27-11-2014, 10:31 PM | #11 |
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Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
दीप जी, आपने अपने इस आलेख में रोचकता बनाये रखी है. एक मध्यमवर्गीय इंसान पर केन्द्रित अच्छी जानकारी है. सभी चित्र भी विषय को आगे बढ़ाने में सहायक हैं. मैं ऊपर दिए गए चित्र के बारे में कुछ कहना चाहता हूँ. यह चित्र यूनानी मिथकों में वर्णित एक राजा सिसीफस की याद दिलाता है जिसे देवताओं ने उसकी एक गंभीर गलती के कारण सजा देते हुए कहा था कि उसे एक बहुत बड़ी चट्टान को पहाड़ की तलहटी से ढकेलते हुए पहाड़ की चोटी तक ले जाना है. सिसीफस हर रोज़ उस विशालकाय चट्टान को पहाड़ पर चढ़ाने की कोशिश करता लेकिन शाम तक थक जाता. हारकर चट्टान को वापिस नीचे ले आता. प्रतिदिन सिसीफस चट्टान को ऊपर धकेलता और शाम को विवश हो कर नीचे ले आता. कहते हैं कि यह क्रम आज भी अनवरत जारी है. मैं मानता हूँ कि एक नौकरीपेशा मिडिल क्लास व्यक्ति का जीवन बहुत कुछ सिसीफस से मिलता जुलता है. महीने की एक तारीख को वेतन मिलते ही वह अपनी ज़रूरतों का गट्ठर पहाड़ पर ले जाने की कवायद करता है और महीना भर गट्ठर हल्का होता रहता है. यहाँ तक कि महीने के आखिरी दिन उसका गट्ठर खाली हो कर उसके हाथ से सरक जाता है. वह पहाड़ के नीचे झाँक कर देखता है तो पाता है कि वह गट्ठर अपने नियत स्थान पर पहाड़ की तलहटी में ही पड़ा हुआ है. एक तारीख से फिर वही जद्दोजहद शुरू हो जाती है. आपका धन्यवाद.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
27-11-2014, 10:48 PM | #12 |
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रुल बुक
एक सीदा सादा कर्मचारी ओफिस में आता है, अपने काम से काम रखता है। लेकिन बोस के पास सभी के लिए ढेरो रुल बुक्स होती है। हर एक प्रकार के कर्मचारीयों के लिए अलग अलग रुल बुक। ईनके कुछ एक नियम आप को समजा दिये जाते है, कुछ कहे नही जाते, कुछ धीरे धीरे समज में आते है! ईन्टरनेट पर भी आपको एक तरफा ही ज्ञान मिलता है... 'ओफिस में क्या न करे?' प्रकार के जो बोस के पक्ष में ही है। 'अपने एम्प्लोई को कैसे मोटीवेट करें?' यह भी उनके फेवर में है! तो कर्मचारी के फेवर में क्या है?
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Last edited by Deep_; 27-11-2014 at 10:51 PM. |
27-11-2014, 11:04 PM | #13 |
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कुछ अनकहे नियम
रुल ३- अगर किसी से अच्छी दोस्ती-यारी हो गई हो तो ईसकी बू बोस तक न पहूंचने पाए! बहोत जल्द किसे बेकार और बेतुका कारण दिखा कर आपके डिपार्टमेन्ट, समय या बेठक बदल सकती है। रुल ४- यह सिर्फ कहेना है के हम सभी कर्मचारी को समान मानते है, समान अवरस प्रदान करते है। कुछ कर्मचारी बोस के फेवरेट होते है।
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Last edited by Deep_; 27-11-2014 at 11:07 PM. |
27-11-2014, 11:16 PM | #14 |
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Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
रुल ५ -
डिवाईड करने के लिए कई मजेदार आईडिया होते है। एक सीधा सा उदाहरणः बोस आपको बुला कर अच्छे काम की प्रसंशा करेंगे, आपके साथी के काम की निंदा करेंगे। वह दुसरा कर्मचारी आपकी तरह काम नही कर रहा है, वगेरह! ईससे आप गर्व से फुले नही समाओगे, और उस साथी के प्रति आपका व्यवहार २०-३० प्रतिशत बदल भी जाएगा!
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27-11-2014, 11:38 PM | #15 |
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एक बोधकथा!
उपरोक्त चित्र उस बैलगाडी का है जिसे रमेश और सुरेश नाम के दो बैल चलाते थे। मालिक महेश बडा क्रूर था, गाडी में खुब सामान ढोता था। रमेश थोडा कमजोर था और पुराना था, जब की सुरेश नया और तगड़ा था। महेश जब सामान भर कर गाडी हांकता तो रमेश हंमेशा सुरेश को जरा धीमे चलने को कहेता था। ताकी वह भी ठीक से चल सके। लेकिन सुरेश बुद्धि से भी पहेलवान ही था। वह तो गर्व से ओर जोर से चलने लगा। महेश ने ईस पर सुरेश की खुब प्रसंशा की और रमेश को खुब डंडे मारे! रमेश कई दिनो तक सुरेश को धीमे चलने कि विनती करता रहा लेकिन सुरेश...महेश द्वारा अप्लाई किए गए 'रूल नं ५ - डिवाईड एन्ड रुल' के चंगुल मे बुरी तरफ फंस चुका था। एक दिन अत्याचार के मारे रमेश चलते चलते मर गया। अब...मालिक महेशने कहा बेटा सुरेश....अब तो यह सामान तुझे अकेले ही खींचना पडेगा! ईस प्रकार यह कथा यहां समाप्त होती है। मै तो प्रार्थना करता हूं की सुरेश को भी उससे अधिक बलशाली दिनेश जैसा बैल मिलना ही चाहीए!
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27-11-2014, 11:44 PM | #16 |
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अनकहे नियम
रुल ६- छुट्टी
एक कर्मचारी चाहेगा की दस-दस घंटे काम करने के बाद रविवार को कम से कम अच्छी निंद मिले। या चालू दिन में छुट्टी ले कर घर का कोई जरूरी काम निपटा ले। कर्मचारी को कमसे कम एक हफ्ते पहेले छुट्टी की दरखास्त करनी पडती है। यह कोई ज्यादती नही है, लेकिन आपका बोस आपसे अधिक सोचता है। वह हमेंशा आनेवाले महिने या दो महिने पहेले की छुट्टीयां भी देखता है। मानो अगर कोई त्योहार ईत्यादि की छुट्टी आ गई तो (कोई कोई कंपनी में) रविवार भी भरना पडता है! त्योहारों मे तो छुट्टी की खास धमाल रहेती है। अब तो ज्यादातर दिवाली की भी सिर्फ दो दिन छुट्टी होती है। ईस कारण वश अब त्योहारो का मजा पहेले जैसा रहा नही। रही बात घर के बाकी काम के बारे मे...कर्मचारी के घर का काम कभी होता है कभी नही होता। लेकिन बोस के घर के काम के लिए तो ओफिस के प्युन को ही दौडना पडता है!
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Last edited by Deep_; 28-11-2014 at 12:03 AM. |
02-12-2014, 07:42 AM | #17 |
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हम सब अनेक है
अगर एक कर्मचारी कोई थोडा सा भी विरोध जताएगा, या अपनी असमर्थता व्यक्त करेगा उसे सीधा बमगोले से उडा दिया जाएगा। चलो ये तो ठीक है...व्यथा यह है की यही काम आपका सहकर्मचारी या कोई और टीम मेम्बर करने की उत्सुकता जताएगा। मतलब कर्मचारीयों मे थोडी सी भी एकजुटता नही होती...शायद ही कहीं हो!
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02-12-2014, 04:58 PM | #18 |
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Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
बहुत रिसर्च करी लगती है भैया जी
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12-12-2014, 09:48 PM | #19 |
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Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
बहुत तो नही लेकिन थोडी थोडी जरुर की है!
हौसला बढाने के लिए धन्यवाद! मुझे लगा आप नए मेम्बर है, लेकिन बाद में पता चला की आप पुराने खिलाडी है! पुनःउपस्थिति के लिए धन्यवाद, आते रहा किजीएगा।
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12-12-2014, 09:58 PM | #20 |
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Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
अगर आप बहुत अच्छे एवं आज्ञाकारी हो तो ईस बात का बोस को पता होना चाहीए!
याद रहे... बोस को आज्ञाकारी एवं आज्ञाकारी होने का ढोंग करने वाले दोनो प्रकार के कर्मचारी पसंद होते है!
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