08-12-2010, 11:56 AM | #11 |
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Re: शायरी का किमा
हसीनाओं से पूछो की वो इतना रुलाते क्यूँ हैं घटाओ से पूछो वो सुलाते क्यूँ हैं अब कोई हम भी पूछो की हम इतना पकाते क्यूँ हैं??? |
08-12-2010, 11:58 AM | #14 |
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Re: शायरी का किमा
इश्क़ मे तेरे ये अंजाम पाया है,
हाट पैर टूटे मूह से खून आया है, और जब हॉस्पिटल पहुचे तो नर्स ने फरमाया है, बहारो फूल बरसाओ किसी का महबूब आया है……….. |
08-12-2010, 11:59 AM | #15 |
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Re: शायरी का किमा
दिल के टूटने से नही होती है आवाज़! आंसू के बहने का नही होता है अंदाज़!
गम का कभी भी हो सकता है आगाज़! और दर्द के होने का तो बस होता है एहसास! |
08-12-2010, 11:59 AM | #16 |
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Re: शायरी का किमा
गरीबी से तंग आकर
प्यार का नाटक रचाकर गाँव के एक नवयुवक ने गाँव से एक लड़की भगाई वह स्वभाव से थी रसमलाई उसे बेचने वह ले गया दिल्ली रास्ते में दरोगा जी टकराए वे दोनों सकपकाए,पाँव पकड़ गिड़गिडाये दरोगा ने उनकी एक न सुनी उल्टे कहा- तुम साले ऐसे काम करते हो ऊपर वाले से नही डरते हो ना जाने किस बहाने उन दोनों को ले गए थाने लड़की को थाने में रोककर भगा दिया लड़के को मारपीटकर अगले दिन चटपटी खबर सुनकर सारा मुहल्ला जाग गया जब लड़की को लेकर दरोगा भाग गया!!
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08-12-2010, 12:00 PM | #17 |
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Re: शायरी का किमा
एक थे जनाब रोज लिखा करते थे
अपनी महजबी को ख़त, और सबके परदे में लिखा करते अपनी परदानशीन को ख़त डाकिया रोज दे आता था उस परदानशीन को ख़त! सिलसिला कुछ यूँ चला और बढ़ गई बात, कि वो परदानशीन जिस पर मरा करते थे जनाब भाग गई उस डाकिये के साथ!
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08-12-2010, 12:00 PM | #19 |
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Re: शायरी का किमा
अमावस की रात और खूब गहरा तम
छुप-छुप के मिलने चल दिए हम बारिश कि रिमझिम और कुछ हियाँ काँप था कुछ पास से जो गुजरा तो हम समझे साँप था बिजली जो कड़की और मुड़ कर जो देखा छ्ड़ी लिए घूम रहा लड़की का बाप था!!
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08-12-2010, 12:03 PM | #20 |
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Re: शायरी का किमा
मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला, उसका पेट्रोल ख़त्म था. मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया, क्योंकि उसका किराया कम था.
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