21-11-2010, 07:44 PM | #11 |
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Re: अन्ताक्षरी(मुहावरे और दोहे)
रहे कबीर पाखण्ड सब, झूठे सदा निराश ॥ |
23-11-2010, 04:21 AM | #12 |
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Re: अन्ताक्षरी(मुहावरे और दोहे)
शीलवन्त सबसे बड़ा, सब रतनन की खान ।
तीन लोक की सम्पदा, रही शील में आन ॥ |
29-11-2010, 02:58 PM | #13 |
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Re: अन्ताक्षरी(मुहावरे और दोहे)
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01-12-2010, 08:12 AM | #14 |
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Re: अन्ताक्षरी(मुहावरे और दोहे)
बाप मरे अँधेरे में बेटा पॉवर हाउस !
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01-12-2010, 02:24 PM | #15 |
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Re: अन्ताक्षरी(मुहावरे और दोहे)
क्यों अंधे को न्योता दू और क्यों दो को बुलाऊ
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काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में प्रलय होयगी, बहुरि करोगे कब. - संत कबीर |
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