23-09-2013, 11:19 PM | #11 |
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Re: नवरात्रि पर्व.......................
अयन, गोल तथा ऋतुओं के परिवर्तन मानव मस्तिष्क को आंदोलित करते हैं. मानव मस्तिष्क, जो कि अनन्त शक्ति स्त्रोतों का अक्षय भंडार है. उसमें जहाँ संसार के निर्माण करने की स्थिति है, वहीं संहार करने की शक्ति भी केन्द्रित है..........................
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23-09-2013, 11:20 PM | #12 |
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Re: नवरात्रि पर्व.......................
यही कारण है कि त्रिगुणात्मक महाकाली, महासरस्वती और महादुर्गा हमारी आराध्य रही हैं. यह पर्व रात्रि प्रधान इसलिए है कि शास्त्रों में “रात्रि रूपा यतोदेवी दिवा रूपो महेश्वर:” अर्थात दिन को शिव(पुरूष)रूप में तथा रात्रि को शक्ति(प्रकृ्ति)रूपा माना गया है. एक ही तत्व के दो स्वरूप हैं, फिर भी शिव(पुरूष)का अस्तित्व उसकी शक्ति(प्रकृ्ति) पर ही आधारित है...........................
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23-09-2013, 11:22 PM | #13 |
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Re: नवरात्रि पर्व.......................
सो, इस बात को समझने की जरूरत है कि अखिल पिण्ड ब्राह्मंड के समस्त संकेत के पारखी ऋषि-मुनियों नें नैसर्गिक सुअवसरों को परख कर हमें विशेष रूप से संस्कारित बनाने का प्रयास किया है...........................
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23-09-2013, 11:23 PM | #14 |
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Re: नवरात्रि पर्व.......................
त्रिविध ताप नाश की इस पुनीत पर्व की गरिमा को समझते हुए हमें दिव्यशक्ति की आराधना, उपासना करते हुए पूर्ण मर्यादासहित(मन को विषय भोगों से दूर रख) नवरात्रि पूजन करना आवश्यक है. यह समय किसी धर्म, जाति या सम्प्रदाय विशेष से सम्बन्धित न होकर मानव मात्र के लिए कल्याणप्रद है...........................
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23-09-2013, 11:24 PM | #15 |
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Re: नवरात्रि पर्व.......................
नवरात्रि पर्व चैत्र और आश्विन मास में ही क्यों मनाया जाता है?...........................
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23-09-2013, 11:27 PM | #16 |
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Re: नवरात्रि पर्व.......................
नवरात्र पर्व हमेशा चैत्र और आश्विन मास में ही क्यों होते हैं? इसका भी एक वैज्ञानिक कारण है कि मौसम-विज्ञान के अनुसार ये दोनों ही मास सर्दी,गर्मी की सन्धि के महत्वपूर्ण मास हैं। यूँ तो ऋतुऎं कहने को छ: मानी जाती हैं परन्तु यदि देखा जाए तो हैं तो वे दो ही—-एक गर्मी और दूसरी सर्दी...........................
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23-09-2013, 11:28 PM | #17 |
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Re: नवरात्रि पर्व.......................
शीत ऋतु का आगमन आश्विन मास से आरंभ हो जाता है और ग्रीष्म का चैत्र मास से। ज्यों हि एक ऋतु का पदार्पण हुआ कि सम्पूर्ण भौतिक जगत में एक हलचल प्रारंभ होने लगती है। पेड-पौधे,वनस्पति जगत,जल,आकाश और वायुमंडल तक सबमें परिवर्तन होने लगता है...........................
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23-09-2013, 11:29 PM | #18 |
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Re: नवरात्रि पर्व.......................
ये दोनो मास दोनों ऋतुओं के संधिकाल है,अत: हमारे स्वास्थय पर इनका विशेष प्रभाव पडता है। चैत्र में गर्मी के प्रारंभ हो जाने से पिछले कईं मास से जो रक्त का प्रवाह मंद था,अब वो हमारी नसों नाडियों में तीव्र गति से प्रवाहित होने लगता है। केवल रक्त की ही बात नहीं यह नियम शरीर के वात,पित्त,कफ इन तीनों तत्वों पर भी लागू होता है...........................
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23-09-2013, 11:30 PM | #19 |
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Re: नवरात्रि पर्व.......................
यही कारण है कि संसार के अधिकांश रोगी इन दोनों मासों में या तो शीघ्र अच्छे हो जाते हैं या फिर मृ्त्यु को प्राप्त होते हैं। इसलिए शास्त्रकारों नें सन्धि काल के इन्ही मासों में शरीर को पूर्ण स्वस्थ रखने के लिए नौ दिन तक विशेष रूप से व्रत-उपवास आदि का विधान किया है...........................
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23-09-2013, 11:31 PM | #20 |
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Re: नवरात्रि पर्व.......................
नव रक्त संचारी वसन्त के इन मादक दिनों में मन में विषय वासना की नईं तरंगें भी मन को खूब आंदोलित करती हैं,किन्तु यदि ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए इन नौ दिनों में आपके विधिपूर्वक व्रत-उपवास का आश्रय लिया तो समझिए कि आगामी ऋतुकाल के लिए आपने अपने भीतर शक्ति का संचय कर लिया—जिसका फल आपको ये मिलेगा कि आगामी ऋतु परिवर्तन तक न तो कोई रोग,व्याधी और न किसी प्रकार की चित्त की विकलता ही आपको पीडित करेगी...........................
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धर्म, नवरात्रि पर्व, महाशिव रात्रि, रामायण, वास्तु |
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