09-12-2014, 09:20 AM | #11 |
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Re: निंदक नियरे राखिये
कबीर दासजी के दोहे आज भी उतने ही सार्थक हैं जितने की तब थे जब उन्होंने लिखे थे। ये संसार प्रेम की नींव पर ही टिका हुआ है। माँ -बाप का बच्चों और बच्चों का अपने माँ-बाप के लिए प्रेम ,भाई -बहन के बीच प्रेम,पति -पत्नी का प्रेम ,प्रेमी -प्रेमिका का प्रेम ,मित्रों का एक दूसरे के लिए प्रेम ,हर रिश्ते में प्रेम ज़रूरी होता है क्योंकि प्रेम के बिना कोई भी रिश्ता ज़्यादा दिन तक नहीं टिक सकता। इंसान कितनी ही पुस्तकें या ग्रन्थ पढ़ ले ,कितनी ही बड़ी -बड़ी डिग्रीयां ले ले ,लेकिन उसके मन में किसी के लिए भी प्रेम नहीं है तो उसका जीवन निरर्थक है ,क्योंकि प्रेम ही जीवन को सार्थक बनाता है। |
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