My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Miscellaneous > Healthy Body
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 11-02-2012, 11:25 PM   #11
sombirnaamdev
Diligent Member
 
sombirnaamdev's Avatar
 
Join Date: Jan 2012
Location: BOMBAY & HISSAR
Posts: 1,157
Rep Power: 36
sombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond repute
Send a message via Skype™ to sombirnaamdev
Default Re: शाकाहार - उत्तम आहार

मांसाहार या शाकाहार ! बहस बहुत उपयोगी है और मनोरंजक भी ! मैं स्वयं पूर्णतः शाकाहारी हूं पर मेरे विचार में मैं शाकाहारी इसलिये हूं क्योंकि मेरा जन्म एक शाकाहारी माता-पिता के घर में हुआ और मुझे बचपन से यह संस्कार मिले कि शाकाहार मांसाहार की तुलना में बेहतर है। आज मैं स्वेच्छा से शाकाहारी हूं और मांसाहारी होने की कल्पना भी नहीं कर पाता हूं।
मुझे जिन कारणों से शाकाहार बेहतर लगता है, वह निम्न हैं:-
. मैने विज्ञान का विद्यार्थी होने के नाते पढ़ा है कि ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत सूर्य है। पेड़-पौधे फोटो-सिंथेसिस के माध्यम से अपना भोजन बना सकते हैं पर जीव-जंतु नहीं बना सकते। ऐसे में वनस्पति से भोजन प्राप्त कर के हम प्रथम श्रेणी की ऊर्जा प्राप्त कर लेते हैं।जब हम मांसाहार लेते हैं तो वास्तव में पशुओं में कंसंट्रेटेड फॉर्म में मौजूद वानस्पतिक ऊर्जा को ही प्राप्त करते हैं क्योंकि इन पशुओं में भी तो भोजन वनस्पतियों से ही आया है। हां, इतना अवश्य है कि पशुओं के शरीर से प्राप्त होने वाली वानस्पतिक ऊर्जा सेकेंड हैंड ऊर्जा है। यदि आप मांसाहारी पशुओं को खाकर ऊर्जा प्राप्त करते हैं तो आप थर्ड हैंड ऊर्जा पाने की चेष्टा करते हैं। वनस्पति से शाकाहारी पशु में, शाकाहारी पशु से मांसाहारी पशु में और फिर मांसाहारी पशु से आप में ऊर्जा पहुंचती है। हो सकता है कि कुछ लोग गिद्ध, बाज, गरुड़ आदि को खाकर ऊर्जा प्राप्त करना चाहें। जैसी उनकी इच्छा ! वे पूर्ण स्वतंत्र हैं।
एक तर्क यह दिया गया है कि पेड़-पौधों को भी कष्ट होता है। ऐसे में पशुओं को कष्ट पहुंचाने की बात स्वयमेव निरस्त हो जाती है। इस बारे में विनम्र निवेदन है कि हम पेड़ से फल तोड़ते हैं तो पेड़ की हत्या नहीं कर देते। फल तोड़ने के बाद भी पेड़ स्वस्थ है, प्राणवान है, और फल देता रहेगा। आप गाय, भैंस, बकरी का दूध दुहते हैं तो ये पशु न तो मर जाते हैं और न ही दूध दुहने से बीमार हो जाते हैं। दूध को तो प्रकृति ने बनाया ही भोजन के रूप में है। पर अगर हम किसी पशु के जीवन का अन्त कर देते हैं तो अनेकों धर्मों में इसको बुरा माना गया है। आप इससे सहमत हों या न हों, आपकी मर्ज़ी।
चिकित्सा वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि प्रत्येक शरीर जीवित कोशिकाओं से मिल कर बनता है और शरीर में जब भोजन पहुंचता है तो ये सब कोशिकायें अपना-अपना भोजन प्राप्त करती हैं व मल त्याग करती हैं। यह मल एक निश्चित अंतराल पर शरीर बाहर फेंकता रहता है। यदि किसी जीव की हत्या कर दी जाये तो उसके शरीर की कोशिकायें मृत शरीर में मौजूद नौरिश्मेंट को प्राप्त करके यथासंभव जीवित रहने का प्रयास करती रहती हैं। यह कुछ ऐसा ही है कि जैसे किसी बंद कमरे में पांच-सात व्यक्ति ऑक्सीजन न मिल पाने के कारण मर जायें तो उस कमरे में ऑक्सीजन का प्रतिशत शून्य मिलेगा। जितनी भी ऑक्सीजन कमरे में थी, उस सब का उपभोग हो जाने के बाद ही, एक-एक व्यक्ति मरना शुरु होगा। इसी प्रकार शरीर से काट कर अलग कर दिये गये अंग में जितना भी नौरिश्मेंट मौजूद होगा, वह सब कोशिकायें प्राप्त करती रहेंगि और जब सिर्फ मल ही शेष बच रहेगा तो कोशिकायें धीरे धीरे मरती चली जायेंगी। ऐसे में कहा जा सकता है कि मृत पशु से नौरिश्मेंट पाने के प्रयास में हम वास्तव में मल खा रहे होते हैं। हो सकता है, यह बात कुछ लोगों को अरुचिकर लगे। मैं उन सब से हाथ जोड़ कर क्षमाप्रार्थना करता हूं। पर जो बायोलोजिकल तथ्य हैं, वही बयान कर रहा हूं।
भारत जैसे देश में, जहां मानव के लिये भी स्वास्थ्य-सेवायें व स्वास्थ्यकर, पोषक भोजन दुर्लभ हैं, पशुओं के स्वास्थ्य की, उनके लिये पोषक व स्वास्थ्यकर भोजन की चिन्ता कौन करेगा? घोर अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में रहते हुए, जहां जो भी, जैसा भी, सड़ा-गला मिल गया, खाकर बेचारे पशु अपना पेट पालते हैं। उनमें से अधिकांश घनघोर बीमारियों से ग्रस्त हैं। ऐसे बीमार पशुओं को भोजन के रूप में प्रयोग करने की तो कल्पना भी मुझे कंपकंपी उत्पन्न कर देती है। यदि आप फिर भी उनको भोजन के रूप में बड़े चाव से देख पाते हैं तो ऐसा भोजन आपको मुबारक। हम तो पेड़ - पौधों पर छिड़के जाने वाले कीटनाशकों से ही निबट लें तो ही खैर मना लेंगे ।

. दुनिया के जिन हिस्सों में वनस्पति कठिनाई से उत्पन्न होती है - विशेषकर रेगिस्तानी इलाकों में, वहां मांसाहार का प्रचलन अधिक होना स्वाभाविक ही है।
. आयुर्वेद जो मॉडर्न मॅडिसिन की तुलना में कई हज़ार वर्ष पुराना आयुर्विज्ञान है - कहता है कि विद्यार्थी जीवन में सात्विक भोजन करना चाहिये। सात्विक भोजन में रोटी, दाल, सब्ज़ी, दूध, दही आदि आते हैं। गृहस्थ जीवन में राजसिक भोजन उचित है। इसमें गरिष्ठ पदार्थ - पूड़ी, कचौड़ी, मिष्ठान्न, छप्पन भोग आदि आते हैं। सैनिकों के लिये तामसिक भोजन की अनुमति दी गई है। मांसाहार को तामसिक भोजन में शामिल किया गया है। राजसिक भोजन यदि बासी हो गया हो तो वह भी तामसिक प्रभाव वाला हो जाता है, ऐसा आयुर्वेद का कथन है।
भोजन के इस वर्गीकरण का आधार यह बताया गया है कि हर प्रकार के भोजन से हमारे भीतर अलग - अलग प्रकार की मनोवृत्ति जन्म लेती है। जिस व्यक्ति को मुख्यतः बौद्धिक कार्य करना है, उसके लिये सात्विक भोजन सर्वश्रेष्ठ है। सैनिक को मुख्यतः कठोर जीवन जीना है और बॉस के आदेशों का पालन करना होता है। यदि 'फायर' कह दिया तो फयर करना है, अपनी विवेक बुद्धि से, उचित अनुचित के फेर में नहीं पड़ना है। ऐसी मनोवृत्ति तामसिक भोजन से पनपती है, ऐसा आयुर्वेद का मत है।
यदि आप कहना चाहें कि इस वर्गीकरण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है तो मैं यही कह सकता हूं कि बेचारी मॉडर्न मॅडिसिन अभी प्रोटीन - कार्बोहाइड्रेट - वसा से आगे नहीं बढ़ी है। जिस दिन भोजन व मानसिकता का अन्तर्सम्बन्ध जानने का प्रयास करेगी, इस तथ्य को ऐसे ही समझ जायेगी जैसे आयुर्वेद व योग के अन्य सिद्धान्तों को समझती जा रही है। तब तक आप चाहे तो प्रतीक्षा कर लें, चाहे तो आयुर्वेद के सिद्धान्तों की खिल्ली भी उड़ा सकते हैं।
sombirnaamdev is offline   Reply With Quote
Old 11-02-2012, 11:29 PM   #12
sombirnaamdev
Diligent Member
 
sombirnaamdev's Avatar
 
Join Date: Jan 2012
Location: BOMBAY & HISSAR
Posts: 1,157
Rep Power: 36
sombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond repute
Send a message via Skype™ to sombirnaamdev
Default Re: शाकाहार - उत्तम आहार

"इस धरती पर सूअर सबसे निर्लज्ज और बेशर्म जानवर है| केवल यही एक ऐसा जानवर है जो अपने साथियों को बुलाता है कि वे आयें और उसकी मादा के साथ यौन इच्छा को पूरी करें| अमेरिका में प्रायः लोग सूअर का माँस खाते है परिणामस्वरुप ऐसा कई बार होता है कि ये लोग डांस पार्टी के बाद आपस में अपनी बीवियों की अदला बदली करते हैं अर्थात एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति से कहता है कि मेरी पत्नी के साथ तुम रात गुज़ारो और मैं तुम्हारी पत्नी के साथ रात गुज़ारुन्गा (फिर वे व्यावहारिक रूप से ऐसा करते है)| अगर आप सूअर का माँस खायेंगे तो सूअर की सी आदतें आपके अन्दर पैदा होंगी | हम भारतवासी अमेरिकियों को बहुत विकसित और साफ़ सुथरा समझते हैं | वे जो कुछ करते हैं हम भारतवासी भी उसे कुछ वर्षों बाद करने लगते हैं| Island पत्रिका में प्रकाशित लेख के अनुसार पत्नियों की अदला बदली की यह प्रथा मुंबई में उच्च और सामान्य वर्ग के लोगों में आम हो चुकी है|"
sombirnaamdev is offline   Reply With Quote
Old 25-02-2012, 03:40 PM   #13
sombirnaamdev
Diligent Member
 
sombirnaamdev's Avatar
 
Join Date: Jan 2012
Location: BOMBAY & HISSAR
Posts: 1,157
Rep Power: 36
sombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond repute
Send a message via Skype™ to sombirnaamdev
Default Re: शाकाहार - उत्तम आहार

यह 14 सूत्र मांसाहार के पक्ष में प्रस्तुत किये थे,वस्तुतः कुतर्क है ज़ाकिर नाईक के। जवाब टाला भी जा सकता था, पर इन कुतर्कों का बंड़ल सदा इन्टरनेट पर एक तरह की जानकारी के रूप में दिखता रहेगा और अनर्थ करेगा,अतः इन कुतर्कों का खण्ड़न आवश्यक हो गया था। क्योंकि जानकारी का इच्छुक पाठक नेट पर पहुँचेगा, और भ्रमित होता रहेगा।
यह मांसाहार पर यह विरोध प्रत्युत्तर, धर्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि अहिंसा और करूणा के दृष्टिकोण से ही आलेखित किया गया है। भले मांसाहार को किसी नें अपने धर्म का पर्याय ही बना ड़ाला हो। वे इसे मांसाहार निंदा या जो भी मानना चाहें मान सकते है।
मानव को उर्ज़ा पाने के लिये भोजन करना आवश्यक है, पर सृष्टि का सबसे बुद्धिमान प्राणी होने के नाते, अन्य जीवन के लिये भी उत्तरदायित्व पूर्वक सोचना मानव का कर्तव्य है। अतः उसका भोजन ऐसा हो कि उसकी इच्छा होने से लेकर ग्रहण करनें तक सृष्टि की जीवराशी कम से कम खर्च हो। यही प्रकृति-पर्यावरण के प्रति मानव का कर्तव्य है। शाकाहार के प्रति जाग्रति, लोगों में सुसंस्कृत भोजन के माध्यम से सभ्यता की और गतिमान कर सके। और अपने आहार को सौम्य और सात्विक आधार देने में सफल हो।
इसी लिए मांसाहार उपयोगिता के बहाने फ़ैलाया जा रहा मांसाहार प्रचार का भ्रमजाल हटाया जाना आवश्यक है। इस मिथ्यात्व की आंधी को रोकना जरूरी है।
सलीम खान के मांसाहार भ्रमजाल का खण्ड़न। (लाल में सलीम खान के 14 कुतर्क है और हरे में युक्तियुक्त प्रत्युत्तर)
1 – दुनिया में कोई भी मुख्य धर्म ऐसा नहीं हैं जिसमें सामान्य रूप से मांसाहार पर पाबन्दी लगाई हो या हराम (prohibited) करार दिया हो.
खण्ड़न- और कोई ऐसा भी प्रधान धर्म नहीं, जिस ने शाकाहार पर प्रतिबंध लगाया हो। धर्म केवल हिंसा न करने की वकालत करते है। और अहिंसा के उद्देश्य से दया, करूणा, रहम प्रकट व अप्रकट रूप से सभी धर्मों में स्थाई है। मात्र स्वार्थ खातिर हिंसा की गुमराही है।
2 – क्या आप भोजन मुहैया करा सकते थे वहाँ जहाँ एस्किमोज़ रहते हैं (आर्कटिक में) और आजकल अगर आप ऐसा करेंगे भी तो क्या यह खर्चीला नहीं होगा?
खण्ड़न – अगर एस्किमोज़ मांसाहार बिना नहीं रह सकते तो, आप भी शाकाहार उपलब्ध होते हुए एस्किमोज़ का बहाना बनाकर मांसाहार चालू रखेंगे। खूब!! अल्लाह नें वहां आर्कटिक में मनुष्य पैदा ही नहीं किये थे,जो उनके लिये वहां पेड भी पैदा करते। लोग पलायन कर पहूंच जाय तो क्या किजियेगा। ईश्वर नें बंजर रेगीस्तान में भी इन्सान पैदा नहीं किए। फ़िर भी छोड दो पालनहार पर। आपका एस्किमोज़ बहाना बेजा है।जिन देशों में शाकाहार उपलब्ध न था, वहां मांसाहार क्षेत्र वातावरण की अपेक्षा से मज़बूरन हो सकता है, लेकिन यदि उपलब्ध हो तो शाकाहार ही सुधरे लोगों की पहली पसंद होता है। जहां सात्विक पौष्ठिक शाकाहार प्रचूरता से उपलब्ध है वहां जीवों को करूणा दान,अभयदान दे देना ही श्रेयस्कर माना जाता है। सजीव और निर्जीव एक गहन विषय है। जीवन वनस्पतियों आदि में भी है,लेकिन प्राण बचाने को संघर्षरत पशुओं को मात्र स्वाद के लिये मार खाना तो क्रूरता की पराकाष्ठा है।आप लोग दबी जुबां से कहते भी हो कि “मुसलमान, शाकाहारी होकर भी एक अच्छा मुसलमान हो सकता है” फ़िर मांसाहार की इतनी ज़िद्द क्यों?,अच्छा मुसलमान बनने से परहेज क्यों?
3 – अगर सभी जीव/जीवन पवित्र है पाक है तो पौधों को क्यूँ मारा जाता है जबकि उनमें भी जीवन होता है.
4 – अगर सभी जीव/जीवन पवित्र है पाक है तो पौधों को क्यूँ मारा जाता है जबकि उनको भी दर्द होता है.
5 – अगर मैं यह मान भी लूं कि उनमें जानवरों के मुक़ाबले कुछ इन्द्रियां कम होती है या दो इन्द्रियां कम होती हैं इसलिए उनको मारना और खाना जानवरों के मुक़ाबले छोटा अपराध है| मेरे हिसाब से यह तर्कहीन है.
खण्ड़न -इसका विस्तार से वर्णन “वनस्पति जीवन पर करूणा क्यों उमड रही है।– अनुराग शर्मा “ दे चुके है। और यह स्पष्ठ कर चुके है कि जीवहिंसा प्रत्येक कर्म में है, हम विवेकशील है,अतः हमारा कर्तव्य बनता है,हम वह रास्ता चुनें जिसमे जीव हिंसा कम से कम हो।
“एक यह भी कुतर्क दिया जाता है कि शाकाहारी सब्जीओ को पैदा करनें के लिये आठ दस प्रकार के जंतु व कीटों को मारा जाता है।”
खण्ड़न -इन्ही की तरह कुतर्क करने को दिल चाहता है………
भाई इतनी ही जीवों पर करूणा आ रही है,और दोनो ही आहार हिंसाजनक है तो दोनो को छोड दो,और दोनो नहीं तो पूरी तरह से किसी एक की तो कुर्बानी(त्याग) करो…॥ कौन सा करोगे????
“ऐसा कोनसा आहार है,जिसमें हिंसा नहीं होती।”
खण्ड़न -यह कुतर्क ठीक ऐसा है कि ‘वो कौनसा देश है जहां मानव हत्याएं नहीं होती। अतः हत्याओं को जायज मान लिया जाय। और मानव हत्या करना सहज स्वीकार कर लिया जाय? और उसे बुरा न कहा जाय। जब सभी में जीवन हैं, और उनका प्राणांत हिंसादोष है, तो क्यों न सबसे उच्च्तम, क्रूर, घिघौना हिंसाजनक कर्म अपनाया जाय? है ना विवेक का दिवालियापन!!
तर्क से तो बिना जान निकले पशु शरीर मांस में परिणित हो ही नहीं सकता। लाजिक से तो कोई और किसी भी तरह का मांस मुर्दे का ही होगा। और वह तुक्का ही है कि हलाल तरीके से काटो तो वह मुर्दा नहीं । जीव की मांस के लिये जब हत्या की जाती है,तो जान निकलते ही मक्खियां करोडों अंडे उस मुर्दे पर दे जाती है,पता नहीं जान निकलनें का एक क्षण में मक्खिओं को कैसे आभास हो जाता है,उसी क्षण से वह मांस मक्खिओं के लार्वा का भोजन बनता है,जिंदा जीव के मुर्दे में परिवर्तित होते ही उसके मांस में 563 तरह के सुक्ष्म जीव उस मुर्दा मांस में पैदा हो जाते है। और जहां यह तैयार किया जाता है वह जगह व बाज़ार रोगाणुओं के घर होते है, और यह रोगाणु भी जीव होते है। यनि ताज़ा मांस के टुकडे पर ही हज़ारों मक्खी के अंडे,हज़ारो सुक्ष्म जीव,और हज़ारों रोगाणु होते है। कहो, किसमें जीव हिंसा ज्यादा है।, मुर्दाखोरी में या अनाज दाल फ़ल तरकारी में?
6 -इन्सान के पास उस प्रकार के दंत हैं जो शाक के साथ साथ माँस भी खा/चबा सकता है.
7 – और ऐसा पाचन तंत्र जो शाक के साथ साथ माँस भी पचा सके. मैं इस को वैज्ञानिक रूप से सिद्ध भी कर सकता हूँ | मैं इसे सिद्ध कर सकता हूँ.
खण्ड़न -मानते है इन्सान कुछ भी खा/चबा सकता है, फ़िर भी वे दांत शिकार के अनुकूल तो नहीं है। उसके पास तेज धारदार पंजे भी नहीं है। मानव प्रकृति से शाकाहारी ही है।हमने लोगों को कांच चबाते देखा है, जहर और नशीली वस्तुएँ पीते पचाते देखा है। पचाने का सामर्थ्य मिल जाने से जहर कांच आदि प्राकृतिक आहार नहीं हो जाता। ‘खाओ जो पृथ्वी पर है’ का मतलब यह नहीं कि धूल पत्थर जहर एसीड खा लिया जाय। उसी तरह मांस तर्कसंगत नहीं है।
8 – आदि मानव मांसाहारी थे इसलिए आप यह नहीं कह सकते कि यह प्रतिबंधित है मनुष्य के लिए | मनुष्य में तो आदि मानव भी आते है ना.
खण्ड़न – हां, देखा तो नहीं, पर सुना अवश्य था कि आदि मानव मांसाहारी थे। पर नवीनतम जानकारी तो यह भी मिली कि प्रगैतिहासिक मानव शाकाहारी था। लेकिन वे मांसाहारी थे भी तो शिकार कैसे करते थे?अपने उन दो छोटे नुकीले दांतो से? मानव तो पहले से ही शाकाहारी रहा है, जब कभी कहीं शाकाहार का अभाव रहा होगा तो,पहले उसने हथियार बनाए होंगे फ़िर मांसाहार किया होगा। यानि हथियारों के अविष्कार के पहले वह फ़ल फ़ूल पर ही आश्रित था। कहते भी हैं वे कल्पवृक्ष पर निर्भर थे।
आदि युग में तो मानव नंगे घुमते थे,क्या वे मानव नहीं थे। वे अगर सभ्यता के लिए नंगई से परिधान धारी बन सकते है तो हम आदियुगीन मांसाहारी से सभ्ययुगीन शाकाहारी क्यों नहीं बन सकते।
9 – जो आप खाते हैं उससे आपके स्वभाव पर असर पड़ता है – यह कहना ‘मांसाहार आपको आक्रामक बनता है’ का कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है.
खण्ड़न – इसका तात्पर्य ऐसा नहीं कि हिंसक पशुओं के मांस से हिंसक,व शालिन पशुओं के मांस से शालिन बन जाओगे।
इसका तात्पर्य यह है कि बार बार हिंसा करने से हिंसा के प्रति सम्वेदनशीलता खत्म हो जाती है। क्रूर मानसिकता पनपती है। और क्रोधावेश में हिंसक कृत्य हो जाना स्वभाविक है।
रोज रोज कब्र खोदने वाले के चहरे का भाव कभी देखा है?,पत्थर की तरह सपाट चहरा। क्या वह मरने वाले के प्रति जरा भी संवेदना सहानुभूति दर्शाता है? उसके बार बार के यह कार्य करने से मौत के प्रति सम्वेदनाएँ मर जाती है।
10 – यह तर्क देना कि शाकाहार भोजन आपको शक्तिशाली बनाता है, शांतिप्रिय बनाता है, बुद्धिमान बनाता है आदि मनगढ़ंत बातें है.
खण्ड़न -हाथ कंगन को आरसी क्या?, यदि शाकाहारी होने से कमजोरी आती तो मानव कबका शाकाहार छोड चुका होता। वैसे तो कई संशोधनो से यह बात बाहर आती रही है फिर भी नए वैज्ञानिक संशोधन आने दो, यह भी प्रमाणित हो जाएगा।
11 – शाकाहार भोजन सस्ता होता है, मैं इसको अभी खारिज कर सकता हूँ, हाँ यह हो सकता है कि भारत में यह सस्ता हो. मगर पाश्चात्य देशो में यह बहुत कि खर्चीला है खासकर ताज़ा शाक.
खण्ड़न – भाड में जाय वो बंजर पाश्चात्य देश जो ताज़ा शाक पैदा नहीं कर सकते!! भारत में यह सस्ता है। यहां शाकाहार अपना लेना सस्ता और सहज उपलब्ध है।एक पशु से 1 किलो मांस प्राप्त करने के लिए उन्हें 13 किलो अनाज खिला दिया जाता है।
12 – अगर जानवरों को खाना छोड़ दें तो इनकी संख्या कितनी बढ़ सकती, अंदाजा है इसका आपको.
खण्ड़न -अल्लाह का काम आपने ले लिया? अल्लाह कहते है इन्हें हम पैदा करते है।
जो लोग ईश्वरवादी है, वे तो जानते है, संख्या का बेहतर प्रबंधक ईश्वर ही है।
जो लोग प्रकृतिवादी है जानते है, प्रकृति के पास गज़ब का संतुलन है।
करोडों साल से जंगली जानवर और आप लोग मिलकर शाकाहारी पशुओं को खाते आ रहे हो,फ़िर भी जिस प्रजाति के जानवरों को खाया जाता है, विलुप्त या कम नहीं हुए। उल्टे मांसाहारी जीव विलुप्ति की कगार पर है।
13 -कहीं भी किसी भी मेडिकल बुक में यह नहीं लिखा है और ना ही एक वाक्य ही जिससे यह निर्देश मिलता हो कि मांसाहार को बंद कर देना चाहिए.
खण्ड़न -मेडिकल बुक किसी धार्मिक ग्रंथ की तरह अंतिम सत्य नहीं है। वह तो कल यदि नई शोध कर लेगी तो अपनी बुक में इमानदारी से परिवर्तन भी कर देगी कि मांसाहार मनुष्य के स्वास्थ्य के योग्य नहीं है। तब उस बुक का क्या करोगे जिस में परिवर्तन सम्भव ही नहीं।
14 – और ना ही इस दुनिया के किसी भी देश की सरकार ने मांसाहार को सरकारी कानून से प्रतिबंधित किया है.
खण्ड़न -सरकारें क्यों प्रतिबंध लगायेगी? उसके निति-नियंता भी इसी मनसिकता के और इसी समाज से है, यह तो हमारा फ़र्ज़ है,हम विवेक से उचित को अपनाएं। झुठ पर प्रतिबंध तो कहीं भी नहीं लगाया गया है। फिर भी झूठ को बुरा माना जाता है और कानून में प्रतिबंध न होते हुए भी स्वीकार नहीं किया जाता। अदालत में हर बार सच बोलने की शपथ ली जाती है। ईमान वाला व्यक्ति इमान से ही सच अपनाता है और झूठ न बोलने को अपना फ़र्ज़ मानकर चलता है।
हर प्राणी में जीवन जीने की अदम्य इच्छा होती है, यहां तक की कीट व जंतु भी कीटनाशक दवाओं के प्रतिकार की शक्ति उत्पन्न कर लेते है। सुक्ष्म जीवाणु भी कुछ समय बाद रोगप्रतिरोधक दवाओं से प्रतिकार शक्ति पैदा कर लेते है। यह उनके जीनें की अदम्य जीजिविषा का परिणाम होता है। सभी जीना चाहते है मरना कोई नहीं चाहता।
इसलिए, ईमान और रहम की बात करने वाले शान्तिपसंद मानव का यह फ़र्ज़ है कि जीए और जीने दे।
sombirnaamdev is offline   Reply With Quote
Old 10-03-2012, 08:48 PM   #14
sombirnaamdev
Diligent Member
 
sombirnaamdev's Avatar
 
Join Date: Jan 2012
Location: BOMBAY & HISSAR
Posts: 1,157
Rep Power: 36
sombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond repute
Send a message via Skype™ to sombirnaamdev
Default Re: शाकाहार - उत्तम आहार

सुखी जीवन तू चाहे, सुखी जीवन वे चाहें |
नर और जानवर की एक ही तो चाह है |
ऊन देते, दूध देते, तेरे लिए खेत जोतें,
बदले में उन्हें दी क्यूँ मौत की कराह है ?
तेरी बीवी तेरे बच्चे, जैसे लगते तुझे अच्छे|
कह न सकें भले मुंह से, उनकी भी यही चाह है|
उन्हें पालता है पोसता है, भोजन परोसता है,
इन पर तू बस दया कर, इसी में तेरी वाह है|
सब माने सब जाने, उनके दुखों को पहचाने,
उन्हें खाने के जो ये तेरे परिणाम हैं|
ये मनुष्यों के हैं नहीं, और पशुओं के भी नहीं,
निर्दयी और नृशंस हत्यारों के ये काम हैं!
माता अपनी संतान को चाहे खुद से भी ज्यादा,
चोट लगे पुत्र को, निकलती माता की भी जान है|
उस पशु की भी माता थी, माता थी और पिता थे,
जिस पशु का मांस खाकर, तूने बड़ाई अपनी शान है|
गाय को तू पूजता है, मांस उसका छोड़ता है,
बाकी पशुओं ने क्या, किया कोई गुनाह है ?
स्वार्थी है लालची तू, गाय में भी लाभ देखता है,
छोड़ा उसे क्यूंकि बिन गाय मुश्किल निर्वाह है!
एक दिन शाकाहारी, एक दिन मांसाहारी,
ढोंगी तेरे पाखंडो की, क्या कोई मिसाल है ?
है जो आज सही कल सही, आज गलत कल गलत,
पशु ने है जान खोई, भले हुआ हलाल है|
बेड काऊ मेड काऊ(Mad Cow) बर्ड फ्लू- Swine फ्लू,
शायद ये बीमारियाँ, मांसाहार का ही परिणाम हैं|
ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही, प्राकृतिक संपदा घट रही,
ऐसे इन कुकृत्यों का, शायद यही अंजाम है|
पीड़ा समझ पशुओं की, छोड़ दे तू मांसाहार,
सारे ये पशु-पक्षी, तुझसे कर रहे पुकार हैं|
पशु नहीं साग-सब्जी, समझोगे तुम ये कब जी ?
जिसने समझा, दया को धारा, वही तो दिलदार है|
पियूष
sombirnaamdev is offline   Reply With Quote
Old 10-03-2012, 08:49 PM   #15
sombirnaamdev
Diligent Member
 
sombirnaamdev's Avatar
 
Join Date: Jan 2012
Location: BOMBAY & HISSAR
Posts: 1,157
Rep Power: 36
sombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond repute
Send a message via Skype™ to sombirnaamdev
Default Re: शाकाहार - उत्तम आहार

निर्दोष पशु करें पुकार, बंद करो ये मांसाहार!
sombirnaamdev is offline   Reply With Quote
Old 10-03-2012, 08:50 PM   #16
sombirnaamdev
Diligent Member
 
sombirnaamdev's Avatar
 
Join Date: Jan 2012
Location: BOMBAY & HISSAR
Posts: 1,157
Rep Power: 36
sombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond repute
Send a message via Skype™ to sombirnaamdev
Default Re: शाकाहार - उत्तम आहार

इस दुनिया में इंसान के खाने के लिए जो चीज बनी हुई है वह उससे दूर होता जा रहा है. और जो राक्षसों के खाने के लिए जो चीज बनी उससे नजदीक होता जा रहा है.
sombirnaamdev is offline   Reply With Quote
Old 10-03-2012, 08:51 PM   #17
sombirnaamdev
Diligent Member
 
sombirnaamdev's Avatar
 
Join Date: Jan 2012
Location: BOMBAY & HISSAR
Posts: 1,157
Rep Power: 36
sombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond repute
Send a message via Skype™ to sombirnaamdev
Default Re: शाकाहार - उत्तम आहार

नए शोध के अनुसार,शाकाहारी होना हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। जो लोग सब्जियों से अधिक प्रोटीन प्राप्त करते हैं उनका रक्तचाप सामान्य रहता है जबकि मांस का अधिक सेवन करने वाले ज्यादातर लोग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार होते हैं।

स्वस्थ भोजन ही तन और मन को स्वस्थ रखता है। स्वस्थ भोजन से आशय है,वह भोजन जिसमें खनिज पदार्थ,प्रोटीन,कार्बोहाइट्रेड और विटामिन सहित कई पोषक तत्व हों। ये सभी चीजें समान अनुपात में हों तो भोजन शरीर के लिए अमृत बन जाता है। भोजन तभी स्वस्थ है जब तक प्राकृतिक हो।

संतुलित शाकाहारी भोजन शरीर को सभी पोषक तत्व प्रदान करता है। यही नहीं,वह हृदय रोग, कैंसर,उच्च रक्तचाप,मधुमेह,जोड़ों का दर्द व अन्य कई बीमारियों से हमें बचाता भी है। नए शोध के अनुसार,शाकाहारी होना हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। जो लोग सब्जियों से अधिक प्रोटीन प्राप्त करते हैं उनका रक्तचाप सामान्य रहता है जबकि मांस का अधिक सेवन करने वाले ज्यादातर लोग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार होते हैं।

लंदन में हुए शोध के अनुसार उन लोगों में हाई ब्लड प्रेशर ज्यादा पाया गया जो मांस से अधिक प्रोटीन प्राप्त करते थे। अनुसंधान के अनुसार,शाकाहारी प्रोटीन में एमीनो एसिड पाया जाता है। यह शरीर में जाकर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। सब्जियों में एमीनो एसिड के साथ-साथ मैग्नेशियम भी पाया जाता है। यह हमारे रक्तचाप को नियंत्रित रखता है। अधिक मांसाहार करने वाले लोगों में फाइबर की भी कमी पाई गई है।

फाइबर हमें अनाज से मिलता है। दाल,फलों का रस और सलाद से कई पोषक तत्व मिलते हैं। ये हमारे शरीर के वजन को भी संतुलित रखते हैं। ज्यादा मांसाहार मोटापा भी बढ़ा देता है। मांस में वसा की मात्रा बहुत होती है। हमारे शरीर को सबसे ज्यादा जरूरत होती है कार्बोहाड्रेट की। अगर आप सोचते हैं कि यह मांस में मिलेगा तो आप गलत हैं,क्योंकि मांस में कार्बोहाइड्रेट बिलकुल नहीं होता। यह ब्रेड,रोटी,केले और आलू वगैरह में पाया जाता है।

कार्बोहाइड्रेट की कमी से मधुमेह जैसी बीमारियां हो सकती हैं। कैल्शियम शरीर को न मिले तो हमारी हड्डियां और दांत तक कमजोर हो जाते हैं। कैल्शियम कभी भी मांस से नहीं मिलता। यह दूध, बादाम और दूध से बनी चीजों जैसे दही-पनीर से मिलता है। हीमोग्लोबिन की कमी से व्यक्ति एनीमिया का शिकार हो जाता है। इसका स्तर मांस के सेवन से कभी नहीं बढ़ता। यह हरी पत्तेदार सब्जियों,पुदीना और गुड़ आदि में अधिक मात्रा में पाया जाता है।

भरपूर पौष्टिक खाना शरीर को ऊर्जा देता है जो मांस से नहीं मिल सकता। हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन 'के' भी होता है। इसकी कमी से रक्तस्राव होने का डर रहता है। मनुष्य मूलतः शाकाहारी है। ज्यादा मांसाहार से चिड़चिड़ेपन के साथ स्वभाव उग्र होने लगता है। यह वस्तुतः तन के साथ मन को भी अस्वस्थ कर देता है। प्रकृति ने कितनी चीजें दी हैं जिन्हें खाकर हम स्वस्थ रह सकते है फिर मांस ही क्यों?अब तय आपको करना है कि शाकाहार बेहतर है या मांसाहार।
sombirnaamdev is offline   Reply With Quote
Old 10-03-2012, 08:52 PM   #18
sombirnaamdev
Diligent Member
 
sombirnaamdev's Avatar
 
Join Date: Jan 2012
Location: BOMBAY & HISSAR
Posts: 1,157
Rep Power: 36
sombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond repute
Send a message via Skype™ to sombirnaamdev
Default Re: शाकाहार - उत्तम आहार

आहार विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप भी लजीज बिरयानी और चिकन हांडी जैसे मांसाहारी व्यंजनों का शौक फरमाते हैं तो एक पल के लिए रुकिए और सोचिए कि आप मांसाहार को तिलांजलि देकर एक साल में कितने निरीह प्राणियों की जान बचा सकते हैं।

’पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स’ (पेटा) की भारतीय शाखा की प्रमुख अनुराधा साहनी की मानें तो एक व्यक्ति मांसाहार से तौबा करके वर्ष भर में कम से कम सौ मूक प्राणियों को सिर्फ जीभ के स्वाद के लिए कटने और मरने से बचा सकता है।

सुश्री साहनी ने ‘विश्व शाकाहार दिवस’ के अवसर पर बिलासपुर के एक एफएम रेडियो से बातचीत में कहा कि जब आपके भोजन की मेज पर भरपूर पौष्टिक और मांस से ज्यादा पाचक भोजन प्रचुरता में उपलब्ध है तो किसी प्राणी के हाड-मांस को खाना बिल्कुल गलत है।

आहार विशेषज्ञ रश्मि उदय सिंह का भी कुछ ऐसा ही मानना है। उनके मुताबिक आदमी का पेट बहुत कोमल होता है, वह मांस जैसे अत्यंत गरिष्ठ पदार्थों के लिए नहीं बना है। उनके मुताबिक पृथ्वी के समस्त प्राणी स्वतंत्र इकाई हैं और प्रकृति ने उनमें से किसी को मनुष्य का भोजन बनने के लिए उत्पन्न नहीं किया है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ब्रिटेन में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान मांस का सेवन नहीं करने की वजह से कितने ही दिन उबले आलुओं से गुजारा करना पड़ा, लेकिन वो इससे टूटे नहीं। बल्कि वे उस समय पूरे यूरोप में चल रहे शाकाहार आंदोलन से जुड़ गए।
sombirnaamdev is offline   Reply With Quote
Old 10-03-2012, 08:53 PM   #19
sombirnaamdev
Diligent Member
 
sombirnaamdev's Avatar
 
Join Date: Jan 2012
Location: BOMBAY & HISSAR
Posts: 1,157
Rep Power: 36
sombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond repute
Send a message via Skype™ to sombirnaamdev
Default Re: शाकाहार - उत्तम आहार

जब किसी जानवर को काटते हुए देखो तो सोचो - अगर कोई और विशालकाय प्राणी इंसान को इसी तरह से काट कर पकाए तो कैसा लगेगा? अगर काटा गया इंसान हमारे भाई बहन , माँ बाप .. में से कोई हो तो कैसा लगेगा? ऐसा सोचने भर से शायद हम मांसाहार का स्वाद भूल जाएँगे.
sombirnaamdev is offline   Reply With Quote
Old 10-03-2012, 08:53 PM   #20
sombirnaamdev
Diligent Member
 
sombirnaamdev's Avatar
 
Join Date: Jan 2012
Location: BOMBAY & HISSAR
Posts: 1,157
Rep Power: 36
sombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond reputesombirnaamdev has a reputation beyond repute
Send a message via Skype™ to sombirnaamdev
Default Re: शाकाहार - उत्तम आहार

भगवान के लिए इन बेजुबान जनवरों को मारना बंद करो अपने स्वाद के लिए किसी की जान लेना कहाँ तक सही है. कृपया साकाहारी बानीए और इन जनवरों पर दया करो
sombirnaamdev is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 07:46 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.