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Old 18-10-2011, 04:30 PM   #11
ravi sharma
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Default Re: हास्य कविताएँ

कब तक नारी यूं दहेज की बली चढाई जाएगी



कब तक यूं खूनी दलदल में, धंसा रहेगा मनुज समाज

कब तक औरत को रौंदेगा, ये दहेज का कुटिल रिवाज



कब तक इस समाज में अंधी, रीत चलाई जाएगी

कब तक नारी यूं दहेज की, बली चढाई जाएगी



नारी पूजा, नारी करुणा, नारी ममता, नारी ज्ञान

नारी आदर्शों का बंधन, नारी रूप रंग रस खान



नारी ही आभा समाज की, नारी ही युग का अभिमान

वर्षों से वर्णित ग्रंथों में, नारी की महिमा का गान



नारी ने ही प्यार लुटाया, दिया सभी को नूतन ज्ञान

लेकिन इस दानव दहेज ने, छीना नारी का सम्मान



उसके मीठे सपनों पर ही, हर पल हुआ तुषारापात

आदर्षों पर चलती अबला, झेले कदम कदम आघात



चीखें उठती उठकर घुटती, उनका क्रंदन होता मौन

मूक बना है मानव, नारी का अस्तित्व बचाए कौन



कब तक वो यूं अबला बनकर, चीखेगी चिल्लाएगी

कब तक नारी यूं दहेज की, बली चढ़ाई जाएगी



इस समाज में अब लडकी का, बोझ हुआ देखो जीवन

नहीं जन्म पर खुशी मनाते, होता नहीं मृत्यु का गम



एक रीति यदि हो कुरीति, तो सब फैलें फिर अपने आप

इस दहेज से ही जन्मा है, आज भ्रूण हत्या सा पाप



वो घर आंगन को महकाती, रचती सपनों का संसार

पर निष्ठुर समाज नें उसको, दिया जन्म से पहले मार



कोई पूछो उनसे जाकर, कैसे वंश चलाएंगे

जब लडकी ही नहीं रहेंगी, बहू कहां से लाएंगे



लडकों पर बरसी हैं खुशियां, लडकी पर क्यूं हुआ विलाप

प्रेम और करुणा की मूरत, बन बैठी देखो अभिशाप



कब तक उसके अरमानों की, चिता जलाई जाएगी

कब तक नारी यूं दहेज की, बली चढाई जाएगी



इस दहेज के दावनल में, झुलसे हैं कितने श्रृंगार

कितनी लाशें दफन हुई हैं, कितने उजड़े हैं संसार



स्वार्थों के खूनी दलदल हैं, नैतिकता भी लाशा बनी

पीड़ित शोषित और सिसकती, नारी टूटी स्वास बनी



धन लोलुपता सुरसा मुख सी, बढती ही जाती प्रतिक्षण

ये सचमुच ही है समाज के, आदर्षों का चीरहरण



खुलेआम लेना दहेज, ये चलन हुआ व्यापारों सा

अब विवाह का पावन मंडप, लगता है बाजारों सा



इस समाज का यह झूठा, वि”वास बदलना ही होगा

हम सब को आगे आकर, इतिहास बदलना ही होगा



कब तक अदभुत यह कुरीती, मानवता को तडपाएगी

कब तक नारी यूं दहेज की बली चढ़ाई जाएगी
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बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है।
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Old 18-10-2011, 04:31 PM   #12
ravi sharma
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Default Re: हास्य कविताएँ

जो सपनों को तोड़ चुके हैं -----



हम रो रोकर लिखते हैं वो यूं हंसकर पढ़ जाते हैं

जो सपनों को तोड़ चुके हैं वो सपनों में आते है



आंसूं बरसाती आंखों ने टूटे ख्वाबों को ढोया

वादों की यादों में पड़कर जाने मन कितना रोया



अब धीरे धीरे ग़ज़लों से जख्मों को सहलाते हैं

तड़पाया है हमें जगत ने उलझे हुए सवालों से



फिर भी मन को हटा न पाया उनके मधुर खयालों से

तन्हाई में ही जीना है ये दिल को समझाते हैं



दर्दों गम की दीवारों में जब से कैद हुए हैं हम

सांसों में अहसास नहीं है बीते कोई भी मौसम

अब समझा हूं लोग इश्क में क्यों पागल हो जाते हैं
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Old 18-10-2011, 04:37 PM   #13
ravi sharma
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एक है गुल्ली एक है टुल्ली
दोनों ऊधम करती हैं
कितना भी डाँटो समझाओ
नहीं किसी से डरतीं हैं

टुल्ली है चुलबुल थोड़ी सी
गुल्ली सीधी सादी है
अक्सर चाय और बिस्कुट
देती उनको दादी है

आपस में दोनों लड़ती हैं
बाल खींचतीं आपस में
उनमें समझौता करवाना
नहीं किसी के था बस में|

मम्मी ने रसगुल्ले लाकर
रखे एक कटोरी में
भरकर लाई चाकलेट वह
एक छोटी सी बोरी में|

मम्मी बोली अब तुम दोनों
कभी न लड़ना आपस में
वरना चाकलेट रसगुल्ले
कर आऊंगी वापस मैं|

रसगुल्लों की चाहत ने
बंद लड़ाई करवा दी
चाकलेट रसगुल्लों से
दोनों की मुट्ठी भरवा दी|
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Old 18-10-2011, 04:39 PM   #14
ravi sharma
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Default Re: हास्य कविताएँ

मेरे दादाजी

द्दढ़ निश्चय जीवट के हैं

दादाजी अढ़सठ के हैं।



रोज नियम से काम करें

उनके काम विकट के हैं।



नहीं किसी से हैं डरते

रहते वे बेखटके हैं।



क्रिकेट में बच्चों के संग

लेते केच झपटके हैं।



लोटा लेकर कहते हैं

आते अभी निपट के हैं।



हर दिन पैदल चलते हैं

बिना किसी खटपट के हैं।



ध्यान लगाकर कहते हैं

ईश्वर बहुत निकट के हैं।



कोई जब दर पर आता

मिलते गले लिपट के हैं।



किसी काम में देर नहीं

तुरत फुरत चटपट के हैं।



द्दढ़ निश्चय जीवट के हैं

दादाजी अढ़सठ के हैं।।
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Old 18-10-2011, 05:49 PM   #15
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Default Re: हास्य कविताएँ

बहुत बढिया बढिया हास्य कविता हैँ
__________________
दोस्ती करना तो ऐसे करना
जैसे इबादत करना
वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना
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Old 18-10-2011, 06:50 PM   #16
ravi sharma
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आदरणीय बिल्लू भिया को,
इंडिया से मुंगेरीलाल सरपंच का सलाम कबूल हो... आपके देश के एक और बिल्लू भिया (बतावत रहें कि प्रेसीडेंटवा रहे) ऊ भी इस पंचायत को एक ठो कम्प्यूटर दे गये हैं । अब हमरे गाँव में थोडा-बहुत हमही पढे-लिखे हैं तो कम्प्यूटर को हम घर पर ही रख लिये हैं । ई चिट्ठी हम आपको इसलिये लिख रहे हैं कि उसमें बहुत सी खराबी हैं (लगता है खराब सा कम्प्यूटर हमें पकडा़ई दिये हैं), ढेर सारी "प्राबलम" में से कुछ नीचे लिख रहे हैं, उसका उपाय बताईये -
१. जब भी हम इंटरनेट चालू करने के लिये पासवर्ड डालते हैं तो हमेशा ******** यही लिखा आता है, जबकि हमारा पासवर्ड तो "चमेली" है... बहुत अच्छी लडकी है...।
२. जब हम shut down का बटन दबाते हैं, तो कोई बटन काम नही करता है ।
३. आपने start नाम का बटन रखा है, Stop नाम का कोई बटन नही है.... रखवाईये...
४. क्या इस कम्प्यूटर में re-scooter नाम का कोई बटन है ? आपने तो recycle बटन रखा है, जबकि हमारी सायकल तो दो महीने से खराब पडी है...
५. Run नाम के बटन दबा कर हम गाँव के बाहर तक दौड़कर आये, लेकिन कुछ नही हुआ, कृपया इसे भी चेक करवाय

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Old 18-10-2011, 06:52 PM   #17
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ही में हमारे पड़ोस में एक बूढ़े सज्जन रहने को आये । काफी खुशमिजाज और जवांदिल लगते थे।
एक दिन मैंने उनसे पूछा - आप उम्र के लिहाज से काफी तन्दुरुस्त और खुश दिखते हैं । आपके सुखी जीवन का राज क्या है ?
- मैं रोज तीन पैकेट सिगरेट पीता हूं । शाम को व्हिस्की का अध्दा और बढ़िया मसालेदार खाना खाता हूं। और हां, व्यायाम तो मैं कभी नहीं करता।
- कमाल है । मैं आश्चर्य से भर गया।
मैंने फिर पूछा - वैसे आपकी उम्र क्या होगी ?
- छब्बीस साल ।
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Old 18-10-2011, 06:56 PM   #18
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एक ऑफिस में दस बहुत ही आलसी कर्मचारी थे। एक दिन बॉस ने उन लोगों को सुधारने की गरज से एक प्लान सोचा।
- मेरे पास एक बहुत ही आसान काम है जिसके दोगुने पैसे मिलेंगे। तुम लोगों में जो सबसे ज्यादा आलसी होगा उसे ही यह काम दिया जाएगा। जो सबसे ज्यादा आलसी हो वह अपना हाथ उठाए ।
नौ हाथ तुरंत ऊपर उठ गए।
- तुमने हाथ क्यों नहीं उठाया ? बॉस ने दसवें आदमी से पूछा ।
- मुझसे नहीं उठाया जाता ........
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Old 18-10-2011, 06:56 PM   #19
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आदतसेपरेसान

एक लड़के की शादी हुई ! शादी के अगले ही दिन वह रोता हुआ अपने दोस्त के घर पहुंचा ।
- क्या बात है ? रो क्यों रहे हो ? दोस्त ने पूछा ।
-यार, तुम तो जानते हो मैं कैसा आदमी था। आज सुबह जब मैं जागा तो अपनी आदत के मुताबिक मैंने अपनी पत्नी को एक सौ रुपये का नोट थमा दिया ।
अच्छा ! तो यह बात है । देखो, आखिर वह तुम्हारी पत्नी है । उसे समझाओ कि वह तुम्हारे बीते दिनों को भूल जाए और साथ ही उसे विश्वास दिलाओ कि भविष्य में तुम उसके सिवा किसी और की तरफ देखोगे भी नहीं । देखना, वह मान जाएगी यार ..... !
दोस्त ने दिलासा देते हुए कहा ।

आदमी ने गुस्से से लाल होते हुए कहा - यार, बात वह नहीं है । उसने सौ का नोट रखकर मुझे पचास रुपये वापस कर दिए ................ ।
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चांगचगीचु

बंता मल्होत्रा की दोस्ती भारत भ्रमण पर आए एक चीनी आदमी से हो गई। एक रोज उस चीनी का एक्सीडेंट हो गया । बंता मल्होत्रा उसे देखने अस्पताल पहुंचा।
बंता जैसे ही उसके बिस्तर के पास पहुंचा चीनी ने आंखे खोलीं और पूरा जोर लगा कर बोला - चांग चिंग चू या हुआ !

बंता को कुछ समझ नहीं आया । चीनी ने एक बार फिर बड़े कष्ट से कहा - चांग चिंग चू या हुआ, इतना कहकर चीनी मर गया। बंता को बहुत दुख हुआ । उसे इस बात का बेहद दुख था कि चीनी भाषा न आने के कारण वह अपने मित्र की आखिरी बात न समझ सका। पता नहीं वह क्या कहना चाह रहा था?
बंता ने उस बात को भुलाने की बहुत कोशिश की पर भुला नहीं सका। आखिर एक दिन उस बात का मतलब जानने के लिए वह चीन रवाना हो गया। वहां जाकर एक हिंदी चीनी दुभाषिये को उसने पूरा वाकया सुनाया और पूछा - चांग चिंग चू या हुआ का क्या मतलब हुआ ।
दुभाषिए ने बंता की तरफ गौर से देखते हुए बताया - अबे स्साले ! ऑक्सीजन के पाइप से पैर हटा...!!
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