My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > New India > Religious Forum
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 08-01-2011, 06:29 PM   #11
ABHAY
Exclusive Member
 
ABHAY's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35
ABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud of
Default Re: ~!!महाभारत!!~

__________________
Follow on Instagram , Twitter , Facebook, YouTube.
ABHAY is offline   Reply With Quote
Old 08-01-2011, 06:32 PM   #12
ABHAY
Exclusive Member
 
ABHAY's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35
ABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud of
Post Re: ~!!महाभारत!!~

मूल काव्य रचना इतिहास
वेदव्यास जी को महाभारत पूरा रचने में ३ वर्ष लग गये थे, इसका कारण यह हो सकता है कि उस समय लेखन लिपि कला का इतना विकास नही हुआ था, उस काल में ऋषियों द्वारा वैदिक ग्रन्थों को पीढ़ी दर पीढ़ी परम्परागत मौखिक रुप से याद करके सुरक्षित रखा जाता था। उस समय संस्कृत ऋषियों की भाषा थी और ब्राह्मी आम बोलचाल की भाषा हुआ करती थी। इस प्रकार ऋषियों द्वारा सम्पूर्ण वैदिक साहित्य मौखिक रुप से याद कर पीढ़ी दर पीढ़ी सहस्त्रों वर्षों तक याद रखा गया। फिर धीरे धीरे जब समय के प्रभाव से वैदिक युग के पतन के साथ ही ऋषियों की वैदिक साहित्यों को याद रखने की शैली लुप्त हो गयी तब से वैदिक साहित्य को पाण्डुलिपियों पर लिखकर सुरक्षित रखने का प्रचलन हो गया। यह सर्वमान्य है कि महाभारत का आधुनिक रुप कई अवस्थाओं से गुजर कर बना है। विद्वानों द्वारा इसकी रचना की चार प्रारम्भिक अवस्थाएं पहचानी गयी हैं। ये अवस्थाएं संभावित रचना काल क्रम में निम्न लिखित हैं:
__________________
Follow on Instagram , Twitter , Facebook, YouTube.
ABHAY is offline   Reply With Quote
Old 08-01-2011, 06:36 PM   #13
ABHAY
Exclusive Member
 
ABHAY's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35
ABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud of
Post Re: ~!!महाभारत!!~

३१०० ईसा पूर्व
१) सर्वप्रथम वेदव्यास द्वारा १०० पर्वों के रुप में एक लाख श्लोकों का रचित भारत महाकाव्य, जो बाद में महाभारत के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
२) दूसरी बार व्यास जी के कहने पर उनके शिष्य वैशम्पायन जी द्वारा पुनः इसी "भारत" महाकाव्य को जनमेजय के यज्ञ समारोह में ऋषि-मुनियों को सुनाना।
२००० ईसा पूर्व
३) तीसरी बार फिर से *वैशम्पायन और ऋषि-मुनियो की इस वार्ता के रूप में कही गयी "महाभारत" को सूत जी द्वारा पुनः १८ पर्वों के रुप में सुव्यवस्थित करके समस्त ऋषि-मुनियों को सुनाना।
१२००-६०० ईसा पूर्व
४) सूत जी और ऋषि-मुनियों की इस वार्ता के रुप में कही गयी "महाभारत" का लेखन कला के विकसित होने पर सर्वप्रथम् ब्राह्मी या संस्कृत में हस्तलिखित पाण्डुलिपियों के रुप में लिपी बद्ध किया जाना।
भंडारकर संस्थान द्वारा
इसके बाद भी कई विद्वानो द्वारा इसमें बदलती हुई रीतियो के अनुसार बदलाव किया गया, जिसके कारण उपलब्ध प्राचीन हस्तलिखित पाण्डुलिपियो में कई भिन्न भिन्न श्लोक मिलते हैं, इस समस्या के निदान के लिये पुणे में स्थित भांडारकर प्राच्य शोध संस्थान ने पूरे दक्षिण एशिया में उपलब्ध महाभारत की सभी पाण्डुलिपियों (लगभग १०, ०००) का शोध और अनुसंधान करके उन सभी में एक ही समान पाये जाने वाले लगभग ७५,००० श्लोकों को खोजकर उनका सटिप्पण एवं समीक्षात्मक संस्करण प्रकाशित किया, कई खण्डों वाले १३,००० पृष्ठों के इस ग्रंथ का सारे संसार के सुयोग्य विद्वानों ने स्वागत किया।
जनमेजय के सर्प यज्ञ समारोह पर वैशम्पायन जी ऋषि मुनियों को महाभारत सुनाते हुए
Attached Images
This post has an attachment which you could see if you were registered. Registering is quick and easy
__________________
Follow on Instagram , Twitter , Facebook, YouTube.
ABHAY is offline   Reply With Quote
Old 08-01-2011, 06:41 PM   #14
ABHAY
Exclusive Member
 
ABHAY's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35
ABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud of
Post Re: ~!!महाभारत!!~

ऐतिहासिक एवं भाषाई प्रमाण
१००० ईसा पूर्व
महाभारत में गुप्त और मौर्य कालीन राजाओं तथा जैन(१०००-७०० ईसा पूर्व) और बौद्ध धर्म(७००-२०० ईसा पूर्व) का भी वर्णन नहीं आता। साथ ही शतपथ ब्राह्मण (११०० ईसा पूर्व) एवं छांदोग्य-उपनिषद(१००० ईसा पूर्व) में भी महाभारत के पात्रों का वर्णन मिलता हैं। अतएव यह निश्चित तौर पर १००० ईसा पूर्व से पहले रची गयी होगी।
६००-४०० ईसा पूर्व
पाणिनि द्वारा रचित अष्टाध्यायी(६००-४०० ईसा पूर्व) में महाभारत और भारत दोनों का उल्लेख हैं तथा इसके साथ साथ श्रीकृष्ण एवं अर्जुन का भी संदर्भ आता है अतएव यह निश्चित है कि महाभारत और भारत पाणिनि के काल के बहुत पहले से ही अस्तित्व में रहे थे।
प्रथम शताब्दी
यूनान के पहली शताब्दी के राजदूत डियो क्ररायसोसटम(Dio Chrysostom) यह बताते है की दक्षिण-भारतीयों के पास एक लाख श्लोकों का एक ग्रंथ है जिससे यह पता चलता है कि महाभारत पहली शताब्दी में भी एक लाख श्लोकों का था। महाभारत की कहानी को ही बाद के मुख्य यूनानी ग्रंथों इलियड और ओडिसी में बार-बार अन्य रुप से दोहराया गया, जैसे धृतराष्ट्र का पुत्र मोह, कर्ण-अर्जुन प्रतिसपर्धा आदि।
संस्कृत की सबसे प्राचीन पहली शताब्दी की एमएस स्पित्ज़र पाण्डुलिपि में भी महाभारत के १८ पर्वों की अनुक्रमणिका दी गयी है कि इस काल तक महाभारत १८ पर्वों के रुप में प्रसिद्ध थी, यद्यपि १०० पर्वों की अनुक्रमणिका बहुत प्राचीन काल में प्रसिद्ध रही होगी, क्योंकि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना सर्वप्रथम १०० पर्वों में की थी, जिसे बाद में सूत जी ने १८ पर्वों के रुप में व्यवस्थित कर ऋषियों को सुनाया था।
५वीं शताब्दी
महाराजा शरवन्थ के ५वीं शताब्दी के तांबे की स्लेट पर पाये गये अभिलेख में महाभारत को एक लाख श्लोकों की संहिता बताया गया है। वह अभिलेख निम्नलिखित है:
उक्तञच महाभारते शतसाहस्त्रयां संहितायां पराशरसुतेन वेदव्यासेन व्यासेन ।
__________________
Follow on Instagram , Twitter , Facebook, YouTube.
ABHAY is offline   Reply With Quote
Old 08-01-2011, 07:17 PM   #15
ABHAY
Exclusive Member
 
ABHAY's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35
ABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud of
Post Re: ~!!महाभारत!!~

पुरातत्त्व प्रमाण (१९०० ई.पू से पहले)
सरस्वती नदी
प्राचीन वैदिक सरस्वती नदी का महाभारत में कई बार वर्णन आता हैं, बलराम जी द्वारा इसके तट के समान्तर प्लक्ष पेड़ (प्लक्षप्रस्त्रवण, यमुनोत्री के पास) से प्रभास क्षेत्र (वर्तमान कच्छ का रण) तक तीर्थयात्रा का वर्णन भी महाभारत में आता है।
कई भू-विज्ञानी मानते हैं कि वर्तमान सूखी हुई घग्गर-हकरा नदी ही प्राचीन वैदिक सरस्वती नदी थी, जो ५०००-३००० ईसा पूर्व पूरे प्रवाह से बहती थी और लगभग १९०० ईसा पूर्व में भूगर्भी परिवर्तनों के कारण सूख गयी थी। ऋग्वेद में वर्णित प्राचीन वैदिक काल में सरस्वती नदी को नदीतमा की उपाधि दी गई थी। उनकी सभ्यता में सरस्वती नदी ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी थी, गंगा नहीं।
भूगर्भी परिवर्तनों के कारण सरस्वती नदी का पानी गंगा में चला गया, और कई विद्वान मानते है कि इसी कारण गंगा के पानी की महिमा हुई। इस घटना को बाद के वैदिक साहित्यों में वर्णित हस्तिनापुर के गंगा द्वारा बहाकर ले जाने से भी जोड़ा जाता है क्योंकि पुराणों में आता है कि परीक्षित की २८ पीढियों के बाद गंगा में बाढ़ आ जाने के कारण सम्पूर्ण हस्तिनापुर पानी में बह गया और बाद की पीढियों ने कौशाम्बी को अपनी राजधानी बनाया।

महाभारत में सरस्वती नदी के विनाश्न नामक तीर्थ पर सूखने का सन्दर्भ आता है जिसके अनुसार मलेच्छों से द्वेष होने के कारण सरस्वती नदी ने मलेच्छ (सिंध के पास के) प्रदेशो में जाना बंद कर दिया।

महाभारत कालीन सरस्वती नदी(हरे रंग में)
द्वारका
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग ने गुजरात के पश्चिमी तट पर समुद्र में डूबे ४०००-३५०० वर्ष पुराने शहर खोज निकाले हैं। इनको महाभारत में वर्णित द्वारका के सन्दर्भों से जोड़ा गया है। प्रो.एस.आर राव ने कई तर्क देकर इस नगरी को द्वारका सिद्ध किया है। यद्यपि अभी मतभेद जारी है क्योंकि गुजरात के पश्चिमी तट पर कई अन्य ७५०० वर्ष पुराने शहर भी मिल चुके हैं।
Attached Images
This post has an attachment which you could see if you were registered. Registering is quick and easy
__________________
Follow on Instagram , Twitter , Facebook, YouTube.
ABHAY is offline   Reply With Quote
Old 08-01-2011, 07:19 PM   #16
ABHAY
Exclusive Member
 
ABHAY's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35
ABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud of
Post Re: ~!!महाभारत!!~

निष्कर्ष
इन सम्पूर्ण तथ्यों से यह माना जा सकता है कि महाभारत ३००० ईसा पूर्व या निश्चित तौर पर १९००-१००० ईसा पूर्व रची गयी होगीं, जो महाभारत में वर्णित ज्योतिषीय तिथियों, भाषाई विश्लेषण, विदेशी सूत्रों एवं पुरातत्व प्रमाणों से मेल खाती है। परन्तु आधुनिक संस्करण की रचना ६००-२०० ईसा पूर्व हुई होगी। अधिकतर अन्य वैदिक साहित्यों के समान ही यह महाकाव्य भी पहले वाचिक परंपरा द्वारा हम तक पीढी दर पीढी पहुँचा और बाद में छपाई की कला के विकसित होने से पहले ही इसके बहुत से अन्य भौगोलिक संस्करण भी हो गये, जिनमें बहुत सी ऐसी घटनायें हैं जो मूल कथा में नहीं दिखती या फिर किसी अन्य रूप में दिखती है।
__________________
Follow on Instagram , Twitter , Facebook, YouTube.
ABHAY is offline   Reply With Quote
Old 08-01-2011, 09:32 PM   #17
ABHAY
Exclusive Member
 
ABHAY's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35
ABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud of
Post Re: ~!!महाभारत!!~

पृष्ठभूमि और इतिहास
महाभारत चंद्रवंशियों के दो परिवारों कौरव और पाण्डव के बीच हुए युद्ध का वृत्तांत है। १०० कौरव भाइयों और पाँच पाण्डव भाइयों के बीच भूमि के लिए जो संघर्ष चला उससे अंतत: महाभारत युद्ध का सृजन हुआ। इस युद्ध की भारतीय और पश्चिमी विद्वानों द्वारा कई भिन्न भिन्न निर्धारित की गयी तिथियाँ निम्नलिखित हैं-

१.विश्व विख्यात भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ वराहमिहिर के अनुसार महाभारत युद्ध २४४९ ईसा पूर्व हुआ था।
२.विश्व विख्यात भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ आर्यभट के अनुसार महाभारत युद्ध १८ फ़रवरी ३१०२ ईसा पूर्व में हुआ था।
३.चालुक्य राजवंश के सबसे महान सम्राट पुलकेसि २ के ५वीं शताब्दी के ऐहोल अभिलेख में यह बताया गया है कि भारत युद्ध को हुए ३, ७३५ वर्ष बीत गए है, इस दृष्टिकोण से महाभारत का युद्ध ३१०० ईसा पूर्व लड़ा गया होगा।
४.पुराणों की माने तो यह युद्ध १९०० ईसा पूर्व हुआ था, पुराणों में दी गई विभिन्न राज वंशावली को यदि चन्द्रगुप्त मौर्य से मिला कर देखा जाये तो १९०० ईसा पूर्व की तिथि निकलती है, परन्तु कुछ विद्वानों के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य १५०० ईसा पूर्व में हुआ था, यदि यह माना जाये तो ३१०० ईसा पूर्व की तिथि निकलती है क्योंकि यूनान के राजदूत मेगस्थनीज ने अपनी पुस्तक "इंडिका" में जिस चन्द्रगुप्त का उल्लेख किया था वो गुप्त वंश का राजा चन्द्रगुप्त भी हो सकता है।
५.अधिकतर पश्चिमी विद्वान जैसे मायकल विटजल के अनुसार भारत युद्ध १२०० ईसा पूर्व में हुआ था, जो इसे भारत में लौह युग (१२००-८०० ईसा पूर्व) से जोड़कर देखते हैं।
__________________
Follow on Instagram , Twitter , Facebook, YouTube.
ABHAY is offline   Reply With Quote
Old 08-01-2011, 09:34 PM   #18
ABHAY
Exclusive Member
 
ABHAY's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35
ABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud of
Post Re: ~!!महाभारत!!~

६.अधिकतर भारतीय विद्वान जैसे बी ऐन अचर, एन एस राजाराम, के सदानन्द, सुभाष काक ग्रह-नक्षत्रों की आकाशीय गणनाओं के आधार पर इसे ३०६७ ईसा पूर्व और कुछ यूरोपीय विद्वान जैसे पी वी होले इसे १३ नवंबर ३१४३ ईसा पूर्व में आरम्भ हुआ मानते हैं।
७.भारतीय विद्वान पी वी वारटक महाभारत में वर्णित ग्रह-नक्षत्रों की आकाशीय गणनाओं के आधार पर इसे १६ अक्तूबर ५५६१ ईसा पूर्व में आरम्भ हुआ मानते हैं। उनके अनुसार यूनान के राजदूत मेगस्थनीज ने अपनी पुस्तक "इंडिका" में अपनी भारत यात्रा के समय जमुना(यमुना) के तट पर बसे मेथोरा(मथुरा) राज्य में शूरसेनियों से भेंट का वर्णन किया था, मेगस्थनीज ने यह बताया था कि ये शूरसेनी किसी हेराकल्स नामक देवता की पूजा करते थे और ये हेराकल्स काफी चमत्कारी पुरुष होता था तथा चन्द्रगुप्त से १३८ पीढ़ी पहले था। हेराकल्स ने कई विवाह किए और कई पुत्र उत्पन्न किए। परन्तु उसके सभी पुत्र आपस में युद्ध करके मारे गये। यहाँ ये स्पष्ट है कि ये हेराकल्स श्रीकृष्ण ही थे, विद्वान इन्हें हरिकृष्ण कह कर श्रीकृष्ण से जोड़ते है क्योंकि श्रीकृष्ण चन्द्रगुप्त से १३८ पीढ़ी पहले थे तो यदि एक पीढी को २०-३० वर्ष दे तो ३१००-५६०० ईसा पूर्व श्रीकृष्ण का जन्म समय निकलता है अतः इस आधार पर महाभारत का युद्ध ५६००-३१०० ईसा पूर्व के समय हुआ होगा।
__________________
Follow on Instagram , Twitter , Facebook, YouTube.
ABHAY is offline   Reply With Quote
Old 08-01-2011, 09:36 PM   #19
ABHAY
Exclusive Member
 
ABHAY's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35
ABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud of
Post Re: ~!!महाभारत!!~

Attached Images
This post has an attachment which you could see if you were registered. Registering is quick and easy
__________________
Follow on Instagram , Twitter , Facebook, YouTube.
ABHAY is offline   Reply With Quote
Old 08-01-2011, 09:42 PM   #20
ABHAY
Exclusive Member
 
ABHAY's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35
ABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud of
Post Re: ~!!महाभारत!!~

महाभारत के पात्र

* कुरुक्षेत्र : वह क्षेत्र जहाँ महाभारत का महान युद्ध हुआ था। यह क्षेत्र आज के भारत में हरियाणा में स्थित है।

* कृष्ण : देवकी की आठवीं सन्तान जिसने अपने दुष्ट मामा कंस का वध किया था। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र युध के प्रारम्भ में गीता उपदेश दिया था। श्री कृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे।

* भीष्म : भीष्म का नामकरण देवव्रत के नाम से हुआ था। वे शान्तनु एवं गंगा के पुत्र थे। जब देवव्रत ने अपने पिता की प्रसन्नता के लिये आजीवन ब्रह्मचारी रहने का प्रण लिया, तब से उनका नाम भीष्म हो गया।

* पाण्डव : पाण्डु की कुन्ती और माद्री से सन्ताने। यह पांच भाई थे: युद्धिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव।

* अर्जुन : देवराज इन्द्र द्वारा कुन्ती एवं पान्डु का पुत्र। एक अतुल्निय धनुर्धर जिसको श्री कृष्ण ने श्रीमद् भगवद् गीता का उपदेश दिया था।

* द्रौपदी : द्रुपद की पुत्री जो अग्नि से प्रकट हुई थी। द्रौपदी पांचों पांड्वों की अर्धांगिनी थी और उसे आज प्राचीनतम् नारीवादिनियों में एक माना जाता है।

* कर्ण :
सूर्यदेव एवमं कुन्ती के पुत्र और पाण्डवों के सबसे बड़े भाई। कर्ण को दानवीर-कर्ण के नाम से भी जाना जाता है। कर्ण कवच एवं कुंडल पहने हुए पैदा हुये थे और उनका दान इंद्र को किया था।
* दुर्योधन : कौरवों में ज्येष्ठ। धृतराष्ट्र एवं गांधारी के १०० पुत्रों में सबसे बड़े।
* दुःशासन : दुर्योधन से छोटा भाई जो द्रौपदी को हस्तिनपुर राज्यसभा में बालों से पकड़ कर लाया था। कुरुक्षेत्र युद्ध में भीम ने दुःशासन की छाती का रक्त पिया था।
* द्रोण : हस्तिनापुर के राजकुमारों को शस्त्र विद्या देने वाले ब्राह्मण गुरु। अश्व्थामा के पिता। यह विश्व के प्रथम "टेस्ट-टयूब बेबी" थे। द्रोण एक प्रकार का पात्र होता है।
* अभिमन्यु : अर्जुन के वीर पुत्र जो कुरुक्षेत्र युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुये।
* अम्बा : शिखन्डी पूर्व जन्म में अम्बा नामक राजकुमारी था।
* अम्बिका : विचित्रवीर्य की पत्नी, अम्बा और अम्बालिका की बहिन।
* अम्बालिका: विचित्रवीर्य की पत्नी, अम्बा और अम्बिका की बहिन।
* बभ्रुवाहन : अर्जुन एवं चित्रांग्दा का पुत्र।
* बकासुर : महाभारत काव्य में एक असुर जिसको भीम ने मार कर एक गांव के वासियों की रक्षा की थी।
* द्रुपद : पाञ्चाल के राजा और द्रौपदी एवमं धृष्टद्युम्न के पिता। द्रुपद और द्रोण बाल्यकाल के मित्र थे!
* एकलव्य : द्रोण का एक महान शिष्य जिससे गुरुदक्षिणा में द्रोण ने उसका अंगूठा मांगा था।
* गांडीव : अर्जुन का धनुष। [जो, कई मान्यताओं के अनुसार, उनको अग्नि-देव ने दिया था।]
__________________
Follow on Instagram , Twitter , Facebook, YouTube.
ABHAY is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 04:39 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.