09-05-2011, 10:35 AM | #11 |
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Re: मनोहर कविताओ का संग्रह by Great_Brother.....
तुम ही तुम हो... तुम हो धूप , तुम छांव की तरह इस रेगिस्तान जिंदगी में, गांव की तरह। तुम्हें भूले से भी मैं, भुला नहीं पाता तुम हो मेरे जिस्म पर, लगे पुराने घाव की तरह। जिंदगी में तूफानों की, अब आदत-सी हो गई जो दामन है तेरा महफूज, नाव की तरह। ख्वाबों-ख्यालों में, रात और उजालों में तुम ही तुम हो सारा आलम, कोई नहीं है मुझमें। कैसे कहूं, तुम क्या हो? जीने की वजह, मरने का बहाना हो। तुम हो राज दिल का तुम ही जवाब की तरह। मित्रों आपका स्वागत है इस सूत्र को जारी रखने के लिए अपने विचार को देते रहे ...............
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' तमन्ना ' नसीब की, अब मैं नहीं रखता; ©º°¨¨°º©©º°¨¨°º© जो तुम हो मेहरबां, मुझपे दुआओं की तरह। ©º°¨¨°º©©º°¨¨°º© Note : I m just indexing the contents of other sites & forums. |
09-05-2011, 10:54 AM | #12 |
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Re: मनोहर कविताओ का संग्रह by Great_Brother.....
मेरा विश्वास है कि ये सूत्र भी आपका पूरा मनोरंजन करते हुए उपयोगी सिद्ध होगा .....
सभ्यता के गलियारों में......... आधुनिकता की ज्वाला में, दम तोड़ दिया संस्कारों ने लज्जा का आवरण ओढ़ लिया, अंधकार में दीवारों ने। चहूं ओर एक क्रन्दन है, और है विकार विचारों में दानव हंसी अब गूंजती, निशा के उजियारों में। नहीं मान कोई आयु का, अब है उद्दंडता विचारों में दुदुम्भी शालीनता की बज रही, और छेद हुए संस्कारों में। गजब हुआ जो नारी का, पल्लू सिर से सरक गया बचा सकी न लाज अपनी, विकृत दृष्टी के बाजारों में। बना दिया है इक विज्ञापन, नारी को अखबारों में पल-पल होता चीर-हरण अब, सभ्यता के गलियारों में। मित्रों आपका स्वागत है इस सूत्र को जारी रखने के लिए अपने विचार को देते रहे ...............
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09-05-2011, 10:55 AM | #13 |
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Re: मनोहर कविताओ का संग्रह by Great_Brother.....
मेरा विश्वास है कि ये सूत्र भी आपका पूरा मनोरंजन करते हुए उपयोगी सिद्ध होगा .....
इक्कीसवीं सदी के फूल की चाह........... चाह नहीं किसी मंत्री की अचकन में टांका जाऊं, चाह नहीं सुंदर बाला के जूड़े में मुस्काऊँ, चाह नहीं किसी नेता के शव पर डाला जाऊं, चाह नहीं नौकरशाहों के आँगन की शोभा बढ़ाऊं, चाह नहीं ऐश्वर्य राय की मैं हँसी बन जाऊं, चाह नही अभिनेत्रियों को अपने गले लगाऊं! चाह नहीं गुलशन में मैं अपनी सुगंध फैलाऊ, चाह नहीं सेठों के घर का गुलदस्ता बन जाऊं ! चाह नहीं मतवाले भंवरे को रंगों से ललचाऊं ! या साचीन के शतकों पर मैं अपनी खुशी लुटाऊं, चाह मेरी सरदार पटेल की समाधि में डाला जाऊं, या सुभाषचंद्र की कुर्बानी पर मैं अपनी पंखुड़ी गिराऊं, राजगुरु शुकदेव भगतसिंह या चंद्रशेखर कहलाऊं, इनकी राख की ढेर में अपनी खूशबू फैलाऊँ ! मुझे जोड़ कविता में हे कवि करगिल में देना फेंक, मातृ भूमि की रक्षा करते कटे पड़े हैं शीश अनेक ! मित्रों आपका स्वागत है इस सूत्र को जारी रखने के लिए अपने विचार को देते रहे ...............
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16-06-2011, 10:18 PM | #14 |
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Re: मनोहर कविताओ का संग्रह
लक्ष्य प्रबल गंभीर संग, अनुभव हुआ विराट
लक्ष्य प्रबल गंभीर संग , अनुभव हुआ विराट क्रिकेट वाली क्रीज का, हिंद बना सम्राट। जोश, जुनूं और जतन का अनुपम हुआ मिलाप पूरा भारत का हुआ, विश्व विजय का जाप। सांस-सांस गाने लगी, मधुरम-मधुरम गीत याद रहेगी उम्र भर, टर्निंग पिच की जीत। बल्ला बोला गेंद से, छाया है मधुमास जर्रा-जर्रा चमकता, रच डाला इतिहास। क्या भज्जी युवराज क्या, क्या वीरू श्रीशांत क्रिकेटिया मौसम हुआ, अद्भुत हुआ बसंत। खेल खिलाड़ी का नहीं, क्रिकेट अजब खुमार नशा मजा दोनों मिले, ले ले मेरे यार। नहीं चूकते हम कभी, ले लेते हैं रिस्क चूम चेतना के अधर, मारा अंतिम सिक्स। रन गंगा युवराज है, वीरू है रनवीर क्रिकेट अपना धर्म है भारत की तस्वीर। जनता, शासन, मीडिया, सबकी यही पुकार क्रिकेट हंस कर जोड़ता दिल से दिल का तार। बांहों में संघर्ष का थाम लिया तूफान हवा जगत की कर रही मार लिया मैदान।
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16-06-2011, 10:19 PM | #15 |
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Re: मनोहर कविताओ का संग्रह
काम न आया गुलगुला, यूसुफ हुए उदास
काम न आया गुलगुला, यूसुफ हुए उदास मन्नू दे मुंडे हुए, हर हालत में पास हर हालत में पास, लिखी नायाब कहानी देख देश की हार, हुए मायूस गिलानी दिव्यदृष्टि धोनी ने ऐसा खेल दिखाया यूसुफ हुए उदास, गुलगुला काम न आया।
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16-06-2011, 10:20 PM | #16 |
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Re: मनोहर कविताओ का संग्रह
देख पराजय राबड़ी पीटें खूब कपार
मिला न सोना सोनपुर राघोपुर में रार देख पराजय राबड़ी पीटें खूब कपार पीटें खूब कपार दिलाएं धीरज लालू अंडा जीमो प्रिये छोड़कर सूखे आलू दिव्यदृष्टि मट्ठा पीयेंगे भर-भर दोना राघोपुर में रार सोनपुर मिला न सोना
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16-06-2011, 10:22 PM | #17 |
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Re: मनोहर कविताओ का संग्रह
सत्ताधारी सांड़ से सहम सलोनी गाय
सत्ताधारी सांड़ से सहम सलोनी गाय फिरे बचाती आबरू सूझे नहीं उपाय सूझे नहीं उपाय, निरन्तर करे तकाजा सुनता नहीं पुकार मगर मतिमंदी राजा दिव्यदृष्टि इत-उत दौड़े बरबस बेचारी सहम सलोनी गाय सांड़ से सत्ताधारी।
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16-06-2011, 10:23 PM | #18 |
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Re: मनोहर कविताओ का संग्रह
काहे का आदर्श अब काहे का ईमान
कदाचार पर दीखती कांग्रेस खामोश महंगाई की बाढ़ पर उसे न आए रोष उसे न आये रोष मजा मारें व्यभिचारी दूध पी रहे स्वान क्षुब्ध जनता बेचारी दिव्यदृष्टि है रोक न कोई लूटमार पर कांग्रेस खामोश दीखती कदाचार पर चैनलवाले खींचते बेमतलब ही कान काहे का आदर्श अब काहे का ईमान काहे का ईमान, किसे कहते हैं निष्ठा नैतिकता है व्यर्थ चाहिए उन्हें प्रतिष्ठा दिव्यदृष्टि इसलिए करें घपले-घोटाले बेमतलब ही कान खींचते चैनलवाले..........
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29-06-2011, 12:03 PM | #19 |
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Re: मनोहर कविताओ का संग्रह
सत्ताधारी सांड़ से सहम सलोनी गाय
सत्ताधारी सांड़ से सहम सलोनी गाय फिरे बचाती आबरू सूझे नहीं उपाय सूझे नहीं उपाय, निरन्तर करे तकाजा सुनता नहीं पुकार मगर मतिमंदी राजा दिव्यदृष्टि इत-उत दौड़े बरबस बेचारी सहम सलोनी गाय सांड़ से सत्ताधारी......
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07-09-2011, 06:27 PM | #20 |
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Re: मनोहर कविताओ का संग्रह
अच्छा संग्रह है........
निरन्तरता बनाये रखें........... |
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