06-09-2013, 01:36 AM | #11 |
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Re: गीत गाता चल
हमें आप से भी जुदा कर चले जबीं सजदा करते ही करते गयी हक-ए-बंदगी हम अदा कर चले परस्तिश की यां तै कि ऐ ! बुत तुझे नज़र में सबों कि खुदा कर चले बहुत आरजू थी गली कि तेरी सो यां से लहू में नहा कर चले Dikhayi Diye Yun Ke Bekhud Kiya -2 hamein Aap Se Bhi Juda Kar Chale dikhayi Diye Yun Ke Bekhud Kiya dikhayi Diye Yun jabheen Sajda Karte Hi Karte Gayi -2 haq-E-Bandagi Ham Adaa Kar Chale dikhayi Diye Yun Ke Bekhud Kiya hamein Aap Se Bhi Juda Kar Chale dikhayi Diye Yun parasthish Kiya Tak Ke Aye But Tujhe -2 nazar Mein Sabhon Ki Khuda Kar Chale dikhayi Diye Yun Ke Bekhud Kiya hamein Aap Se Bhi Juda Kar Chale dikhayi Diye Yun bahut Aarzoo Thi Gali Ki Teri -2 so Yaas-E-Lahoo Mein Naha Kar Chale dikhayi Diye Yun Ke Bekhud Kiya hamein Aap Se Bhi Juda Kar Chale dikhayi Diye Yun Ke Bekhud Kiya dikhayi Diye Yun Dikhai Diye Yun Ke Bekhud Kiya, Dikhai Diye Yoon Ke Bekhud Kiya - Hindi Movie - Bazaar (1982) |
06-09-2013, 01:41 AM | #12 |
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Re: गीत गाता चल
गाना / Title: होश वालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है - hosh vaalo.n ko Kabar kyaa beKudii kyaa chiiz hai
चित्रपट / Film: Sarfarosh/ A Reason To Live संगीतकार / Music Director: Jatin Lalit गीतकार / Lyricist: Nida Fazli गायक / Singer(s): Jagjit Singh हूं हा हा हा हा हा हा होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज़ है इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है होश वालों को ... उनसे नज़रें क्या मिलीं रोशन फ़िज़ाएं हो गईं आज जाना प्यार की जादूगरी क्या चीज़ है होश वालों को ... खुलती ज़ुल्फ़ों ने सिखाई मौसमों को शायरी झुकती आँखों ने बताया मैकशी क्या चीज़ है होश वालों को ... हम लबों से कह न पाए उनसे हाल\-ए\-दिल कभी और वो समझे नहीं ये ख़ामोशी क्या चीज़ है होश वालों को ... |
06-09-2013, 01:50 AM | #13 |
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Re: गीत गाता चल
Movie: Saath Saath
Music Director: Kuldeep Singh Singers: Jagjit Singh & Chitra Singh Director: Raman Kumar तुमको देखा तो ये ख्याल आया ज़िन्दगी धूप, तुम घना साया. आज फिर दिल ने इक तमन्ना की आज फिर दिल को हमने समझाया, तुम चले जाओगे तो सोचेंगे हम ने क्या खोया, हम ने क्या पाया, हम जिसे गुनगुना नहीं सकते वक़्त ने ऐसा गीत क्यूँ गाया, तुम को देखा तो यह ख्याल आया ज़िन्दगी धूप तुम घना साया.. |
08-09-2013, 12:44 AM | #14 |
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Re: गीत गाता चल
Movie/Album: अफशान (1971)
Music By: नाशाद Lyrics By: तसलीम फाज़ली Performed By: मेहदी हसन खुदा करे के मोहब्बत में ये मक़ाम आये किसी का नाम लूँ, लब पे तुम्हारा नाम आये कुछ इस तरह से जिये, ज़िन्दगी बसर ना हुई तुम्हारे बाद किसी, रात की सहर ना हुई सहर नज़र से मिले, ज़ुल्फ़ ले के शाम आई किसी का नाम लूँ... खुद अपने घर में वो, मेहमान बन के आई हैं सितम तो देखिये, अनजान बन के आये हैं हमारी दिल की तड़प आज कुछ तो काम आये किसी का नाम लूँ... वही है साज़, वही गीत है, वही मंज़र हर एक चीज़ वही है, नहीं हो तुम वो मगर उसी तरह से निगाहें, उठें सलाम आये किसी का नाम लूँ... |
08-09-2013, 12:50 AM | #15 |
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Re: गीत गाता चल
Movie/Album: भूल ना जाना (1965)
Music By: दान सिंह Lyrics By: गुलज़ार Performed By: मुकेश पुकारो मुझे नाम लेकर पुकारो मुझे तुमसे अपनी खबर मिल रही है कई बार यूँ भी हुआ है सफ़र में अचानक से दो अजनबी मिल गए हों जिन्हें रूप पहचानती हो नज़र से भटकते-भटकते वही मिल गए हों कुँवारे लबों की क़सम तोड़ दो तुम ज़रा मुस्कुराकर बहारें सँवारो पुकारे मुझे नाम... खयालों में तुमने भी देखी तो होंगी कभी मेरे ख्वाबों की धुँधली लकीरें तुम्हारी हथेली से मिलती हैं जाकर मेरे हाथ की ये अधूरी लकीरें बड़ी सर चढ़ी हैं ये ज़ुल्फ़ें तुम्हारी ये ज़ुल्फ़ें मेरे बाज़ुओं में उतारो पुकारो मुझे नाम... |
08-09-2013, 12:58 AM | #16 |
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Re: गीत गाता चल
Film, Kanhaiya, 1959
Music Director : Shankar Jaikishen Lyrics : Shailendra Singer : Mukesh, Lata Mangeshkar Director : Om Prakash Enjoy this super hit song from the 1959 movie Kanhaiya starring Raj Kapoor, Nutan and Lalita Pawar. नी बलिये रुत है बहार की सुन चनवे रुत है बहार की कुछ मत पूछो कैसे बीतीं घड़ियाँ इंतज़ार की नी बलिये रुत है बहार की सुन चनवे रुत है बहार की आख़िर सुन ली मनमोहन ने मेरे मन की बोली ओ अब जाकर हमको पहचानीं उनकी नज़रें भोली \-२ सखी घड़ी आ गई मेरे सिंगार की सोहल सिंगार की नी बलिये रुत है बहार की सुन चनवे रुत है बहार की कुछ मत पूछो ... दिल ने कहा तेरा सपना झूठा मैने कहा सच होगा हम पहले दिन जान जान गए थे कैसे क्या कब होगा सुन लो ये सरगम दिल के सितार की दिल के सितार की नी बलिये रुत है बहार की सुन चनवे रुत है बहार की कुछ मत पूछो ... रात-रात भर सोचा तुमको कैसे पास बुलाऊँ द्वार खड़े तुम लाज लगे अब सामने कैसे आऊँ कभी इकरार की कभी इन्कार की कभी इन्कार की नी बलिये रुत है बहार की सुन चनवे रुत है बहार की कुछ मत पूछो ... |
08-09-2013, 01:11 AM | #17 |
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Re: गीत गाता चल
Movie/Album: रजनीगंधा (1974)
Music By: सलिल चौधरी Lyrics By: योगेश Performed By: लता मंगेशकर रजनीगंधा फूल तुम्हारे, महके यूँ ही जीवन में यूँ ही महके प्रीत पिया की, मेरे अनुरागी मन में अधिकार ये जब से साजन का हर धड़कन पर माना मैंने मैं जबसे उनके साथ बँधी, ये भेद तभी जाना मैंने कितना सुख है बंधन में रजनीगंधा फूल तुम्हारे... हर पल मेरी इन आँखों में बस रहते हैं सपने उनके मन कहता है मैं रंगों की, एक प्यार भरी बदली बनके बरसूँ उनके आँगन में रजनीगंधा फूल तुम्हारे... |
08-09-2013, 01:12 AM | #18 |
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Re: गीत गाता चल
Movie/Album: रजनीगंधा (1974)
Music By: सलिल चौधरी Lyrics By: योगेश Performed By: मुकेश कई बार यूँ भी देखा है ये जो मन की सीमा रेखा है मन तोड़ने लगता है अनजानी प्यास के पीछे अनजानी आस के पीछे मन दौड़ने लगता है राहों में, राहों में, जीवन की राहों में जो खिले हैं फूल, फूल मुस्कुरा के कौन सा फूल चुरा के रखूँ लूँ मन में सज़ा के कई बार यूँ भी... जानूँ ना, जानूँ ना, उलझन ये जानूँ ना सुलझाऊं कैसे कुछ समझ ना पाऊं किसको मीत बनाऊ किसकी प्रीत भुलाऊं कई बार यूँ भी... |
09-09-2013, 12:18 AM | #19 |
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Re: गीत गाता चल
फिल्मः ‘शंकर हुसैन’ १९७७
निर्देशनः युसूफ नकवी संगीतः खय्याम गीतकारः जाँ निसार अख्तर आप यूँ फासलों से गुजरते रहे दिल से कदमों की आवाज़ आती रही आहटों से अंधेरे चमकते रहे रात आती रही रात जाती रही हो, गुनगुनाती रही मेरी तन्हाईयाँ दूर बजती रही कितनी शहनाईयाँ ज़िन्दगी, ज़िन्दगी को बुलाती रही आप यूँ फासलों से गुजरते रहे दिल से कदमों की आवाज़ आती रही आप यूँ… कतरा कतरा पिघलता रहा आसमाँ -२ रूह की वादियों में ना जाने कहाँ इक नदी, इक नदी दिलरूबा गीत गाती रही आप यूँ फासलों से गुजरते रहे दिल से कदमों की आवाज़ आती रही आप यूँ… आप की गरम बाहों में खो जायेंगे आप की नरम जानो पे सो जायेंगे, सो जायेंगे मुद्दतों रात नींदें चुराती रही आप यूँ फासलों से गुजरते रहे दिल से कदमों की आवाज़ आती रही आप यूँ… |
09-09-2013, 10:15 PM | #20 |
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Re: गीत गाता चल
Lyrics By: सलीम कौसर
Performed By: मेहदी हसन, हरिहरन, जगजीत सिंह, नुसरत फ़तेह अली खान मैं ख़्याल हूँ किसी और का, मुझे सोचता कोई और है सरे-आईना मेरा अक्स है, पसे-आईना कोई और है मैं किसी की दस्ते-तलब में हूँ तो किसी की हर्फ़े-दुआ में हूँ मैं नसीब हूँ किसी और का, मुझे माँगता कोई और है मैं ख़्याल हूँ किसी और का... अजब ऐतबार-ओ-बेऐतबारी के दरम्यान है ज़िन्दगी मैं क़रीब हूँ किसी और के, मुझे जानता कोई और है मैं ख़्याल हूँ किसी और का... तेरी रोशनी मेरे खद्दो-खाल से मुख्तलिफ़ तो नहीं मगर तू क़रीब आ तुझे देख लूँ, तू वही है या कोई और है मैं ख़्याल हूँ किसी और का... तुझे दुश्मनों की खबर न थी, मुझे दोस्तों का पता नहीं तेरी दास्तां कोई और थी, मेरा वाक्या कोई और है मैं ख़्याल हूँ किसी और का... वही मुंसिफ़ों की रवायतें, वहीं फैसलों की इबारतें मेरा जुर्म तो कोई और था, पर मेरी सजा कोई और है मैं ख़्याल हूँ किसी और का... कभी लौट आएँ तो पूछना नहीं, देखना उन्हें गौर से जिन्हें रास्ते में खबर हुईं, कि ये रास्ता कोई और है मैं ख़्याल हूँ किसी और का... जो मेरी रियाज़त-ए-नीम-शब को ’सलीम’ सुबह न मिल सकी तो फिर इसके मानी तो ये हुए कि यहाँ खुदा कोई और है मैं ख़्याल हूँ किसी और का... |
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