16-12-2010, 11:40 AM | #12 |
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Re: प्रचार में कितनी वास्तविक्ता???
अभी तक तो ३ ही पिया है आगे कितना जाता है पता नहीं ह आहा अहाह्हा आ
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16-12-2010, 11:59 AM | #13 |
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Re: प्रचार में कितनी वास्तविक्ता???
मेरी नजर में भी कॉम्प्लान ,बाजार में उपलब्ध बाकि हे़ल्थ ड्रिंक में सबसे अच्छा है .
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16-12-2010, 12:05 PM | #14 |
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Re: प्रचार में कितनी वास्तविक्ता???
जी हा गुल्लू जी आपने बिलकुल सही फ़रमाया
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16-12-2010, 12:11 PM | #15 |
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Re: प्रचार में कितनी वास्तविक्ता???
कॉमप्लान के कद बढ़ाने के दावे के खिलाफ मामला दर्ज
महाराष्ट्र खाद्य एवं दवा प्रशासन (एफडीए) ने स्वास्थ्यवर्धक पेय कॉमप्लान बनानेवाली कंपनी हाइंज के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया है। कंपनी पर आरोप है कि वह बच्चों का कद बढ़ाने के निराधार दावे कर रही है। एफडीए का आरोप है कि कंपनी बच्चों के लिए अपने स्वास्थ्यवर्धक पेय कॉमप्लान के विज्ञापन में झूठे दावे कर रही है। विज्ञापन में कहा जाता है कि कॉमप्लान पीने से बच्चे की लंबाई सामान्य से दो इंच ज्यादा बढ़ जाती है। एफडीए ने अपनी चार्जशीट में हाइंज के सात अधिकारियों को दोषी ठहराया है और कहा है कि विज्ञापन में तथ्यों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया है लेकिन कंपनी अपने दावे पर कायम है। हाइंज ने ई मेल के जवाब में कहा है कि उसे ऐसी किसी शिकायत की जानकारी नहीं है। साथ ही हाइंज का कहना है कि विज्ञापन में किए गए दावे बिलकुल ठीक हैं और सही रिसर्च पर ही आधारित हैं और वो इसे अदालत में साबित कर सकती है। हाइंज विज्ञापन में किए गए अपने दावे को भले ही सही ठहरा रही हो, लेकिन डॉक्टरों का भी कहना है कि ये दावे ठीक नहीं हैं। इंडियन पीडियाट्रिक एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. उदय बोधनकर का कहना है कि इस स्वास्थ्यवर्धक पेय में मिलाए जाने वाली खाद्य सामग्री आसानी उपलब्ध हो जाती है, जो कि महज थोड़ी मात्रा में बेहतर गुणवत्ता वाले गेहूं और एक या दो मिनरल्स ही हैं। ऐसे में डॉ बोधनकर का कहना है कि गलत विज्ञापन का सहारा लेकर अपने उत्पादों को बेचना सरासर गलत है और मेरी सभी अभिभावकों से गुजारिश है कि अपने बच्चों को प्राकृतिक खाद्यवस्तु दें तथा इस प्रकार के विज्ञापनों के झांसे में न आएं। cnbc पर आधारित खबर
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16-12-2010, 12:13 PM | #16 |
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Re: प्रचार में कितनी वास्तविक्ता???
Abhay ji kya fair n lovely cream se buffalo bhes gori ho sakti hai.nahi na fir b kale log cream lagate hai. jjjk
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16-12-2010, 12:16 PM | #17 | |
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Re: प्रचार में कितनी वास्तविक्ता???
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हे भगवन ..................
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16-12-2010, 12:19 PM | #18 |
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Re: प्रचार में कितनी वास्तविक्ता???
हा ये बात तो है मगर काले पे काला रंग डालो तो वो और निखर जाता है उसी तरह गोरे पे fair n lovely लगा दो तो उसका भी रंग निखर जाता है कुछ समय के लिए ही सही ! उसी तरह हाईट भी है थोरा बहुत तो फर्क परता ही है अब बढते हुए पेर को खाद नहीं दोगे तो पेर तो सूखेगी ही उसी तरह हर किसी को थोरी बहुत खाद की जरुरत होती ही है ! हा हा आहा आह
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16-12-2010, 12:27 PM | #19 |
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Re: प्रचार में कितनी वास्तविक्ता???
tv par ek :seriel aata hai.baba eso bar dhudo usme nayika ko bahut complan pilaya gaya.tab bo apni is lenth par pahuchi.
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16-12-2010, 12:44 PM | #20 | |
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Re: प्रचार में कितनी वास्तविक्ता???
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इसके अलावा मेरा मानना है कि मानव शरीर कि कुछ बुनियादी जरूरत होती है जैसे हवा पानी और २ वक्त का खाना आदि .बाकि सब उपभोग कि वस्तुए लक्जरी कि श्रेणी में आती हैं और इनके बिना भी काम चलाया जा सकता है . टीवी पर विज्ञापन दिखा कर अपनी उत्पाद बेचने वाली कंपनियां केवल अपने उत्पाद कि खूबियां बता सकती हैं लेकिन आपको कुछ भी खरीदने के लिए विवश नहीं कर सकती ,इसलिए अगर कोई विज्ञापन देख कर आप कोई वस्तु खरीदते हैं तो इसके लिए आप भी बहुत हद तक जिम्मेदार हैं.टीवी पर दिखाई जाने वाले प्रोडक्ट में ऐसा कोई भी नहीं है जिसके बिना हम जिंदा ना रह सकें फिर भी हम उनसे से बहुत सी वस्तुएँ खरीदते और उपयोग करते हैं .अगर किसी वस्तु में कोई कमी दिखाई देती है तो बजाये उसकी गलती निकालने के हमको उसको इस्तेमाल करना छोड देना चाहिए, सही गलत कि परिभाषा हर व्यक्ति कि अलग अलग होती है और अगर हम इन वस्तुओं में कमियां निकालने लगेंगे तो कोई भी वस्तु खरी नहीं उतेरेगी . धन्यवाद
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