08-01-2013, 12:26 PM | #11 |
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Re: धोनी ने सात युवा खिलाडि़यों के साथ किया अन
शमी, भुवनेश्वर और पुजारा हैं उदाहरण जहीर खान के गिरते फॉर्म और इरफान पठान जैसे अहम गेंदबाजों की खराब फिटनेस देख कर अकसर यह सवाल उठता रहा कि इनके बाद तेज गेंदबाजी की कमान कौन संभालेगा। बोर्ड ने युवा गेंदबाजों को मौका दिया और उन्होंने खुद को साबित करके दिखा दिया। मेरठ के भुवनेश्वर कुमार और अमरोहा के शमी अहमद इसका अच्छा उदाहरण हैं। भुवनेश्वर ने अपनी स्विंग से सभी को प्रभावित किया। गेंद पर उनका कंट्रोल देख कर पाकिस्तान के दिग्गज वसीम अकरम भी प्रभावित हुए। पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज में भुवनेश्वर भारत के अहम गेंदबाज साबित हुए। वहीं दिल्ली वनडे में अशोक डिंडा के स्थान पर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने युवा सनसनी शमी अहमद को मौका दिया। शमी ने इस मौके को भुनाते हुए रिकॉर्डतोड़ शुरुआत की। उन्होंने अपनी 9 ओवरों की गेंदबाजी में 4 ओवर मेडन डाले। पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले में जब टार्गेट 167 रन जितना छोटा हो, तब अंतिम ओवरों का दबाव दिग्गजों को भी लाइन-लेंथ भुला देता है। लेकिन शमी ने इस दबाव से उबरते हुए डेथ ओवर्स में मेडन ओवर डाला। साथ ही उन्होंने सईद अजमल का विकेट भी चटकाया। भारतीय टीम में रिप्लेसमेंट के नाम पर कुछ घिसे पिटे नाम सामने आते हैं। जो कि अंदर आने के बाद जिसके स्थान पर वे आए हैं उससे भी घटिया प्रदर्शन करते हैं। रोहित शर्मा, रवींद्र जडेजा और पीयूष चावला कुछ ऐसे नाम बन गए हैं जिन पर चयन होते ही फैन्स जोक्स बनाने लगते हैं। पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज में जडेजा ने बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन इसके बावजूद ट्विटर पर उनका मजाक बनता रहा। शमी, भुवनेश्वर और चेतेश्वर पुजारा का टीम में मौका मिलने के बाद अच्छा प्रदर्शन करना इस बात की ओर इशारा करता है कि यदि खिलाड़ियों को मौके दिए जाएंगे तो वे प्रदर्शन भी करके दिखाएंगे। बिना आजमाए किसी खिलाड़ी को बाहर रख कर बोर्ड और चयनकर्ता टीम के मिशन वर्ल्ड कप 2015 का कबाड़ा कर रहे हैं।
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08-01-2013, 12:26 PM | #12 |
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Re: धोनी ने सात युवा खिलाडि़यों के साथ किया अन
क्या आईपीएल है सही पैमाना? चेतेश्वर पुजारा, शमी अहमद और भुवनेश्वर कुमार ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें या तो अधिक आईपीएल मैच खेलने के मौके नहीं मिले या फिर वे किसी आईपीएल टीम का हिस्सा नहीं। घरेलू क्रिकेट में सॉलिड परफॉर्मेंस देने के बाद ही वे इंटरनेशनल लेवल पर छाप छोड़ने में सफल हुए हैं। वहीं यदि रोहित शर्मा, रवींद्र जडेजा और चावला जैसे आईपीएल स्टार्स की ओर देखा जाए तो वे ताबड़तोड़ क्रिकेट में तो बेहतर खेलते हैं, लेकिन तकनीक के मामले में गच्चा खा जाते हैं। पाकिस्तान की वर्ल्ड क्लास स्विंग के आगे भारतीय बल्लेबाजों की तकनीक का पुलिंदा खुलना इसी ओर इशारा है। इसके बावजूद चयकर्ता रणजी से अधिक तवज्जो आईपीएल परफॉर्मेंस को दे रहे हैं। टी-20 क्रिकेट में परफॉर्मेंस कभी टेस्ट और वनडे जैसे वर्ल्ड क्लास फॉर्मेट्स में चयन का आधार नहीं हो सकता। जीवनजोत सिंह, अभिषेक नायर और मुकुल डागर जैसे बेहतरीन खिलाड़ियों का नजरअंदाज होना यह जताता है कि सेलेक्टर्स रणजी से ज्यादा आईपीएल की चमक में खोए हुए हैं।
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