18-03-2012, 11:51 AM | #11 | |
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Re: क्या एकता के लिए एक जैसा होना जरुरी है?
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इतिहास गवाह है की जो भी देश एक धर्म लेकर चला वो काफी तरक्की नहीं कर सका है. पाकिस्तान को देखिये जिन्ना इसको सेकुलर राज्य बनाना चाहते थे, लेकिन जल्द ही उनकी मृत्यु हो गयी और पाकिस्तान एक इस्लामिक देश बन गया और देखिये क्या हालत है वहाँ पर. और जहां तक मुस्लिम तुष्टिकरण का मामला है, यह तो अपने नेताओं की कारस्तानी है, कुछ लोग हिन्दू तुष्टिकरण करते है और कुछ मुस्लिम तुष्टिकरण. और केरल में चुनाव हो तो इसाई तुष्टिकरण भी करते है लोग..
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18-03-2012, 12:01 PM | #12 | |
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Re: क्या एकता के लिए एक जैसा होना जरुरी है?
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मैं करीब ५ साल से बंगलोर में हूँ, और हर जगह हिंदी से काम चल जाता है. हिंदी आज देश के कोंनेक्टिंग भाषा हो गयी है. पिछले ६५ साल में हर प्रधान मंत्री ने १५ अगस्त को लाल किले पर हिंदी में भाषण दिया है चाहे वो कन्नड़ बोलने वाले देव गौड़ा हो या तेलगु बोलने वाले नरसिंह राव. अंग्रेजी की अपनी जगह बन गयी है भूमंडलीकरण के कारण. पर अंग्रेजी की अपनी लिमिट है वो कभी ही हिंदी का मुकाबला नहीं कर सकती.
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18-03-2012, 12:51 PM | #13 | |
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Re: क्या एकता के लिए एक जैसा होना जरुरी है?
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18-03-2012, 12:56 PM | #14 | |
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Re: क्या एकता के लिए एक जैसा होना जरुरी है?
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01-04-2012, 11:18 PM | #15 |
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Re: मन का झरोखा
जेनरल की जंग
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01-04-2012, 11:19 PM | #16 |
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Re: मन का झरोखा
पिछले कई दिनों से जेनरल वी के सिंह सुर्खियों में रहे हैं. मुद्दा काफी गंभीर है, देश की रक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ खड़े हुए हैं. २ महत्वपूर्ण बातें हुई हैं.
१. जेनरल वी के सिंह के एक साक्षात्कार में खुलासा किया की उन्हें एक सेना के ही retired सैनिक ने १४ करोड़ की रिश्वत की पेशकश की. २. जेनरल वी के सिंह के लिखा गया एक गोपनीय पत्र मीडिया में लीक हो गया. यह पत्र जेनरल ने प्रधान मंत्री को लिखा था जिसमे उन्होंने सेना की कुछ समस्याओं का जिक्र किया था. इन मुद्दों पर बात करने से पहले एक बात जान ले की सेना के लिए हथियार खरीदने की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की होती है. सेना कभी कोई हथियार खुद नहीं खरीदती, वो केवल किसी भी हथियार को खरीदने की दर्खावस्त देती है और फिर सरकार फैसला करती है की कौन सा हथियार ख़रीदे या ना ख़रीदे. ऐसे में कोई घोटाला होता है तो कमाई सबसे ज्यादा रक्षा मंत्रालय के बाबु लोग और नेताओ की होती है. जेनरल वी के सिंह ने इन्ही खरीद फरोक्त में गड़बड़ियो की तरफ सब का ध्यान दिलाया है. चिट्टी कहा से लीक हुई. क्या यह लीक जेनरल वी के सिंह की तरफ से हुई या रक्षा मंत्रालय का इसमें हाथ है. कुछ ही महीने पहले प्रणव मुख़र्जी की चिट्टी लीक हुई थी. किसने लीक की थी, अभी तक पता नहीं चला. लेकिन एक बात साफ़ है सरकारी तंत्र चिट्टी लीक करने में हमेशा से ही आगे रहा है. वैसे यह बड़ा सवाल नहीं है की चिट्टी किसने लीक की, बड़ा सवाल यह है की हथियारों की खरीदारी में भ्रष्टाचार हो रहा है, भारतीय सेना के पास अच्छे हथियारों की कमी है. जेनरल वी के सिंह की चिट्टी से जो सवाल खड़े हुए है उसके जवाब आज १२० करोड़ भारतवासी केंद्र सरकार से मांग रहे हैं. रक्षा मंत्री ए के अंटोनी ने इस मामले की जांच के लिए CBI को कहा है, अंटोनी के संसद में कहा की जेनरल ने लिखित शिकायत नहीं की, और उस व्यक्ति के खिलाफ भी कुछ नहीं किया. मेरा मानना है की रक्षा मंत्री सेनाध्यक्ष का बॉस होता है ऐसे में जिम्मेदारी रक्षा मंत्री की ही होती है की वो शिकायत पर कार्यवाई करे. फ़रवरी २०१० में जेनरल वी के सिंह ने टेट्रा ट्रक के सौदे (दर्खावस्त) पर मुहर लगाने से इनकार कर दिया था क्योकि उन्हें इसकी काफी गड़बड़ियो के बारे में पता चला था. आखिरकार ऐसा क्या हुआ था? आइये मैं बताता हूँ. beml (भारत Earth movers लिमिटेड), जो की एक सरकारी कंपनी है, को इन ट्रक की आपूर्ति का ठेका मिला था. नियमो के मुताबिक़ beml को यह ट्रक सीधे जो कंपनी यह ट्रक बनाती है, उससे खरीदना चाहिए थी, लेकिन beml ने यह ट्रक टेट्रा सिपॉक्स (यूके) लिमिटेड से ख़रीदा, जो की यह ट्रक असली कंपनी से खरीदती है और काफी अधिक दाम पर बेचती है. बहुत लोग ऐसा मानते है की beml ने यह ट्रक टेट्रा सिपॉक्स से इसलिए ख़रीदे क्योंकि उनके उच्च अधिकारियों और नेताओं को टेट्रा सिपॉक्स की तरफ से काफी अच्छी खासी रिश्वत मिली थी. अब यह सब बातें सामने आ रही है तो सब लोग जेनरल वी के सिंह के ही पीछे पड़ गए हैं. किसी ने सही कहा है भलाई का ज़माना नहीं रहा.
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20-04-2012, 07:11 PM | #17 |
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Re: मन का झरोखा
जंगल जंगल पता चला है, मनु जी का नया cd मिला है. हाँ तो खबर यह है अपने बरबोले कांग्रेसी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की cd इन्टरनेट पर आ गयी सब लोग देख रहे हैं और दोस्तों को भी भेज रहे हैं. जिन लोगो ने यह cd देखा है उनका कहना है की यह cd देखकर तो कोई अंधा भी बोल देगा की यह अभिषेक मनु जी हैं. अब मीडिया की बात करते हैं, जो मीडिया अभी कुछ बेचारे भाजपा नेताओ के अश्लील फोटो और विडियो देखने पर इतनी हाय तौबा मचा रहा था वो अब बिलकुल चुप है. अभिषेक जी ने कोर्ट से अपने विडियो को ना प्रचारित करने का फैसला भी निकलवा लिया है, आखिरकार बड़े वकील जो ठहरे. मीडिया ने कुछ दिन पहले कर्नाटक के ३ विधायको के ऊपर टिपण्णी की था की "This is the real chaal, charitra & chehra of बीजेपी, अब वो लोग क्यों कुछ नहीं बोल रहे हैं. मगर अभिषेक मनु जी यह बात भूल गए की आज टीवी और अखबार का बाप इन्टरनेट भी एक चीज़ है जहाँ दूध का दूध और पानी का पानी होते देर नहीं लगती और वही हुआ, इनका विडियो लोग काफी मज़े ले कर देख रहे हैं. यहाँ जो मैंने अभिषेक मनु का जो फोटो लगाया है, वो किसी interview के वक़्त टीवी पर आ गया था, आज यह चित्र कितना प्रासंगिक है, यह आप खुद ही सोच सकते हैं. वैसे क्या इस प्रकरण के बाद अभिषेक मनु का राजनैतिक सफ़र समाप्त हो गया है क्या? यह एक बड़ा सवाल है.
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21-04-2012, 01:01 AM | #18 |
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Re: मन का झरोखा
बड़े अच्छे लगते है...* आपको पता है क्या, टेलीविजन सीरियल बड़े अच्छे लगते है में आखिरकार राम कपूर और साक्षी तंवर ने सेक्स कर ही लिया, इसी बात पर हो जाए तालियाँ. इसमें सबसे अच्छी बात यह रही की राम कपूर को सालो बाद कुछ व्यायाम करने का मौका मिल गया. सीरियल का शीर्षक भी राम कपूर को ध्यान में रखकर ही रखा गया है, बड़े अच्छे लगते हैं. वैसे इस सीरियल की कहानी भी कुछ इस तरह से ही थी की पति और पत्नी में आखिरकार सेक्स होगा की नहीं. इस सीरियल के सेक्स के चक्कर में बहुत लोगो का सेक्स लॉन्ग पेंडिंग था. पर आखिरकार कत्ल की रात आ ही गयी और भारतीय टीवी के इतिहास में पहली बार एक पति और पत्नी ने ऐसा काम कर दिया जो को आज तक किसी ने नहीं किया था (टीवी पर), जी हाँ दोस्तों, पति पत्नी के सेक्स कर लिया. और यह सीरियल सुपरहिट हो गया. सेक्स सीन वाला विडियो इन्टरनेट पर viral भी हो गया. और हम भारतीय एक अधेड़ दंपत्ति के सेक्स को देख कर भी excited हो गए. इसको कहते हैं अंग्रेजी में सेक्स starved nation . खैर जो भी हो, इस दिन पप्पू को बीच में पापा ने बोला की जाओ पानी पी कर आओ, पप्पू बोला मैंने तो अभी अभी खाने के बाद पानी पिया है, फिर से क्यों पियु. पापा बोले जाओ मेरे लिए पानी ले कर आओ. मुझे अभी पानी पीना है. पप्पू बेचारा पानी लेने चला गया. और मन ही मन गुस्से में बोला, पापा को क्या लगता है मैं अभी बच्चा हूँ, मैंने भी सविता भाभी के सभी कॉमिक्स पढ़े हैं और अन्तर्वासना का रजत सदस्य भी हूँ. आप ही देखिये अपना बोरिंग किसिंग सीन मैं चला सविता भाभी का नया कॉमिक्स पढने, आज ही अपलोड हुआ है. आखिर में जाते जाते आपको बता दूं उस दिन सीरियल का नाम बार बार ब्रेक के दौरान बदल रहा था, पहले ब्रेक से पहले सीरियल का नाम था खड़े अच्छे लगते हैं, दुसरे ब्रेक के बाद था बड़े अच्छे लगते हैं, और जब सेक्स सीन हो गया तो सीरियल का नाम हो गया पड़े अच्छे लगते हैं. * Contains strong language/sex references along with non-detailed sexual activity.
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24-08-2012, 10:20 AM | #19 |
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Re: मन का झरोखा
अभिजी ठहर क्यूँ गए ? लिखते जाओ भाई !!! बड़ा ही सुन्दर लिखते है आप...
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