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Old 11-11-2010, 03:57 PM   #11
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साईँ बाबा की आरति

आरती उतारे हम तुम्हारी सैइँ बाबा .
चरणों के तेरे हम पुजारी साईँ बाबा ..

विद्या बल बुद्धि, बन्धु माता पिता हो
तन मन धन प्राण, तुम ही सखा हो
हे जगदाता अवतारे, साईँ बाबा .
आरती उतारे हम तुम्हारी सैइँ बाबा ..

ब्रह्म के सगुण अवतार तुम स्वामी
ज्ञानी दयावान प्रभु अंतरयामी
सुन लो विनती हमारी साईँ बाबा .
आरती उतारे हम तुम्हारी सैइँ बाबा ..

आदि हो अनंत त्रिगुणात्मक मूर्ति
सिंधु करुणा के हो उद्धारक मूर्ति
शिरडी के संत चमत्कारी साईँ बाबा .
आरती उतारे हम तुम्हारी सैइँ बाबा ..

भक्तों की खातिर, जनम लिये तुम
प्रेम ज्ञान सत्य स्नेह, मरम दिये तुम
दुखिया जनों के हितकारी साईँ बाबा .
आरती उतारे हम तुम्हारी सैइँ बाबा .
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Old 11-11-2010, 04:01 PM   #12
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भजन्स

हमको मनकी शक्ति
प्रार्थना

हमको मनकी शक्ति देना, मन विजय करें .
दूसरोंकी जयसे पहले, खुदकी जय करें .
हमको मनकी शक्ति देना ..

भेदभाव अपने दिलसे, साफ कर सकें .
दूसरोंसे भूल हो तो, माफ कर सकें .
झूठसे बचे रहें, सचका दम भरें .
दूसरोंकी जयसे पहले,

मुश्किलें पडें तो हमपे, इतना कर्म कर .
साथ दें तो धर्मका, चलें तो धर्म पर .
खुदपे हौसला रहे, सचका दम भरें .
दूसरोंकी जयसे पहले,
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Old 11-11-2010, 04:03 PM   #13
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गौरीनंदन गजानना

गौरीनंदन गजानना हे दुःखभंजन गजानना .

मूषक वाहन गजानना बुद्धीविनायक गजानना .

विघ्नविनाशक गजानना शंकरपूत्र गजानना .
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Old 11-11-2010, 04:05 PM   #14
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ऐ मालिक तेरे बंदे हम

ऐ मालिक तेरे बंदे हम
ऐसे हो हमारे करम
नेकी पर चलें
और बदी से टलें
ताकि हंसते हुये निकले दम

जब ज़ुलमों का हो सामना
तब तू ही हमें थामना
वो बुराई करें
हम भलाई भरें
नहीं बदले की हो कामना
बढ़ उठे प्यार का हर कदम
और मिटे बैर का ये भरम
नेकी पर चलें

ये अंधेरा घना छा रहा
तेरा इनसान घबरा रहा
हो रहा बेखबर
कुछ न आता नज़र
सुख का सूरज छिपा जा रहा
है तेरी रोशनी में वो दम
जो अमावस को कर दे पूनम
नेकी पर चलें

बड़ा कमज़ोर है आदमी
अभी लाखों हैं इसमें कमीं
पर तू जो खड़ा
है दयालू बड़ा
तेरी कृपा से धरती थमी
दिया तूने हमें जब जनम
तू ही झेलेगा हम सबके ग़म
नेकी पर चलें
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Old 11-11-2010, 04:11 PM   #15
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ज्योत से ज्योत जगाते
ज्योत से ज्योत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आए जो दीन दुखी सबको गले से लगाते चलो ..

जिसका न कोई संगी साथी ईश्वर है रखवाला
जो निर्धन है जो निर्बल है वह है प्रभू का प्यारा
प्यार के मोती लुटाते चलो, प्रेम की गंगा

आशा टूटी ममता रूठी छूट गया है किनारा
बंद करो मत द्वार दया का दे दो कुछ तो सहारा
दीप दया का जलाते चलो, प्रेम की गंगा

छाया है छाओं और अंधेरा भटक गैइ हैं दिशाएं
मानव बन बैठा है दानव किसको व्यथा सुनाएं
धरती को स्वर्ग बनाते चलो, प्रेम की गंगा
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Old 11-11-2010, 04:13 PM   #16
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अल्लाह तेरो नाम

अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम
अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम ...

माँगों का सिन्दूर ना छूटे
माँ बहनो की आस ना टूटे
देह बिना, दाता, देह बिना
भटके ना प्राण
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम,

ओ सारे जग के रखवाले
ओ सारे जग के रखवाले
निर्बल को बल देने वाले
निर्बल को बल देने वाले
बलवानो को,

ओ, बलवानो को देदे ज्ञान
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम
ईश्वर तेरो नाम
अल्लाह तेरो नाम
ईश्वर तेरो नाम
अल्लाह तेरो नाम
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Old 11-11-2010, 04:15 PM   #17
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जैसे सूरज की गर्मी

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर कि छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम

भटका हुआ मेरा मन था कोई
मिल ना रहा था सहारा
लहरों से लड़ती हुई नाव को
जैसे मिल ना रहा हो किनारा, मिल ना रहा हो किनारा
उस लड़खड़ाती हुई नाव को जो
किसी ने किनारा दिखाया
ऐसा ही सुख ...

शीतल बने आग चंदन के जैसी
राघव कृपा हो जो तेरी
उजियाली पूनम की हो जाएं रातें
जो थीं अमावस अंधेरी, जो थीं अमावस अंधेरी
युग युग से प्यासी मरुभूमि ने
जैसे सावन का संदेस पाया
ऐसा ही सुख ...

जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो
उस पर कदम मैं बढ़ाऊं
फूलों में खारों में, पतझड़ बहारों में
मैं न कभी डगमगाऊं, मैं न कभी डगमगाऊं
पानी के प्यासे को तक़दीर ने
जैसे जी भर के अमृत पिलाया
ऐसा ही सुख ...
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Old 11-11-2010, 04:16 PM   #18
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मन तड़पत हरि दरसन

मन तड़पत हरि दरसन को आज
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
आ, विनती करत, हूँ, रखियो लाज, मन तड़पत...

तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी
हमरी ओर नज़र कब होगी
सुन मोरे व्याकुल मन की बात, तड़पत हरी दरसन...

बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ
दीजो दान हरी गुन गाऊँ
सब गुनी जन पे तुम्हारा राज, तड़पत हरी...

मुरली मनोहर आस न तोड़ो
दुख भंजन मोरे साथ न छोड़ो
मोहे दरसन भिक्षा दे दो आज दे दो आज, ...
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Old 11-11-2010, 04:17 PM   #19
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न मैं धन चाहूँ
न मैं धन चाहूँ, न रतन चाहूँ
तेरे चरणों की धूल मिल जाये
तो मैं तर जाऊँ, हाँ मैं तर जाऊँ
हे राम तर जाऊँ...

मोह मन मोहे, लोभ ललचाये
कैसे कैसे ये नाग लहराये
इससे पहले कि मन उधर जाये
मैं तो मर जाऊँ, हाँ मैं मर जाऊँ
हे राम मर जाऊँ

थम गया पानी, जम गयी कायी
बहती नदिया ही साफ़ कहलायी
मेरे दिल ने ही जाल फैलाये
अब किधर जाऊँ, मैं किधर जाऊँ - २
अब किधर जाऊँ, मैं किधर जाऊँ...

लाये क्या थे जो लेके जाना है
नेक दिल ही तेरा खज़ाना है
शाम होते ही पंछी आ जाये
अब तो घर जाऊँ अपने घर जाऊँ
अब तो घर जाऊँ अपने घर जाऊँ...
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Old 11-11-2010, 04:20 PM   #20
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रघुपति राघव

रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम

सीता राम सीता राम
भज प्यारे तू सीता राम
रघुपति राघव राजा राम

ईश्वर अल्लाह तेरे नाम
सबको सन्मति दे भगवान
रघुपति राघव राजा राम

रात को निंदिया दिन तो काम
कभी भजोगे प्रभु का नाम
करते रहिये अपने काम
लेते रहिये हरि का नाम
रघुपति राघव राजा राम
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