06-03-2013, 03:08 PM | #11 |
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Re: फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?
पहली बोलती फिल्म 'मेलोडी ऑफ़ लव' कोलकाता के एल्फिन्सटन पिक्चर पैलेस में सन 1929 में प्रदर्शित की गई थी और भारत की पहली बोलती फिल्म अर्देशिर ईरानी द्वारा निर्मित 'आलम आरा' थी जिसे 14 मार्च, 1931 को मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमा हाल में प्रदर्शित किया गया (जैसा कि फोरम पर अन्यत्र किसी मित्र द्वारा बताया गया था कि अब न इस फिल्म का कोई प्रिंट बाकी है और न उस स्टूडियो का निशान बकाया है) |
06-03-2013, 03:36 PM | #12 |
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Re: फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?
क्या आप जानते हैं कि:
भारतीय फिल्मों में काम करने वाले पहले अभिनेता दत्तात्रय दामोदर डबके थे जिन्होंने फालके साहब की पहली फीचर फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' में अभिनय किया था और भारतीय फिल्मों में काम करने वाली पहली अभिनेत्री कमला बाई गोखले थीं जिन्होंने दादा साहब फालके की फिल्म 'भस्मासुर मोहिनी' में अभिनय किया था. फिल्म 1914 में प्रदर्शित हुई थी. यह फिल्मों से जुड़े विक्रम गोखले की दादी और चंद्रकांत गोखले की माँ थी. Last edited by rajnish manga; 10-03-2013 at 04:34 PM. |
06-03-2013, 03:49 PM | #13 |
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Re: फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?
क्या आप जानते हैं कि:
'दे दे खुदा के नाम पर' नामक गीत को भारतीय फिल्मों का पहला गीत माना जाता है जो पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' का भी पहला गीत था और इस फिल्म के संगीत निर्देशक फ़िरोज़ शाह मिस्त्री को भारतीय फिल्मों का पहला संगीत निर्देशक माना जाता है और सन 1932 में प्रदर्शित होने वाली फिल्म 'इंद्र सभा' में 71 गाने थे जो अब तक का रिकॉर्ड है. यह फिल्म मदान थियेटर द्वारा बनायी गई थी. Last edited by rajnish manga; 06-03-2013 at 03:52 PM. |
08-03-2013, 02:11 PM | #14 |
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Re: फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?
क्या आप जानते हैं कि -
'हम दोनों' नाम से अब तक तीन बार फ़िल्में बन चुकी हैं? एक में देवानंद का डबल रोल था, दूसरी में राजेश खन्ना का डबल रोल था तथा तीसरी फिल्म में ऋषि कपूर और नाना पाटेकर ने अभिनय किया. और अमिताभ बच्चन ने फिल्म अदालत, डॉन, तूफ़ान और आख़िरी रास्ता में डबल रोल किया था. इसके अलावा, फिल्म महान में उनका ट्रिपल रोल था. Last edited by rajnish manga; 08-03-2013 at 02:13 PM. |
08-03-2013, 03:20 PM | #15 |
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Re: फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?
क्या आप जानते हैं कि -
संजय लीला भनसाली कभी निराशा को अपने पास नहीं फटकने देते. वह ऐसा मानते हैं कि उनके माता पिता का आशीर्वाद जब तक उनके साथ है तब तक उन्हें किस बात की चिंता हो सकती है? इस बात पर गौर करें तो इसमें आपको सच्चाई नज़र आयेगी. वे यानि संजय हमेशा अपनी माँ (लीला) और पिता (भनसाली)के संग ही रहते हैं. बाप का नाम उनकी औलाद के साथ जुड़ना तो एक आम बात है लेकिन माँ के नाम से भी अपना परिचय देना सचमुच एक क्रांतिकारी विचार है. और जब बालु महेंद्र ने तमिल क्लासिक फिल्म 'मुन्द्रम पिराई' को हिंदी में 'सदमा' के रूप में बनाने का निर्णय लिया तो उनकी पहली पसंद डिम्पल थी.लेकिन यह संभव न हो सका. बाद में उन्हें हिंदी में भी तमिल की मूल अभिनेत्री श्री देवी को ही लेना पड़ा. फिल्म देखने के बाद लगा कि 'सदमा' की भोली भाली मासूम लड़की श्री देवी के अतिरिक्त कोई और हो ही नहीं सकती थी. Last edited by rajnish manga; 08-03-2013 at 09:58 PM. |
08-03-2013, 04:19 PM | #16 |
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Re: फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?
क्या आप जानते हैं कि –
अभिनेता राज कुमार ने घरवालों को अपनी अर्थी के साथ फिल्मकारों को लेजाने की मुमानियत कर दी थी क्योंकि वे अपनी ज़िंदगी में हमेशा भीड़ भाड़ से दूर रहना पसंद करते थे. अपनी मौत के बाद भी वह भीड़ से दूर रहना चाहते थे इसलिए उन्होंने अपनी अर्थी से भीड़ को दूर रखने का अनुरोध अपने परिवार जनों से किया था. और एस.डी.बर्मन की बतौर संगीत निदेशक पहली फिल्म फिल्मिस्तान की ‘शिकारी’ थी. शायद आप में से बहुतों को यह नहीं पता होगा कि बर्मन साहब एक राज घराने से सम्बन्ध रखते थे. इसी फिल्म से किशोर कुमार ने बतौर एक बाल कलाकार अपने फिल्म करियर की शुरुआत की थी. Last edited by rajnish manga; 10-03-2013 at 04:38 PM. |
08-03-2013, 04:24 PM | #17 |
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Re: फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?
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अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी ने फिल्म ज़ंजीर रिलीज़ होने के बाद 3 जून 1973 को और धर्मेन्द्र व हेमा मालिनी ने फिल्म दिल का हीरा के प्रदर्शन के बाद 2 मई 1980 को शादी कर ली. और मिथुन चक्रवर्ती ने फिल्म ‘रास्ते का पत्थर’ में बतौर एक्स्ट्रा फिल्मों में करियर शुरू किया था. बाद में नायक के रूप में भी उन्होंने लगभग 200 फिल्मों में काम किया किन्तु उनकी पहचान डिस्को डांसर और ऐक्शन स्टार से अधिक नहीं बन सकी. कुछ ही निर्देशक उनकी प्रतिभा का सही प्रदर्शन करवाने में सफल हुए. बहुत लोगों को मालूम नहीं होगा कि मिथुन चक्रवर्ती को एक नहीं बल्कि तीन तीन फिल्मों में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है. ये फ़िल्में थी – 1. मृगया 2. ताहादेर कथा 3. रामकृष्ण परमहंस Last edited by rajnish manga; 10-03-2013 at 06:17 PM. |
08-03-2013, 04:58 PM | #18 |
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Re: फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?
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अपने ज़माने की मशहूर अदाकारा सुरैया बचपन से ही अभिनेत्री-गायिका खुर्शीद से बहुत प्रभावित थीं. खुर्शीद उनकी माँ मुमताज उर्फ़ मलका की गहरी सहेली थी. 1940 के दशक में इन्हीं के गाये कुछ सदाबहार गीत हमेशा के लिए उनके प्रशंसकों / संगीत प्रेमियों के दिल में बस गए. इन्हीं गीतों में कुछ हैं – ‘पहले जो मोहब्बत से इंकार किया हो’ (फिल्म: परदेसी/ 1941), ‘घटा घनघोर’ व ‘बरसो रे’ (फिल्म: तानसेन/ 1943), ‘मधुर मधुर गा रे मनवा’ (फिल्म: भक्त सूरदास/ 1943). इन्हीं अभिनेत्री - गायिका खुर्शीद के गीतों के रिकॉर्ड सुन कर सुरैया ने बचपन से गाने का रियाज़ आरम्भ कर दिया था. सुरैया ने मुंबई रेडियो स्टेशन के बच्चों के कार्यक्रम में भाग ले कर गाना शुरू किया. इस कार्यक्रम में वे फिल्म परदेसी में खुर्शीद का गाया गीत ‘पहले जो मुहब्बत से इंकार किया होता’ अवश्य गाती थीं. सुरैया ने अपना फ़िल्मी सफ़र का आग़ाज़ एक बाल कलाकार के रूप में किया था. उन्होंने पहले पहल फिल्म ‘ताज महल’ और ‘स्टेशन मास्टर’ में अभिनय किया. बाद में उन्होंने और नर्गिस ने फणी मजुमदार के निर्देशन में बनी फिल्म ‘तमन्ना’ में बाल कलाकार के रूप में साथ साथ काम किया था. सुरैया के मामा ज़हूर फिल्मों में खलनायक की भूमिकाओं में आते थे. उन्हीं की वजह से सुरैया को फिल्मों में प्रवेश मिल पाया हालांकि सुरैया के पिता पहले उनके फिल्मों में काम करने के विरुद्ध थे. प्रसंगवश, यहाँ यह भी बताते चलें कि सुरैया की माँ भी बहुत सुन्दर थीं और एक बार महबूब खां ने उन्हें अपनी फिल्म में हीरोइन के रोल का प्रस्ताव किया था लेकिन पति की असहमति के चलते बात आगे नहीं बढ़ी. Last edited by rajnish manga; 10-03-2013 at 01:55 PM. |
10-03-2013, 04:53 PM | #19 |
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Re: फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?
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फातिमा बेग़म भारतीय फिल्मों की पहली महिला फिल्म निर्देशक थी. उन्होंने 1926 में मूक फिल्मों के युग में ‘बुलबुले परिस्तान’ नामक मूक फिल्म का निर्देशन किया. वहीँ से फिल्म निर्देशक के रूप में महिलाओं का योगदान शुरू हुआ. और फिल्मों के पोस्टर बनाने का काम मूक फिल्मों के दौर में सन 1923 में बनी फिल्म ‘वत्सला हरण’ से आरम्भ हुआ जिसके प्रचार के लिए बाबूराव पेंटर ने सर्वप्रथम पोस्टर बनाने का काम शुरू किया. बाद में तो पोस्टर बना कर पब्लिसिटी करना जैसे हर फिल्म के लिए अनिवार्य हो गया. और भारत की पहली नियमित फिल्म पत्रिका ‘मौज मजा’ गुजराती भाषा में सन 1944 में प्रकाशित हुयी. इसके सम्पादक जे. के. द्विवेदी थे. |
10-03-2013, 05:57 PM | #20 |
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Re: फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?
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एक भाषा की फिल्म के संवाद को दूसरी भाषा में परिवर्तित करने के लिए डबिंग की मदद ली जाती है. इसके तहत होंटों के मूवमेंट के अनुसार मूल संवाद का भावार्थ ध्यान में रख कर दूसरी भाषा में डायलॉग तैयार करवाए जाते हैं और डबिंग आर्टिस्ट से संवाद रिकॉर्ड करवाए जाते हैं. इसी प्रक्रिया को ही डबिंग के नाम से जाना जाता है (कुछ वर्ष पूर्व भारत में ‘सा रे गा मा’ होम विडिओ ने वार्नर ब्रदर्स की 10 ऑस्कर पुरस्कार जीतने वाली सन 1939 की फिल्म ‘गॉन विद द विंड’ का हिंदी में डब किया गया संस्करण जारी किया गया जिसे देख कर ऐसा लगता है जैसे मूल फिल्म ही हिन्दी में बनायी गई हो). और भारतीय फिल्मों के इतिहास में कई गाने ऐसे भी हुए हैं जो एक से अधिक फिल्मों में गवाए गए लेकिन उनका परिणाम हर बार एक सा नहीं रहा. उदाहरण के लिए, फिल्म लावारिस का ज़बरदस्त हिट गीत ‘मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है’ इससे पहले फिल्म मजे ले लो में महेश कुमार ने गाया था लेकिन उस समय यह गाना लोकप्रिय नहीं हुआ था. और अचला सचदेव ने अपनी युवावस्था में अर्थात 1951 में प्रदर्शित फिल्म ‘काश्मीर’ में कमल कपूर, अल्नासिर व अरुण (गोविंदा के पिता) की माँ का रोल किया था. तब से ले कर करियर के अंत तक वह माँ का रोल ही करती रहीं. |
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