10-12-2010, 08:40 AM | #11 |
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विशेष टिप्पणीः जेपीसी सिर्फ घोटाले को दफन
विशेष टिप्पणीः जेपीसी सिर्फ घोटाले को दफनाएगी किसी घोटाले का पर्दाफाश करना तो आसान है, पर दोषी शख्स को सजा दिलाना मुश्किल है। खास तौर से लोकतांत्रिक भारत में। घोटाले के लिए जिम्मेदार कौन है, यह समझना बेहद जरूरी है। चूंकि हम इस मूल मुद्दे को भूल गए हैं, इससे दोषी शख्स आसानी से बच रहे हैं। गौरतलब है कि सूचनाओं की भरमार से मूल मुद्दा लुप्त होता जा रहा है। बहस मूल मुद्दे से भटक रही है। जरूरी है कि स्थितियों को सरल बनाते हुए हम मूल विषय पर ही ध्यान केंद्रित करें। घोटाला यह है कि नीतियों को बदल कर कुछ कंपनियों को लाभ पहुंचाया गया। इसके बदले में मंत्री और नौकरशाह भी लाभान्वित हुए हैं। 2जी स्पेक्ट्रम मामले में टेलीकॉम मंत्री ए.राजा ने कुछ कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाइसेंस देने की प्रक्रिया ही पूरी तरह से बदल दी। ऐसा नौकरशाहों की मिलीभगत से ही संभव हो सकता है। यह घोटाला सिर्फ लॉबिंग करने वालों और पत्रकारों की बातचीत या रतन टाटा की निजता की समस्या भर नहीं है। ये तो इस घोटाले से जुड़ी साइड स्टोरी हैं, प्रमुख दोषी तो अब भी आजाद घूम रहे हैं। इसे देखते हुए यदि विपक्ष दोषियों को सजा दिलाना चाहता है, तो उसे कार्रवाई की मांग करनी चाहिए। बजाय इसके विपक्ष संयुक्त संसदीय जांच समिति (जेपीसी) की मांग पर ही अड़ा हुआ है। इसकी वजह है कि जेपीसी विपक्ष को न सिर्फ प्रधानमंत्री, बल्कि सोनिया गांधी को भी घेरने का अधिकार दे देगी। जेपीसी किसी को भी अपने समक्ष पेश होने का आदेश दे सकती है। अब भला इससे विपक्ष का क्या फायदा होने वाला है? प्रधानमंत्री के अधिकारों पर उंगली उठा कर या गांधी परिवार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर विपक्ष कांग्रेस के सत्ता में आने के औचित्य पर ही निशाना साधेगा। विपक्ष ए.राजा, डीएमके सुप्रीमो करुणानिधि और सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल प्रत्येक धड़े को कठघरे में खड़ा करना चाहता है। इससे और कुछ हो न हो, यूपीए गठबंधन जरूर बिखर जाएगा। जेपीसी का नेतृत्व सत्तारूढ़ पार्टी के ही किसी सदस्य के हाथों होता है। ऐसे में जेपीसी अध्यक्ष द्वारा किसी को समिति के समक्ष पेश होने से इनकार करने पर विपक्ष को एक बार संसदीय कार्यवाही ठप करने का मौका भी मिलेगा। जेपीसी के पास घोटाले में शामिल कंपनियों को समन जारी करने का भी अधिकार रहता है। सरल शब्दों में कहें तो इस तरह संसद में प्रत्येक पार्टी को प्रश्न दागने का अधिकार होगा, मानो सभी सरकार में हों। जेपीसी का हर सवाल और उसका जवाब अखबारों की सुर्खियों में रहेगा। इस तरह घोटाले का राजफाश तो नहीं होगा, बल्कि इस पर बहस और विचार-विमर्श ही चलता रहेगा। लोग इससे आजिज आ जाएंगे और उन्हें लगने लगेगा कि सरकार सिर्फ चोर-उचक्कों, धोखेबाजों का जमावड़ा भर है। इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि घोटाले के लिए जिम्मेदार या दोषियों के खिलाफ कुछ किया जाएगा। जेपीसी सभी पार्टियों के बीच लेन-देन के रास्ते भी खोल देगा। यहां तक कि सबसे छोटे दल को भी घोटाले के जिम्मेदार लोगों से अपना हिस्सा मिलेगा। इस तरह यह नौटंकी जब तक संभव है तब तक जारी रखी जा सकती है। फिलहाल विपक्ष जेपीसी की मांग पर अड़े रहकर यूपीए सरकार की छवि को ही ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की मंशा रखता है। उसे लगता है कि इससे उनके राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति हो जाएगी। विपक्ष मान रहा है कि इस तरह वह सत्ता में वापसी कर सकता है। यही वह बिंदु है जहां वे आम आदमी की अपेक्षाओं और जरूरतों को समझ नहीं पा रहे हैं। इन घोटालों से देश के विकास की रफ्तार धीमी नहीं पड़ने वाली। विपक्ष अड़ियल रवैया अख्तियार कर संसद की कार्यवाही तो ठप कर सकता है, लेकिन देश के विकास को नहीं। व्यापार-वाणिज्य अपनी रफ्तार से चल रहा है, लोग नए अवसरों को खोजने में व्यस्त हैं। माहौल महत्वाकांक्षाओं से ओत-प्रोत है। हर भारतीय कहीं न कहीं पहुंचने की जल्दी में है। अगर यह बात हमारे सांसद नहीं समझ पा रहे हैं तो वे हकीकत से पूरी तरह नावाकिफ हैं या यूं कहें कि वास्तविकता से आंखें चुराने का काम कर रहे हैं। आम आदमी सिर्फ कार्रवाई में यकीन रखता है। अगर विपक्ष सरकार में अपनी वापसी चाहता है, तो उसे त्वरित कार्रवाई पर जोर देना होगा। क्या विपक्ष सरकार से 100 दिनों के भीतर घोटाले के दोषियों पर कार्रवाई की मांग नहीं कर सकता? क्या वह कार्रवाई की प्रक्रिया और उस पर अमलीजामा पहनाने पर ही ध्यान केंद्रित कर सकता है? हम सभी चाहते हैं कि भ्रष्ट ताकतें या लोग सलाखों के पीछे हों। आम आदमी चाहता है कि विभिन्न कंपनियों ने जनता की गाढ़ी कमाई का जितना गैर-वाजिब लाभ कमाया है, वह जनता को वापस मिले। आम आदमी चाहता है कि टेलीकॉम स्पेक्ट्रम से जुड़ी भविष्य की प्रक्रिया निश्चित नियम-कायदों के अनुरूप हो। क्या विपक्ष जनता के पास अगली बार वोट मांगने जाते वक्त ऊपर बताए गए रास्तों से हासिल परिणामरूपी उपलब्धियों को नहीं गिना सकता है? निष्क्रियता के लिए कोई पुरस्कार नहीं मिलता। आम आदमी के पास अब इतना धैर्य नहीं है कि वह राजनीतिक नौटंकी देखे। वह ऐसे राजनेताओं से आजिज आ चुका है, जो सिर्फ शिकायत या आलोचना करते हैं, किसी समस्या के समाधान के प्रति कदम नहीं उठाते। आज के दौर में ऐसे लोग आम आदमी को फूटी आंख नहीं सुहाते जो सरकार को तोड़ना जानते हैं, सरकार चलाना और बनाना नहीं जानते। वे जमाने लद गए जब सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन की आलोचना के बल पर चुनाव जीत जाते थे। आज चुनाव उपलब्धियों के आधार पर जीते जाते हैं। विपक्ष इसी मसले पर कमजोर पड़ता दिख रहा है। उसके पास उपलब्धियों के नाम पर दिखाने को कुछ नहीं है। सिवाय संसदीय कार्यवाही ठप करने के। क्या विपक्ष टेलीकॉम घोटाले को एक ऐसे अवसर के तौर पर लेगा, जिसमें वह अपने होने और कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए कटिबद्ध कर सके? |
15-12-2010, 08:52 AM | #12 |
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2g घोटाला: ए. राजा को जेल भेजने की तैयारी पूरी!
2g घोटाला: ए. राजा को जेल भेजने की तैयारी पूरी! नई दिल्*ली. 2जी स्*पेक्*ट्रम घोटाले में फंसे पूर्व संचार मंत्री ए राजा के खिलाफ सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों राजा के नई दिल्*ली और चेन्*नई स्थित आवासों पर जांच एजेंसी की छापेमारी के दौरान अहम दस्*तावेज हाथ लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि हजारों करोड़ रुपये के घोटाला मामले में राजा के परिजनों के घर छापेमारी के दौरान पूर्व मंत्री के खिलाफ अहम सबूत हाथ लगे हैं जिनके आधार पर उनके खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाया जा सकता है। सीबीआई राजा के सहयोगी अधिकारियों को इस मामले में गवाह के तौर पर पेश करने पर भी विचार कर रही है। स्*पेक्*ट्रम घोटाला मामले में सरकार की ओर से नियुक्*त एक सदस्*यीय जांच आयोग के अध्*यक्ष जस्टिस शिवराज पाटिल ने कहा है कि जांच की शर्तों को आखिरी रूप दे दिया गया है। जस्टिस पाटिल ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि आयोग इस बात की जांच करेगा कि स्*पेक्*ट्रम आवंटन में किस स्*तर पर गड़बड़ी हुई है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कॉरपोरेट घरानों और सरकार के बीच 'कड़ी' का काम करने वाली लॉबिइस्*ट नीरा राडिया के खिलाफ शिकायत दर्ज किए जाने के निर्देश सरकार को दिए हैं। राडिया पर विदेशी जासूस होने का आरोप लगा है। अदालत ने इस शिकायत को सीलबंद लिफाफे में बंद कर पेश करने को भी कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई दो फरवरी को होगी। नए टेप से नया खुलासा इस मामले में दो बड़े पत्रकारों का नाम आने के बाद अब तक यही पता चल सका था कि स्*पेक्*ट्रम मामले में हिंदुस्तान टाइम्स के सलाहकार वीर सांघवी ने पहले कहा था कि उन्होंने कॉलम को लेकर नीरा राडिया से जो बातें कीं, वे सिर्फ सूचना हासिल करने के लिए थीं। लेकिन नए टेप्*स से नए खुलासे सामने आए हैं। नए टेप्स : सांघवी- जैसा तुमने बताया था वैसा ही लिखा। ताकि संसाधनों (गैस) को लेकर लोगों में एक नजरिया बने। राडिया- बहुत अच्छा, धन्यवाद वीर। सांघवी- मैंने ऐसा लिखा कि वह मनमोहन सिंह के लिए अर्जी लगे, न कि अंबानी भाइयों का विवाद। (अपने सहयोगी को राडिया ने वीर सांघवी के लिए प्रश्न तैयार करने को कहा और बताया कि वीर सांघवी कुछ इंटरव्यू लेना चाहते हैं। इसमें पहला मुकेश अंबानी का होगा और दूसरा रतन टाटा का। इसमें वे वही प्रश्न पूछेंगे, जैसा हम कहेंगे।) अब तक : एनडीटीवी की ग्रुप एडिटर बरखा दत्त ने राडिया को केवल सूत्र बताया था और कहा था कि राजा को मंत्री बनवाने के लिए उन्होंने किसी कांग्रेस नेता से बात नहीं की। नए टेप्स : राडिया- कांग्रेस ने तो थैंक गॉड बयान दे दिया, बरखा ने ये सब करवा दिया। (राजा को मंत्रिमंडल में लिए जाने की घोषणा पर) अंजान साथी- हां, वो मैंने देख लिया। आ गया ना मनीष तिवारी का...(कांग्रेस प्रवक्ता के बयान के बाद)। राजा की पैरवी सुनील मित्तल के करीबी तरुण दास को राडिया ने खबर दी कि राजा को मंत्रिमंडल में ले लिया गया है और वे वैसा ही करेंगे, जैसा हम चाहेंगे। राडिया- ... उन्होंने (मनमोहन सिंह) राजा के लिए इशारा (डीएमके को) कर दिया है। दास- ...लेकिन वे काफी अलोकप्रिय हैं। नहीं, ऐसा सिर्फ सुनील (सुनील मित्तल) समझते हैं। आप विश्वास करिए, वे (राजा) वैसा ही करेंगे जैसा हम चाहेंगे। राजा ने वादा किया है कि वे सुनील से बात करके सारा मामला सुलझा लेंगे। आप वह सब मुझ पर छोड़ दीजिए। राडिया ने तरुण दास को कमलनाथ के बारे में बताया कि वे कर्मठ हैं और अपना 15 फीसदी हिस्सा (कमीशन) बना ही लेते हैं। राडिया ने कहा कि रतन टाटा मारन को लेकर चिंतित थे कि कहीं उन्हें टेलीकॉम मंत्री न बना दिया जाए। राजा के आने पर वे खुश हैं। (तरूण दास, सीआईआई के पूर्व प्रमुख) |
15-12-2010, 08:55 AM | #13 |
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स्*पेक्*ट्रम घोटाला:जानिए सबकुछ
स्*पेक्*ट्रम घोटाला:जानिए सबकुछ 2 जी स्*पेक्*ट्रम आवंटन से जुडी कैग की रिपोर्ट संसद में पेश हो चुकी है। रिपोर्ट में तत्*कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा को आवंटन की प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी के लिए जिम्*मेदार ठहराया गया है और उनके द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह न मानने की बात भी कही गई है। 2जी स्*पेक्*ट्रम के आवंटन में उचित प्रक्रिया नहीं अपनाने से सरकारी खजाने को करीब एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि दूरसंचार मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय, कानून मंत्रालय और वित्त मंत्रालय की सलाहों को दरकिनार किया। मंत्रालय ने रिलायंस कम्यूनिकेशंस और टाटा टेलीसर्विसेज समेत बड़ी टेलीकॉम कंपनियों को दोहरी तकनीक वाले लाइसेंस जारी करने में ‘पारदर्शी और निष्*पक्ष’ रवैया नहीं अपनाया। रिपोर्ट के अनुसार अचल संपत्ति कारोबार करने वाली कंपनियों को भी 2जी स्*पेक्*ट्रम के लाईसेंस बांटे गए हैं। यूनिटेक बिल्*डर्स एंड ईस्टेट, हडसन प्रोपर्टीज, अजारे प्रोपर्टीज और वोल्गा प्रापर्टीज समेत नौ कंपनियां ऐसी हैं जिनका दूरसंचार कारोबार से कोई लेना देना नहीं था। रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री ने स्*पेक्*ट्रम के निष्पक्ष एवं पारदर्शी आवंटन की सलाह दी थी और वित्त मंत्रालय ने स्*पेक्*ट्रम की कीमत पर मंत्रियों के समूह में विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। इन दोनों ही सुझावों की मंत्रालय ने उपेक्षा की। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2008 में जारी 122 में से 85 2जी स्*पेक्*ट्रम लाइसेंस ऐसी कंपनियों को दिए गए जो जरूरी शर्तें पूरा नहीं करती थीं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उन्होंने 2001 में निकाले गए प्रवेश शुल्क पर बिना विचार किए 2008 में कुछ नए ऑपरेटरों को स्पेक्ट्रम का आवंटन किया। रिपोर्ट के मुताबिक राजा ने किसी एक सर्किल में लाइसेंस धारकों की अधिकतम संख्या पर कोई सीमा न लगाने की ट्राई की सिफारिशों को भी दरकिनार किया। जनता की कीमत पर घोटाले स्*पेक्*ट्रम घोटाले से सीएजी के मुताबिक सरकार को करीब 1.76 लाख करोड़ रुपये का चूना लगा है। - -इतनी रकम से देश के हर भूखे व्*यक्ति का पेट अगले दस साल तक भरा जा सकता था। - गरीबों को रोजगार के लिए चलाई जाने वाली महत्*वाकांक्षी परियोजना मनरेगा (महात्*मा गांधी राष्*ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) का पांच साल का खर्च उठाया जा सकता था।- - भारत की हर लड़की के लिए तीन साल तक प्राथमिक शिक्षा का इंतजाम किया जा सकता था। - नए विमानों के दस बेड़े, विमानवाहक और सैकड़ों टैंक खरीदे जा सकते थे।- - देश का 10 फीसदी कर्जा चुकाया जा सकता था। - या फिर, हर भारतीय को एक साल तक टैक्*स में 15 फीसदी की रियायत दी जा सकती थी। कैसे तय की सीएजी ने कुल रकम सीएजी ने 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में करीब 1.77 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा निकालने के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन और मोबाइल कंपनी एस-टेल के सरकार को दिए प्रस्तावों को आधार बनाया है। दूरसंचार की रेडियो फ्रिक्वेंसी को सरकार नियंत्रित करती है और अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीए) से तालमेल बनाकर काम करती है। दुनिया में आई मोबाइल क्रांति के बाद कई कंपनियों ने इस क्षेत्र में प्रवेश किया। सरकार ने हर कंपनी को फ्रिक्वेंसी रेंज यानी स्पेक्ट्रम का आवंटन कर लाइसेंस देने की नीति बनाई। उन्नत तकनीकों के हिसाब से इन्हें पहली जनरेशन(पीढ़ी) यानी 1जी, 2 जी और 3जी का नाम दिया गया। हर नई तकनीक में ज्यादा फ्रिक्वेंसी होती हैं और इसीलिए टेलीकॉम कंपनियां सरकार को भारी रकम देकर फ्रिक्वेंसी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस लेती हैं। ए राजा ने 2008 में नियमों के उल्लंघन करते हुए 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन किया। इसके लिए विभाग ने 2001 में आवंटन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया को आधार बनाया, जो काफी पुरानी थी। बिना नीलामी पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर आवंटन किए गए। इससे 9 कंपनियों को काफी लाभ हुआ। प्रत्येक को केवल 1651 करोड़ रुपयों में स्पेक्ट्रम आवंटित किए गए जबकि हर लाइसेंस की कीमत 7,442 करोड़ रुपयों से 47,912 करोड़ रुपये तक हो सकती थी। सीएजी ने 1.77 लाख करोड़ का आंकड़ा निकालने के लिए दो तथ्यों को आधार बनाया। उन्होंने इस साल 3जी आवंटन में मिली कुल रकम और 2007 में एस-टेल कंपनी द्वारा लाइसेंस के लिए सरकार को दिए प्रस्ताव के आधार पर यह नतीजा निकाला। सीएजी के अनुसार 122 लाइसेंस के आवंटन में सरकार को जितनी रकम मिली, उससे 1.77 लाख करोड़ रुपए और मिल सकते थे। |
15-12-2010, 08:57 AM | #14 |
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2जी स्पेक्ट्रम : विदेशी एजेंट हैं राडिया!
2जी स्पेक्ट्रम : विदेशी एजेंट हैं राडिया! आयकर विभाग की जांच शाखा ने कहा है कि कॉपरेरेट लॉबीस्ट नीरा राडिया और उद्योगपति रतन टाटा व अन्य के बीच की बातचीत के टेप उसने लीक नहीं किए हैं। हालांकि उसने चुप्पी बनाए रखी है कि बातचीत के टेप क्या सीबीआई जैसी दूसरी एजेंसियों ने लीक किए। रतन टाटा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी नोटिस के जवाब में आयकर विभाग के अतिरिक्त निदेशक सुशील कुमार ने बताया कि हमारे द्वारा रिकॉर्ड बातचीत कभी मीडिया में नहीं आई है। जवाब में यह भी बताया गया है कि एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए यह बातचीत टेप की गई थी जिसमें राडिया को विदेशी एजेंट बताया गया था। उन पर राष्ट्रद्रोही गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाया गया था। शिकायत में कहा गया कि राडिया ने नौ साल में 300 करोड़ रुपए का व्यवसाय खड़ा कर दिया है। इसके बाद शुरू की गई जांच में गृह मंत्रालय की अनुमति से राडिया की 14 फोन लाइनें 180 दिन तक टेप की गई। जवाब के मुताबिक, आयकर महानिदेशक ने इंटेलीजेंस ब्यूरो को चिट्ठी लिखकर बताया था कि बातचीत के कुछ अंश बहुत संवेदनशील हैं। टाटा समूह के प्रमुख रतन टाटा ने टेप लीक होने की जांच की मांग करते हुए शीर्ष अदालत में याचिका लगाई है। उन्होंने टेप में उनकी और राडिया की बातचीत के प्रकाशन पर रोक लगाने की भी मांग की है। मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी। जांच की जरूरत जवाब में कहा है कि नीरा राडिया टेप लीकेज मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं। लेकिन यह भी कहा है कि अगर किसी सेलफोन सेवा प्रदाता ने अवैध तौर पर सूचना लीक की है तो आयकर विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। यह संचार या दूसरा सक्षम मंत्रालय ही कर सकता है। यह भी कहा गया है कि टेपों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। उपलब्ध जानकारी के आधार पर यह मानने का कोई कारण नहीं है कि आयकर विभाग से टेलीफोन बातचीत लीक हुई है। कब-क्या हुआ - 16 नवंबर 2007 को राडिया के खिलाफ शिकायत मिली। - 20 अगस्त 2008 से 120 दिन तक और फिर 11 मई 2009 से 9 जुलाई 2009 तक 60 दिन, कुल 180 दिन राडिया की बातचीत की रिकॉर्डिंग। - 23 दिसंबर 2009 को आयकर महानिदेशक ने राडिया के 1450 कॉल रिकॉर्ड सीबीआई को सौंपे। - मई 2010 में सीबीआई ने आयकर महानिदेशक से 20 अगस्त 2008 से 9 जुलाई 2009 तक राडिया की पूरी रिकॉर्ड बातचीत के टेप उपलब्ध कराने को कहा। - पहली बार अप्रैल 2010 में मीडिया में आया कि राडिया व अन्य के बीच बातचीत आयकर विभाग ने टेप की है और सीबीआई से साझा की है। - सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) ने दिल्ली हाईकोर्ट में टेप सार्वजनिक करने और 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच की मांग संबंधी याचिका दायर की, याचिका खारिज। - सीपीआईएल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई, अधिकारियों ने टेप शीर्ष कोर्ट के सुपुर्द किए। - नवंबर 2010 में ‘ओपन’ और ‘आउटलुक’ में टेप की बातचीत का प्रकाशन। प्रकाशन पर रोक में जताई असमर्थता मीडिया में टेप की बातचीत के प्रकाशन को रोकने में असमर्थता जाहिर करते हुए कहा गया है कि यह सरकार के लिए संभव या व्यावहारिक नहीं है। टाटा की याचिका पर शीर्ष कोर्ट ने 2 दिसंबर को केंद्रीय गृह सचिव,वित्त मंत्रालय, सीबीआई, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और आयकर विभाग को नोटिस जारी किए थे। टेप की बातचीत के अंश प्रकाशित करने के लिए ‘आउटलुक’ और ‘ओपन’ मैग्जीन को भी नोटिस जारी किए गए हैं। इन सभी से 10 दिनों में जवाब मांगा गया है। |
15-12-2010, 09:00 AM | #15 |
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2g घोटाला: रतन टाटा का भरोसा जीत कर आगे बढ़ीं न
2g घोटाला: रतन टाटा का भरोसा जीत कर आगे बढ़ीं नीरा राडिया 2जी स्*पेक्*ट्रम लाइसेंस में हुए कथित घोटाले के सिलसिले में चर्चा में आईं नीरा राडिया लियाजनिंग करने वाली देश की बड़ी हस्तियों में शुमार हैं। उन्*होंने 1990 में विदेशी कंपनी सिंगापुर एयरलाइंस के भारत में प्रवेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि बाद में सिंगापुर एयरलाइंस ने भारत में विमान सेवा शुरू नहीं की, लेकिन राडिया तत्कालीन उड्डयन मंत्री अनंत कुमार और टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा पर अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहीं। रतन टाटा सिंगापुर एयरलाइंस के भारतीय पार्टनर थे। हाल ही में रतन टाटा ने खुलासा किया था कि सिंगापुर एयरलाइंस के साथ मिल कर वह विमानन कंपनी खोलना चाहते थे, लेकिन एक मंत्री ने उनसे 15 करोड़ की रिश्*वत मांगी थी। उन्*होंने रिश्*वत देने से इनकार कर दिया था और एयरलाइन कंपनी खोलने का उनका सपना अधूरा ही रह गया। राडिया ने व्यावसायिक जगत में 2000 में तब हड़कंप मचाया जब उन्होंने केवल 1 लाख रुपए की पूंजी के साथ खुद की एयरलाइंस कंपनी शुरू करने के लिए लाइसेंस मांगा। हालांकि उनके लाइसेंस का आवेदन निरस्त कर दिया गया। उस समय नागरिक उड्डयन मंत्री अनंत कुमार थे। लेकिन तब तक रतन टाटा राडिया से काफी प्रभावित हो चुके थे। उन्होंने राडिया को टाटा टेलीसर्विसेज से जुड़े मामलों में आ रही अड़चनें सुलझाने की जबाबदारी सौंप दी। इसके बाद (2001 में) वैष्*णवी कार्पोरेट कम्युनिकेशंस कंपनी बनाई गई। राडिया ने टाटा समूह से नजदीकी का भरपूर लाभ लिया और वे करीब 50 बड़ी कंपनियों को सलाह देने का काम करने लगीं। मुकेश अंबानी ने भी 2008-09 में मीडिया प्रबंधन के लिए राडिया की कंपनी को सलाहकार बनाया। इसी बीच राडिया 2जी लाइसेंस आवंटन के लिए सक्रिय हो गईं। इसके बाद उन्होंने दूरसंचार विभाग से जुड़े कई अफसरों से बेहतर संबंध बनाए। बड़ी कंपनियों और सरकार के बीच अहम कड़ी का किरदार निभाने वाली नीरा राडिया ने प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ में माना है कि वह टाटा टेलीसर्विसेज और यूनीटेक वायरलेस के लिए पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा से लाइजनिंग कर रहीं थीं। उन्हें दो कंपनियों से उन्हें सलाह देने के एवज में 60 करोड़ की रकम मिली थी। राडिया का कैरियर 2009-10 में चरम पर था। उनकी सभी कंपनियों का सालाना टर्नओवर 100 से 120 करोड़ रुपए के आसपास आंका गया। राडिया कीनिया में पैदा हुईं और उनके पास ब्रिटेन का पासपोर्ट है। नाम कमाने के बाद बदनामी नीरा राडिया पर यह भी आरोप लगते रहे हैं कि उन्*होंने ए राजा को दूरसंचार मंत्री बनवाने के लिए काफी पैरवी की थी। इसके लिए उन्*होंने देश के दो बड़े पत्रकारों की भी मदद लेने की कोशिश की थी। इस संबंध में बातचीत की एक रिकॉर्डिंग भी सार्वजनिक हो चुकी है और इस पर काफी विवाद हो रहा है। प्रवर्तन निदेशालय ने नीरा राडिया से 2जी स्पेक्ट्रम के मामले में बुधवार को लंबी पूछताछ की। पूछताछ मुख्यतः 2 जी घोटाला, उनके राजा से संबंध और 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में शामिल कंपनियों के राडिया से संबंधों पर ही केंद्रित रही। राडिया की कंपनी वैश्नवी कार्पोरेट कम्युनिकेशंस द्वारा जारी बयान में आरोप लगाया गया कि उनके द्वारा टाटा टेलीसर्विसेज की पैरवी किए जाने के बाद इस कंपनी के साथ सौतेला व्यवहार किया गया। निदेशालय ने राडिया का 20 पेज का बयान दर्ज किया है. प्रवर्तन निदेशालय में उप निदेशक प्रभा कांत ने बताया कि अभी राडिया से और भी दस्तावेज मंगवाए गए हैं। उनसे और पूछताछ बाकी है। अधिकारियों ने बताया कि राडिया वैष्*णवी कार्पोरेट कंसल्टेंसी के अलावा विटकॉम, न्योकॉम, मैजिक एयरलाइंस और नोएसिस कंसल्टेंसी सर्विसेज की भी डायरेक्*टर हैं। पूछताछ में इन कंपनियों के पास अलग अलग स्रोतों से जमा हुई रकम के बारे में भी जानकारी मांगी गई। |
15-12-2010, 09:01 AM | #16 |
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राजा ने कराई दुनियाभर में बदनामी, विश्*व मी
राजा ने कराई दुनियाभर में बदनामी, विश्*व मीडिया की सुर्खियां बना 'भ्रष्ट भारत' पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के मामले में भारत की छवि को फिर एक बार करारा झटका लगा है। विश्व के कई अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है, जिससे फिर एक बार संदेश गया है कि भारत में भ्रष्टाचार व्यवस्था का अंग बन गया है। ‘द डॉन’ ने इस खबर को प्रकाशित करते हुए लिखा है कि इस घटना ने भारत, जहां भ्रष्टाचार आम है को भी चौंका दिया है। भारत में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन से लेकर बड़े व्यावसायिक कांट्रेक्ट हासिल करने तक, सभी के लिए रिश्वत देना पड़ती है लेकिन इस घटना ने पूरी राजनीति को हिला दिया है। सत्ताधारी दल एक बड़े संकट में फंस गया है। ‘द न्यूज’ ने भी इस प्रकरण के बारे में लिखा है कि भारत में कितना भी बड़ा घोटाला हो जल्दी ही भुला दिया जाता है। जनता मानकर चलती है कि राजनीतिज्ञ तो भ्रष्ट ही हैं। शाजद ही कोई बड़ा राजनीतिज्ञ भारत में जेल जाता है। ‘अल जजीरा’ ने लिखा है कि यह अब केवल भारत का घरेलू मामला नहीं रहा है बल्कि अब यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि और प्रतिष्ठा का सवाल है। अखबार के अनुसार कांग्रेस के पिछले 6 साल के शासन में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं। ‘गल्फ न्यूज’ ने हालांकि अपनी तरफ से कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन उसने 2जी घोटाले को लेकर ए राजा के इस्तीफे को मंजूरी और कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी के खास सहयोगियों की गिरफ्तारी की घटना को मिला कर एक खबर बनाई है। जाहिर है इसके भारत की कोई बेहतर छवि नहीं बनेगी। ‘गल्*फ न्*यूज’ ने स्*पेक्*ट्रम घोटालाको भारत के सरकारी खजाने को 39 अरब डॉलर का नुकसान बताया है। ‘द गार्जियन’ ने इस घोटाले के कथित आरोपी पूर्व मंत्री ए राजा का जिक्र करते हुए लिखा है कि मंत्री ने सस्*ते दाम में मोबाइल फोन के लाइसेंस बेच दिए जिससे सरकार को 22 अरब पौंड का नुकसान हुआ। खबर में इस मामले पर प्रधानमंत्री की चुप्*पी पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्*पणी का भी जिक्र है। अखबार ने बोफोर्स घोटाले का जिक्र भी किया। अखबार ने जानकारों के हवाले से लिखा है कि स्*पेक्*ट्रम घोटाला से सरकारी खजाने को जितनी राशि का नुकसान हुआ है वह राशि भारत के साल भर के रक्षा बजट के बराबर है या फिर उससे दिल्*ली में 10 आधुनिक एयरपोर्ट टर्मिनल तैयार किए जा सकते हैं। ‘वॉल स्*ट्रीट जर्नल’ ने स्*पेक्*ट्रम घोटाले की खबर को प्रमुखता से लेते हुए अपनी रिपोर्ट में कॉमनवेल्*थ खेलों से जुड़ी भ्रष्*टाचार की शिकायतों और मुंबई के आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले का भी जिक्र किया है। इसमें कॉमनवेल्*थ मामले में कलमाड़ी को कांग्रेस के महासचिव पद से जबकि अशोक चव्*हाण को महाराष्*ट्र के मुख्*यमंत्री पद से हटाए जाने की बात भी कही गई है। ‘इरिश टाइम्स’ ने 2जी घोटाले को भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल का सबसे बड़े भ्रष्टाचार का मामला बताया है, जिसमें एक वरिष्ठ मंत्री की भूमिका संदिग्ध है। अखबार ने नवंबर 2007 और जनवरी 2008 के बीच हुए एक सर्वे के आधार पर बताया कि भारत में स्थानीय लोगों को पुलिस, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूल जरुरतों के लिए भी रिश्वत देना पड़ती है। पुलिस विभाग सबसे ज्यादा भ्रष्ट है। |
27-05-2011, 04:47 PM | #17 |
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Re: राजा ने कराई दुनियाभर में बदनामी, विश्*व मी
good one...tfs
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