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Old 20-02-2015, 06:47 PM   #11
Rajat Vynar
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Talking Re: आक्षेप का पटाक्षेप

क्षेप लगाने वालों ने तो तुलसीदास के रामचरितमानस पर भी लगाया है। सुन्दरकाण्ड की चौपाई 'ढोल गवांर सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी।' सदा से विवादास्पद रही है। चौपाई के पक्ष में तर्क देने वाले टीकाकारों ने 'ताड़ना' का अर्थ बदलकर 'शिक्षा' कर दिया और चौपाई की व्याख्या करते हुए लिखा- 'ढोल, गंवार, शूद्र, पशु और स्त्री- ये सब शिक्षा के अधिकारी हैं'। वहीं पर चौपाई के पक्ष में तर्क देने वाले कुछ लोगों ने यहाँ तक कह दिया कि चौपाई में कही हुई बात विप्र रूप में आए हुए समुद्र ने कही है और समुद्र कोई ज्ञानी-महात्मा नहीं था जो एकदम सटीक बात कहता। अतः इसमें गलती महामूर्ख समुद्र की है। तुलसीदास ने तो सिर्फ़ समुद्र के विचार लिखे हैं, अपने नहीं। अतः इसमें तुलसीदास की कोई गलती नहीं है। स्पष्ट है- किसी को कोई पसन्द हो तो उसके पक्ष में हज़ार तर्क दिए जा सकते हैं और नापसन्द हो तो उसके विपक्ष में हज़ार तर्क दिए जा सकते हैं। यह कटु सत्य है कि '…अन्त में लोग वही सुनते हैं जो वे सुनना चाहते हैं', अतः सूत्रों पर लगे आक्षेप का पटाक्षेप करते हुए 'सूत्रों का विवादास्पद अंश अथवा सम्पूर्ण सूत्र हटाने के अनुरोध' के साथ गेंद रजनीश जी के पाले में फेंक दी गई है। हास्य-व्यंग्य में निहित एक राज़ की बात भी बताते चलें। हास्य-व्यंग्य में किसी न किसी की भावनाएँ थोड़ा बहुत तो आहत होती ही हैं। विवाद तो पी.के. मूवी पर भी उठा था।
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Old 20-02-2015, 06:51 PM   #12
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Talking Re: आक्षेप का पटाक्षेप

क गम्भीर चर्चा के बाद चलिए, चलते-चलते कुछ नया सुनाकर आप सभी को हँसा दें-


मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में एक कहानी बहुत मशहूर है। एक आदमी हमेशा जिन्ना के खिलाफ बोलता रहता था।



जिन्ना के सेक्रेटरी ने एक दिन उनसे कहा- 'आप क्यों नहीं उस आदमी के खिलाफ अपना बयान देते?'

जिन्ना ने कहा- 'अगर मैं उसके खिलाफ बोलूँगा तो वो बड़ा आदमी बन जाएगा। इसलिए दाँत पीसना ही सही रास्ता है!'
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Old 20-02-2015, 06:52 PM   #13
Rajat Vynar
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Talking Re: आक्षेप का पटाक्षेप

निम्न वीडियो में तमिलनाडु, दक्षिण भारत के एक मन्दिर के पुजारी द्वारा जीवित बकरे का खून पीना एक धार्मिक कृत्य होने के कारण निःसन्देह धार्मिक आस्था का विषय है और प्रश्नचिह्न से परे है-




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Old 20-02-2015, 06:54 PM   #14
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Talking Re: आक्षेप का पटाक्षेप

सी तरह का एक और वीडियो-

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Old 20-02-2015, 06:55 PM   #15
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Talking Re: आक्षेप का पटाक्षेप

आप सभी को धन्यवाद।
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Old 20-02-2015, 11:07 PM   #16
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Default Re: आक्षेप का पटाक्षेप

रजत जी , बात दरसल आक्षेप लगाने की नहीं थी....और सुरा पान भी मेरी नजर में कोई बडा मुद्दा नहीं है.....बात है चरित्र-चित्रण की......सोचिये जिन देवी को निरोगी काया प्राप्त करने हेतु पूजा जाता हो ,उन्हें ईबोला फैलाने का कोन्ट्रैक्ट मिले(जिससे लोग उन्हें पूज सकें)......कोई भी देवी हों , वो डायन के जैसी दिखें ......भगवान के मन में भी आम इन्सान की ही तरह पैसे का लालच हो....तो ये सारी बातें थोडी आपत्तिजनक लग सकती हैं।

आप जानते ही हैं कि धर्म हमेशा से हर व्यक्ति के लिये sensitive issue रहा है.....और आज के समय में हम publicly जो भी लिखते हैं , उसे जिम्मेदारी से लिखना चाहिये क्योंकि search engine पर कुछ शब्द टाइप करते ही हमारे लेख सार्वजनिक हो जाते हैं , कोई भी व्यक्ति ढूँढ सकता है , कोई भी पढ सकता है.....तो क्या छवि पेश कर रहे हैं हम अपने देवी-देवताओं की सबके सामने???
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Old 21-02-2015, 11:30 AM   #17
Deep_
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Default Re: आक्षेप का पटाक्षेप

अभी अभी प्राप्त हुए समाचार...

श्री तो***ड़ीया जी ने एक सुबह बहूत बडी सभा आयोजित की थी...जीसमें धार्मिक लोग, पुजारी, कर्मकाण्डी, वक्ता और हमारा प्यारा मिडीया मौजुद था।




उन्हों ने रजत जी का वह विवादास्पद लेख हटाने की मांग की है । यहां तक की किसी बाबा ने तो जब तक यह लेख हटाया न जाएगा तब तक अनशन करने की पैरवी भी कर दी है।

ईस मामले में सभी राजकीय पार्टी और अभी अभी साफ हुई पार्टी भी आपस में भीड गई है। सभी यह कह रहें है की रजत जी सामने वाली पार्टी से मिले हुए है!!!

जब मिडीयावालों ने रजत जी से बात करने की कोशिश की और ईस लेख के बारे में खुलासा मांगा तो रजत जी ने ईतना ही कहा की वे ईस मामले के बारे में अलग सुत्र में ही बताएंगे।

सौजन्य 'दैनिक फेक समाचार'

Last edited by Deep_; 21-02-2015 at 11:34 AM.
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Old 24-02-2015, 03:06 PM   #18
Rajat Vynar
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Talking Re: आक्षेप का पटाक्षेप

वेदान्त के अनुसार “एकं ब्रह्म, द्वितीय नास्ते नेः न नास्ते किञ्चन।” – अर्थात्, परमेश्वर एक है, दूसरा नहीं है, नहीं है, नहीं है, बिल्कुल भी नहीं है। इसी से मिलती-जुलती बातें ऋग्वेद, अथर्ववेद और उपनिषद में भी लिखी है। इन परिस्थितियों में ३३ करोड़ देवी-देवताओं की अवधारणा हिन्दू धर्म का एक संदेहास्पद तथ्य है। चारों वेद ही हिन्दू धर्म के प्रामाणिक ग्रन्थ माने जाते हैं, क्योंकि ईश्वर ने चार ऋषियों अग्नि , वायु, आदित्य और अंगिरा के ह्रदय में प्रकाश करके वेद का ज्ञान दिया।

यदि मैं अपनी हास्य रचना में लिखूँ कि देवी-देवता आपस में लड़ने लगे तो पवित्रा जी तुरन्त अपना आक्षेप लगाएंगी। तब मुझे इनसे यह कहना होगा कि हिन्दुओं में शैव और वैष्णव नामक दो संप्रदाय हैं। ये दोनों सम्प्रदाय क्रमशः शिव और विष्णु को ईश्वर मान कर उनकी पूजा करते हैं। इन दोनों संप्रदायों के अलग धार्मिक ग्रंथ हैं। भागवत पुराण वैष्णव (विष्णु भक्तों) का धार्मिक ग्रंथ है और भागवत पुराण में शिव और शैवों की अपमानजनक निंदा करते हुए लिखा है-

'भवव्रतधरा ये च ये च तान् समनुव्रताः
पाषण्डिनस्ते भवन्तु सच्छास्त्रपरिपन्थि।' [भागवतपुराण 4/2/28]


अर्थात्- जो शिव का व्रत करने वाले हैं या जो उस के अनुयायी हैं, वे सत शास्त्रों के द्वेषी और नास्तिक हैं।

'मुमुक्षवो घोररूपान् हित्वा भूतपतीनथ,
नारायणकलाः शान्ताः भजन्तीत्यनसूयवः।' [भागवतपुराण 1/2/26]


अर्थात्- अतः मुक्ति चाहने वाले लोग शिव की भयंकर मूर्तियों को त्याग कर नारायण (विष्णु) की शांत कलाओं का ध्यान करते हैं।

दूसरी ओर शैव ग्रंथ सौरपुराण में भगवान विष्णु की निन्दा की गई है-

'चतुर्दशविद्यासु गीयते चन्द्रशेखरः
तेन तुल्यो यदा विष्णुः ब्रह्मा वा यदि गद्यते
षष्टिवर्षसहस्राणि विष्ठायां जायते कृमिः।' [सौरपुराण 40/15,17]

अर्थात्- चौदह विद्याएँ शिव का गुणगान करती हैं। जो व्यक्ति विष्णु को या ब्रह्मा को शिव के बराबर का बताता है, वह इस अपराध के कारण 60 हजार वर्षों तक मल का कीड़ा बनता है।


स्पष्ट है- देवी-देवताओं के मध्य आपसी वैमनस्य है। इन परिस्थितियों में यदि हम हास्य के उद्देश्य से देवी-देवताओं को आपस में लड़ता हुआ दिखाएँ तो इसमें किसी को आक्षेप नहीं करना चाहिए। 'गधा मॉंगे इन्साफ़' में हमने यही किया भी है, मात्र हास्य के उद्देश्य से!
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Last edited by Rajat Vynar; 24-02-2015 at 06:46 PM.
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Old 24-02-2015, 03:50 PM   #19
Deep_
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Default Re: आक्षेप का पटाक्षेप

Quote:
Originally Posted by rajat vynar View Post
स्पष्ट है- देवी-देवताओं के मध्य आपसी वैमनस्य है। इन परि... [/size]
ईस से यह स्पष्ट हो रहा है की अनुयायीओं के बीच में वैमनस्य है।
अगर परमेश्वर और देव-देवता है भी तो वे कभी यह नहीं उजागर नहीं करेंगे की किसकी पदवी कोन सी है!

वैसे यह तो मैने भी कहीं पढा था की पुरातनकाल में वैष्णव, शिवपंथी, रामपंथी और कृष्णपंथी के बीच आपस में धर्मयुध्द हुए है। लेकिन पता नहीं यह कितना सच है।
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Old 24-02-2015, 05:17 PM   #20
bheem
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