31-03-2015, 05:34 PM | #11 |
VIP Member
|
Re: अकबर इलाहाबादी की रचनाएँ
इक ज़रूरत से जाता था बाज़ार ज़ोफ-ए-पीरी से खम हुई थी कमर राह बेचारा चलता था रुक कर चन्द लड़कों को उस पे आई हँसी क़द पे फबती कमान की सूझी कहा इक लड़के ने ये उससे कि बोल तूने कितने में ली कमान ये मोल पीर मर्द-ए-लतीफ़-ओ-दानिश मन्द हँस के कहने लगा कि ए फ़रज़न्द पहुँचोगे मेरी उम्र को जिस आन मुफ़्त में मिल जाएगी तुम्हें ये कमान
__________________
Disclamer :- All the My Post are Free Available On INTERNET Posted By Somebody Else, I'm Not VIOLATING Any COPYRIGHTED LAW. If Anything Is Against LAW, Please Notify So That It Can Be Removed. |
31-03-2015, 05:38 PM | #12 |
VIP Member
|
Re: अकबर इलाहाबादी की रचनाएँ
जो यूं ही लहज़ा-लहज़ा दाग़-ए-हसरत की तरक़्क़ी है
अजब क्या, रफ्ता-रफ्ता मैं सरापा सूरत-ए-दिल हूँ मदद-ऐ-रहनुमा-ए-गुमरहां इस दश्त-ए-गु़र्बत में मुसाफ़िर हूँ, परीशाँ हाल हूँ, गु़मकर्दा मंज़िल हूँ ये मेरे सामने शेख-ओ-बरहमन क्या झगड़ते हैं अगर मुझ से कोई पूछे, कहूँ दोनों का क़ायल हूँ अगर दावा-ए-यक रंगीं करूं, नाख़ुश न हो जाना मैं इस आईनाखा़ने में तेरा अक्स-ए-मुक़ाबिल हूँ
__________________
Disclamer :- All the My Post are Free Available On INTERNET Posted By Somebody Else, I'm Not VIOLATING Any COPYRIGHTED LAW. If Anything Is Against LAW, Please Notify So That It Can Be Removed. |
31-03-2015, 05:39 PM | #13 |
VIP Member
|
Re: अकबर इलाहाबादी की रचनाएँ
फिर गई आप की दो दिन में तबीयत कैसी
ये वफ़ा कैसी थी साहब ! ये मुरव्वत कैसी दोस्त अहबाब से हंस बोल के कट जायेगी रात रिंद-ए-आज़ाद हैं, हमको शब-ए-फुरक़त कैसी जिस हसीं से हुई उल्फ़त वही माशूक़ अपना इश्क़ किस चीज़ को कहते हैं, तबीयत कैसी है जो किस्मत में वही होगा न कुछ कम, न सिवा आरज़ू कहते हैं किस चीज़ को, हसरत कैसी हाल खुलता नहीं कुछ दिल के धड़कने का मुझे आज रह रह के भर आती है तबीयत कैसी कूचा-ए-यार में जाता तो नज़ारा करता क़ैस आवारा है जंगल में, ये वहशत कैसी
__________________
Disclamer :- All the My Post are Free Available On INTERNET Posted By Somebody Else, I'm Not VIOLATING Any COPYRIGHTED LAW. If Anything Is Against LAW, Please Notify So That It Can Be Removed. |
31-03-2015, 05:42 PM | #14 |
VIP Member
|
Re: अकबर इलाहाबादी की रचनाएँ
कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्क़िल है ।
यहाँ परियों का मजमा है, वहाँ हूरों की महफ़िल है । इलाही कैसी-कैसी सूरतें तूने बनाई हैं, हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल है। ये दिल लेते ही शीशे की तरह पत्थर पे दे मारा, मैं कहता रह गया ज़ालिम मेरा दिल है, मेरा दिल है । जो देखा अक्स आईने में अपना बोले झुँझलाकर, अरे तू कौन है, हट सामने से क्यों मुक़ाबिल है । हज़ारों दिल मसल कर पाँवों से झुँझला के फ़रमाया, लो पहचानो तुम्हारा इन दिलों में कौन सा दिल है ।
__________________
Disclamer :- All the My Post are Free Available On INTERNET Posted By Somebody Else, I'm Not VIOLATING Any COPYRIGHTED LAW. If Anything Is Against LAW, Please Notify So That It Can Be Removed. |
31-03-2015, 05:44 PM | #15 |
VIP Member
|
Re: अकबर इलाहाबादी की रचनाएँ
कट गई झगड़े में सारी रात वस्ल-ए-यार की
शाम को बोसा लिया था, सुबह तक तक़रार की ज़िन्दगी मुमकिन नहीं अब आशिक़-ए-बीमार की छिद गई हैं बरछियाँ दिल में निगाह-ए-यार की हम जो कहते थे न जाना बज़्म में अग़यार[1] की देख लो नीची निगाहें हो गईं सरकार की ज़हर देता है तो दे, ज़ालिम मगर तसकीन[2] को इसमें कुछ तो चाशनी हो शरब-ए-दीदार की बाद मरने के मिली जन्नत ख़ुदा का शुक्र है मुझको दफ़नाया रफ़ीक़ों[3] ने गली में यार की लूटते हैं देखने वाले निगाहों से मज़े आपका जोबन मिठाई बन गया बाज़ार की थूक दो ग़ुस्सा, फिर ऐसा वक़्त आए या न आए आओ मिल बैठो के दो-दो बात कर लें प्यार की हाल-ए-'अकबर' देख कर बोले बुरी है दोस्ती ऐसे रुसवाई, ऐसे रिन्द, ऐसे ख़ुदाई ख़्वार की
__________________
Disclamer :- All the My Post are Free Available On INTERNET Posted By Somebody Else, I'm Not VIOLATING Any COPYRIGHTED LAW. If Anything Is Against LAW, Please Notify So That It Can Be Removed. |
31-03-2015, 05:50 PM | #16 |
VIP Member
|
Re: अकबर इलाहाबादी की रचनाएँ
शक्ल जब बस गई आँखों में तो छुपना कैसा
दिल में घर करके मेरी जान ये परदा कैसा आप मौजूद हैं हाज़िर है ये सामान-ए-निशात उज़्र सब तै हैं बस अब वादा-ए-फ़रदा कैसा तेरी आँखों की जो तारीफ़ सुनी है मुझसे घूरती है मुझे ये नर्गिस-ए-शेहला कैसा ऐ मसीहा यूँ ही करते हैं मरीज़ों का इलाज कुछ न पूछा कि है बीमार हमारा कैसा क्या कहा तुमने, कि हम जाते हैं, दिल अपना संभाल ये तड़प कर निकल आएगा संभलना कैसा
__________________
Disclamer :- All the My Post are Free Available On INTERNET Posted By Somebody Else, I'm Not VIOLATING Any COPYRIGHTED LAW. If Anything Is Against LAW, Please Notify So That It Can Be Removed. |
31-03-2015, 09:36 PM | #17 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: अकबर इलाहाबादी की रचनाएँ
महान शायर अकबर इलाहाबादी की अमर रचनाओं को प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद, दीपू जी.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
Bookmarks |
Tags |
अकबर इलाहाबादी, शायरी, akbar allahabadi |
|
|