी पारखी नजरों की जो बेहतर सोच वाले युवाओं को तराश कर उन्हे देश सेवा से जुड़े कार्यों से जोड़ सके।
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Old 05-04-2012, 10:12 PM   #17
aksh
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aksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant futureaksh has a brilliant future
Default Re: कुतुबनुमा

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Originally Posted by dark saint alaick View Post
मित्र, आपकी बात अपनी जगह बिलकुल उचित है, लेकिन एक मंत्री को अपनी सदिच्छा को पूरा करके दिखाने के बजाय इस्तीफा देने को विवश करना मेरे खयाल से उचित नहीं है ! श्री दिनेश त्रिवेदी को एक मौक़ा दिया जाना चाहिए था ! यह विचारणीय है कि झूठे दावे करते हुए आपकी इस जेब में पैसा रख, उस जेब से निकालने वालों के बजाय, सीधी-साफ़ बात करने वाले लोग ज्यादा भरोसेमंद होते हैं और मुझे श्री त्रिवेदी ऐसे ही इंसान लगते हैं, जो अपने दूरदर्शी क़दमों के कारण बलि की भेंट चढ़ा दिए गए ! क्या आपको पता है कि हाल ही डीजल और पेट्रोल की कीमतों में की गई कमी की कीमत आपने कहां चुकाई है ? जिस दिन यह कमी की गई ठीक उसी रात विमानों के लिए ईंधन की दरें बढ़ा दी गई अर्थात भुगतना आपको ही है, क्योंकि बहुत सी ऎसी चीजें विमानों से भी ढोई जाती हैं, जिन्हें हम इस्तेमाल करते हैं ! मेरा मानना है कि यदि श्री त्रिवेदी यह चाहते थे कि 'जर्जर और झुकी कमर वाली' रेल के बजाय एक बेहतर रेल जनता को चाहिए तो उसे मामूली वृद्धि से गुरेज नहीं करना चाहिए, तो यह उचित सोच थी ! आपकी प्रतिक्रया के लिए धन्यवाद !
पिछले दस सालों में सार्वजनिक जीवन में मूल्यों में तेजी से गिरावट आयी है और ममता बनर्जी जैसी गरीबों की हिमायती होने का दम भरने वाले नेता खुद निरंकुश होकर शासन करना चाहते हैं...जनता की भावनाओं, जमीनी हकीकतों से इन लोगों का सरोकार नहीं रह गया है ये बात खुल कर सामने आ गयी है और इस सबसे एक बात और रेखांकित होती है कि इन लोगों का लोकतंत्र में विश्वास का दावा एक दम खोखला है क्योंकि अगर ऐसा होता तो उक्त रेल मंत्री को एक तानाशाही आदेश का पालन करने के लिए विवश ना होना पड़ता..

मैं अपने चारों तरफ देखता हूँ और यही पाता हूँ कि सत्ता का लालच विकेन्द्रीयकरण के रास्ते गाँव मोहला स्तर तक और गाँव के स्तर तक पहुँच जाने का एक नुक्सान ये हुआ है कि हर स्तर पर फैसले ढुलमुल तरीके से और वोटों की राजनीती को ध्यान में रखकर लिए जा रहे हैं...

इसी विकेन्द्रीयकरण के चलते हमारे गली और मोहल्ले अराजकता के अड्डे बन चुके हैं क्योंकि कुछ सत्ता लोलुप नेता ये चाहते हैं कि उनको सता मिलती रहनी चाहिए...फिर चाहें देश में क़ानून का राज रहे या ना रहे, देश में समता रहे या ना रहे....और सबसे बड़ी बात...देश में लोकतंत्र रहे या मरे...
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Old 05-04-2012, 10:18 PM   #18
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Default Re: कुतुबनुमा

आपका कथन एकदम सत्य है, मित्र ! यह भी देखिए कि मैंने पहले ही कहा था कि किराए में एक धेला कम होने वाला नहीं है ! यह बस, ममता बनर्जी की एक चाल है - प्रधानमंत्री और संप्रग को नीचा दिखाने तथा अपने मनपसंद व्यक्ति को मंत्री पद पर काबिज़ कराने की ... और अब यह सच साबित हो गया है !
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Default Re: कुतुबनुमा

पाक को ठोस कदम तो उठाना ही होगा

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी रविवार को हांलाकि एक तरह से निजी यात्रा पर भारत आ रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान ने उनकी इस यात्रा और भोजन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से जरदारी की मुलाकात को भी आखिर कश्मीर से जोड़ ही दिया। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल बासित का यह कहना तो ठीक है कि दोपहर के भोजन पर जरदारी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मुलाकात विश्व के इस भाग में अंतर-क्षेत्रीय शांति एवं समृद्धि को बढावा देने के राष्ट्रपति के विचारों को मूर्त रूप देने में योगदान करेगी और इससे क्षेत्र में शांति बहाली के प्रयासों को बल मिलेगा, लेकिन बासित को यह कहने की जरूरत आखिर क्यों आ पड़ी कि दोनों नेता पड़ोसी मुल्कों के द्विपक्षीय संबंधों में लगातार महत्वपूर्ण बने रहने वाले सभी मुद्दों पर बात करेंगे, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हम अन्य मामलों विशेष तौर पर जम्मू कश्मीर पर अपने रूख से समझौता करेंगे। उन्होंने कहा कि कश्मीर विवाद दोनों देशों के बीच अहम मुद्दा है। जम्मू कश्मीर विवाद पर पाकिस्तान का अपने रूख में बदलाव लाने को कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है। इससे यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान कहता कुछ है और करता कुछ है। यही हाल लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को लेकर सामने आया है। अमेरिका ने जैसे ही सईद के खिलाफ एक करोड़ डॉलर के ईनाम की घोषणा की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कह दिया कि सईद का मामला एक आंतरिक मुद्दा है तथा यदि जमात उद दावा प्रमुख के खिलाफ कोई ठोस सबूत है तो उसे पाकिस्तान को मुहैया कराया जाना चाहिए। जहां तक सईद के खिलाफ सबूतों का सवाल है, भारत मुंबई पर आतंकी हमले में सईद के लिप्त होने के सबूत पाकिस्तान को दे चुका है लेकिन पाकिस्तान ने कोई जांच नहीं की। गृह मंत्री पी. चिदंबरम की ओर से पाकिस्तान को सौंपे गए डोजियर में सईद के मुंबई हमले में शामिल होने संबंधी सारा ब्यौरा मौजूद है। ऐसे में भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा का यह कहना बेहद तार्किक है कि किसी न्यायिक जांच के बगैर भारत द्वारा सौंपे गए दस्तावेजों से पाकिस्तान मुकर कर बच नहीं सकता। पाकिस्तान को चाहिए कि वह आतंक के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने के लिए धरातल पर कुछ ठोस कदम उठाकर इसे साबित करे।
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Old 08-04-2012, 10:34 PM   #20
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Default Re: कुतुबनुमा

चेन्नई सुपर किंग्स बनाम डेक्कन चार्जर्स
दिन ही जडेजा का था.....

यही तो है क्रिकेट की खूबी। गत दो बार से आईपीएल जीत रही चेन्नई सुपर किंग्स इस बार अपने पहले ही मैच में जब मुंबई इंडियन से हारी तो लगा सूरमाओं से भरी यह टीम अब आगे क्या करेगी । लेकिन दूसरे मैच में इस सीजन में बीस लाख डॉलर में बिके सबसे मंहगे खिलाड़ी रविंदर जडेजा ने पहले बल्ले और फिर गेंद से जो करिश्मा दिखाया, लगा यह टीम यूं ही खेलती रही तो उसे तीसरी बार जीतने से कौन रोक सकेगा। इंडियन प्रीमियर लीग के छठे मैच में शनिवार रात चेन्नई सुपर किंग्स ने विशाखापट्टनम में डेक्कन चार्जर्स पर 74 रन से धमाकेदार जीत हासिल की जिसमें जडेजा ने पहले 29 गेंद पर तीन चौकों और तीन छक्कों की मदद से 48 रन बनाए और फिर अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 16 रन देकर पांच विकेट भी झटक लिए यानी शनिवार जडेजा का दिन था। चेन्नई सुपरकिंग्स के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी और उनकी टीम ने टास हारने के बाद पहले बल्लेबाजी के लिए मिले न्यौते का जमकर फायदा उठाया। जडेजा ने तो बल्लेबाजी में हाथ दिखाए ही, डी.ब्रावो ने भी 18 गेंद पर नाबाद 43 रन की पारी खेली। ब्रावो ने आखिरी दो ओवर में पांच छक्कों की बरसात की । रनों की बहती गंगा में फाफ डु प्लेसिस ने चार छक्कों की मदद से 39 रन और एस बद्रीनाथ ने 25 रन रूपी हाथ धोए और उसकी बदोलत चेन्नई सुपर किंग्स ने छह विकेट पर 193 रन का बड़ा स्कोर खड़ा कर डाला। चार्जर्स के दो गेंजबाजों मनप्रीत गोनी और सुधींद्र कुलकर्णी ने आठ ओवर में 100 रन लुटा दिए।
जब डेक्कन चार्जर्स के बल्लेबाज इस मुकाम को हासिल करने मैदान में उतरे तो किसी भी ओवर में नहीं लगा कि वे लक्ष्य पाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। और जब जडेजा ने 11वें ओवर में गेंद संभाली तो फिर डेक्कन चार्जर्स का ऐसा फ्यूज उड़ा कि उसने चार ओवर में छह विकेट गंवा दिए और पूरी टीम 17.1 ओवर में 119 रन पर ढेर हो गर्ई। जाहिर है शानदार प्रदर्शन के लिए 'मैन आफ द मैच' का पुरस्कार तो जडेजा के खाते में जाना ही था। पुरस्कार लेते समय जडेजा ने कहा- यह मेरा शानदार प्रदर्शन था। मैं अपनी मां और परिवार का आभार व्यक्त करना चाहूंगा। मैं बहुत खुश हूं कि मेरे लिए आज का दिन बहुत अच्छा रहा।
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