11-03-2011, 11:47 PM | #11 |
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Re: स्वास्थ्य समाचार
स्वाइन फ्लू की गंभीरता बता सकता है एक्सरे इस्राइली रिसर्चरों ने दावा किया कि छाती के एक्स-रे से बताया जा सकता है कि स्वाइन फ्लू के किस मरीज को ज्यादा खतरा है। तेल अवीव सूरास्काई मेडिकल सेंटर की यह स्टडी बताती है कि स्वाइन फ्लू की पहचान और इलाज में भी एक्सरे अहम भूमिका निभा सकता है। रेडियॉलजी जर्नल में छपी स्टडी में लीड रिसर्चर गैलिट अविरम कहते हैं कि हमने स्वाइन फ्लू प्रभावित 97 मरीजों का एक्सरे किया। इससे से 39 मरीजों के एक्सरे से कई असामान्य चीजें पता चलीं। उनमें से पांच की मौत हुई या फिर उन्हें मिकैनिकल वेंटिलेशन में रखना पड़ा। यानी गंभीरता का प्रतिशत 12.8 रहा। जबकि 58 अन्य मरीजों का एक्सरे नॉर्मल रहा। इनमें से दो की ही मौत हुई यानी गंभीर केस 3.4 फीसदी। मतलब कि अगर एक्सरे में असामान्यता ज्यादा है तो गंभीरता का प्रतिशत भी बढ़ता जाता है। एक्सरे सामान्य है तो केस बिगड़ने की संभावना भी कम
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12-03-2011, 01:40 AM | #12 |
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Re: स्वास्थ्य समाचार
इंजेक्शन लगाओ, फोबिया भूल जाओ
मकड़ी, छिपकली, चूहे, सांप, पानी या ऊंचाई से डरना अब बीती बात होगी। जापानी वैज्ञानिकों का दावा है कि वह दिन दूर नहीं, जब सिर्फ एक इंजेक्शन इस तरह के किसी भी फोबिया को छूमंतर कर देगा। यूनिवर्सिटी ऑफ हिरोशिमा के वैज्ञानिकों ने इस स्टडी को अंजाम दिया है। प्रफेसर मासायूकी योशिदा के मुताबिक, यह इंजेक्शन सीधे हमारे दिमाग के फियर सेंटर पर असर कर उसे स्विच ऑफ कर देता है और उसे री-प्रोग्राम कर डर को भुला देता है। स्टडी बताती है कि फोबिया और कुछ नहीं, बचपन का डर है जो बाद में आदत में शुमार हो जाता है। जापान की यह स्टडी उन लोगों के बड़े काम आएगी, जो किसी न किसी फोबिया की वजह से रोजमर्रा की जिंदगी में परेशान हैं। प्रफेसर योशिदा कहते हैं कि एक दिन हमारा यह अचेतन फोबिया बिसरी बात बनकर रह जाएगा। जरा महसूस कीजिए आपको मकड़ी, शार्क, उड़ने या ऊंचाई से डर लगता है तो बस एक इंजेक्शन आपके उस डर को दूर कर देगा और आप निडर होकर उन चीजों का मजा उठा सकेंगे, जो अब तक आपके लिए किसी भूत से कम नहीं थे। प्रफेसर योशिदा ने गोल्डफिश पर अपनी इस स्टडी को अंजाम दिया। माना जाता है कि गोल्डफिश और स्तनपायी के दिमाग में काफी समानता है। गौरतलब है, इंसान भी स्तनपायी है। इसलिए गोल्डफिश पर इस इंजेक्शन की कामयाबी ने इंसानी डर को दूर करने की राह खोल दी है। प्रफेसर योशिदा ने प्रयोग के दौरान गोल्डफिश को हल्का शॉक दिया और उस दौरान उसके टैंक पर लाइट फ्लैश की। इससे गोल्डफिश ने यह सीखा कि जब भी लाइट जलती है उसे करंट लगता है। इस तरह उसने लाइट को करंट से जोड़ लिया। फिर तो करंट न भी दो, सिर्फ लाइट फ्लैश कर दो तो वह गोल्डफिश डरने लगी। इस दौरान उसकी हार्ट बीट कम हो जाती। लेकिन इंसान जब डरता है तो उसकी हार्ट बीट बढ़ जाती है। आपने खुद महसूस किया होगा कि कितनी तेजी से दिल धड़कता है। रिसर्चर ने फिर डरी हुई गोल्डफिश के बेन के सेरिब्रेलम हिस्से में लिडकेन नाम की ऐनस्थेटिक ड्रग का इंजेक्शन लगाया। इसके बाद लाइट फ्लैश करने का टेस्ट फिर किया। लेकिन अब कि गोल्डफिश पर कोई असर नहीं पड़ा। वह डरी नहीं। उसकी हार्ट बीट भी नॉर्मल रही। प्रफेसर योशिदा कहते हैं कि गोल्डफिश से दिमागी समानता होने की वजह से जल्द ही इंसानों के लिए ऐसे इंजेक्शन बन जाएंगे, जो उनके डर को नौ दो ग्यारह कर देंगे। इस इंजेक्शन का असर जैसे ही दूर होगा गोल्डफिश फिर पहले की तरह हो जाएगी। इस स्टडी को बायोमेड सेंट्रल्स जर्नल में पब्लिश किया गया है।
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12-03-2011, 02:24 AM | #13 |
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Re: स्वास्थ्य समाचार
खुशखबरी: वैज्ञानिकों ने ढूंढा एड्स का इलाज
वैज्ञानिकों की एक इंटरनैशनल टीम ने एड्स का इलाज खोजने का दावा किया है। इस टीम ने एक ऐसा जिनेटिक तरीका खोजा है जिसके इस्तेमाल से शरीर खुद ब खुद एचआईवी वायरस से मुक्ति पा लेगा। इस टीम को ऑस्ट्रेलिया और कनाडा की सरकारों का समर्थन है। वैज्ञानिकों ने चूहों पर ये एक्सपेरिमेंट किए थे। इसके तहत वे चूहों के इम्यून सिस्टम या प्रतिरोधक क्षमता को इस हद तक बढ़ाने में कामयाब हुए कि सिस्टम ने वायरस को नाकाम कर दिया और उसे शरीर से निकाल फेंका। इस प्रयोग के केंद्र में socs-3 नाम का जीन था। जब शरीर में एचआईवी जैसा गंभीर इन्फेक्शन होता है तो यह जीन बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है और आश्चर्यजनक तौर पर खुद इम्यून सिस्टम को बंद कर देता है। इस वजह से वायरस बिना रोकटोक फलता फूलता है। जब वैज्ञानिकों ने आईएल-7 नाम के एक हॉर्मोन का लेवल बढ़ाया तो socs-3 जीन ने काम करना बंद कर दिया और चूहे ने धीरे-धीरे एचआईवी वायरस को शरीर से बाहर कर दिया। गौरतलब है कि एड्स वायरस की सबसे बड़ी खूबी है कि यह हमारे इम्यून सिस्टम को नाकाम कर देता है। चूहे पर हुए ताजा प्रयोग के बाद वैज्ञानिकों के दिल में नए किस्म के इलाज की उम्मीद जगी है। उन्हें भरोसा है कि इस तरह से न केवल एचआईवी बल्कि हेपटाइटिस बी, सी और टीबी जैसे गंभीर इन्फेक्शन का भी इलाज हो सकेगा। टीम लीडर डॉ. मार्क पैलेग्रिनी का कहना है एचआईवी और हेपटाइटिस बी, सी के वायरस हमारे इम्यून सिस्टम को इतना थका देते हैं कि वह बजाय उनसे लड़ने के हथियार डाल देता है। हमारी अप्रोच यह थी कि किसी तरह इम्यून सिस्टम को थकाने वाले कारक की पहचान करके उससे जुड़े जीन में ऐसी फेरबदल की जाए कि प्रतिरोधक क्षमता फिर से काम करने लगे और इन्फेक्शन का मुकाबला करे। अब ऐसी दवाएं डिवेलप की जाएंगी जो socs-3 जैसे जीन्स पर कारगर हों और उनके काम करने के तरीके को बदल सके।
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12-03-2011, 06:09 AM | #14 |
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Re: स्वास्थ्य समाचार
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12-03-2011, 11:25 AM | #15 |
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Re: स्वास्थ्य समाचार
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है पानी पानी पीने के फायदों को जानते हुए भी अगर आपने अभी तक रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की आदत नहीं डाली है तो अब जरा पानी को लेकर सीरियस हो जाइए। एक स्टडी में पता लगा है कि पानी हमें ज्यादा अलर्ट रखता है। यही नहीं हमारे ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है। वैंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के रिसर्चरों ने एक स्टडी में पाया कि पानी पीने से हमारे नर्वस सिस्टम की एक्टिविटी बढ़ जाती है जिससे हम ज्यादा अलर्ट रहते हैं। इसी कारण हमारा ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है और एनर्जी का खर्च भी। इन रिसर्चरों ने सबसे पहले पानी और ब्लड प्रेशर का यह रिश्ता 10 साल पहले बेरोरफ्लेक्सेज खो चुके पेशंट्स में देखा था। बेरोरफ्लेक्सेज वह सिस्टम है जो ब्लड प्रेशर को नॉर्मल रेंज में रखता है। लीड रिसर्चर प्रोफेसर डेविड रॉबर्टसन के मुताबिक, यह ऑब्जर्वेशन हमारे लिए बिल्कुल हैरानी की बात थी क्योंकि अब तक स्टूडेंट्स को यही पढ़ाया जाता था कि पानी का ब्लड प्रेशर पर कोई इफेक्ट नहीं होता। हालांकि जिन युवाओं में बेरोरफ्लेक्सेज सलामत होता है उनमें पानी से ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता। पर रिसर्चरों ने यह भी पाया कि पानी सिंपैथटिक नर्वस सिस्टम एक्टिविटी को बढ़ाता है और ब्लड वेसल्स को टाइट करता है।
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12-03-2011, 11:32 AM | #16 |
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Re: स्वास्थ्य समाचार
म्यूजिक थेरपी से स्ट्रोक के पेशंट्स का इलाज लंबे समय से माना जाता है कि म्यूजिक सुनने से टेंशन में कमी आती है पर अब एक नई रिसर्च का दावा है कि इससे स्ट्रोक पेशंट्स के इलाज में मदद मिल सकती है। उनका दावा है कि इसका दिमाग पर स्ट्रॉन्ग इफेक्ट पड़ता है। रिसर्चरों ने म्यूजिक थेरपी के फायदों पर हुईं कई स्टडीज के रिव्यू के बाद पाया कि स्ट्रोक पेशंट्स पर यह वाकई काम करती है। इससे उनके मूवमेंट में काफी सुधार भी होता है। ध्यान हो कि हर साल करीब 2 करोड़ लोग स्ट्रोक के शिकार होते हैं। कई लोगों को दिमागी चोट आ जाती है जिससे उनके मूवमेंट और लैंग्वेज अबिलिटी पर असर पड़ता है। इससे उनकी क्वॉलिटी लाइफ पर बुरा असर पड़ता है। म्यूजिक थेरपिस्ट को भी ऐसी तकनीक मालूम होती है जो ब्रेन फंक्शंस को स्टिमुलेट करती है और पेशंट्स की हालत सुधारती है। इसमें सबसे आम तकनीक है रिदमिक ऑडिटरी स्टिमुलेशन (आरएएस)। यह रिद्म और मूवमेंट के कनेक्शंस से जुड़ी है। इसमें पेशंट्स की मूवमेंट को स्टिमुलेट करने के लिए एक खास टेंपो के म्यूजिक का इस्तेमाल किया जाता है। विभिन्न रिसर्चों का रिव्यू करने पर देखा गया कि आरएएस थेरपी से पेशंट्स की चलने-फिरने की स्पीड में औसतन 14 मीटर प्रति मिनट का सुधार हुआ। बाकी स्टैंडर्ड मूवमेंट थेरपी में इसके मुकाबले कम सुधार देखा गया। एक ट्रायल में आरएएस से हाथों के मूवमेंट में भी सुधार आया। हाथ को कोहनी से मोड़ने में भी इस थेरपी से मदद मिली।
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12-03-2011, 04:15 PM | #17 |
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Re: स्वास्थ्य समाचार
बहुत ही उम्दा और ज्ञानवर्धक सूत्र है. सिकंदर जी का इस सूत्र को बनाने के liye बहुत बहुत धन्यवाद.
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12-03-2011, 04:17 PM | #18 |
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Re: स्वास्थ्य समाचार
अच्छा सूत्र है एक दम ऊपर से गया मेरे
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12-03-2011, 04:28 PM | #20 |
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Re: स्वास्थ्य समाचार
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