28-02-2014, 11:39 PM | #11 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
यह भविष्य आराम करने और दम लेने के लिए नहीं है, बल्कि निरंतर प्रयत्न करने के लिए है, जिससे कि हम उन प्रतिज्ञाओं को, जो हमने इतनी बार की हैं और उसे जो आज कर रहे हैं, पूरा कर सकें। भारत की सेवा का अर्थ करोड़ों पीडितों की सेवा है। इसका अर्थ दरिद्रता और अज्ञान और अवसर की विषमता का अंत करना है। हमारी पीढ़ी के सबसे बड़े आदमी की यह आकांक्षा रही है कि प्रत्येक आँख के प्रत्येक आँसू को पोंछ दिया जाए। ऐसा करना हमारी शक्ति से बाहर हो सकता है, लेकिन जब तक आँसू हैं और पीड़ा है, तब तक हमारा काम पूरा नहीं होगा। इसलिए हमें काम करना हैं और परिश्रम से करना है, जिससे कि हमारे स्वप्न पूरे हों। ये स्वप्न भारत के हैं,लेकिन ये संसार के लिए भी हैं, क्योंकि आज सभी राष्ट्र और लोग आपस में एक-दूसरे से इस तरह गुँथे हुए हैं कि कोई भी बिलकुल अलग होकर रहने की कल्पना नहीं कर सकता। शांति के लिए कहा गया है कि वह अविभाज्य है। स्वतंत्रता भी ऐसी ही है और अब समृद्धि भी ऐसी है और इस संसार में, जिसका अलग-अलग टुकड़ों में विभाजन संभव नहीं, संकट भी ऐसा ही है। भारत के लोगों से, जिनके हम प्रतिनिधि हैं, हम अनुरोध करते हैं कि विश्वास और निश्चय के साथ वे हमारा साथ दें। यह क्षुद्र और विनाशक आलोचना का समय नहीं है, असद्भावना या दूसरों पर आरोप लगाने का भी समय नहीं है। हमें स्वतंत्र भारत की विशाल इमारत का निर्माण करना है, जिसमें आपकी संतानें रह सकें। महोदय मैं यह प्रस्ताव उपस्थित करने की आज्ञा चाहता हूँ - यह निश्चय हो कि - 1. आधी रात के अंतिम घंटे के बाद, इस अवसर पर उपस्थित संविधान सभा के सभी सदस्य यह शपथ लें - ‘इस पवित्र क्षण में जबकि भारत के लोगों ने दु:ख झेलकर और त्याग करके स्वतंत्रता प्राप्त की है, मैं, जो कि भारत की संविधान सभा का सदस्य हूँ, पूर्ण विनयपूर्वक भारत और उसके निवासियों की सेवा के प्रति, अपने को इस उद्देश्य से अर्पित करता हूँ कि यह प्राचीन भूमि संसार में अपना उपयुक्त स्थान ग्रहण करे और संसार व्यापी शांति और मनुष्य मात्र के कल्याण के निमित्त अपना पूरा और इच्छापूर्ण अनुदान प्रस्तुत करे।’ 2. जो सदस्य इस अवसर पर उपस्थित नहीं हैं, वे यह शपथ (ऐसे शाब्दिक परिवर्तनों के साथ जो कि सभापति निश्चित करें) उस समय लें, जबकि वे अगली बार इस सभा के अधिवेशन में उपस्थित हों। **
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17-03-2014, 05:40 PM | #12 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
लाल बहादुर शास्त्री
1965 जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद देश के प्रधानमंत्री बने लाल बहादुर शास्त्रीने 1965 में पाकिस्तान युद्ध के समय एक जनसभा में 'जय जवान, जय किसान' का नारा दियाथा। उन्होंने अनाज के संकट से जूझ रहे देश से हफ्ते में एक दिन उपवास रखने कानिवेदन किया था। शास्त्री खुद भी एक दिन उपवास रखते थे। असर शास्त्री का नारा बहुत मशहूर हुआ और आज भी लोग इसे दोहराते हैं। भारत ने तमाममुश्किलों के बावजूद खाद्यान्न संकट का भी सामना किया और 1965 में पाकिस्तान कोपरास्त भी किया।
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17-03-2014, 05:42 PM | #13 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
इंदिरा गांधी
1971 इंदिरा गांधी ने 1971 के आम चुनावों में अपने विरोधियों को चौंकाते हुए इंदिराहटाओ के नारों के जवाब में एक जनसभा में कहा था, 'वे कहते हैं इंदिरा हटाओ। मैंकहती हूं गरीबी हटाओ।' असर इंदिरा गांधी की अगुवाई में उनकी पार्टी ने 1971 के आम चुनावों में शानदार जीतदर्ज कर केंद्र में सरकार बनाई थी। **
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17-03-2014, 05:47 PM | #14 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
जयप्रकाश नारायणद्वारा सम्पूर्ण क्रान्ति का आह्वान
5 जून, 1974 गांधी मैदान, पटना जयप्रकाश नारायण ने पटना के गांधी मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित करतेहुए कहा था, 'यह क्रांति है, दोस्तो। हम यहां सिर्फ विधानसभा भंग कराने नहीं आएहैं। यह हमारे रास्ते का सिर्फ एक पत्थर भर है। हमें बहुत आगे जाना है। आज़ादी के 27 सालों बाद भी इस देश के लोग भूख, महंगाई, भ्रष्टाचार और नाइंसाफी से तंग हैं।हमें संपूर्ण व्यवस्था बदलनी होगी। इसके लिए संपूर्ण क्रांति चाहिए। इससे कम कुछ भीनहीं।' असर जयप्रकाश नारायण के आंदोलनों से घबराकर इंदिरा गांधी की सरकार ने 1975 में देशमें आपातकाल लगा दिया था। लेकिन 1977 में इंदिरा को आपातकाल हटाना पड़ा और आमचुनावों में उनकी करारी हार हुई। **
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17-03-2014, 06:00 PM | #15 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी ने 1996 मेंपहली बार केंद्र में सरकार बनाई थी। लेकिन बहुमत न जुटा पाने की वजह से 13 दिनोंमें यह सरकार एक वोट से गिर गई थी। प्रधानमंत्री के तौर पर अपने 13 दिनों के पहलेकार्यकाल के बाद इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी नेलोकसभा में कहा था, 'हमारा क्या अपराध है। हमें क्यों कठघरे में खड़ा किया जा रहाहै? यह जनादेश ऐसे ही नहीं मिला है। इसके पीछे वर्षों की संघर्ष है, साधना है।एक-एक सीटों वाली पार्टियां कुकुरमुत्ते की तरह उग आती हैं। राज्यों में आपस मेंलड़ती हैं, दिल्ली में आकर एक हो जाती हैं। हम देश की सेवा के कार्य में जुटेरहेंगे। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि जो कार्य हमने अपने हाथों में लिया है, उसेपूरा किए बिना विश्राम नहीं करेंगे। अध्यक्ष महोदय, मैं अपना त्यागपत्र राष्ट्रपतिको देने जा रहा हूं।' असर बतौर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के इस जज्बाती भाषण का दूरगामी असर हुआ।इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी 1998 और 1999 में प्रधानमंत्री बने।
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19-03-2014, 07:34 PM | #16 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
The specific MP whose vote defeated BJP govt was from Manipur.
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21-03-2014, 09:52 PM | #17 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
सिंगापूर मे आजाद हिंद फ़ौज के सामने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का दिया गया एतिहासिक भाषण [सन् 1941 में कोलकाता सेनेताजी सुभाष चन्द्र बोसअपनी नजरबंदी से भागकर ठोस स्थल मार्ग से जर्मनी पहुंचे, जहां उन्होंने भारत सेना का गठन किया। जर्मनी में कुछ कठिनाइयां सामने आने पर जुलाई 1943 में वे पनडुब्बी के जरिए सिंगापुर पहुंचे। सिंगापुर में उन्होंने आजाद हिंद सरकार (जिसे नौ धुरी राष्ट्रों ने मान्यता प्रदान की) और इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किया। मार्च एवं जून 1944 के बीच इस सेना ने जापानी सेना के साथ भारत-भूमि पर ब्रिटिश सेनाओं का मुकाबला किया। यह अभियान अंत में विफल रहा, परंतु बोस ने आशा का दामन नहीं छोड़ा। जैसा कि यह भाषण उद्घाटित करता है, उनका विश्वास था कि ब्रिटिश युद्ध में पीछे हट रहे थे और भारतीयों के लिए आजादी हासिल करने का यही एक सुनहरा अवसर था। यह शायद बोस का सबसे प्रसिद्ध भाषण है। इंडियन नेशनल आर्मी के सैनिकों को प्रेरित करने के लिए आयोजित सभा में यह भाषण दिया गया, जो अपने अंतिम शक्तिशाली कथन के लिए प्रसिद्ध है]
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21-03-2014, 09:58 PM | #18 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
दोस्तों! बारह महीने पहले पूर्वी एशिया में भारतीयों के सामने 'संपूर्ण सैन्य संगठन' या 'अधिकतम बलिदान' का कार्यक्रम पेश किया गया था। आज मैं आपको पिछले साल की हमारी उपलब्धियों का ब्योरा दूंगा तथा आने वाले साल की हमारी मांगें आपके सामने रखूंगा। परंतु ऐसा करने से पहले मैं आपको एक बार फिर यह एहसास कराना चाहता हूं कि हमारे पास आजादी हासिल करने का कितना सुनहरा अवसर है। अंग्रेज एक विश्वव्यापी संघर्ष में उलझे हुए हैं और इस संघर्ष के दौरान उन्होंने कई मोर्चो पर मात खाई है। इस तरह शत्रु के काफी कमजोर हो जाने से आजादी के लिए हमारी लड़ाई उससे बहुत आसान हो गई है, जितनी वह पांच वर्ष पहले थी। इस तरह का अनूठा और ईश्वर-प्रदत्त अवसर सौ वर्षो में एक बार आता है। इसीलिए अपनी मातृभूमि को ब्रिटिश दासता से छुड़ाने के लिए हमने इस अवसर का पूरा लाभ उठाने की कसम खाई है।
हमारे संघर्ष की सफलता के लिए मैं इतना अधिक आशावान हूं, क्योंकि मैं केवल पूर्व एशिया के30लाख भारतीयों के प्रयासों पर निर्भर नहीं हूं। भारत के अंदर एक विराट आंदोलन चल रहा है तथा हमारे लाखों देशवासी आजादी हासिल करने के लिए अधिकतम दु:ख सहने और बलिदान देने के लिए तैयार हैं। दुर्भाग्यवश, सन्1857के महान् संघर्ष के बाद से हमारे देशवासी निहत्थे हैं, जबकि दुश्मन हथियारों से लदा हुआ है। आज के इस आधुनिक युग में निहत्थे लोगों के लिए हथियारों और एक आधुनिक सेना के बिना आजादी हासिल करना नामुमकिन है। ईश्वर की कृपा और उदार नियम की सहायता से पूर्वी एशिया के भारतीयों के लिए यह संभव हो गया है कि एक आधुनिक सेना के निर्माण के लिए हथियार हासिल कर सकें। >>>
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21-03-2014, 10:01 PM | #19 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
इसके अतिरिक्त, आजादी हासिल करने के प्रयासों में पूर्वी एशिया के भारतीय एकसूत्र में बंधे हुए हैं तथा धार्मिक और अन्य भिन्नताओं का, जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने भारत के अंदर हवा देने की कोशिश की, यहां पूर्वी एशिया में नामोनिशान नहीं है। इसी के परिणामस्वरूप आज परिस्थितियों का ऐसा आदर्श संयोजन हमारे पास है, जो हमारे संघर्ष की सफलता के पक्ष में है - अब जरूरत सिर्फ इस बात की है कि अपनी आजादी की कीमत चुकाने के लिए भारती स्वयं आगे आएं। 'संपूर्ण सैन्य संगठन' के कार्यक्रम के अनुसार मैंने आपसे जवानों, धन और सामग्री की मांग की थी। जहां तक जवानों का संबंध है, मुझे आपको बताने में खुशी हो रही है कि हमें पर्याप्त संख्या में रंगरूट मिल गए हैं। हमारे पास पूर्वी एशिया के हर कोने से रंगरूट आए हैं - चीन, जापान, इंडोचीन, फिलीपींस, जावा, बोर्नियो, सेलेबस, सुमात्रा, मलाया, थाईलैंड और बर्मा से।
आपको और अधिक उत्साह एवं ऊर्जा के साथ जवानों, धन तथा सामग्री की व्यवस्था करते रहना चाहिए, विशेष रूप से आपूर्ति और परिवहन की समस्याओं का संतोषजनक समाधान होना चाहिए। हमें मुक्त किए गए क्षेत्रों के प्रशासन और पुनर्निर्माण के लिए सभी श्रेणियों के पुरुषों और महिलाओं की जरूरत होगी। हमें उस स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए, जिसमें शत्रु किसी विशेष क्षेत्र से पीछे हटने से पहले निर्दयता से 'घर-फूंक नीति' अपनाएगा तथा नागरिक आबादी को अपने शहर या गांव खाली करने के लिए मजबूर करेगा, जैसा उन्होंने बर्मा में किया था। सबसे बड़ी समस्या युद्धभूमि में जवानों और सामग्री की कुमुक पहुंचाने की है। यदि हम ऐसा नहीं करते तो हम मोर्चो पर अपनी कामयाबी को जारी रखने की आशा नहीं कर सकते, न ही हम भारत के आंतरिक भागों तक पहुंचने में कामयाब हो सकते हैं। >>>
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21-03-2014, 10:03 PM | #20 |
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Re: मार्टिन लूथर किंग-" I have a dream "
आपमें से उन लोगों को, जिन्हें आजादी के बाद देश के लिए काम जारी रखना है, यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि पूर्वी एशिया - विशेष रूप से बर्मा - हमारे स्वातंय संघर्ष का आधार है। यदि यह आधार मजबूत नहीं है तो हमारी लड़ाकू सेनाएं कभी विजयी नहीं होंगी। याद रखिए कि यह एक 'संपूर्ण युद्ध है - केवल दो सेनाओं के बीच युद्ध नहीं है। इसलिए, पिछले पूरे एक वर्ष से मैंने पूर्व में 'संपूर्ण सैन्य संगठन' पर इतना जोर दिया है। मेरे यह कहने के पीछे कि आप घरेलू मोर्चे पर और अधिक ध्यान दें, एक और भी कारण है। आने वाले महीनों में मैं और मंत्रिमंडल की युद्ध समिति के मेरे सहयोगी युद्ध के मोरचे पर-और भारत के अंदर क्रांति लाने के लिए भी - अपना सारा ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। इसीलिए हम इस बात को पूरी तरह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आधार पर हमारा कार्य हमारी अनुपस्थिति में भी सुचारु रूप से और निर्बाध चलता रहे। साथियों एक वर्ष पहले, जब मैंने आपके सामने कुछ मांगें रखी थीं, तब मैंने कहा था कि यदि आप मुझे 'संपूर्ण सैन्य संगठन' दें तो मैं आपको एक 'एक दूसरा मोरचा' दूंगा। मैंने अपना वह वचन निभाया है। हमारे अभियान का पहला चरण पूरा हो गया है। हमारी विजयी सेनाओं ने निप्योनीज सेनाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर शत्रु को पीछे धकेल दिया है और अब वे हमारी प्रिय मातृभूमि की पवित्र धरती पर बहादुरी से लड़ रही हैं।
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