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Old 08-01-2011, 06:20 PM   #11
VIDROHI NAYAK
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Originally Posted by kumar anil View Post
विद्रोही जी , सुन्दर सूत्र के निर्माण के लिए मेरी बधाई स्वीकार करेँ । धार्मिक मान्यताओँ की विज्ञान सम्मत व्याख्या एक अनूठी पहल है । प्रयत्न करूँगा कि विद्रोही जी के इस यज्ञ मेँ कुछ आहुतियाँ मेरे द्वारा भी डाली जायेँ ।
आपका सहयोग तो आपेक्षित है ....वैसे भी कोई भी यज्ञ अकेले तो पूर्ण नहीं किया जा सकता !
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Originally Posted by arvind View Post
विज्ञान और आध्यात्म का बहुत ही सुंदर मिलन है इस सूत्र मे......
सूत्रधार को साधुवाद।
सूत्र भ्रमण करने लिए हार्दिक धन्यवाद ! कृपया मार्गदर्शन करते रहें !
__________________
( वैचारिक मतभेद संभव है )
''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है''

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Old 09-01-2011, 07:56 AM   #12
VIDROHI NAYAK
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Originally Posted by vidrohi nayak View Post
लोग मस्तक पर तिलक क्यों लगते हैं ?
तिलक,त्रिपुण्ड,टीका अथवा बिंदिया आदि का सीधा सम्बन्ध मस्तिष्क से होता है ! मनुष्य की दोनों भौंहों के बीच आज्ञा चक्र होता है ! इस चक्र पर ध्यान केंद्रित करने पर साधक का मन पूर्ण शक्ति संपन्न हो जाता है ! इसे हम चेतना का केन्द्र भी कह सकते हैं ! समस्त ज्ञान एवम चेतना का सञ्चालन इसी स्थान से होता है !
आज्ञा चक्र ही तृतीय नेत्र है !इस स्थान को दिव्या नेत्र भी कहा जा सकता है ! तिलक लगाने से आज्ञा चक्र जाग्रत होता है जिसकी तुलना रडार टेलीस्कोप से की जा सकती है ! इसके अतिरिक्त तिलक लगाने से धार्मिकता का आभास होता है !
वैज्ञानिक कारण
हम अपने मस्तिष्क से आव्यशकता से अधिक काम लेते हैं !इसका परिणाम ये होता है की ज्ञान तंतुओ का विचारक केन्द्र भकुटी और ललाट के मध्य भाग में वेदना होने लगती है ! चन्दन ज्ञान तंतुओ को शीतलता प्रदान करता है ! इसलिए प्रतिदिन चन्दन का तिलक लगाते हैं ! जो प्राणी प्रतिदिन प्रातः काल स्नान के पश्चात चंदन का लेप माथे पर करता है उसे सरदर्द की शिकायत नहीं होती!
उपरोक्त वैज्ञानिक तथ्य को डॉक्टर हकीम और वैद्य भी स्वीकार करते हैं !
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( वैचारिक मतभेद संभव है )
''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है''

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Old 10-01-2011, 09:17 AM   #13
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लोग मूर्ति पूजा क्यों करते हैं?

मनुष्य का चंचल मन बहुत चलायमान होता होता है ! वह इधर उधर भटकता ही रहता है ! मनुष्य चाह कर भी अपने चंचल मन की चंचलता रोक नहीं पाता है ! मन की चंचलता को स्थिर करने का एकमात्र साधन किसी वस्तु विशेष पर ध्यान केन्द्रीयकरण है ! अतः मूर्ति पर द्रष्टि रखने पर उस मूर्ति के प्रति भावना जाग्रत होती है और यह भावना ही मन की चंचलता को केंद्रित करती है !मूर्ति पूजा का प्रचलन हिन्दुओ में ही नहीं बल्कि अन्य धर्मो में भी है !जैसे सिक्ख धर्म के लोग गुरुग्रंथ साहिब की पूजा करते हैं , ईसाई लोग पवित्र क्रास की पूजा करते हैं,मुसलमान कुरआन शरीफ को मान्यता देते हैं !
ऐसे ही एकलव्य ने द्रोणाचार्य को गुरु मानकर उनकी प्रतिमा स्थापित करके बाण विद्या में निपुणता ग्रहण की थी !
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''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है''

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Old 10-01-2011, 09:33 AM   #14
YUVRAJ
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बहुत ही दमदार सूत्र है नायक जी ...
जितनी भी तारीफ की जाए कम होगी ...
.........
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Old 10-01-2011, 07:44 PM   #15
VIDROHI NAYAK
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लोग सूर्य को जल क्यों चढाते हैं?


धार्मिक मान्यताओ के अनुसार सूर्य को जल दिए बिना अन्य ग्रहण करना पाप है ! अलंकारिक भाषा में वेदों में कहा गया है की संध्या के समय सूर्य को दिए गए अर्ध्य के जलकण वज्र बनकर असुरों का नाश करते हैं !

वैज्ञानिक कारण
विज्ञान की द्रष्टि में मनुष्य शारीर के अंदर टाईफाईड,निमोनिया ,टी.बी, आदि बीमारियाँ सामान्यतः हो जाती हैं ! इनको नष्ट करने की दिव्य शक्ति यानि विटामिन d सूर्य की किरणों में होती है ! एंथ्रेक्स के वायरस जो कई वर्षों के शुष्कीकरण से नहीं मिटते वे सूर्य की किरणों से एक डेढ़ घंटे
में मर जाते हैं ! हैजा ,निमोनिया,चेचक आदि के कीटाणु पानी में उबालने पर भी नहीं मरते परन्तु सूर्य की की प्रभात कालीन किरणे इन्हें शीघ्र नष्ट कर देती हैं ! सूर्य की अर्ध्य देते समय साधक के ऊपर सूर्य की किरणे सीधी पड़ती हैं !
शास्त्रों के अनुसार प्रातः काल पूर्व की ओर मुख करके तथा संध्या के समय पश्चिम की ओर मुख करके जल देना चाहिए ! जल के लोटे को छाती के बराबर ऊंचाई रखकर जल गिराते हुए जल प्रवाह में से सूर्य को देखने पर मोतियाबिंद की कभी समस्या नहीं होती !
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Old 11-01-2011, 10:01 AM   #16
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कुंकुम क्या है? इसका तिलक क्यों लगाते है?


कुंकुम हल्दी का चूर्ण होता है जिसमे नींबू का रस मिलाने से लाल रंग का हो जाता है!
आयुर्वेद के अनुसार कुंकुम त्वचा शोधन के लिए सर्वोत्तम औषधि मानी गई है!इसका तिलक लगाने से मस्तिस्क तन्तुओ में कमजोरी नहीं आती है !
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Old 11-01-2011, 10:13 AM   #17
Sikandar_Khan
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सर्वप्रथम सूत्रधार को सूत्र के लिए हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत ही महत्वपूर्ण जानकरियां उपलब्ध
कराई है
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."

click me
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Old 11-01-2011, 06:16 PM   #18
VIDROHI NAYAK
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लोग भस्म क्यों लगाते है ?

यज्ञ की भस्म शरीर पर एवं सर पर पूरी श्रद्धा भक्ति से लगाई जाती है! भारतीय संस्कृति में यज्ञ की भस्म को भी यज्ञ का प्रसाद समझा जाता है ! भस्म एक तरह से देवताओं का प्रसाद माना जाता है!
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लोग भस्म क्यों लगाते है ?

यज्ञ की भस्म शरीर पर एवं सर पर पूरी श्रद्धा भक्ति से लगाई जाती है! भारतीय संस्कृति में यज्ञ की भस्म को भी यज्ञ का प्रसाद समझा जाता है ! भस्म एक तरह से देवताओं का प्रसाद माना जाता है!
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Old 11-01-2011, 06:39 PM   #20
Kumar Anil
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धार्मिक मान्यताओ के अनुसार सूर्य को जल दिए बिना अन्य ग्रहण करना पाप है ! अलंकारिक भाषा में वेदों में कहा गया है की संध्या के समय सूर्य को दिए गए अर्ध्य के जलकण वज्र बनकर असुरों का नाश करते हैं !

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विज्ञान की द्रष्टि में मनुष्य शारीर के अंदर टाईफाईड,निमोनिया ,टी.बी, आदि बीमारियाँ सामान्यतः हो जाती हैं ! इनको नष्ट करने की दिव्य शक्ति यानि विटामिन d सूर्य की किरणों में होती है ! एंथ्रेक्स के वायरस जो कई वर्षों के शुष्कीकरण से नहीं मिटते वे सूर्य की किरणों से एक डेढ़ घंटे
में मर जाते हैं ! हैजा ,निमोनिया,चेचक आदि के कीटाणु पानी में उबालने पर भी नहीं मरते परन्तु सूर्य की की प्रभात कालीन किरणे इन्हें शीघ्र नष्ट कर देती हैं ! सूर्य की अर्ध्य देते समय साधक के ऊपर सूर्य की किरणे सीधी पड़ती हैं !
शास्त्रों के अनुसार प्रातः काल पूर्व की ओर मुख करके तथा संध्या के समय पश्चिम की ओर मुख करके जल देना चाहिए ! जल के लोटे को छाती के बराबर ऊंचाई रखकर जल गिराते हुए जल प्रवाह में से सूर्य को देखने पर मोतियाबिंद की कभी समस्या नहीं होती !
वैज्ञानिक आधार बेहद दमदार और ज्ञानवर्द्धक है जिससे असहमत नहीँ हुआ जा सकता ।
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दूसरोँ को ख़ुशी देकर अपने लिये ख़ुशी खरीद लो ।
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