31-10-2010, 11:55 PM | #11 |
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गाड़ी में इक शख्स ने अखबार क्या लिया
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अच्छा वक्ता बनना है तो अच्छे श्रोता बनो, अच्छा लेखक बनना है तो अच्छे पाठक बनो, अच्छा गुरू बनना है तो अच्छे शिष्य बनो, अच्छा राजा बनना है तो अच्छा नागरिक बनो |
31-10-2010, 11:59 PM | #12 |
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जिसकी आवाज़ में सलवट हो निगाहों में चुभन
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नही जोडा करते -गुलज़ार
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01-11-2010, 12:01 AM | #13 |
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आये हे बैकसी-ए-इश्क पे रोना ग़ालिब
किस के घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद
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01-11-2010, 12:19 AM | #14 |
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जिंदगी की बात सुनकर क्या कहें
इक तमन्ना थी जो अब तकाजा बन गयी
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01-11-2010, 12:32 AM | #15 |
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सभी यह सोचते क्यों हैं कि उन्होंने आईना देखा /
यह राज की बात है कि 'जय' किसने क्या देखा //
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
01-11-2010, 12:58 AM | #16 |
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हमको भी हमराह लेते जाईये
एक से अच्छा है दो का काफिला
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01-11-2010, 01:17 AM | #17 |
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सत्य की कठिन डगर पे चल पड़े हो तुम
यह सत्य है कि आज तुम एकाकी रहोगे मित्र! अगर इस राह को तुम नहीं छोड़ोगे विश्वास है, 'जय' गाँधी सा नेतृत्व करोगे
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05-11-2010, 11:53 AM | #19 |
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06-11-2010, 02:10 PM | #20 |
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शेरो शायरी
तू अल्फाज की चादर ओढ़ के हरुफ की सूरत निकले फिर भी एहबाब ओ गैर तुझे पहचानते नही
बज्म ए इश्क मे गर तेरा जिक्र न छेडूं तो हाजरीन ए महफिल बुरा मानते हैँ हांला के हाल ए दिल किसी पर बयान नही किया सहर वाले मुझे दिवाना ही गरदानते नही इसे मुहब्बत की इन्तेहा कहूं या पागलपन दीदार ए यार के बाद भी मिठाई बांटते नही तेरे हुश्न को कितनी गजलोँ और नज्मोँ मे छुपाऊं मेरी जान लोग मेरा मुञजा ए शुकुं जानते हैँ ...
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