25-04-2013, 09:15 AM | #11 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
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13-05-2013, 01:38 PM | #12 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
बेबिलोनिया व सुमेरिया के मिथक
गिलगमेश की कथा गिलगमेश का आख्यान शायद पृथ्वी पर लिखित रूप से उपलब्ध सबसे पुराना आख्यान है. यह शायद प्राचीन बेबिलोनिया / सुमेरिया की सबसे प्रसिद्ध काव्य-कथा है. यह कथा मिट्टी की बारह 12 बट्टियों पर लिखी गई थी. इस कहानी का विषय है सुमेरिया के राज्य उरुक के ऐतिहासिक नरेश गिलगमेश के साहसिक कारनामे. कहते हैं कि उसने लगभग 3000 वर्ष पहले यहाँ पर राज्य किया था. कहानी के अनुसार उरुक का राजा गिलगमेश बहुत रूपवान और बहादुर था मगर अत्याचारी था. प्रजा उसके अत्याचारों से तंग आ चुकी थी. गिलगमेश के अत्याचारों और आतंक से दुखी प्रजा ईश्वर के पास गई और उससे रक्षा की प्रार्थना की. ईश्वर ने एनकीडू को उत्पन्न किया जो लम्बे बालों वाला असीमित शक्ति का जंगलों में रहने वाला आदमी था. वह जंगली जानवरों के साथ मैदानों और पर्वतों पर घूमता था. गिलगमेश को जब एनकीडू के बारे में पता चलता है तो वह एक वैश्य को उसे नष्ट करने के लिए भेजता है. वैश्य जा कर एनकीडू को उरुक की सभ्यता और गिलगमेश के वैभव और शक्ति के बारे में बताती है तथा उसे उरुक ले आती है. गिलगमेश को एनकीडू के आने का पता चलता है. नव वर्ष के त्यौहार पर दोनों मिलते है और उनमे भयंकर द्वंद्व युद्ध होता है. द्वंद्व युद्ध अनिर्णीत रहता है जिसके बाद दोनों मित्र बन जाते हैं. वे दोनों मिल कर एक साथ कई बार साहस व वीरतापूर्वक खतरनाक कारनामों में भाग लेने निकल पड़ते हैं. इस अभियान के शुरू में वे हुमुंबा का वध करते है. वह एक भयंकर दैत्य था जिसकी दहाढ़ से ही बाढ़ और तूफान पैदा हो जाते थे. हुमुंबा मुंह से आग निकालता था और अपनी बाहर निकलती श्वांस से मृत्यु-वर्षा कर सकता था. अपने इस अभियान के दूसरे मरहले में प्रेम और युद्ध की देवी ईशतर से उनकी मुठभेड़ होती है. ईशतर गिलगमेश को देख कर उस पर मुग्ध हो जाती है और उसे आमंत्रित करती है. गिलगमेश ईशतर का तिरस्कार करता है. ईशतर इससे क्रुद्ध हो जाती है वह देवताओं को विवश करती है कि वे स्वर्ग का दिव्य बैल भेज कर उन दोनों मित्रों को नष्ट कर दे. लेकिन गिलगमेश और एनकीडू उस बैल के आने पर भयंकर युद्ध करते हैं और उसका वध कर देते है. देवता निर्णय करते हैं कि बैल को मारने के कारण एनकीडू को भी मरना होगा. एनकीडू को स्वप्न में अपनी आसन्न मृत्यु के बारे में पता चलता है और उसको मृतकों के अँधेरे लोक में जाना पड़ेगा. उसका शरीर कमजोर पड़ने लगा तथा उसकी शक्ति क्षीण होने लग गयी. आखिर में एक दिन एनकीडू मर जाता है. गिलगमेश इससे बहुत आहत होता है. इस कथा का बड़ा हिस्सा एनकीडू की मौत के बाद गिलगमेश की मानसिक अवस्था और विषादपूर्ण विचारों पर केन्द्रित है. वह जंगलों और रेगिस्तान में विलाप करता हुआ घूमता रहता है. कथा में मनुष्य के अमरत्व पर बहुत जोर दिया गया है. यहाँ पर गिलगमेश को एनकीडू की मौत के बाद अमरत्व की खोज करते हुए दिखाया गया है. मृत्यु क्या है? इस प्रश्न का उत्तर ढूँढने और अमरत्व की खोज की दिशा में उसकी महायात्रा आरम्भ होती है. |
13-05-2013, 01:39 PM | #13 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
बहुत सी बाधाएं पार करने के बाद वह महान संत ‘उत्नापिश्तिम’ के पास आता है जिसे मौत नहीं मार सकती और जिसे अमरत्व का रहस्य मालूम है. गिलगमेश उत्नापिश्तिम के सामने अमरत्व विषयक अपनी जिज्ञासायें रखता है. उत्नापिश्तिम पहले गिलगमेश को हतोत्साहित करने की कोशिश करता है. वह उसे बताता है कि मौत अवश्यभावी है, अतः उससे बचा नहीं जा सकता. इस पर गिलगमेश उससे पूछता है कि वह (उत्नापिश्तिम) कैसे अमर हो गया? तब उत्नापिश्तिम उसे अपनी कथा सुनाता है कि किस प्रकार वह जल-प्रलय के समय देवताओं की कृपा से वह बच पाया था. अमरत्व देवताओं की कृपा है.
इस पर गिलगमेश निराश होता है. उत्नापिश्तिम उसे एक उपाय बताता है. इसके अनुसार यदि गिलगमेश समुद्र के तल में पैदा होने वाली एक जड़ी को ले आता है और उसका सेवन करता है तो उसे अक्षय यौवन की प्राप्ति हो सकती है. यह सुन कर गिलगमेश अपने पैर में पत्थर बाँध कर समुद्र में कूद जाता है और उस जड़ी को ढूँढने में सफल हो जाता है. इसको ले कर वह समुद्र से बाहर आता है. वह बड़ा थक जाता है अतः रास्ते में एक कुयें पर नहाने के लिए रुकता है, जड़ी वहीँ रख कर नहाने लगता है. इसी बीच वहां एक सांप आ जाता है और उस जड़ी को खा लेता है. सांप की पुरानी खाल के स्थान पर नयी खाल निकल आती है. यह देख कर और सोच कर गिलगमेश बुरी तरह रोने लगता है कि उसके हाथ से अमरत्व निकल गया है. तत्पश्चात, गिलगमेश अमरत्व की खोज में हार कर निराश क़दमों के साथ वापिस लौट आता है. इस प्रकार उसकी अमरत्व की खोज भी यहीं समाप्त हो जाती है. ** |
15-05-2013, 09:57 PM | #14 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
बेबिलोनिया व सुमेरिया के मिथक
उत्नापिश्तिम की कथा उत्नापिश्तिम बेबिलोनिया व सुमेरिया का एक पौराणिक महानायक था. उसे महान देवता ईया का एक सन्देश मिला था कि सभी देवता मिल कर वहां एक विप्लवकारी बाढ़ या जल-प्रलय की योजना बना रहे हैं. ईया ने उसे स्पष्ट निर्देश दिये कि वह अपने बचाव के लिए एक विशाल नौका तैयार करे. जलप्लावन के समय देवता के निर्देशानुसार उत्नापिश्तिम ने अपने सभी परिवार-जनों को नौका पर बैठा लिया. उसके बाद धरती पर पाए जाने वाले सभी प्राणियों में से एक-एक जोड़ा और सोना-चांदी नौका में लाद दिए. जल-प्रलय में इतनी भीषणता थी कि सभी देवता भी उसे देख कर डर से थर-थर कांपने लगे थे. उत्नापिश्तिम, उसके परिजन तथा सभी प्राणियों में से एक-एक जीव-युगल जल-प्रलय से बचने में सफल हो गए थे. अपनी व अपने परिजनों और विभिन्न प्राणियों की नस्ल से एक-एक नग युगल की जान बख्शने पर देवताओं के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हुए उत्नापिश्तिम ने मूल्यवान वस्तुओं की आहूति दी और उनकी पूजा अर्चना की. देवताओं ने खुश हो कर उसे अमर होने का वरदान दिया. ** |
17-05-2013, 09:02 PM | #15 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
ग्रीक मिथक
सिसीफस की सजा ईयोलस का पुत्र सिसीफस कारिन्थ का राजा था. उसका विवाह एटलस की पुत्री मेरोपी से हुआ था. सिसीफस के राज्य के निकट किआनी का पुत्र औटोलिकस रहता था जो अपने पिता की तरह चोरी करने में माहिर था. उसने सिसीफस के पशुओं को चुराना शुरू कर दिया जिससे सिसीफस चिंतित हो उठा. दिनों दिन उसके पशुओं की संख्या घटने लगी. एक दिन पशुओं के खुरों के निशान देखते देखते सिसीफस ओटोलिकस के पास जा पहुंचा. ईयोलस की मृत्यु के बाद सिसीफस के भाई सेल्मोनियस ने थिसली का सिंहासन छीन लिया. तब भविष्यवाणी हुयी कि भतीजी से प्राप्त तेरे पुत्र तेरे अपमान का बदला लेंगे. सिसिफस ने भतीजी टाइरो को अपने झूठे प्रेम जाल में फंसा लिया. किन्तु बाद में पता चलने पर टाइरो ने अपने दोनों पुत्रों की हत्या कर दी. कुछ दिन बाद बाजार में प्राप्त कुछ शवों की हत्या का आरोप सिसीफस ने अपने भाई पर लगा दिया, जिसके कारण उसे थिसली से निष्काषित कर दिया गया. अब सिसीफस राजा तो बन गया, पर वह था बहुत कपटी और धोखेबाज. एक बार देवाधिदेव ज्यूस ने जल देवता एसोपस की सुन्दर पुत्री एगिना का अपहरण कर लिया, जिसे सिसीफस ने देखा और कारिन्थ में सदा प्रवाहित होने वाले झरने की कीमत पर एसोपस को सब कुछ बता दिया. इससे ज्यूस बहुत क्रुद्ध हुआ और सिसीफस के प्राण हरने के लिए उसने मृत्यु को भेजा. छल-कपट से सिसीफस ने मृत्यु को बंदी बना लिया. इससे देवता बहुत चिंतित हुये. युद्ध देवता ईरोस स्वयं वहां गये और मृत्यु को मुक्त करने के बाद सिसीफस को बंदी बना लिया गया. सिसीफस भी हार मानने वाला न था. उसने अपनी पत्नि को खबर भेजी कि वह उसके पार्थिव शरीर को न तो जलाये और न ही दफनाये. पत्नि मेरोपी ने ऐसा ही किया. टरटारस में रोनी सूरत बना कर सिसीफस ने पर्सिफेनी को फुसलाने की कोशिश की. “मेरी पत्नि ने मेरा अंतिम संस्कार तक नहीं किया, इसके बिना यहाँ मेरा रहना अनुचित है. मुझे चार दिन के लिए पृथ्वी पर भेज दिया जाये. अपना अंतिम संस्कार करवा कर और अपनी पत्नि को दंड देने के बाद मैं वापस आ जाऊंगा.” पर्सिफेनी उसके बहकावे में आ गई और उसे मुक्त कर दिया. फिर क्या था, सिसीफस अपना वादा भूल गया और वृद्धावस्था तक राज करता रहा. देवताओं को इस बात का पता लगने पर हेमीज को भेजा गया, जो छल-कपट से सिसीफस को फिर से बाँध कर ले आया. इस बार सिसीफस को ऐसा दंड दिया गया जिसकी मिसाल अन्यत्र कहीं नहीं मिलती. टरटारस में एक बहुत बड़ा व भारी पत्थर था. सिसीफस को यह सजा दी गई कि वह उस पत्थर को लुढ़काते हुये पहाड़ के शिखर तक ले जाये और दूसरी ओर लुढ़का दे. पर जैसे ही वह पत्थर शिखर के नज़दीक तक ले आता है, पत्थर लुढ़क कर फिर नीचे आ जाता है. सिसीफस बार बार पत्थर को शिखर पर ले जाने का प्रयास करता है और बार बार अपनी कोशिश में असफल होता है. तब से ले कर आज तक सिसीफस उस पत्थर को शिखर पर ले जाने की कोशिश में लगा हुआ है और यह क्रम तब तक अनवरत चलता रहेगा जब तक वह ऊपर की ओर लुढ़काते हुए इस भारी पत्थर को पर्वत शिखर तक ले जाने में कामयाब न हो जाये. ** |
18-05-2013, 11:43 PM | #16 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
ग्रीक मिथक
वो मानव थे पर देवता हो गये ग्रीक पुराण-कथाओं के अनुसार कुछ ऐसे नायक नायिकाएं थीं जो मानव थे किन्तु उनके देवताओं से सम्बन्ध रहे. अतः इन सभी को वाही सम्मान प्रदान किया गया जो देवी-देवताओं के लिए सुरक्षित था. इन्हीं पात्रों की एक बानगी: सुंदरी आइओ और सौ आँखों वाला आरगुस आइओ एक बहुत सुन्दर युवती थी. देवताओं के राजा ज्यूस ने उसे देखा और उस पर मोहित हो गया. उसके सामने यह समस्या थी कि वह उसे अपनी पत्नि हेरा की दृष्टि से कैसे बचाये. अतः उसने आइओ को बछिया बना दिया. लेकिन हेरा भी चालाकी में कम नहीं थी. उसने उस बछिया की निगरानी के लिए सौ आँखों वाले आरगुस को एक बछड़े के रूप में उसके पीछे लगा दिया. फिर भी किसी तरह आइओ बच निकली, तो हेरा ने उसे तब तक तंग किया जब तक ज्यूस ने उसे असली नारी रूप में परिवर्तित नहीं कर दिया. अंत में ज्यूस ने हेरा को मना लिया और आइओ भी उसके साथ रहने लगी. हेरा और ज्यूस का एक पुत्र हुआ जिससे बाद में हेराक्लीज़ की परम्परा शुरू हुई. ** |
18-05-2013, 11:45 PM | #17 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
ग्रीक मिथक
एक आदर्श नायक हेराक्लीज़ (रोमन मिथक में हरक्युलिस) हेराक्लीज़ ग्रीक पौराणिक कथाओं का सबसे अधिक शक्तिशाली और आदर्श नायक था. उसे यह उच्च स्थान उन बारह असंभव लगने वाले दुष्कर कार्यों को संपन्न करने के कारण हासिल हुआ था जो उसने अपने पिता द्वारा किये गये अपराधों के प्रायश्चित स्वरुप किये थे. ये काम थे – 1. नेमेआ के दुर्दांत शेर को गला घोट कर मारना 2. नौ सर वाले दैत्य हायिद्रा को मारना 3. सोने के सींगों वाले एक हिरन का एक साल तक पीछा कर के पकड़ना 4. एक भीमकाय सुअर को भगा भगा कर थकाना और पकड़ना 5. आउजीन के घोड़ों के वे अस्तबल, जो नदी के कीचड़ में फंस गये थे, को बचाना. इसके लिये उसे दो नदियों की धाराओं को भी मोड़ना पड़ा. 6. विशालकाय स्टेफालियन नामक पक्षी को मार भगाना और उड़ते समय उस पर तीर चला कर मार गिराना. 7. मिनोस नामक खूंख्वार सांड को पकड़ना 8. डायोमदीज़ की आदमखोर घोड़ियों पर लगाम लगाना 9. एमेज़ोन्स की रानी हिप्पोल्यता की करघनी को मांगना और प्राप्त करना 10. ग्रेयोन के रेवड़ को और तीन शरीर वाले राक्षस को चुराना और इसके उपलक्ष्य में हेराक्लीज़ के स्तंभों की स्थापना (जिसके अवशेष आज भी जिब्राल्टर और चेउता में स्थित हैं) 11. हेस्पेरीड्स के स्वर्ण सेबों को खोजने के लिए एटलस को भेजना और आकाश को थामे रखना 12. हेड्स के तीन सिर वाले कुत्ते सेर्वेरस को पकड़ना यही वे दुष्कर कार्य थे जिनको संपन्न करने के बाद हेराक्लीज़ की परंपरा का सूत्रपात हुआ. ** |
18-05-2013, 11:56 PM | #18 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
ग्रीक मिथक
मरने के बाद भी उसने एथेंस की रक्षा की ईडीपस (OEDIPUS) ने सुदूर मिस्र में थेबीज़ तक की कठिन यात्राएं की और एक झगडे में एक वृद्ध व्यक्ति मारा गया. इसके बाद उसने स्फिंक्स नामक दैत्य को चुनौती दी जो उसके निकट से हो कर जाने वाले हर राहगीर से एक पहेली पूछता जिसका कोई जवाब न दे पाता. इस प्रकार वह हर राहगीर को खा जाता. उसकी पहेली होती – “वह कौन सा जीव है जो प्रातःकाल चार पैरों से चलता है, दोपहर में दो पैर से और सांझ को तीन पैरों से चलता है?” ईडीपस ने इस पहेली का सही उत्तर दिया – “आदमी” जो अपने जीवन के प्रातःकाल या बचपन में दोनों हाथों और दोनों पैरों अर्थात चारों के सहारे पर चलता है. जवानी में दोनों परों से चलता है और जीवन के अंतिम समय यानि सांझ में लाठी की सहायता से अने र्थात तीन पैरों से चलता है. इस प्रकार उचित उत्तर मिल जाने पर स्फिंक्स बहुत प्रसन्न हुआ और उपहारस्वरूप उसने ठेबीज़ की विधवा रानी जोकास्ता का हाथ ईडिपस के हाथ में दे दिया. ईडिपस के बारे में यह भविष्यवाणी की गयी थी कि वह अपने पिता की हत्या करेगा और फिर अपनी मां से शादी करेगा. वह भविष्य वाणी इस घटना से सिद्ध हो गयी क्योंकि जोकास्ता उसकी मां थी और जिस बूढ़े आदमी को उसने पहले मारा था वह जोकास्ता का पूर्व पति होने के कारण उसका पिता हुआ. शादी हो जाने के बाद जब जोकास्ता को अपने पुत्र से ही शादी होने के महापाप का पता चला तो जोकास्ता ने आत्महत्या कर ली. इस पर ईडिपस ने अपनी आँखें फोड़ ली और यूनान भर में मारा मारा घूमता रहा तथा वह लोगों की घृणा और क्रोध का शिकार हुआ. अंत में उसे एथेंस में शरण मिली. वहीँ उसकी मृत्यु हुई. उसने आभार स्वरुप मरने से पूर्व यह वादा किया कि वह मृत्यु के बाद भी एथेंस की दुश्मनों से रक्षा करता रहेगा. (मनोविश्लेषणवादी फ्रायड ने पुरुष के शैशव से ही किसी स्त्री के प्रति खिंचाव या लगाव की भावना को ईडीपस ग्रंथि- oedipus complex - का नाम दिया है) ** Last edited by rajnish manga; 18-05-2013 at 11:58 PM. |
19-05-2013, 12:00 AM | #19 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
ग्रीक मिथक / जल प्रलय के बाद
डेउकालियन और उसकी पत्नि प्यार्हा जल प्रलय के बाद बचे रह गये जो देवताओं के राजा ज्यूस ने पाप और अनाचार से भरे संसार का संहार करने के निमित्त रची थी. ये दोनों पति-पत्नि लकड़ी की एक बड़ी पेटी पर, जिसमें उनके लिए खाने पीने की पर्याप्त सामग्री लदी हुई थी, बैठे हए बड़े दिनों तक जल की सतह पर तैरते रहे. कुछ समय बाद जब जल प्रलय की विभीषिका थमने लगी और जल स्तर कम हो गया, वे दोनों धरती पर उतरे. उन्होंने अपने जीवन के लिए ईश्वर का धन्यवाद किया, तो उन्हें आकाशवाणी सुनाई दी जो कह रही थी कि वे अपनी मान की हड्डियों को अपने कन्धों पर से फेंक दें. शुरू में तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया और उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया. लेकिन बाद में डेउकालियन को समझ में आ गया कि आकाशवाणी जिस मां के बारे में बता रही थी वह और कोई नहीं बल्कि यह पृथ्वी धरती मां ही है. उसकी हड्डियां आसपास रखे हए पत्थर थे. उन्हें यह कहा गया था कि इन पत्थरों को अपने कन्धों के ऊपर ले जा कर पीछे की और फेंका जाये. उन्होंने ऐसा ही किया. डेउकालियन ने जिन पत्थरों को अपने कन्धों के ऊपर ले जा कर पीछे की और फेंका, वे नर बन गये और जिन पत्थरों को उसकी पत्नि ने फेंका, वे नारी बन गईं. इस प्रकार इन नव सृजित नर-नारियों से सृष्टि पुनः आरम्भ हुई. ** |
22-05-2013, 11:08 PM | #20 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
ग्रीक मिथक
पोज़िडॉन (Poseidon) वह वरुण देवता है, जल का संरक्षक. पोज़िडॉन ज्यूस का भाई है. अपने पिता क्रोनुस को राजगद्दी से हटाने के बाद उसने अपने भाइयों ज्यूस और हेड्स के साथ एक मुकाबला किया जिसके पुरस्कार स्वरुप उसे जल के संरक्षक की जिम्मेदारी सौंप दी गई. हर कहीं मछुआरों और समुद्र की रखवाली करने वाले सैनिकों द्वारा उसकी अभ्यर्थना की जाती है. पोज़ीडॉन की शादी एम्फीट्रायिट से हुयी जो ओलिम्पस पर्वत पर रहने वाले टाईटन समुदाय के नायक ओसियानस की पोती थी. एक समय ऐसा था जब उसे डिमीटर से प्यार हो गया था. उसका ध्यान दूसरी ओर खींचने की गरज से डिमीटर ने पोज़ीडॉन के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि वह संसार का सबसे खूबसूरत जानवर बना कर दिखाये. उसे प्रभावित करने के लिए पोज़ीडॉन ने सबसे पहला घोडा बनाया. कुछ विवरण यह बताते हैं कि उसने काफी मेहनत की, बहुत से असफल प्रयोग किये और विभिन्न प्रकार के अनोखे जानवर बनाये. और बहुत काल के पश्चात जिस समय उसने घोड़े की रचना कर ली, उस समय डिमीटर के प्रति उसका मोह भी ठंडा हो चुका था. वह अपने पास हथियार के नाम पर एक त्रिशूल धारण करता था जिसमे धरती को हिलाने की ताकत थी और सब कुछ नष्ट कर देने की भयंकर क्षमता थी. तुलनात्मक रूप से देखें तो देवताओं में ज्यूस के बाद पोज़ीडॉन ही सबसे अधिक शक्तिशाली था. वह झगड़ालू किस्म का देवता था जिसे समझना आसान नहीं था. उसमे एक बुराई यह थी कि वह बहुत लालची था. अक्सर दूसरे देवताओं के साथ उसके झगड़े होते रहते थे क्योंकि वह उनके इलाकों पर अपना अधिकार ज़माना चाहता था. ** Last edited by rajnish manga; 22-05-2013 at 11:16 PM. |
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