02-06-2011, 11:41 PM | #11 |
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Re: ब्रह्माण्ड और एलियंस; कितना जानते हैं हम
परमेश्वर (ब्रह्म) से आकाश अर्थात जो कारण रूप 'द्रव्य' सर्वत्र फैल रहा था उसको इकट्ठा करने से अवकाश उत्पन्न होता है। वास्तव में आकाश की उत्पत्ति नहीं होती, क्योंकि बिना अवकाश (खाली स्थान) के प्रकृति और परमाणु कहाँ ठहर सके और बिना अवकाश के आकाश कहाँ हो। अवकाश अर्थात जहाँ कुछ भी नहीं है और आकाश जहाँ सब कुछ है।
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04-06-2011, 02:46 PM | #12 |
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Re: ब्रह्माण्ड और एलियंस; कितना जानते हैं हम
पदार्थ के संगठित रूप को जड़ कहते हैं और विघटित रूप परम अणु है, इस अंतिम अणु को ही वेद परम तत्व कहते हैं जिसे ब्रह्माणु भी कहा जाता है और श्रमण धर्म के लोग इसे पुद्*गल कहते हैं। भस्म और पत्थर को समझें। भस्मीभूत हो जाना अर्थात पुन: अणु वाला हो जाना।
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04-06-2011, 02:47 PM | #13 |
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Re: ब्रह्माण्ड और एलियंस; कितना जानते हैं हम
आकाश के पश्चात वायु, वायु के पश्चात अग्न*ि, अग्नि के पश्चात जल, जल के पश्चात पृथ्वी, पृथ्वी से औषधि, औ*षधियों से अन्न, अन्न से वीर्य, वीर्य से पुरुष अर्थात शरीर उत्पन्न होता है।- तैत्तिरीय उपनिषद
इस ब्रह्म (परमेश्वर) की दो प्रकृतियाँ हैं पहली 'अपरा' और दूसरी 'परा'। अपरा को ब्रह्मांड कहा गया और परा को चेतन रूप आत्मा। उस एक ब्रह्म ने ही स्वयं को दो भागों में विभक्त कर दिया, किंतु फिर भी वह अकेला बचा रहा। पूर्ण से पूर्ण निकालने पर पूर्ण ही शेष रह जाता है, इसलिए ब्रह्म सर्वत्र माना जाता है और सर्वत्र से अलग भी उसकी सत्ता है।
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04-06-2011, 02:48 PM | #14 |
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Re: ब्रह्माण्ड और एलियंस; कितना जानते हैं हम
त्रिगुणी प्रकृति :
परम तत्व से प्रकृति में तीन गुणों की उत्पत्ति हुई सत्व, रज और तम। ये गुण सूक्ष्म तथा अतिंद्रिय हैं, इसलिए इनका प्रत्यक्ष नहीं होता। इन तीन गुणों के भी गुण हैं- प्रकाशत्व, चलत्व, लघुत्व, गुरुत्व आदि इन गुणों के भी गुण हैं, अत: स्पष्ट है कि यह गुण द्रव्यरूप हैं। द्रव्य अर्थात पदार्थ। पदार्थ अर्थात जो दिखाई दे रहा है और जिसे किसी भी प्रकार के सूक्ष्म यंत्र से देखा जा सकता है, महसूस किया जा सकता है या अनुभूत किया जा सकता है। ये ब्रहांड या प्रकृति के निर्माणक तत्व हैं।
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04-06-2011, 02:51 PM | #15 |
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Re: ब्रह्माण्ड और एलियंस; कितना जानते हैं हम
प्रकृति से ही महत् उत्पन्न हुआ जिसमें उक्त गुणों की साम्यता और प्रधानता थी। सत्व शांत और स्थिर है। रज क्रियाशील है और तम विस्फोटक है। उस एक परमतत्व के प्रकृति तत्व में ही उक्त तीनों के टकराव से सृष्टि होती गई।
सर्वप्रथम महत् उत्पन्न हुआ, जिसे बुद्धि कहते हैं। बुद्धि प्रकृति का अचेतन या सूक्ष्म तत्व है। महत् या बुद्ध*ि से अहंकार। अहंकार के भी कई उप भाग है। यह व्यक्ति का तत्व है। व्यक्ति अर्थात जो व्यक्त हो रहा है सत्व, रज और तम में। सत्व से मनस, पाँच इंद्रियाँ, पाँच कार्मेंद्रियाँ जन्मीं। तम से पंचतन्मात्रा, पंचमहाभूत (आकाश, अग्न*ि, वायु, जल और ग्रह-नक्षत्र) जन्मे।
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04-06-2011, 02:59 PM | #16 |
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Re: ब्रह्माण्ड और एलियंस; कितना जानते हैं हम
इसे इस तरह समझें :
उस एक परम तत्व से सत्व, रज और तम की उत्पत्ति हुई। यही इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन और प्रोटॉन्स का आधार हैं। इन्हीं से प्रकृति का जन्म हुआ। प्रकृति से महत्, महत् से अहंकार, अहंकार से मन और इंद्रियाँ तथा पाँच तन्मात्रा और पंच महाभूतों का जन्म हुआ। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार यह प्रकृति के आठ तत्व हैं। जब हम पृत्वी कहते हैं तो सिर्फ हमारी पृथ्वी नहीं। प्रकृति के इन्हीं रूपों में सत्व, रज और तम गुणों की साम्यता रहती है। प्रकृति के प्रत्येक कण में उक्त तीनों गुण होते हैं। यह साम्यवस्था भंग होती है तो महत् बनता है।
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04-06-2011, 11:19 PM | #17 |
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Re: ब्रह्माण्ड और एलियंस; कितना जानते हैं हम
प्रकृति वह अणु है जिसे तोड़ा नहीं जा सकता, किंतु महत् जब टूटता है तो अहंकार का रूप धरता है। अहंकारों से ज्ञानेंद्रियाँ, कामेद्रियाँ और मन बनता है। अहंकारों से ही तन्मात्रा भी बनती है और उनसे ही पंचमहाभूत का निर्माण होता है। बस इतना समझ लीजिए क*ि महत् ही बुद्धि है। महत् में सत्व, रज और तम के संतुलन टूटने पर बुद्धि निर्मित होती है। महत् का एक अंश प्रत्येक पदार्थ या प्राणी में *बुद्धि का कार्य करता है।*
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04-06-2011, 11:22 PM | #18 |
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Re: ब्रह्माण्ड और एलियंस; कितना जानते हैं हम
बुद्धि से अहंकार के तीन रूप पैदा होते हैं- पहला सात्विक अहंकार जिसे वैकारी भी कहते हैं विज्ञान की भाषा में इसे न्यूट्रॉन कहा जा सकता है। यही पंच महाभूतों के जन्म का आधार माना जाता है। दूसरा तेजस अहंकार इससे तेज की उत्पत्ति हुई, जिसे वर्तमान भाषा में इलेक्ट्रॉन कह सकते हैं। तीसरा अहंकार भूतादि है। यह पंच महाभूतों (आकाश, आयु, अग्नि, जल और पृथ्वी) का पदार्थ रूप प्रस्तुत करता है। वर्तमान विज्ञान के अनुसार इसे प्रोटोन्स कह सकते हैं। इससे रासायनिक तत्वों के अणुओं का भार न्यूनाधिक होता है। अत: पंचमहाभूतों में पदार्थ तत्व इनके कारण ही माना जाता है।
सात्विक अहंकार और तेजस अहंकार के संयोग से मन और पाँच इंद्रियाँ बनती हैं। तेजस और भूतादि अहंकार के संयोग से तन्मात्रा एवं पंच महाभूत बनते हैं। पूर्ण जड़ जगत प्रकृति के इन आठ रूपों में ही बनता है, किंतु आत्म-तत्व इससे पृथक है। इस आत्म तत्व की उपस्थिति मात्र से ही यह सारा प्रपंच होता है।
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04-06-2011, 11:25 PM | #19 |
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Re: ब्रह्माण्ड और एलियंस; कितना जानते हैं हम
अंतरिक्ष में इंसान का पहला क़दम
पचास वर्ष पहले सोवियत संघ के यूरी गागारिन ने पृथ्वी का एक चक्कर लगाकर अंतरिक्ष में मानव उड़ान के युग की शुरुआत की थी. अंतरिक्ष में उन्होंने 108 मिनट की उड़ान भरी और ये उड़ान सोवियत संघ के लिए प्रचार का एक ज़बरदस्त औज़ार साबित हुई. इससे पहले 1957 में सोवियत संघ अंतरिक्ष में पहला उपग्रह स्पूतनिक छोड़ चुका था. अमरीका के लिए ये तगड़ा झटका था जिसके साथ सोवियत संघ हर क्षेत्र में टक्कर ले रहा था.
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04-06-2011, 11:26 PM | #20 |
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Re: ब्रह्माण्ड और एलियंस; कितना जानते हैं हम
अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के चार्ल्स ड्यूक आज भी उस दौर को याद करते हैं. ड्यूक 1972 में अपोलो 16 यान पर सवार होकर चंद्रमा पर पहुँचे थे.
उन्होंने कहा, "मैं तब जर्मनी में युवा पायलट था और एफ़-102 विमान उड़ाया करता था. लेकिन उस साल हमारा पूरा ध्यान बर्लिन की दीवार बनाने पर केंद्रित था. हम अंतरिक्ष के बारे में उतना नहीं सोचते थे."
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