05-01-2013, 11:03 AM | #11 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
आधुनिक कंप्यूटर की मदद से कंकाल तंत्र की हर बारीकी देखी जा सकती है। जर्मनी के सारब्रुकेन शहर में रिसर्चर ऐसा प्रोग्राम तैयार कर रहे हैं जो बड़े भारी आंकड़ों को छोटे कंप्यूटर में डाल सकता है। जर्मनी के सेंटर फॉर आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस के वोल्फगांग वाल्स्टर जर्मनी के जाने माने कंप्यूटर विज्ञानी हैं। सारब्रुकेन यूनिवर्सिटी और दूसरी एजेंसियों के साथ मिल कर वह भविष्य का कंप्यूटर बना रहे हैं। इससे खरीदारी जैसे रोजमर्रा के काम आसान हो जाएंगे। ये लोग सुपर मार्केट मॉडल पर काम कर रहे हैं। यहां की चीजों को कंप्यूटर से जोड़ दिया गया है। चाहे वाइन की बोतल हो या कुछ और यहां अंगुली रखते ही प्रोडक्ट के बारे में सारी जानकारी मिल जाएगी। और एक ट्रॉली भी है, जो ग्राहकों को मनचाहे प्रोडक्ट तक पहुंचा सकती है। वाल्स्टर का लक्ष्य है कि कंप्यूटर लोगों से बात करे, जरूरी है कि यह ऐसा हो, जिसके साथ लोग खुद को आसानी से ढाल सकें। हमें कीपैड और माउस वाले कंप्यूटर नहीं चाहिए, जैसे कि पहले था। हमारी कोशिश है कि लोगों और कंप्यूटर के बीच संवाद हो सके। कल पर नजर- काम के लिए निर्देश देते ही नंबर भी डायल हो सकते हैं। लेकिन इससे भी आगे जाने का इरादा है। एक्सपर्ट देख रहे हैं कि कैसे आंखों ही आंखों में कार चल जाए। लक्ष्य ऐसा है कि भविष्य के कंप्यूटर सोच भी सकेंगे और आपकी बात समझ भी सकेंगे। प्रयोगशाला में ऐसी कार पर काम चल रहा है, जो आंखों और आवाज से चल सके। क्वांटम कंप्यूटर पर तो रिसर्चर एक अणु पर भी काम कर सकते हैं। भविष्य के कंप्यूटर और तेज होंगे। लेकिन उनकी बिजली की खपत भी कम करनी होगी। सारब्रुकेन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर फ्रांक विलहेम माउख का कहना है, हम कंप्यूटर पर एक साथ अलग अलग जानकारी फीड कर सकते हैं। लेकिन जैसे हाथ से उछला सिक्का किस करवट गिरेगा, यह तय नहीं किया जा सकता, वैसे ही कंप्यूटर कौन सी जानकारी कहां डालेगा, यह तय करना मुश्किल है। सामान्य कंप्यूटर की तुलना में क्वांटम कंप्यूटर कई गुना तेजी से काम करता है। भविष्य का डीएनए कंप्यूटर बायो मॉलिक्यूल के साथ काम करता है। और इसके लिए एक कोशिका में लगने वाली ऊर्जा से काम चल जाता है।कंप्यूटर चाहे कितने भी बुद्धिमान क्यों न हो जाएं, वे इंसान की जगह नहीं ले सकते हैं।
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05-01-2013, 11:15 AM | #12 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
नेताओं ने शिक्षा को धंधा बना लिया है : शिवराज
http://i10.dainikbhaskar.com/thumbna...eraj-singh.jpg मुख्यमंत्री ने पर्यटन के क्षेत्र में युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से भारत परिक्रमा पोर्टल का शुभारंभ किया भोपाल । नेताओं ने शिक्षा को धंधा बना लिया है। कई राज्य तो ऐसे हैं जहां उनके कॉलेज हैं। ये बातें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को नेशनल युवा को ऑपरेटिव सोसायटी के युवा एक्सपो-2013 के शुभारंभ अवसर पर कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राइवेट इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज चलाने वाले नेताओं का उद्देश्य शिक्षा देना नहीं है। यह लोग टेबल के ऊपर और नीचे से पैसा लेते हैं। शिवराज ने आगे कहा कि उन्होंने प्रदेश में पांच नए मेडिकल कॉलेज खोलने का निर्णय लिया है। 16 जनवरी को होने वाली युवा पंचायत का जिक्र करते हुए चौहान ने कहा कि वे बाकी घोषणाएं पंचायत में करेंगे। नैतिक शिक्षा की पैरवी करते हुए सीएम ने कहा कि मैं धर्म निरपेक्षता को नहीं मानता। हमारे देश में सर्व धर्म समभाव की परंपरा रही है और इसकी शिक्षा दी जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने पर्यटन के क्षेत्र में युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से भारत परिक्रमा पोर्टल का शुभारंभ किया। पंचायतें बुलाकर सुझाएंगे समस्याएं मुख्यमंत्री निवास में होने वाली पंचायतों के बारे में शिवराज ने कहा कि कई बार होता ऐसा होता है कि जिसने गेहूं की बालियां नहीं देखीं वह कृषि नीति बनाता है। इसी के चलते हमने फैसला लिया है कि जनता से पूछ कर ही उनकी समस्याओं का निराकरण करें और नीतियां बनाई जाएं। इसीलिए हर वर्ग की पंचायतें बुलाई जा रही हैं।
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05-01-2013, 11:21 AM | #13 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या 256 प्रतिशत बढ़ी
सरकार ने बताया कि आईआईएम बेंगलूर की एक रिपोर्ट के अनुसार अध्ययन के लिए विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या में 256 प्रतिशत बढ़ी. यह आंकड़ा 2000 से 2009 के दौरान का है. मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री शशि थरूर ने अविनाश पांडे के सवालों के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी. थरूर ने बताया कि भारतीय प्रबंध संस्थान, बेंगलूर की एक रिपोर्ट के अनुसार 2000 से 2009 के दौरान विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों के ‘प्रवाह’ में 256 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि इसका कारण व्यक्तिगत हितों और प्राथमिकताओं के साथ-साथ देश में तुलनात्मक अवसरों का उपलब्ध नहीं होना है. थरूर ने थामस संगमा के एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि मेघालय सरकार से मिली सूचना के अनुसार लोअर प्राइमरी सरकारी स्कूलों में सहायक शिक्षकों की भर्ती के संबंध में सीबीआई ने एक जांच की थी. राज्य सरकार ने सीबीआई रिपोर्ट को गुवाहाटी उच्च न्यायालय की शिलांग पीठ में चुनौती दी थी. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार उम्मीदवारों के चयन की वैधता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने 12 अक्टूबर 2012 को एक उच्चस्तरीय जांच समिति अधिसूचित की है.
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05-01-2013, 11:22 AM | #14 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
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05-01-2013, 11:24 AM | #15 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
सोनिया को 71 लाख का पैकेज,
ट्वीटर में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर करेंगी काम भीलवाड़ा की एक लड़की को 71 लाख रुपए का पैकेज ऑफर किया गया है. सोनिया ट्वीटर में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम करेंगी. भीलवाड़ा की प्रतिभावान बेटी सोनिया गोयल को एक सोशल नेटवर्किग साइट ने सालाना 71 लाख रुपए (1 लाख 10 हजार यूरो) का पैकेज ऑफर किया है. सोनिया सोशल नेटवर्किग साइट ट्वीटर में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम करेंगी. बचपन से ही मेधावी रही आरके कॉलोनी की निवासी सोनिया को जैसे ही कंपनी से यह सूचना मिली तो वह खुशी से उछल पड़ी. फिलहाल सोनिया आईआईटी दिल्ली में कम्प्यूटर साइंस में बी-टेक फाइनल इयर में पढ़ रही है. उसे पढ़ाई के दौरान ही कैंपस प्लेसमेंट में ट्वीटर में नौकरी का ऑफर मिला. सोनिया अगले वर्ष अक्टूबर अमरीका में सेन फ्रांसिस्को स्थित कार्यालय में नौकरी ज्वॉइन करेगी. दूसरी तरफ सोनिया इस ऑफर से बेहद खुश है. उसने बताया कि उनकी बड़ी बहन सपना ने भी आईआईएम कोजिकोड से एमबीए किया है. फिलहाल सोनिया बेंगलूरू के एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में र्कायरत हैं. तो उनकी छोटी बहन दीपिका लखनऊ की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से विधि की पढ़ाई कर रही है. बेटियों की इस उपलब्घि के लिए उनके पिता आर के गोयल और मां अनुराधा गोयल उत्साहित हैं. सोनिया अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को देती हैं. सोनिया ने दसवीं 94 और 12 वीं 90 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की है.
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06-01-2013, 05:22 AM | #16 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
सीएसआर के इंडिपेंडेंस स्ट्रीम के रूप में उभरे
[IMG][/IMG] नए कम्पनी बिल ने कम्पनियों के लिए कॉपरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी सीएसआर को अनिवार्य बना दिया है। इसके तहत कम्पनियों को नेट प्रॉफिट का नेट प्रॉफिट का 2 फीसदी सोशल वेलफेयर पर खर्च करना होगा। इससे सीएसआर के इंडिपेंडेंट स्ट्रीम के रूप में उभरने की उम्मीद है। कुछ कम्पनियां सीएसआर में ज्यादा इंडिपेंडेंट प्रोफेशनल लोगों को शामिल करने के लिए मौजूदा प्रोग्राम को रिव्यू कर रही हैं। इससे कॉम्पिटिटिव सैलरी, जॉब क्रिएशन और टॉप पर ज्यादा ताकतवर प्रोफेशनल की जरूरत पैदा होगी। इस अमेंडमेंट से इंडिया में सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी सेक्टर को ज्यादा कॉपरेट अटेंशन अट्रैक्ट करने में मदद मिलेगी। इससे फाइनैन्शल और ह्यूमन कैपिटल में कैपिटल में ज्यादा इन्वेस्टमेंट होगा। अगर शुरूआत में टॉप पर थोडी हलचल देखने को मिलती है, तो भी आखिकार इससे कॉपरेट्स में सीएसआर की बडी टीम बनेगी। ब्रांड स्ट्रैटिजी के साथ सीएसआर को अजस्ट करने के पिरामिट के टॉप पर ज्यादा जॉब्स क्रिएट होंगे। अगर कम्पनी को मौजूदा प्रोग्राम को बढाने की जरूत महसूस होती है, तो वह और प्रोफेशनल्स हायर करेगी। जो कम्पनियां ऎवरेज नेट प्रॉफिट का 2 फीसदी सीएसआर पर खर्च नहीं कर पाएंगी, उन्हें इसकी वजह बतानी होगी। उन पर कार्रवाई की जा सकती है। पेनल्टी भी लगाई जा सकती है। अभी ज्यादातर कम्पनियो में सीएसआर ऎक्टिविटीज दूसरे मैनेटमेंट एरिया मसलन-एचआर, मार्केटिंग और कॉपरेट कम्युनिकेशन का हिस्सा हैं। कुछ कम्पनियां कम्युनिटी के साथ मिलकर इसके लिए काम कर रही हैं। वहीं, कुछ इसे सिर्फ टैक्स चुकाने की तरह कानूनी खानापूर्ति मानती हैं। हालांकि, कुछ ऎसी भी कम्पनियां हैं, जिनसे बिजनेस से सीएसआर गहरा जुडा हुआ है।
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06-01-2013, 05:24 AM | #17 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
नया साल का खुमार और नौकरियों की बहार
नया साल नई नौकरियों के लिए बडी सौगात लेकर आया है। सूत्रों के अनुसार नए साल में कंपनियां 10 लाख से अधिक नियुक्तियां कर सकती हैं। साथ ही इस साल वेतन में 10 से 15 फीसदी तक की बढोतरी की संभावना नजर आ रही है। मानव संसाधन सलाहकारों के अनुमान के मुताबिक, 2013 में नई नौकरियों के अधिक अवसर उपलब्ध होंगे। नियुक्ति को लेकर कंपनियों का रूझान पिछले साल के मुकाबले सकारात्मक और बेहतर रहेगा। माना जा रहा है कि नए साल में अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं मंदी के दौर से बहार निकल आएंगी, जिससे घरेलू अंतरराष्ट्रीय बाजार में नौकरियों के अधिक अवसर बनेंगे। उद्योग जगत के अनुमान के मुताबिक 2012 में आर्थिक अनिश्चित के बावजूद करीब 7 लाख रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए। नए साल में में यह आंकडा कम से कम 5-6 लाख से लेकर से लेकर 10 लाख से अधिक नई नौकरियों के अवसर बनेंगे। आर्थिक अस्थिरता के साथ-साथ कई अन्य कारणों से 2012 ना तो नियोक्ता के लिए अच्छा रहा, ना ही नौकरी तलाश रहे लोगों के लिए अच्छा साबित हुआ। वैश्चिक आर्थिक मंदी के चलते 2012 में बनी रही स्थिरता के बाद इस साल भारतीय रोजगार बाजार का परिदृश्य मध्यम गति से रफ्तार पकडेगा। हालांकि, अन्य देशों के मुकाबले भारत की स्थिति नियुक्तियों के मामले में बेहतर रहेगी। खचोंü में कटौती की धारण और आर्थिक परिदृश्य के चलते इस साल अधिकांश सेक्टरों में वेतन वृद्धि प्रदर्शन के हिसाब से 10 से 15 फीसदी तक हो सकती है।
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06-01-2013, 05:32 AM | #18 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
एमबीए में कòरियर के लिए बेस्ट ऑप्शन
फाइनैंस एमबीए करना सही विकल्प हो सकता है। फाइनैंस में एमबीए करना सही ऑप्शन हो सकता है। पर यह भी सच है कि इसकी पढाई करने वाले स्टूडैन्टस को अमूमन किसी सीए की तुलना में क्वांटिटेटिव फाइनैंस, टैक्सेशन और ऑडिट जैसे अह्म टॉपिक्स की जानकारी कम ही होती है। जबकि मार्केट टें्रड और मांग को देखते हुए इन्हें जानना भी काफी जरूरी है। सुपर स्पेशियलिटी वाले एमबीए दरअसल एमबीए प्रोग्राम की फिलोसफी के ही खिलाफ जाते हैं, उदाहरण के लिए फाइनैंस में एमबीए को लें। इसे करने वाले छात्र को किसी सीए की तुलना में क्वांटिटेटिव फाइनैंस, टैक्सेशन और ऑडिट आदि की जानकारी कम होती है। इसके बावजूद कंपनियां अभी भी वित्त में एमबीए कोर्स किए हुए लोगों को नियुक्त करती हैं। यह साबित करता है कि एंप्लायर्स किसी खास टॉपिक की समझवाले एंप्लाई की जगह वास्ट नॉलेज वाले लोगों को रखना पसंद करते हैं। ऎसे में आज सुपर स्पेशियलिटी वाले एमबीए कार्यक्रमों से फिलहाल बचा जाए तो बेहतर है, क्योंकि ऎसे प्रोग्राम अमूमन किसी मैनेजमेंट प्रोग्राम की मूल भावना का उल्लंघन करते हैं।
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06-01-2013, 08:09 AM | #19 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
नकारात्मक सोच से ऐसे बचें
सकाराकता अपने आपमें सफलता, संतोष और संयम लेकर आती है। व्यक्ति मूलतः सकारात्मक ही रहता है, परंतु कई बार नकारात्मक कदमों के कारण असफलता हाथ लग जाती है। इस असफलता का व्यक्ति पर कई तरह से असर पड़ता है। वह भावनात्मक रूप से टूटता है, वहीं इन सभी का असर उसके व्यक्तित्व पर भी पड़ता है। व्यक्तित्व पर असर लंबे समय के लिए पड़ता है तथा व्यक्ति कई बार अवसाद में भी चला जाता है। ऐसी स्थिति से बाहर आने में काफी लंबा समय भी लग सकता है। नकारात्मकता से आखिर कैसे बचे? क्योंकि प्रोफेशनल वर्ल्ड में हमें तरह-तरह के लोगों से मिलना पड़ता है। साथ ही अपने आपको प्रतिस्पर्धा के इस युग में आगे बनाए रखने के लिए भी तरह-तरह के जतन करना पड़ते हैं। ऐसे में हम अपने आपको सकारात्मक बनाए रखने के लिए स्वयं ही प्रयत्न कर सकते हैं। परिस्थितियों को पहचानें अक्सर हमारे में मन में कोई भी आवश्यक कार्य या कोई बिजनेस मीटिंग के पूर्व नकारात्मक विचार आते हैं कि अगर ऐसा हुआ तो? अगर मीटिंग सफल नहीं हुई तब? मेरा फर्स्ट इम्प्रेशन गलत पड़ गया तो फिर क्या होगा? इस प्रकार के प्रश्न मन में आते जरूर हैं। इनसे पीछा छुड़ाने के लिए इन बातों का अध्ययन करें कि आखिर ये प्रश्न कौन-सी परिस्थितियों में उपजते हैं। इन परिस्थितियों में संभलना सीखें जिन परिस्थितियों में नकारात्मक विचार आते हैं, उनसे सही तरीके से सामना करना सीखें। इस बात की तरफ ध्यान दें कि इन परिस्थितियों के दौरान अब आप पहले जैसी प्रतिक्रिया नहीं देंगे और इस दौरान संयमित होकर स्वयं के सफल होने की ही कामना स्वयं से करेंगे। स्वयं से तर्क करना सीखें नकारात्मकता का जवाब सकारात्मकता के अलावा कुछ भी नहीं हो सकता यह बात मन में बैठा लें। इसके बाद जो भी नकारात्मक विचार मन में आए उसके साथ तर्क करना सीखें और वह भी सकारात्मकता के साथ। जिस प्रकार से नकारात्मक विचार लगातार आते रहते हैं, ठीक उसी तरह से आप स्वयं से सकारात्मक विचारों के लिए स्वयं को प्रेरित करें। परिणाम आप पर निर्भर करते हैं अगर आपने ध्यान सकारात्मकता पर केंद्रित कर लिया तब न केवल अच्छे विचार आएँगे, बल्कि आप स्वयं के प्रति दृढ़ प्रतिज्ञ हो पाएँगे। यह स्थिति आते ही आपके कार्यों पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ना आरंभ हो जाएगा। एक बार आपके मन में सकारात्मकता के विचार आना आरंभ हो गए तब आप अपने आपमें स्वयं ही परिवर्तन देखेंगे और यह परिवर्तन आपके साथियों को भी नजर आने लगेगा। सकारात्मकता के कारण ही कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को आगे बढ़ने का मौका देती हैं। यही नहीं, कंपनियाँ अब इस बात को पहले इंटरव्यू में ही जान लेती हैं कि आने वाले व्यक्ति का स्वभाव कैसा है। क्या वह सकारात्मकता में विश्वास रखता है कि नहीं? वह नकारात्मक परिस्थितियों में किस प्रकार की प्रतिक्रिया देता है? क्या वह केवल दिखावे के लिए सकारात्मकता का चोला ओढ़े हुए है? कोई भी कंपनी ऐसा कर्मचारी नहीं रखना चाहती, जिसकी नकारात्मक विचारधारा हो। इस कारण थिंक पॉजीटिव...एक्ट पॉजीटिव।
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06-01-2013, 08:10 AM | #20 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
अपने आप से समझौता न करें अच्छा जॉब पाना और उसके लिए लगातार मेहनत करना किसी प्रतियोगी परीक्षा के लिए वह भी पूर्ण लगन के साथ। आपने लगन के साथ मेहनत की है पर परिणाम नकारात्मक आ रहा है। आप क्या करेंगे? मेहनत करना छोड़ देंगे या अपना लक्ष्य बदल देंगे? यह स्थिति प्रत्येक युवा के सामने आती है। सफलता प्राप्ति का दबाव एक असफलता के बाद जरा ज्यादा ही हो जाता है। व्यक्ति स्वयं से प्रश्न पूछने लगता है कि आखिर कहाँ गड़बड़ हो गई? दरअसल व्यक्ति कई बार इस प्रकार की स्थिति होने पर पलायनवादी मानसिकता अपना लेता है। वह असफलता से इतना डर जाता है कि पुन: उस रास्ते पर जाने की वह हिम्मत नहीं जुटा पाता। वह अपने आप से समझौता करने लगता है कि शायद पेपर ही कठिन था या जॉब इंटरव्यू में उससे ज्यादा काबिल लोग आए थे। इतनी मेहनत करना मेरे बस की बात नहीं आदि। वह अपने आपको ही तर्क देने लगता है और मेहनत से जी चुराने के लिए प्रेरित करने लगता है। जबकि यही समय होता है आत्मविश्लेषण करने का, अपनी कमियों को स्वयं के सामने रखने का और सफलता से पुन: प्रेम करने का। * असफलता अंत नहीं परीक्षा या जॉब न पाने की असफलता का मतलब अंत नहीं है। असफलता का मतलब होता है कि बस अब आप सफलता के लिए तैयार हो रहे हैं। रोजाना की जिंदगी में हमें कई ऐसे लोग मिलते हैं जिन्होंने आरंभिक रूप से असफलता पाई परंतु समय के साथ उन्होंने तर्कों की कसौटी पर सफलता को ऊँचा ही रखा और पुन: अपने आपको प्रेरित कर मेहनत करने लगते हैं। वे असफलता को अपने आप पर हावी नहीं होने देते। * एक ही लक्ष्य असफलताओं से होता हुआ रास्ता ही सफलता के नजदीक पहुँचाता है। असफलता आपको बताती है कि कहाँ गड़बड़ हो गई और अगले प्रयास में कहाँ ज्यादा मेहनत करना है। इससे आपको अपने लक्ष्य की प्राप्ति में काफी आसानी हो जाती है। क्योंकि लक्ष्य और भी सटीक और सामने नजर आने लगता है ऐसा लक्ष्य जो पहले से ज्यादा नजदीक है। लक्ष्य की निकटता आपको *और *अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है। * असफलता भी सभी के साथ बाँटें अक्सर हम असफलता को दुनिया से छिपाते हैं। इसके परिणाम काफी घातक सिद्ध होते हैं। जब सफलता को हम सभी को बताना चाहते हैं तब असफलता को छुपाने से हम स्वयं ही ऐसे विचारों के द्वंद्व में खो जाते हैं जहाँ से केवल असफलता ही नजर आने लगती है। असफलता मिलने का मतलब है कि आपने प्रयास किया और क्या प्रयास करने को भी आप दुनिया के सामने नहीं लाना चाहेंगे। असफलता को अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ बाँटें, हो सकता है कि आपको वे ऐसी राय दें जिसके बारे में आपने कभी कल्पना ही न की हो। इससे मन भी नकारात्मक विचारों से हल्का हो जाएगा जिससे ताजे और सकारात्मक विचारों के लिए आपके मन में जगह बन पाएगी और आप पुन: सफलता के लिए अपने प्रयास तेज कर देंगे।
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