22-09-2013, 08:23 PM | #11 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: लम्बी कहानी/ रक्तबीज
ऐल्बर्ट को विश्वास हो गया कि मैं व बिल एक ही व्यक्ति के रक्तबीज हैं और सम्भवत: हमारे जैसा कोई एक अन्य रक्तबीज इंटरनेशनल जालसाज भी है। उसने दूसरे दिन कोर्ट में मेरी गिरफ्*तारी पर अपनी भूल स्वीकारते हुए मेरे विरुद्ध अभियोग रद्द करने का प्रार्थना-पत्र दे दिया और मेरा पासपोर्ट भी वापस कर दिया। हम दोनों से केवल यह वचन लिया कि असली जालसाज की गिरफ्*तारी तक हम दोनों रक्तबीज होने का रहस्य अपने तक सीमित रखें और अन्य व्यक्तियों के सामने कभी साथ-साथ न देखे जावे। उसने अनुरोध किया कि फियोना को भी यही हिदायत कर दी जावे अन्यथा इंटरपोल की जाँच में बाधा पड़ेगी। उसने हमसे यह वादा किया कि हमारे अन्य रक्तबीज भ्राताओं के विषय में ज्ञात होने पर वह हमें बतायेगा। |
22-09-2013, 08:26 PM | #12 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: लम्बी कहानी/ रक्तबीज
इसके बाद बिल और फियोना ने मुझे जिद करके अपने साथ एक दिन और रोका और मुझे आशातीत प्रेम दिया। अपने न्यूयार्क स्थित कार्यालय को फोन कर मैंने एक दिन बाद वहाँ कार्य प्रारम्भ करने की अनुमति प्राप्त कर ली। मैंने भारत में अपने माता-पिता को भी तद्*नुसार सूचित कर दिया, परन्तु अपने बंदी बनाये जाने व बिल का अपने रक्तबीज होने के विषय में कुछ नहीं बताया।
न्यूयार्क में मुझे सुपर कम्प्यूटर पर प्रशिक्षण दिया जाने लगा। मैंने अपने को इसके लिये भाग्यशाली समझा। मेरी इस कार्य में रुचि की सभी द्वारा प्रशंसा भी की जाने लगी। कभी-कभी मैं बिल से टेलीफोन पर अवश्य बात कर लेता था परन्तु ऐल्बर्ट ने लगभग तीन वर्ष तक मुझसे कोई सम्पर्क नहीं किया। इस बीच मुझे विभिन्न कान्फरेंसेज (सम्मेलन) में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों, अत्याधुनिक प्रकार के परमाणु बम पर शोध करने वाले कम्प्यूटर विशेषज्ञों एवं इन्फर्मेशन सुपर-हाईवे पर कार्य करने वाले वैज्ञानिकों से विभिन्न विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान करने व एक-दूसरे से कुछ सीखने का अवसर मिला। मुझे इस सब में आँतरिक आनंद आता और मैं अपना ज्ञान एवं योग्यता को और अधिक बढ़ाने हेतु जुटा रहता। तभी एक दिन न्यूयार्क से ऐल्बर्ट का टेलीफोन मेरे लिये आया और उसने रात को मेरे घर पर आकर मुझसे अकेले में वार्ता करने हेतु समय लिया। मेरे घर आने पर मैंने उसकी आँखों में प्रसन्नता की एक चमक देखी। औपचारिक वार्तालाप के उपरान्त उसने कहा "मैंने इस बीच तुमसे सम्पर्क स्थापित नहीं किया था परन्तु मैं तुम पर निगाह रखे हुए था और आश्वस्त हो गया हूँ कि गोपनीयता रखने में तुम पर पूर्णत: विश्वास किया जा सकता है। तुम्हारी ही तरह बिल भी मेरी इस परीक्षा में खरा उतरा है। दूसरी बड़ी प्रसन्नता की बात यह है कि मैंने न केवल तुम चारों रक्तबीजों के एक साथ प्रोफेसर फ्रेडरिक द्वारा सृजित किये जाने की पुष्टि कर ली है वरन्* शेष दोनों रक्तबीजों का पता भी लगा लिया है।" |
22-09-2013, 08:27 PM | #13 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: लम्बी कहानी/ रक्तबीज
"प्रोफेसर फ्रेडरिक को रक्तबीज पैदा करने हेतु एक देश की सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी ने गुप्त रूप से बहुत सा धन दिया था परन्तु उसने शर्त लगा दी थी कि उनका रक्तबीज सृजन पर कार्य करना एवं उसकी सफलता अथवा असफलता की बात पूर्णत: गुप्त रखी जावे। चारों रक्तबीज शिशु बन जाने पर इसी एजेंसी द्वारा तीन शिशु चुरा लिये गये थे जिससे रक्तबीजों के सृजन की बात कहीं ज्ञात न हो सके। शिशुओं की चोरी से बौखला कर जब प्रोफेसर फ्रेडरिक ने अपनी सफलता का रहस्य खोल दिया, तो उनकी स्विमिंग-पूल में हत्या कर दी गई। चोरी किये हुए तीनों शिशुओं को ग्लास्गो के निकट एक गुप्त स्थान पर पाला जा रहा था और जब वे शिशु चलने-फिरने व खेलने-कूदने लगे तो एक दिन उनमें से एक बालक चुपचाप घर से निकल कर मोटर-वे (राजमार्ग) पर आ गया था। फिर वह बालक नहीं मिल पाया था। अब स्पष्ट हो गया है कि तुम वही बालक हो क्योंकि तुम्हारे ’मम्मी-पापा’ उन दिनों बरमिंघम विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर थे। उन्हें ग्लास्गो-बरमिंघम मोटर-वे पर एक बालक मिला था जिसको किसी ने अपना बालक होने का दावा नहीं किया था और संतानहीन होने के कारण उन्होंने खुशी-खुशी उस बालक को गोद ले लिया था। तभी तुम्हारे ’पापा’ की भारत के एक आई.आई.टी. में एसोसियेट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हो जाने पर तुम्हारे ’मम्मी-पापा’ तुम्हें लेकर वहाँ चले गये थे। वहाँ उन्होंने तुम्हें अपनी संतान होना ही बताया था।"
इतना कहकर ऐल्बर्ट मेरे मनोभावों को पढ़ने हेतु मेरे चेहरे को देखने लगा और फिर मेरी उत्सुकता का आभास पा कर पुन: कहना प्रारम्भ कर दिया. |
22-09-2013, 08:30 PM | #14 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: लम्बी कहानी/ रक्तबीज
ऐल्बर्ट मेज पर रखी व्हिस्की का एक घूँट लेने हेतु रुका और फिर बोला, "बाद में इस इंटेलीजेंस एजेंसी ने शेष दो बालकों को अलग-अलग रखकर पाले जाने का प्रबन्ध किया और उन्हें भविष्य में वांछित उपयोग हेतु अलग-अलग प्रकार का प्रशिक्षण दिया गया। इनमें से एक को अत्याधुनिक परमाणु बमों के निर्माण और इस हेतु सुपर कम्प्यूटर के उपयोग की शिक्षा दी गई। प्रशिक्षणोपरान्त उसे एक गुप्त न्यूक्लिर शोध संस्थान में नियुक्त करा दिया गया। इसे ऐसे संस्कार दिलाये गये कि मानवीय सम्वेदनाओं से रहित सा यह रक्तबीज एजेंसी के एक सम्पर्क-सूत्र द्वारा प्रदत्त धन एवं अनन्य सुविधायें भोगता रहे परन्तु उसके द्वारा दिये गये निर्देशों को ब्रह्म वाक्य मानकर गुप्त रूप से तद्नुसार कार्य करता रहे। मुझे शंका है कि इस रक्तबीज द्वारा ऐसे विनाशकारी बम्ब बनाये जा रहे हैं जो एक विस्फोट में ही समूचे शत्रु देश का सर्वनाश करने में सक्षम हों।"
ऐल्बर्ट ने पुन: रुक कर मरे चेहरे पर अपने द्वारा बताई बात की प्रतिक्रिया जैसे अक्षरश: पढ़ ली और तब आगे बोलना प्रारम्भ किया, "मेरे मस्तिष्क में इस मानव विनाश को रोकने हेतु एक योजना है जिसे केवल तुम्हारे द्वारा ही कार्यान्वित किया जा सकता है। परन्तु यह कार्य न केवल अत्यन्त दुरूह है वरन् खतरे से भरा हुआ भी है। तुम सोचकर बताओ कि क्या तुम इसके लिये तैयार हो।" " मेरे हामी भरने पर उसने कहा, "मैं चाहता हूँ कि तुम अपनी कम्पनी से दो-तीन महीने की छुट्टी लो, फिर मैं किसी तरह इस तीसरे रक्तबीज का अपहरण करवा कर और तुम्हें उसके नाम का आइडेंटिटी कार्ड उपलब्ध कराके उसके न्यूक्लिर शोध संस्थान में उसके स्थान पर कार्य करने हेतु प्रवेश करा दूँगा। वहाँ तुम्हारा कार्य सभी कम्प्यूटरर्स की हार्ड-डिस्क एवं फ्लापी पर उपलब्ध उन सूत्रों को मिटा देना होगा जिसकी सहायता से महाविनाशकारी बम्ब बनाने का कार्य प्रगति पर है।" मैंने बिना किसी हिचक के अपनी सहमति दे दी। तब उसने कहा कि मुझे छुट्टी कब लेनी चाहिये, यह बात वह मुझे अन्य व्यवस्था हो जाने के उपरान्त लगभग एक माह बाद बतायेगा। |
22-09-2013, 08:34 PM | #15 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: लम्बी कहानी/ रक्तबीज
यह कहकर ऐल्बर्ट कुछ विचारों में खो सा गया। कुछ देर बाद मैंने पूछा, "और चौथे रक्तबीज का क्या हुआ?"
"वह भी उसी इंटेलीजेंस एजेंसी का क्रीतदास बन गया है। उसे एजेंसी द्वारा वित्तीय-प्रबन्ध की विशिष्टतम शिक्षा दिलाई गई और साथ ही साथ शारीरिक सुखों में लिप्त रहने एवं मानवीय मूल्यों की सर्वथा अवहेलना करने हेतु प्रशिक्षित किया गया और सर्वप्रथम दक्षिण-पूर्व एशिया के एक देश में स्थापित कर ऐसे सभी देशों, जो इस एजेंसी के देश की नीतियों के विरोधी हैं, में स्टाक-मार्केट में अस्थिरता लाने, राजनीतिज्ञों को उत्कोच दिलाने, जाली करेंसी नोटों की भरमार करवाने आदि उपायों के द्वारा उनकी आर्थिक एवं राजनैतिक व्यवस्था को चौपट करने का कार्य सौंपा गया है। इंटेलीजेंस एजेंसी को बिल के विषय में भी सब कुछ प्रारम्भ से ज्ञात है और उनकी योजना तीसरे या चौथे किसी रक्तबीज का अपराध-रहस्य खुल जाने पर उसके स्थान पर बिल को अपराधी बना देना है, जिससे गहन पूछताछ के दौरान बिल उनकी योजना के विषय में कुछ भी नहीं बता सकेगा और इंटेलीजेंस एजेंसी का रहस्य गुप्त ही रहेगा। चूँकि बिल भी फाइनेंशियल मैनेजमेंट में प्रशिक्षित है अत: चौथे रक्तबीज का नाम इंटेलीजेंस एजेंसी ने बिल ही रक्खा था और दक्षिण-पूर्व एशिया के देश में उसका मूल पता वही दिया गया था जो बिल का था। उसने अपना आर्थिक विनाश का कार्य एक बड़े जनतांत्रिक देश में प्रारम्भ ही किया था कि उसका सुराग इंटरपोल को लग गया था और वह रक्तबीज वहाँ से गायब हो गया था। चूँकि वहाँ नाम व पता बिल का लिखा हुआ था अत: एयर-इंडिया की फ्*लाइट के दौरान मैंने तुम्हें बिल समझ कर बन्दी बना लिया था। अभी कुछ दिन पूर्व मुझे ज्ञात हुआ कि चौथे रक्तबीज ने अब अपना अड्*डा अफ्रीका के एक देश में बनाया है और वहाँ के एक देश में आर्थिक विनाश की गतिविधियाँ चालू कर दी हैं। उसका सुराग लगाकर मैंने उसे बन्दी बनाकर गुप्त स्थान पर रख दिया है और बिल को राजी कर उसके स्थान पर रख दिया है जिससे इंटेलीजेंस एजेंसी को संदेह न हो और आर्थिक विनाशकारी गतिविधियों की योजनाओं की जानकारी भी होती रहे।" |
22-09-2013, 08:41 PM | #16 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: लम्बी कहानी/ रक्तबीज
इतना सब बताने के बाद ऐल्बर्ट कुछ ही देर बार चला गया। जाते समय मुझे पूर्ण गोपनीयता बनाये रखने का निर्देश पुन: दे गया। एक पक्ष के अन्दर ही ऐल्बर्ट का टेलीफोन अर्धरात्रि के समय आया। बिना अपना परिचय दिये उसने कहना प्रारम्भ कर दिया, "मेरी बात ध्यान से सुनो। शोध संस्थान में बनने वाली वस्तु शीघ्र तैयार होने वाली है और तैयार होते ही एक शत्रु देश पर आजमाने का कार्यक्रम बन चुका है। अत: तुम्हें दो दिन में ही योजनानुसार तैयार रहना है।" यह कहकर ऐल्बर्ट ने मेरे द्वारा "ठीक है" कहे जाते ही टेलीफोन काट दिया।
दूसरे दिन मैंने 3 माह की छुट्टी का प्रार्थना-पात्र दिया और उसके अस्वीकृत होने पर अपना त्याग-पात्र भेज दिया। घर आकर ऐल्बर्ट के फोन की प्रतीक्षा करने लगा। रात्रि में उसका फोन आया, "कल दस बजे दिन में नीले रंग की डैट्*सन कार नं06-32-5360 यू.एन.ओ.मुख्यालय के गेट के निकट तुम्हारी प्रतीक्षा करेगी।" उसके बाद फोन कट गया। मेरी वह रात बड़ी बेचैनी से कटी- मेरे मस्तिष्क में अपने भविष्य के खतरों का अहसास था परन्तु स्वयं को मानवता को विनाश से बचाने के योग्य समझे जाने से मन में गर्व का अनुभव भी हो रहा था। सुबह मैं जल्दी-जल्दी तैयार हो गया और केवल अत्यावश्यक सामान लेकर 9 बजे यू.एन.ओ. मुख्यालय को प्रस्थान कर गया। ठीक 10 बजे मुख्यालय के गेट पर आकर एक नीली डैट्*सन खड़ी हो गई। उसकी नम्बर प्लेट पढ़कर जैसे ही मैं उसके पास पहुँचा, उसका पीछे का एक दरवाजा खुल गया और वहाँ बैठे एक व्यक्ति ने मुझे झटपट अन्दर बुला लिया। कार तुरन्त चल दी। |
22-09-2013, 08:42 PM | #17 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: लम्बी कहानी/ रक्तबीज
रास्ते में उस व्यक्ति ने एक भव्य बिल्डिंग का नक्शा दिखाते हुए कहा, "इसमें जहाँ निशान लगा है वही न्यूक्लियर शोध संस्थान का कम्प्यूटर-रूम है। ध्यान से देख लो।" फिर न्यूयार् नगर से बाहर निकलने पर उस व्यक्ति ने कहा, "आशा है तुम बुरा नहीं मानोगे" और यह कहते हुए बिना मेरे उत्तर की प्रतीक्षा किये मेरी आँखों पर पट्टी बाँध दी। मुझे लगभग आधा घंटा तक गाड़ी चलाने के बाद किसी जगह ले जाया गया, जहाँ एक हेलीकाप्टर पर मुझे बिठाया गया और हेलीकाप्टर स्टार्ट हो गया। आँखें बाँध दिये जाने से मैं कुछ भयभीत सा हो गया था परन्तु ऐल्बर्ट पर मुझे इतना विश्वास हो गया था कि मैंने कोई प्रतिरोध नहीं किया।
कई घंटे तक उड़ने के बाद हम कहीं उतरे। उड़ान के दौरान मेरे साथ का व्यक्ति मुझे तीसरे रक्तबीज की आदतों, मैनरिज्म एवं पसंदों के विषय में जानकारी कराता रहा। हेलीकाप्टर से उतरने के बाद मुझे एक कार पर लगभग एक घंटे तक चलाकर ले जाया गया। एक स्थान पर मेरी आँखों की पट्टी को खोलकर मुझे यह कह कर उतार दिया गया कि कुछ दूर आगे बाँयी तरफ शोध संस्थान का बड़ा सा हरे रंग का गेट है, उसमें मुझे इस प्रकार चले जाना है जैसे रोज आता-जाता रहा होऊँ। |
22-09-2013, 08:45 PM | #18 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: लम्बी कहानी/ रक्तबीज
16 अगस्त, 1996 मेरे जीवन का सबसे रोमांचकारी दिन था। मैंने कम्प्यूटर का कोड खोलकर परमाणु बम्ब बनाने की प्रक्रिया के सम्बन्ध में सभी रिकार्ड्स नष्ट कर दिये थे और संस्थान के निकट स्थित एक टेलीफोन-बूथ से ऐल्बर्ट को यह सूचना दे दी थी। ऐल्बर्ट ने कहा था कि ठीक है 3 घंटे बाद मैं उसी बूथ पर मिलूँ। ठीक समय पर उस स्थान पर एक कार आ कर मुझे चुपचाप वहाँ से ले गई। रास्ते में फिर मेरी आँखों पर पट्टी बाँध दी गई और हेलीकाप्टर से मुझे कहीं दूर ले जाया गया। फिर एक स्थान पर हेलीकाप्टर से उतार कर कार से एक निर्जन स्थान पर बने मकान में ले जा कर मेरी पट्टी खोल दी गई। वहाँ ऐल्बर्ट उपस्थित था। उसने मुस्कराते हुए मेरा स्वागत किया और मानवता के हित में एक महान कार्य करने हेतु मुझे बार-बार बधाई दी।
परन्तु इसके बाद उसने गम्भीर मुद्रा में कहना प्रारम्भ किया, "मुझे तुम्हें कुछ दुखपूर्ण सुचनाएँ भी देनी हैं। चौथे रक्तबीज ने गुप्त जेल के संतरियों को झांसा देकर भागने का प्रयत्न किया, और भागते हुए जेल के अधिकारियों की गोली से मारा गया।" यह सुनकर मेरी सारी प्रसन्नता छूमंतर हो गई। ऐल्बर्ट ने मेरा विवर्ण चेहरा देखकर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "मेरी बात अभी पूरी नहीं हुई है। बिल को चौथे रक्तबीज के स्थान पर प्रतिस्थापित किये जाने का रहस्य उस इंटेलीजेंस एजेंसी को ज्ञात हो गया था। |
22-09-2013, 08:46 PM | #19 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: लम्बी कहानी/ रक्तबीज
जब बिल की कार्यवाहियों से एक देश की आर्थिक विनाश की दिशा उलटती प्रतीत होने लगी थी, तब उन्हें संदेह हुआ होगा जो उन्होंने उसके एडिनबरा वाले घर पर अनुपस्थिति की जांचोंपरान्त पुष्ट कर लिया होगा। अत: एक दिन बिल की लाश स्विमिंग-पूल में ऐसे पायी गयी जैसे डूब जाने से मृत्यु हुई हो।" यह सुनकर मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कोई मेरे शरीर से मेरे ही प्राण निचोड़ रहा हो और मेरे नेत्रों से अश्रु ढलकने लगे।
तभी फोन की घंटी बज उठी। ऐल्बर्ट ने फोन उठाया। बात सुनकर उसके मुख पर आश्चर्य व दुख के मिश्रित भाव आये और उसने फोन रख दिया और फिर धीरे से बोला, "तीसरे रक्तबीज ने आत्महत्या कर ली है। उसको सही रास्ते पर लाने हेतु हमारे आदमी प्रतिदिन उसे समझा रहे थे कि उसके द्वारा किये जाने वाले कार्य का परिणाम कितना भयावह एवं क्रूर होगा। इस समझाने का उस पर विद्युत-स्पर्श हो जाने जैसा प्रभाव हो रहा था क्योंकि पहले कभी उसे मानवता से प्रेम करना सिखाया ही नहीं गया था। ऐसा प्रतीत होता है कि ग्लानिवश उसने आज रात्रि हाथ की धमनी काटकर आत्महत्या कर ली है।" कुछ देर हम दोनों शांत बैठे हुए शून्य को निहारते रहे। दोनों के पास जैसे शब्द चुक गये थे। कमरे के वातावरण में कुछ सहजता आने पर ऐल्बर्ट बोला, "तुम्हारे प्राणों को अभी कई वर्ष तक गम्भीर खतरा रहेगा। अत: मैंने तुम्हारे लिये एक गुप्त स्थान पर रहने का प्रबन्ध कर दिया है। छद्म-नाम व छद्म-पते से तुम्हारी कम्प्यूटर कंसल्टेंसी की सेवा लिये जाने का प्रबन्ध एक संस्था में करवा दिया है। तुम्हें कार्यालय नहीं जाना होगा वरन् निवास से ही कम्प्यूटर के नेटवर्क के माध्यम से तुम अपनी सेवायें प्रदान करते रहोगे।" इसके पश्चात् ऐल्बर्ट ने मुझे उस गुप्त स्थान पर भेज दिया। |
22-09-2013, 08:51 PM | #20 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: लम्बी कहानी/ रक्तबीज
एक दिन अचानक ऐल्बर्ट का फोन आया, "कपूर, कैसे हो?" मेरे ठीक-ठाक होने की बात बताने पर उसने आगे कहा, "बिल की मौत का सदमा फियोना को बहुत गहरा लगा। मैं स्वयं भी कुछ हद तक इसके लिये अपने को उत्तरदायी मानता हूँ अत: प्राय: फियोना की खोज खबर लेता रहता हूँ। अब वह कुछ सहज हो पायी है। मैं उससे मिलने कल गया था। मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि उसके मन को अब तुम्हारी तलाश है- वह तुम्हें प्राप्त कर जीवन में आये खालीपन को भरना चाहती है। सोचकर बताना।"
यद्यपि मैं यह आपबीती कहानी इतनी जल्दी उजागर नहीं करना चाहता था क्योंकि मेरे जीवन को खतरा अभी तक पूर्णत: समाप्त नहीं हुआ है परन्तु 7 मार्च, 1997 के ’पायनियर’ नामक दैनिक में "ह्यूमन क्लोनिंग इज पौसिबिल (मानवीय रक्तबीज बनाना सम्भव है)" शीर्षक समाचार जो रायटर (लंदन) जैसी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त समाचार एजेंसी के माध्यम से प्रकाशित किया गया है, को पढ़कर पाठकों को इस वास्तविकता के बताने के उत्तरदायित्व से मुकर नहीं पा रहा हूँ कि मैं एक मानवीय रक्तबीज पहले से सृजित हूँ और मेरे साथ सृजित तीन अन्य रक्तबीजों का अंत हो चुका है- इनमें से दो का उपयोग मानवों के महाविनाश के प्रयत्न हेतु किया जा चुका है और इस प्रयत्न की असफलता संयोग-मात्र ही कही जा सकती है। (समाप्त) |
Bookmarks |
Tags |
रक्तबीज, lambi kahani, raktbeej, vaigyanik katha |
|
|