17-02-2012, 11:30 PM | #11 |
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Re: Jokes in Haryanavi
एक बर की बात है अक सुरजा अपणी बहू नैं लेण ससुराल जा रह्या था। चाल्लण के टैम पर सास्सू उसतैं जवाहरी के नाम के 50 रुपिये देण लाग्गी तो सुरजा नाट ग्या| सास्सू बोल्ली- ले ले बेटा, घणे कोनीं । सुरजा फेर नाट ग्या। धोरै खड़ी उसकी साली बोल्ली- ले ले नैं जीजा, घणे कित हैं, फेर तीन दर्जन तो केले ही ल्याया था। साली की या सलाह सुणते ही सुरजा आग बबूला होते होए बोल्या- मैं आड़ै केले बेच्चण कोनी आया था, मैं तै बहू लेण आया था। |
23-02-2012, 10:40 PM | #12 |
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Re: Jokes in Haryanavi
बात इसी सै अक एक बै एक बटेऊ धौळी कमीज़-पैंट पहर कै सुसराड़ जावै था । राह में एक गळी मैं एक सूअर गार (कीचड़) मै लोट रहया था । जब वो बटेऊ उस धौरे कै लिकड़ा, तै उस सूअर नै पूँछ हिला दी अर गार के छींटे उसकी धौळी पैंट पै जा लाग्गे ।
उस बटेऊ कै घणा छो उठ्या । वो भाज-के दूकान पै गया अर एक बिस्कुट का पकैट ल्याया, अर हाथ मै एक लाठी ठा ली । फेर उसनै बिस्कुट सुअर के चारूँ ओड़ नै गेर दिए । धोरै खड़ा एक ताऊ यो सारा नजारा देखै था । ताऊ बोल्या - भाई, यो तेरे लत्ते का काम कर-ग्या अर तू इसनै बिस्कुट खुवावै सै ? बटेऊ बोल्या - ताऊ, डट ज्या एक बै । बस न्यूँ बेरा पाट ज्याण दे अक इस साळे का मुँह कित-सिक सै, फेर तै इसके कूल्ले पै लाठी सेकणी सै !! |
23-02-2012, 10:43 PM | #13 |
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Re: Jokes in Haryanavi
एक छोरा आपणी घर आळी नै ले कै सुसराड़ तैं उल्टा आपणे गाम में जावै था ।
वो साथ में आपणी घर आळी के लत्त्यां (कपड़ों) का ट्रंक भी ले रहया था । कोसळी रेलवे स्टेशन पै वे रेल की बाट में बैठे थे – एक ताई भी बैठी थी धोरै । ताई उसकी घर आळी गैल बतळावण लाग्गी, बोल्ली – बेटी कित जाओ सो ? बहू बोल्ली – ताई, सासरौली जाणा सै । ताई फिर बूझण लाग्गी – बेटी तू कित की सै ? बहू बोल्ली – ताई, मैं गुडियाणी की सूँ । ताई फेर बोल्ली – बेटी, सासरौली की बहू सै ? न्यूं सुणतीं हें छोरा बोल्या – ताई, जै या सारी सासरौली की बहू सै, तै मैं के खामखाँ यो ट्रंक सिर पै धरीं हांडूं सूं ? |
23-02-2012, 10:44 PM | #14 |
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Re: Jokes in Haryanavi
एक बर की बात है अक सुरजा अपणी बहू नैं लेण ससुराल जा रह्या था। चाल्लण के टैम पर सास्सू उसतैं जवाहरी के नाम के 50 रुपिये देण लाग्गी तो सुरजा नाट ग्या| सास्सू बोल्ली- ले ले बेटा, घणे कोनीं । सुरजा फेर नाट ग्या।
धोरै खड़ी उसकी साली बोल्ली- ले ले नैं जीजा, घणे कित हैं, फेर तीन दर्जन तो केले ही ल्याया था। साली की या सलाह सुणते ही सुरजा आग बबूला होते होए बोल्या- मैं आड़ै केले बेच्चण कोनी आया था, मैं तै बहू लेण आया था। |
23-02-2012, 10:45 PM | #15 |
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Re: Jokes in Haryanavi
एक बै एक बटेऊ ससुराल गया । पहले ससुराल में साग-सब्जी, बूरा आदि में जब तक घी की धार डालते रहते थे जब तक कि मेहमान हाथ आगे कर के “बस, बस” कर के रोकता नहीं था । जब सास बूरा में घी डाल रही थी, तो बटेऊ परे-नै मुंह कर-कै बैठ-ग्या – कदे “बस-बस” ना करना पड़ जावै । पर सासू भी कम चालाक नहीं थी । वो उसका मुंह वापस घी-बूरा की तरफ घुमा कर उसको दिखाती हुई बोली – “रै देख, बटेऊ जितणा तै दिया सै घाल, अर पहलवानी करणी सै तै आपणै घरां जा करिये” !!
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23-02-2012, 10:47 PM | #16 |
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Re: Jokes in Haryanavi
घी नै तोड़ दिया
भाई, रमलू घणा ऐं बोद्दा, मरियल सा हो-ग्या । उसतैं गाम का एक ताऊ कहण लाग्या - रै रमलू कुछ घी-वी खा लिया कर, तेरा गात कुछ ठीक सा दीखण लाग ज्यागा । न्यूं सुण कै रमलू बोल्या - ताऊ, मैं घी नै ऐं तै तोड़ राख्या सूं ! रमलू की या बात सुण कै ताऊ बोल्या - भाई, न्यूं क्यूकर बणी ? रमलू बोल्या - ताऊ, मैं मंडी में घी के पीपे ढोया करूं !! |
23-02-2012, 10:47 PM | #17 |
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Re: Jokes in Haryanavi
"वा घी कोनी खा थी"
एक बै जब भरतू का चौथा ब्याह हो रहया था, तै गाम आळे बूझण लागे - "अरै भरतू, न्यूं क्यूकर रै, तेरी बाकी तीन लुगाइयां कै के होया? वे क्यूकर मर-गी ?" भरतू बोल्या - भाई, पहली तै घी खा-कै मर-गी, अर दूसरी भी घी खा-कै मर-गी । लोग बोले - अर तीसरी क्यूकर मरी? भरतू बोल्या - भाई, तीसरी का तै सिर फूट-ग्या था । गाम आळे बोले - उसका सिर क्यूं फूट्या ? भरतू नै जवाब दिया - "अरै यार, वा घी कोनी खा थी" !! |
23-02-2012, 10:48 PM | #18 |
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Re: Jokes in Haryanavi
नशे में देही पाटी जा सै
एक बान्दर एक बान्दरी से बोल्या मैं हुक्का पी आऊं । बान्दरी बोल्ली जा पिया। वह हुक्का पियण चला गया तो वहां चार पांच आदमी बैठे थे और उन्होने चिलम झाड राखी थी। बन्दर जा कर उस चिलम के ऊपर बैठ गया । चिलम में बिरहड बैठी थी वा उसकै लड गई। बन्दर तो वहां से उछलता हुआ बान्दरी के पास आया……......बान्दरी बोल्ली हुक्का पी आया…….? बांदर बोल्या……हुक्का के पिया……..मेरी ते नशे में देही पाटी जा सै… |
23-02-2012, 10:48 PM | #19 |
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Re: Jokes in Haryanavi
ईब मैं तन्नैं के कहूँ
एक छौरे का ब्याह हो ग्या…..सुहाग रात नै जब दूल्हन का घूंघट उठाया…....तो चेहरा देख के लट्टू हो गया….…ओर बोल्या……हाये रै मेरी किस्मत……मेरे इतनी खूबसुरत बहू आ गई……जी सा आ गया रै…….और खुश हो के दूल्हन ने न्यूं बोल्या…ईब मैं तन्नैं के कहूँ….? और यूं कहते-कहते………के……..ईब मैं तन्नैं के कहूँ……ईब मैं तन्नैं के कहूँ……....सुबह के चार बज गये……। निरणे कालजे सवेरे-सवेरे छौरे का बापू………नवदम्पती के कमरे के आगे को निकले था….उसने सुणा….बेटा तो सुबह के चार बजे तक एक ही राग अलाप रहा है…..के ईब मैं तन्नैं के कहूँ……..बापू पै भी कहे बिना रहा नी गया….बापू बोल्या…...रै छौरे……तू इसने एक बै माँ कह कै कमरे तै बाहर निकल आ……....बाकी जो भी कहना-सुनणा होगा मै आपै कह-सुण लूंगा……. |
23-02-2012, 10:49 PM | #20 |
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Re: Jokes in Haryanavi
ताऊ धीरे की बारिश
एक बै ताऊ धीरे चौपाड़ में होक्का पीवण लाग रहया था । ताऊ चतरे उसतैं बोल्या - भाई, आजकल भगवान नै मींह गेरणा कम कर दिया । ताऊ धीरे छूटतीं हें बोल्या - भाई मींह क्यूकर पड़ै ? बूढ़्यां नै तै होक्का पीणा बंद कर दिया, जवानां नै बीड़ी पीणी बंध कर दी, अर लुगाइयां नै चूल्हा जळाना बंद कर दिया । ईब जब धूमा-ऐं ना होगा तै बादळ के तेरे खंडवे के बणैंगे ? |
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