![]() |
#11 |
Banned
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Nov 2010
Location: राँची, झारखण्ड
Posts: 3,682
Rep Power: 0 ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
![]() चित्र के उल्लेख के बाद भी चित्र न पाकर, कुछ अधूरा-अधूरा सा लगा। रजनीश जी से आग्रह है कि संबन्धित चित्र भी प्रदर्शित करे। Last edited by arvind; 20-11-2012 at 05:05 PM. |
![]() |
![]() |
![]() |
#12 |
Super Moderator
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
![]()
भावना जी और ढेबर जी का बहुत आभारी हूँ कि उन्होंने इस वृत्तान्त को पसंद किया और आगे लिखते रहने की भी प्रेरणा दी है. अन्य बहुत से अज्ञात पाठकों ने भी इस लेख को विज़िट कर मुझे प्रोत्साहित किया. उनका धन्यवाद करना चाहता हूँ.
|
![]() |
![]() |
![]() |
#13 |
Super Moderator
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
![]()
मित्र, संभवतः आपको चित्र अपलोड करने में कुछ समस्या है। मैं मदद के लिए हाज़िर हूं। फिलहाल मैंने चूरू की हवेलियों के दो चित्र यहां प्रदर्शित कर दिए हैं, ताकि पाठक कुछ नज़ारा भी कर सकें। यदि आप यहां कोई विशेष चित्र प्रदर्शित करने के इच्छुक हों, तो कृपया बताएं, इन्हें तत्काल बदल दिया जाएगा। धन्यवाद।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
![]() |
![]() |
![]() |
#14 |
Special Member
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Oct 2010
Posts: 3,570
Rep Power: 42 ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
![]()
मित्र, आपने शेखावाटी को बहुत ही सुंदर तरीके से पेश किया है ,सच में ही शेखावाटी क्षेत्र राजस्थान का बहुत ही मिलनसार क्षेत्र है ,यहाँ के लोग बड़े साफ़ दिल के व मेहनती होते है !
|
![]() |
![]() |
![]() |
#15 |
Diligent Member
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
#16 | |
Super Moderator
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
![]() Quote:
![]() सेंट अलैक जी, सर्वप्रथम तो चूरू की पृष्ठभूमि से दो चित्र यथा स्थान चस्पाँ करने के लिये मेरा हार्दिक धन्यवाद स्वीकार करें. इन चित्रों से मेरा प्रयोजन पूरा हो गया है. दरअस्ल, एक तो चित्र अपलोड न कर पाने की वजह से हतोत्साहित हो गया था, दूसरे, अन्यत्र व्यस्तता के कारण इस और ध्यान न दे पाया. आशा है इस सिलसिले को अब आगे बढ़ा सकूंगा. एक बार फिर आपका धन्यवाद और विलम्ब से आपसे मुखातिब हुआ, इसके लिये क्षमाप्रार्थी हूँ. |
|
![]() |
![]() |
![]() |
#17 |
Super Moderator
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
![]()
प्रिय मित्रो, कुछ अन्तराल के पश्चात मैं आप के बीच पुनः उपस्थित हुआ हूँ इस सूत्र के अगले प्रसंगों के साथ. मुझे आशा है कि यह सिलसिला आगे चलता रहेगा और आपका स्नेह भी पहले की भांति मुझे प्राप्त होता रहेगा. तो मुलाहिज़ा करें मेरे प्रिय नगर चूरू का आगे का हाल:
यहाँ की हवेलियों का रंग रूप रेगिस्तान की रेत के भूरे रंग से मेल खाता है. ऐसा प्रतीत होता है मानो ये हवेलियाँ रेत से ही उपजी हों. मेरी निम्नलिखित कविता उपरोक्त तथ्यों की ही निशानदेही करती है: उगा रेत से बालुआ ये शहर. ठिठुराया ठहरा हुआ ये शहर. श्री हीन होता गया पर बराबर, है दिल को लुभाता मुआ ये शहर. सदियों से कीलित मानचित्र जैसा, शहरों में ईसा हुआ ये शहर. शांत ऐसे जैसे तपोवन का कोना, फकीरों की अथवा दुआ ये शहर. नानक की सूखी रोटी तो है ही, न हो चाहे हलवा पुआ ये शहर. पछुआ पवन से छिटका हुआ गाँव, गावों से छिटका हुआ ये शहर. यह कविता चूरू शहर को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि है. Last edited by rajnish manga; 13-12-2012 at 09:16 PM. |
![]() |
![]() |
![]() |
#18 |
Super Moderator
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
![]()
मित्रो, चूरू शहर से जुड़ा संस्मरणों का अगला भाग प्रस्तुत है:
चूरू में बंधेज की रंगाई का काम काफी प्रसिद्ध था, छोटा नगर होने के बावजूद यह जिला मुख्यालय था जहाँ सांस्कृतिक तथा साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता था. शास्त्रीय संगीत का आयोजन भी वर्ष में कम से कम एक बार अवश्य किया जाता था जिसमे वहाँ के स्थानीय संगीतज्ञों श्याम सुन्दर जी, मांगीलालजी कत्थक, किशन जी व्यास के अलावा बाहर से भी जाने माने संगीतज्ञों का आगमन होता था. Last edited by rajnish manga; 13-12-2012 at 09:39 PM. |
![]() |
![]() |
![]() |
#19 |
Super Moderator
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
![]()
उन दिनों बम्बई (वर्तमान में मुंबई) में रहने वाले एक प्रवासी नवयुवक श्री पुरुषोत्तम (जिन्होंने बातचीत के दौरान अपना परिचय ‘मास्टर पुरुषोत्तम’ के तौर पर दिया था) जी कुछ दिनों के लिये चूरू, जो उनकी जन्मभूमि थी, में रहने के लिये आये हुये थे. कुछ मित्रों ने उनसे मेरा परिचय करवाया जो उनके भी घनिष्ट मित्र थे. मालूम हुआ कि वो पाँच-छ: वर्ष के बाद यहाँ पधारे थे. आने वाले लगभग एक माह तक वो हमारी मित्र मंडली के साथ ही रहे. चूरू में बिताये उनके बचपन के बारे में, उनके माता पिता के बारे में, भाई बहनों के बारे में और वर्तमान में (उस समय) वे बम्बई में क्या काम कर रहे थे? इत्यादि. वह मुझसे उम्र में लगभग पाँच वर्ष छोटे थे अर्थात उस समय वे २५ वर्ष के थे. उनका शरीर दुबला पतला तथा छरहरा था, रंग गेहुआँ था. सुरुचिपूर्ण वेशभूषा में रहते थे.
मैं उनके घर कई बार गया. यहाँ उनका घर तो कई कई साल बन्द ही रहता है, ताला ही लगा रहता है. जब कोई बम्बई से यहाँ आता ही तो ताले खुल जाते हैं और साफ़ सफाई हो जाती है. फिर उनके जाने के बाद अंदर और बाहर के दरवाजों पर फिर से ताले लटका दिए जाते थे. उन्होंने अपना एक छोटा सा फोटो अल्बम भी दिखाया जिसमे उनकी यहाँ बिताए बचपन की यादें सुरक्षित थीं. कुछ फोटो ऐसे थे जिनमे पुरुषोत्तम जी को स्टेज पर बैठे हुये और अपना संगीत कार्यक्रम पेश करते हुये दिखाया गया था. उन्होंने बताया कि मैं बम्बई में इसी तरह के प्रोग्राम दिया करता हूँ. इससे उनको कुछ आमदनी हो जाती थी. कई बार दूसरे बड़े कलाकारों के कार्यक्रम में भी वह शिरकत कर लेते थे. एक बार जब मैं उनके घर गया तो उन्होंने मुझे अपना एक पुराना ग्रामोफोन भी दिखाया. वह एक बड़े बक्से में बन्द था. उन्होंने उसको खोल कर बड़े प्यार से एक साफ़ कपड़े से उसकी सफाई की. उसे अच्छी तरह करीने से टेबल पर जमा कर रखा. अपने ग्रामोफोन रेकार्डों की भी धूल मिटटी को साफ़ किया. सभी रिकॉर्ड 78 rpm के थे और पुराने ज़माने के थे. |
![]() |
![]() |
![]() |
#20 |
Super Moderator
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
![]()
मेरे अनुरोध पर उन्होंने ग्रामोफोन में चाबी भरी, टर्न टेबल पर रिकॉर्ड रखा, स्टाइलस में एक नयी सुई डाली और उसे रिकॉर्ड के बाहरी ग्रूव में लगा दिया. और लीजिए गाना बजना शुरू हो गया. एक छोटे कमरे के हिसाब से आवाज़ काफ़ी ऊँची महसूस हो रही थी. इस मशीन का सारा सिस्टम यांत्रिक था और इसे चलाने के लिये बिजली या बैटरी की ज़रूरत नहीं होती. गाने की आवाज़ इतनी जोरदार थी कि आँखे बन्द कर लें तो ऐसा लगे जैसे मुकेश जी साक्षात हमारे सामने खड़े हो कर गा रहें हों. वह गाना तो मुझे अब याद नहीं लेकिन इतना जरूर याद है कि वो पहला गाना स्वर्गीय मुकेश जी का ही गाया हुआ था. जिस समय की यह घटना है उस समय तक मुकेश जी जीवित थे (मुकेश जी का निधन २७ अगस्त १९७६ को हुआ था).
एक विशेष बात की ओर आपका ध्यान खींचना चाहता हूँ, वह यह कि पुरुषोत्तम जी गाते बहुत अच्छा थे. उनकी आवाज़ बहुत साफ़ और मधुर थी लेकिन बारीक थी. कभी कभी ऐसा लगता जैसे कोई अल्प वय का कोई लड़का गाना गा रहा हो. हम लोग एक दो दिन बाद कहीं नकहीं गोष्ठी करते और थोड़ी देर में संगीत का माहौल बन जाया करता. जैसा मैंने पहले कहा पुरुषोत्तम जी बहुत अच्छा गाते थे और साथ ही हारमोनियम भी उतना ही अच्छा बजाते थे. उनके द्वारा गाये जाने वाले गीतों में अधिकतर तो मशहूर फ़िल्मी गीत ही होते थे, लेकिन कभी कभी वो गज़ल अथवा राजस्थानी लोक गीत भी सुनाया करते थे. एक गीत के बारे में वो बताते थे कि यह किसी फिल्म में आने वाला है लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार ऐसा हुआ नहीं. बहरहाल, गीत की शुरू की पंक्तियाँ इस प्रकार थी: मेरा दिल टूटा तो ये ताज महल टूटेगा. धरती अम्बर का ये पावन रिश्ता छूटेगा. |
![]() |
![]() |
![]() |
Bookmarks |
Tags |
चूरू, राजस्थान, churu, dehradun, meri zindagi mere shahar, najibabad, nepal, painted havelies, rajasthan, srinagar |
|
|