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Old 26-11-2010, 08:24 PM   #11
amit_tiwari
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amit_tiwari is a splendid one to beholdamit_tiwari is a splendid one to beholdamit_tiwari is a splendid one to beholdamit_tiwari is a splendid one to beholdamit_tiwari is a splendid one to beholdamit_tiwari is a splendid one to behold
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Originally Posted by sudhir View Post


” इस कविता का हर शब्द मरे दिल की गहराई से आ रहा है.
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.”
Pretty much true for all IT guys.
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Old 01-01-2011, 07:33 PM   #12
Kumar Anil
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Originally Posted by sudhir View Post
क्यूं न करू स्विच ?

अंधियारी निशा का साया सप्ताह्तं संध्या पर काम का चरम दबाव
वातानुकूलित लेब मे बैठ मेरा निशाचरी दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

आउट डेटेड बोस के घिसे-पिटे वादों से क्षुब्ध आदिकालिन ख्यालों से आहत
अपने ही दोस्तों से प्रतिस्पर्द्धा करता मेरा सहज दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

काम कि तलाश जिम्मेदारी कि आस सम्मान कि कसक मे
टीम दर टीम - प़ोजेकट दर प़ोजेकट मेरा भटकता दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

नकारे माहोल मे मक्कारों के बीच विलुप्त होते प़ोजेक्टस् का साया
घटती कार्मिकों कि तादाद से, मेरा असुरक्षित दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

आर & डी के लिये हायर्ड डवलपमेंट से बोझिल टेस्टिगं मे अटका
छुट्टियों को चिरकाल से प़तिक्षित मेरा कुंठित दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

बहुराष्ट्रीय आय से सिंचित वित्त सरिता सी कंपनी 8% इनक़ीमेंट के चने चबाता
आनसाइट के सपने सपनो मे देखता मूल्यांकन- समीक्षा मे लताडित मेरा प़ताडित दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??
मशीनोँ के बीच मेँ घिरे मशीनमैन की मृतप्राय हो गयी संवेदनाओँ ने हूक भरी भी तो काहे की सिर्फ और सिर्फ अपने लिए । शायद इस भौतिकता की आँधी मेँ शीर्ष पर स्थापित करने का प्रलोभन देकर यह बहुराष्ट्रीय कम्पनी इंजीनियर्स को मोटी रकम देकर मशीन बनाने का प्रयास क्रमिक किये हैँ । या यूँ कहिये कि उनके घरवालोँ को मोटी रकम देकर मशीन खरीद ले रहे हैँ । उसकी भावनाऐँ , संवेदनायेँ केवल अपनी कम्पनी तक सीमित हुई जा रही हैँ । आखिर इन मशीनोँ के रूप परिवर्तन और खरीद फरोख्त का जिम्मेदार कौन है ?
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Old 01-01-2011, 09:14 PM   #13
neha
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neha will become famous soon enough
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Originally Posted by Kumar Anil View Post
मशीनोँ के बीच मेँ घिरे मशीनमैन की मृतप्राय हो गयी संवेदनाओँ ने हूक भरी भी तो काहे की सिर्फ और सिर्फ अपने लिए । शायद इस भौतिकता की आँधी मेँ शीर्ष पर स्थापित करने का प्रलोभन देकर यह बहुराष्ट्रीय कम्पनी इंजीनियर्स को मोटी रकम देकर मशीन बनाने का प्रयास क्रमिक किये हैँ । या यूँ कहिये कि उनके घरवालोँ को मोटी रकम देकर मशीन खरीद ले रहे हैँ । उसकी भावनाऐँ , संवेदनायेँ केवल अपनी कम्पनी तक सीमित हुई जा रही हैँ । आखिर इन मशीनोँ के रूप परिवर्तन और खरीद फरोख्त का जिम्मेदार कौन है ?
मैं आपके विचारों से सहमत नहीं हूँ, आप सिक्के के एक ही पहलु को देख रहे है. इन्ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कारण आज भारत प्रगति के शिखर पर बढ रहा है. रोज़गार के नए अवसर पैदा हो रहे है. शायद आप किसी सरकारी नौकरी में है इसलिए इस तरह की राय रखते है.
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Old 02-01-2011, 06:28 AM   #14
Kumar Anil
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Kumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud of
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Originally Posted by neha View Post
मैं आपके विचारों से सहमत नहीं हूँ, आप सिक्के के एक ही पहलु को देख रहे है. इन्ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कारण आज भारत प्रगति के शिखर पर बढ रहा है. रोज़गार के नए अवसर पैदा हो रहे है. शायद आप किसी सरकारी नौकरी में है इसलिए इस तरह की राय रखते है.
मैँने केवल उद्धृत कविता के सन्दर्भ मेँ एक सहज प्रतिक्रिया व्यक्त की थी । उस कविता के दर्द को बाँटने की कोशिश की थी । उसके अस्तित्व को एक पहलू के रूप मेँ आपके द्वारा भी स्वीकारा गया है ।हाँ दूसरा पक्ष हमारे देश की प्रगति के रूप मेँ भी मुझे स्वीकार्य है । प्रगति के फेर मेँ उस इँजीनियर के दर्द का उसके मानसिक संताप का क्या होगा , विचारणीय है ।
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Old 03-01-2011, 12:19 AM   #15
amit_tiwari
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Originally Posted by neha View Post
मैं आपके विचारों से सहमत नहीं हूँ, आप सिक्के के एक ही पहलु को देख रहे है. इन्ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कारण आज भारत प्रगति के शिखर पर बढ रहा है. रोज़गार के नए अवसर पैदा हो रहे है. शायद आप किसी सरकारी नौकरी में है इसलिए इस तरह की राय रखते है.
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मैँने केवल उद्धृत कविता के सन्दर्भ मेँ एक सहज प्रतिक्रिया व्यक्त की थी । उस कविता के दर्द को बाँटने की कोशिश की थी । उसके अस्तित्व को एक पहलू के रूप मेँ आपके द्वारा भी स्वीकारा गया है ।हाँ दूसरा पक्ष हमारे देश की प्रगति के रूप मेँ भी मुझे स्वीकार्य है । प्रगति के फेर मेँ उस इँजीनियर के दर्द का उसके मानसिक संताप का क्या होगा , विचारणीय है ।
नेहा जी आपकी ये बात सही है कि सामान्यतया सरकारी नौकरी से जुड़े लोग MNCs की जॉब को बुरा मानते हैं किन्तु इस कविता विशेस के विषय में की गयी अनिल भाई की टिपण्णी मुझे अधिक सही लगती है | मैं स्वयं भी 25 का ही हूँ और दो साल दिल्ली में आईटी फील्ड में एक MNC में ही कार्य करने के बाद खुद का छोटा सा बिजनेस स्थापित कर पाया हूँ इसलिए मैं व्यक्तिगत अनुभव से कह सकता हूँ कि इस कविता में कही बातें अक्षरशः सही हैं |
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Old 03-01-2011, 07:44 AM   #16
jitendragarg
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jitendragarg has a brilliant futurejitendragarg has a brilliant futurejitendragarg has a brilliant futurejitendragarg has a brilliant futurejitendragarg has a brilliant futurejitendragarg has a brilliant futurejitendragarg has a brilliant futurejitendragarg has a brilliant futurejitendragarg has a brilliant futurejitendragarg has a brilliant futurejitendragarg has a brilliant future
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@amit

नेहा जी का मानना अपनी जगह सही है! हर व्यक्ति की अपनी सोच है!

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