18-01-2011, 11:18 AM | #11 | ||||
Special Member
Join Date: Nov 2010
Posts: 1,519
Rep Power: 21 |
Re: जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर
मैं बस कुछ बिंदु अपनी तरफ से जोड़ रहा हूँ | Quote:
हेमू मध्यकाल का इकलौता हिन्दू व्यक्ति था जिसने दिल्ली पर राज किया | रोचक तथ्य यह भी है कि वह हिजड़ा था | Quote:
धार्मिक चर्चा का प्रारंभ मात्र मुस्लिम धर्म विदों से हुआ था, अकबर प्रत्येक मंगलवार को रात को उन्हें सुनता था और बाद में वहीँ सो जाता था | एक दिन जब सोते हुए अकबर की नींद खुली तो देखा कि दो मुस्लिम धार्मिक विद्वान् आपस में लड़ रहे हैं, एक ने दुसरे के बाल पकडे थे तो दूसरा पहले के कान चबा रहा था | इस हास्यास्पद घटना ने अकबर को झिंझोड़ दिया और उसे लगा कि जब ये विद्वान ही पुरे संयम में नहीं हैं तो ये धर्म की व्याख्या क्या करेंगे! उसके बाद से उसने सभी धर्म के लोगों को आमंत्रित करना शुरू कर दिया | शायद ये आज के फोरम जैसी ही परिकल्पना थी | अकबर ने धर्म निसंदेह चलाया था किन्तु सौभाग्य से वह कभी इसके लिए दुराग्रही नहीं रहा | उसके दरबार के कई लोगों ने उसे स्वीकार नहीं किया और उसने भी कभी उसके लिए किसी को विवश नहीं किया | यहाँ तक कि उसे स्वीकार करने वाला एकमात्र हिन्दू बीरबल था | तो ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि वह विलुप्त हो गया | वैसे भी दीं-इ-इलाही एक शरबत कि तरह था उसमें कोई भी अपना यूनीक तत्व नहीं था | सिकंदर का मकबरा एकमात्र ऐसा मकबरा है जिसमें कोई गुम्बद नहीं है | Quote:
Quote:
अकबर के विषय में यह प्रमाण मिले हैं कि वह शारीरिक रूप से इतना सक्षम था कि दो लोगों को अपनी कांख में दबा के किले की दीवार पर दौड़ लगा लेता था और तलवार की एक मार से शेर का सर अलग कर देता था | अकबर ने स्वायत्त होने के बाद 'पादशाह' की उपाधि धारण कि जिसे गलती से बादशाह कहा जाता है | |
||||
18-01-2011, 12:08 PM | #12 |
Diligent Member
|
Re: जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर
धन्यवाद बोंड जी ! वैसे तो इतिहास में रूचि कम ही है पर आपकी जासूसी को पढ़े बिना नहीं रहा गया !अमित जी के बिन्दुओ ने इसे और रोचक बना दिया है !
__________________
( वैचारिक मतभेद संभव है ) ''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है'' |
18-01-2011, 09:28 PM | #13 | |
Special Member
|
Re: जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर
Quote:
आपने सूत्र में नई जानकारी जोड़कर चार-चाँद लगा दिए|
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
|
18-01-2011, 09:31 PM | #14 |
Special Member
|
जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर
विद्रोही जी! आपकी तारीफ़ ने धन्य कर दिया| सूत्र के बारे में अपनी राय रखने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद|
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
19-01-2011, 07:22 PM | #15 |
Senior Member
Join Date: Dec 2010
Location: Dilli NCR
Posts: 1,210
Rep Power: 20 |
Re: जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर
Bond सर! एक और बहुत अछा थ्रेड इस फोरम ke lie.
इसके liye आपको बधाई. ऐसे ही लगे रहें. |
30-01-2011, 05:29 AM | #16 | |
Special Member
|
जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर
Quote:
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
|
30-01-2011, 05:38 AM | #17 |
Special Member
|
जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर
राज्य का विस्तार
खोये हुए राज्य को पुनः प्राप्त करने के लिये अकबर के पिता हुमायूँ के अनवरत प्रयत्न अंततः सफल हुए और वह सन्* १५५५ में हिंदुस्तान पहुँच सका किंतु अगले ही वर्ष सन्* १५५६ में राजधानी दिल्ली में उसकी मृत्यु हो गई और गुरदासपुर के कलनौर नामक स्थान पर १४ वर्ष की आयु में अकबर का राजतिलक हुआ। अकबर का संरक्षक बैराम खान को नियुक्त किया गया जिसका प्रभाव उस पर १५६० तक रहा। तत्कालीन मुगल राज्य केवल काबुल से दिल्ली तक ही फैला हुआ था। इसके साथ ही अनेक समस्याएं भी सिर उठाये खड़ी थीं। १५६३ में शम्सुद्दीन अतका खान की हत्या पर उभरा जन आक्रोश, १५६४-६५ के बीच उज़बेक विद्रोह और १५६६-६७ में मिर्ज़ा भाइयों का विद्रोह भी था, किंतु अकबर ने बड़ी कुशलता से इन समस्याओं को हल कर लिया। अपनी कल्पनाशीलता से उसने अपने सामंतों की संख्या बढ़ाई। इसी बीच १५६६ में महाम अंका नामक उसकी धाय के बनवाये मदरसे (वर्तमान पुराने किले परिसर में) से शहर लौटते हुए अकबर पर तीर से एक जानलेवा हमला हुआ, जिसे अकबर ने अपनी फुर्ती से बचा लिया, हालांकि उसकी बांह में गहरा घाव हुआ। इस घटना के बाद अकबर की प्रशसन शैली में कुछ बदलाव आया जिसके तहत उसने शासन की पूर्ण बागडोर अपने हाथ में ले ली। इसके फौरन बाद ही हेमु के नेतृत्व में अफगान सेना पुनः संगठित होकर उसके सम्मुख चुनौती बनकर खड़ी थी। अपने शासन के आरंभिक काल में ही अकबर यह समझ गया कि सूरी वंश को समाप्त किए बिना वह चैन से शासन नहीं कर सकेगा। इसलिए वह सूरी वंश के सबसे शक्तिशाली शासक सिकंदर शाह सूरी पर आक्रमण करने पंजाब चल पड़ा।
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
30-01-2011, 05:40 AM | #18 |
Special Member
|
जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर
दिल्ली की सत्ता-बदल
अकबर के समय मुग़ल साम्राज्यदिल्ली का शासन उसने मुग़ल सेनापति तारदी बैग खान को सौंप दिया। सिकंदर शाह सूरी अकबर के लिए बहुत बड़ा प्रतिरोध साबित नही हुआ। कुछ प्रदेशो मे तो अकबर के पहुंचने से पहले ही उसकी सेना पीछे हट जाती थी। अकबर की अनुपस्थिति मे हेमू विक्रमादित्य ने दिल्ली और आगरा पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की। ६ अक्तूबर १५५६ को हेमु ने स्वयं को भारत का महाराजा घोषित कर दिया। इसी के साथ दिल्ली मे हिंदू राज्य की पुनः स्थापना हुई।
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
30-01-2011, 05:41 AM | #19 |
Special Member
|
जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर
सत्ता की वापसी
दिल्ली की पराजय का समाचार जब अकबर को मिला तो उसने तुरन्त ही बैरम खान से परामर्श कर के दिल्ली की तरफ़ कूच करने का इरादा बना लिया। अकबर के सलाहकारो ने उसे काबुल की शरण में जाने की सलाह दी। अकबर और हेमु की सेना के बीच पानीपत मे युद्ध हुआ। यह युद्ध पानीपत का द्वितीय युद्ध के नाम से प्रसिद्ध है। संख्या में कम होते हुए भी अकबर ने इस युद्ध मे विजय प्राप्त की। इस विजय से अकबर को १५०० हाथी मिले जो मनकोट के हमले में सिकंदर शाह सूरी के विरुद्ध काम आए। सिकंदर शाह सूरी ने आत्मसमर्पण कर दिया और अकबर ने उसे प्राणदान दे दिया।
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
30-01-2011, 05:46 AM | #20 |
Special Member
|
जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर
चहुँओर विस्तार
दिल्ली पर पुनः अधिकार जमाने के बाद अकबर ने अपने राज्य का विस्तार करना शुरू किया और मालवा को १५६२ में, गुजरात को १५७२ में, बंगाल को १५७४ में, काबुल को १५८१ में, कश्मीर को १५८६ में, और खानदेश को १६०१ में मुग़ल साम्राज्य के अधीन कर लिया। अकबर ने इन राज्यों में एक एक राज्यपाल नियुक्त किया। अकबर यह नही चाहता था की मुग़ल साम्राज्य का केन्द्र दिल्ली जैसे दूरस्थ शहर में हो; इसलिए उसने यह निर्णय लिया की मुग़ल राजधानी को फतेहपुर सीकरी ले जाया जाए जो साम्राज्य के मध्य में थी। कुछ ही समय के बाद अकबर को राजधानी फतेहपुर सीकरी से हटानी पड़ी। कहा जाता है कि पानी की कमी इसका प्रमुख कारण था। फतेहपुर सीकरी के बाद अकबर ने एक चलित दरबार बनाया जो कि साम्राज्य भर में घूमता रहता था इस प्रकार साम्राज्य के सभी कोनो पर उचित ध्यान देना सम्भव हुआ। सन १५८५ में उत्तर पश्चिमी राज्य के सुचारू राज पालन के लिए अकबर ने लाहौर को राजधानी बनाया। अपनी मृत्यु के पूर्व अकबर ने सन १५९९ में वापस आगरा को राजधानी बनाया और अंत तक यहीं से शासन संभाला।
__________________
Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
Bookmarks |
Tags |
अकबर, मुगल साम्राज्य, akbar |
|
|