27-08-2014, 10:54 PM | #11 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
‘‘ की रे बरहिला, बढ़ीया से पानी भरहीं नै तो खाना नै मिलताउ’’ उसकी यह बात सुनते ही सटाक से पानी से भरी हुई बाल्टी निकाली और चबुतरा पर पटकते हुए रीना का हाथ पकड़ कर उमेठ दिया। ‘‘तोंय जब गोबरा ठोकों ही तब नौरी होबोहीं की..अपन काम करोहीए बराहीलगीरी नै, जादे मामा नै बनहीं’’ वह छटपटाने लगी पर उसकी उस छटपटाहट में एक अलग सा एहसास था जैसे वह वांहों में आ जाना चाहती है। ‘‘छोड़ हाथा, नै तो ठीक नै हो ताउव, हल्ला करे लगबै’’ और वह छटक कर भागने की कोशिश की और इस हाथापाई में मेरा हाथ उसके सीने से सरकता हुआ गुजर गया। इस छुअन ने सनसनी पैदा कर दी। यह पहला एहसास था, इस तरह से उसको छूने का। धड़कने तेज हो गई। जोर जोर से सांस चलने लगी और रगों में खून का बहाव ही तेज हो गया। >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
27-08-2014, 10:56 PM | #12 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
सनसनी का यह सिलसिला दूसरी तरफ भी थी और वह हिरणी की तरह कुलांचे भरती हुई छटक कर भाग गई। इस एक छोटे से एहसास ने मुझे तर-बतर कर दिया। किशोरवस्था का यह दौर भटकाव का होता है, ऐसा सुन रखा था पर आज मन काबू में नहीं था। घर आया, लैम्प जलाकर पढ़ने के लिए बैठ गया पर किताबों में मन ही नहीं रमता। जाने क्या हो गया। कुछ कुछ अजीब सा होने लगा था। उस रात बेचैनी में कट गई। सारी रात जागता रहा और मन कल्पनाओं की उंची उड़ान भरता रहा।
इस घटना का असर काफी गहरा हुआ। रीना अब कई दिनों से नजर नहीं आ रही थी। मेरे मन में भी कई तरह के ख्याल आने लगे और सबसे बुरा ख्याल यह कि शायद वह बुरा मान गई। पर मन को मैं समझाता कि मैंने जान बूझ कर ऐसा तो नहीं किया। कभी कभी यह भी सोंचता कि वह क्या सोंच रही होगी। कितना नीच हूं मैं। खैर भविष्य संवारने के जज्बे में सारी कल्पनाओं को समुंद्र में जा कर दूसरे दिन डुबो दिया और मैट्रिक की परीक्षा अच्छी गई। मैं प्रथम श्रेणी से उतीर्ण हुआ। गांव में सबसे अधिक अंक गुडडू के आये उसके बाद मेरा नंबर था। लोग पूछने लगे ‘‘कखने पढ़ो हलही रे।’’ >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
27-08-2014, 10:57 PM | #13 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
पर इसमें मेरे स्वाध्याय का हाथ तो था ही साथ ही साथ बिहारी डिग्री का भी बड़ा योगदान था। परीक्षा केन्द्र सामस में बनाया गया था जहां परीक्षा देने के लिए सब साथी पैदल करीब आठ किलोमीटर प्रति दिन जाते थे। मैट्रिक की परीक्षा मेरे यहां किसी पर्व त्योहार के कम नहीं होती । घरों में पकवान बनते, कुटुम-नाता सब दूर दूर से यह जान कर आते कि परीक्षा होने वाली है। सालियों के नये नये जीजा जी नहीं आये तो हंगामा हो जाता बड़ा खत्म आदमी है। और परीक्षा केन्द्र का नजारा भी मेले की तरह रहता। पच्चीस हजार से अधिक लोग केन्द्र के आस पास होते और नकल करने को लेकर तरह तरह की योजनाऐं बनती। परीक्षा केन्द्र पर विषयों के जानकारों की काफी पूछ होती और उनके आस पास ट्रेसिंग पेपर और कार्बन लेकर पुर्जा बनाने वालों का जमाबड़ा लगा रहता और इसकी कीमत बसूली जाती।
अपने अपने परीक्षार्थियों को पर्चा पहुंचाने का काम भी एक कला की श्रेणी में आता और इसके लिए एक्सपर्ट को बुलाया जाता जो तेज दौड़ सके अथवा दीवाल बगैरह फांद सके। मेरा पर्चा पहुंचाने के लिए नन्दनामा से रिश्तेदार मुकेश दा को बुलाया गया। एक परीक्षार्थी पर आठ-दस लोग। पर्चा लेकर केन्द्र की ओर बढ़ने से पहले हाथ में आठ दस रूपये का रेजगारी रखना पड़ता और यदि सामने पुलिस का कोई जवान दिख जाए तो डरने की जरूरत नहीं होती बस आप के हाथ में रखे रेजगरी को कुर्बान होना पड़ता। पुलिस वाला दौड़ दौड़ कर पुर्जा पहुंचाने वालों को पकड़ता और उससे बसूली करने लगता और इसी बीच जो तेज होता वह झट से पुर्जा पहूंचा देता। >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
27-08-2014, 10:59 PM | #14 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
और इस तरह मैंने प्रथम श्रेणी प्राप्त किया। हां परीक्षा केन्द्र पर ही पहली बार मैं मोटर साईकिल चलाना सीखा। वह हीरो मजेस्टीक मोपेड थी जिसपर सवार होकर बरबीघा का पवन माहुरी आता था। उस मोपेड को बब्लू ने स्कूल से बाहर लुढ़काते हुए किया और झट से मैं उस पर बैठ गया, मोपेड जब सड़क पर आई तो गुडडू और बब्लू ने उसे धक्का दे दिया और वह स्टार्ट हो गई। फिर क्या था मोपेड लेकर मैं नौ दो ग्यारह। चलाना जानता नहीं था पर चला रहा था और कई किलोमीटर जाकर लौट आया। यहां आया तो हंगामा मचा हुआ था। पवन चिल्ला रहा था यह ठीक नहीं है। बस।
इस बीच कई दिनों तक रीना से उस घटना के बाद बातचीत हीं हो पाई कभी कभी दिख भी गई पर जैसे ही नजर मिली वह शर्मा कर कुलांचे भरती भाग जाती। जाने कैसी शर्म थी जो इतने दिनों तक साथ निभा रही थी और मुझे भी कुछ कहने की हिम्मत नहीं हो पाई। पर मैट्रीक का रिजल्ट आने के बाद वह मेरे घर आई- आंय शेरपरवाली बबलूआ फस्ट लइलको मिठाईया नै खिलाभे’’ मेरे फूआ से वह बोली और उसने झट से मुझ पर टाल दिया। ‘‘आउ हको जाके पुछो’’ वह मेरे कमरे में आई। ‘‘तब की इरादा है मिठाई चलतै।’’ ‘‘हां चलतई नै जरूरी खिलइबई’’ बस इतनी ही बात हुई और फिर पढ़ाई की बातें होने लगी। ‘‘कहां इंटर में नाम लिखैइमही।’’ ‘‘देखीं, पटना जायके तो पैसा नै हई, यहीं एसकेआर कॉलेज में लिखाइबै’’ >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
27-08-2014, 11:05 PM | #15 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
जुवां से हमदोनों की बातें हो रही थी जिसे हर कोई सुन रहा था पर नजरों की भाषा नजरें समझ रही थी। दोनों की नजर रह रह कर उठ जाती और उसमें एक अजीब सा शुरूर की झलक मिलती। दोनों एक दूसरे से अपने दिल की बात कह जाते।
जाते जाते रीना ने हाथ में थाम रखा प्रेम पत्र मुझे दे दिया। प्रेम पत्र कम भविष्य की चिंता इसमें अधिक थी। आगे क्या करना है। आदि इत्यादी.... सिलसिला चल रहा था घीरे घीरे और इस सब के बीच हमदोनों के प्रेम प्रसंग को अभी तक कोई नहीं जान सका था पर अब लोगों को इसकी भनक लगने लगी थी पर शक ही था सिर्फ। पर कुछ घटनाऐं ऐसी घटने लगी की मैं भी नहीं समझ सका और पूरा गांव भी जान गया। इस बीच मैं कॉलेज जाने लगा था। कॉलेज का पहला दिन भी यादगार ही रहा। यादगार इस मायने में कि पहला ही दिन गुडडू बिना एडमीशन के ही मेरे साथ क्लास चला गया। फीजिक्स का क्लास था और कड़क माने जोने वाले गुप्ता जी क्लास लेने आये। पहला दिन सा, सो सभी लड़के से नाम और रौल नंबर पूछ रहे थे। जब मेरी बारी आई तो मैंने बता दिया पर वहीं बगल में बैठा गुडडू से जब पूछा गया तो उसने बताया कि वह एडमीशन नहीं कराया है। यह जानकर गुप्ताजी भड़क गये। >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
27-08-2014, 11:05 PM | #16 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
‘‘कॉलेज है कि दलान बना दिया, पढ़ना लिखना है नहीं आ जाते हो कॉलेज, तुम्हारे जैसे ही लोग कॉलेज मंे आकर उधम मचाते है। निकलो क्लास से’’
गुप्ता जी का इतना कहना की गुडडू भड़क गया। क्लास से निकलते निकलते दरबाजे से उसने जो किया उसे देख मेरे साथ सभी स्तब्ध रह गये। दरबाजे पर पहंूचते ही गुडडू ने गुप्ता जी को गाली दे दी। ‘‘साला बाबा बनो हीं, निकल बाहर आज तोरा मथबा नै फाड़ देहिऔ त कहियें’’ गुडडू को चूंकी इस कॉलेज में नहीं पढ़ना था सो उसने ऐसा किया। उसकी छानबीन हुई, ‘‘कहां का लड़का था, तुम्हारे बगल में बैठा था बताओं’’ डर से मैं बता दिया और उसका गुस्सा मुझ पर उतारा गया, पिटाई लगी। कॉलेज का दूसरा दिन भी यादगार ही रहा जब जन्तुविज्ञान का क्लास लेने के लिए पहली बार प्रो. रिजमी सर आये तो उनका पहला लेक्चर मेरे जीवन पर गहरी छाप छोड़ गया। उन्होंने छात्रों को समझाते हुए कहा ‘‘कोई विद्यार्थी किसी से कमजोर है तो वह खुद को कमजोर नहीं समझे। नियमित अध्यनन और तेज विद्यार्थी यदि बारह घंटे पढ़ता है तो वह चौदह घंटा पढ़े मैं दाबा करता हूं कि वह उससे आगे रहेगा’’ >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
27-08-2014, 11:06 PM | #17 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
मैंने उनके इस मंत्र को गुरू मंत्र मान कर अपनाया और स्वाध्याय में जुट गया। आर्थिक तंगी थी पर मन में डाक्टर बनने का सपना पाल लिया। जीवविज्ञान की रूची थी सो उसमें पढ़ई करने लगा। प्रो. रिजमी सर के बातें का असर यह हुआ कि इंटर का परीक्षा आते आते मैं अपने क्लास के अच्छे विद्यार्थी की श्रेणी में आने लगा। यह बाकया भी यादगार है। इंटर का अंतिम दिन था और परीक्षा का फॉर्म भराने लगा था। रिजमी सर जगरूक शिक्षकों में थे सो उन्होंने प्रायौगिक कक्षा में अंतिम दिन क्विज़ प्रतियोगिता का आयोजन किया।
लड़के लड़कियों को दो भागों में बांट दिया। एक भाग में मैं और कुछ कॉलेज के विद्यार्थी थे और दूसरे भाग में रिजमीं सर से ट्युशन में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी। क्विज़ शुरू हुई तो मेरे ग्रुप से एक मैं और एक वहीं छात्रावास में रहने वाला राजू प्रश्नों का जबाब दे रहे थे और दूसरे ग्रुप में सारे लड़के तेज थे पर क्विज के अंत में जब परिणाम आया तो मेरा गु्रप जीत गया और उस जीत का श्रेय मुझे मिला। उन्होंने मेरी पीठ थपथपाई थी। इसी बीच दूसरे दिन मैं बाजार से आ रहा कि कि पान की गुमटी के पास रिजमी सर, देव बाबू सहित करीब आधा दर्जन प्रोफेसर मेरी ओर इशारा करते हुए कुछ बातें कर रहे थे और मैं जैसे ही नजदीक आया मुझे बुला लिया गया। मैं चूँकि संकोची स्वभाव का था इसलिए नर्वस था। जाने क्या कहेगें। रिजमी सर ने सीधे सवाल दागा- >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 27-08-2014 at 11:10 PM. |
27-08-2014, 11:11 PM | #18 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
‘‘कहां ट्युशन पढ़ते हो’’
‘‘कहीं नहीं सर’’ ‘‘तब इतना अच्छा कैसे जानते हो’’ ‘‘ जी आपने ही पढ़ाया है सर, आपके पहले क्लास का मंत्र को अपना कर घर में ही पढ़ता हूं’’ ‘‘कहां घर है, किसका बेटा हो’’ बताया तो लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली। बाजार से वास्ता रखने वाले लगभग सभी लोग मेरे पिताजी को जानते थे, एक शराबी के रूप में। खैर कॉलेज की बातें फिर कभी। अभी तो एक लड़की थी दीवानी सी और वह मुझ पर मरती थी। ऐसी ही एक लड़की का प्रवेश मेरे जीवन मंे हुआ। उसका नाम था उषा जो वहीं अपनी बड़ी बहन के यहां पढ़ने आई और पता नहीं क्यों मुझ पर फिदा हो गई ‘‘बबलु बौउआ, हमर बहिन आइलै हैं पढ़े खातिर जरि मिल के कुछ सलाह नै दे देबहो।’’ ‘‘काहे नै देबई, भईया के साली आधी घरवाली’’ कखने मिलाइभो’’ ‘‘आहो ने अभिये, देखो ने की पढ़तै से ओकरा पते नै है, जरी समझा दहो बउआ।’’ >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 27-08-2014 at 11:15 PM. |
27-08-2014, 11:35 PM | #19 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
मुझको बबलु बौउआ कहने वाली एक मात्र भौजी थी। पता नहीं कैसे पर कुछ ही महिनों के परिश्रम से गांव में यह खबर फैल गई थी कि मैं भी पढ़ाकू हो गया हूं और इसलिए भौजी ने अपनी बहन को किस विषय से पढ़ाई करे इसके लिए समझाने कह रही थी। गली से गुजरते समय भौजी ने देख लिया और पुकार लगा दी, भला किसकी मजाल जो नहीं जाता, सो मैं भी गया। वहीं ओसारा पर चौकी लगा था और मैं बैठ गया। भौजी ने अपनी बहन को बुलाया, ‘‘यह देखो बाउआ इहे हो हम्मर नकचढ़ी बहिन, समझा दहो।’’ लड़कियों के मामले में मैं बड़ा ही कमजोर रहा हूं और यदि कोई सामने हो तो उसे देखने की हिम्मत नहीं होती और मैं ही शर्मा जाता, हां चोरी चोरी चुपके चुपके अैर बात है। आज भी ऐसा ही हो रहा था। भौजी बोलती तब मैं कुछ पूछता और वह जबाब देती। इस सब के बीच भौजी की बातों से यह समझ गया कि इसके सामने भौजी ने मेरी खूब प्रशन्सा कर दी है जिसकी वजह से यह संकोंच कर रही है। कुछ देर बाद भौजी अंदर चली गई और राधा (पुकारू नाम था) मेरे सामने एक दो हाथ की दूरी पर नजरें झुकाए खड़ी थी। जैसे ही मैने देखा की वह मेरी ओर नहीं देख रही है मैं उसकी ओर अपनी नजरें जमा दी। >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
27-08-2014, 11:36 PM | #20 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
वह नाटे कद-कठी की खूब डीलडौल वाली लड़की थी। करीब पांच, सवा-पांच फीट की राधा का महज रंग ही सांवला था पर उसके चेहरे पर एक अजीब सा आकर्षण था जो किसी को भी आकर्षित कर सकता था। उसका डीलडौल एक कसाब लिये था। भरा भरा देह, कजरारी आंख, गोल गोल गाल, बड़ी बड़ी आंखें और कमर से बहुत नीचे तक झुमते लंबे बाल। उसने आंखों में काजल लगा रखा था। सबसे बढ़कर जिस चीज पर मेरी नजर ठहर गई वह थी उसका उरोज। दो बड़े बड़े, दोनो प्रतिस्पर्धा कर रही है एक दूसरे से और अंगिया से बाहर आने को बेताब सी दिखती। उसका पल्लू भी थोड़ा सड़का हुआ था। मैं बेचैन हो गया और नजरें झुका ली। इतने पर भी वह नजरे झुकाये रही और मैं उसके रूप-यौवन का रस चोर भंवरे की तरह पीता रहा। खैर, साहस कर मैंने पूछ लिया।
‘‘ कौन विषय पढ़े ले चाहो हो जी, अपन गांव छोड़ कर यहां अइलहो हें कुछ सोंचई के ने’’ ‘‘नै अइसन कुछ सोंच के ता नै अइलिए हें, जे तोरा सब के सलाह होतइ उहे पढ़ लेबै’’ ‘‘तभिओ अपन की विचार है, विदारर्थी के अपने मन से पढ़े के चाही, कम से कम हम तो इहे कहबो, बाकि अपन अपन विचार’’ ‘‘जी नै, दीदी कहलखिन कि अपने से विचार कर लियै तब मन बनाईए इहे से अभी कुछ नै सोंचलिए हें’’ >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
Bookmarks |
Tags |
उपन्यास, जीना मरना साथ, लम्बी कहानी, a long love story, hindi novel, jeena marna sath sath |
|
|