10-04-2011, 09:31 PM | #11 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
तीन तरह के लोग. अभी अभी मैंने Roadies ८ का latest एपिसोड देखा, उसमे एक जगह रघु बोलता है, दुनिया में ३ तरह के लोग होते हैं. १. जो मेहनत और ईमानदारी से काम करते हैं. २. जो स्मार्ट वर्क करते है और और अपने दिमाग का अच्छा इस्तेमाल करते है. ३. जो सोचते तो है की वो स्मार्ट है, और अपने दिमाग से बहुत कुछ कर सकते है, लेकिन कर कुछ नहीं पाते, क्योकि वो साले एक नंबर के c**t**e होते हैं. बात काफी हद तो सही है, पहली २ श्रेणी के लोग ही जीवन में कुछ कर पाते, तीसरी श्रेणी वालो का पूरा जीवन मृगमरीचिका के इर्द गिर्द ही बीत जाता है.
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10-04-2011, 09:37 PM | #12 | |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
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बिलकुल १६ आने सच्ची बात कही है..... हम सब भी कोशिश करें कि पहले २ टाइप के इंसान बने.........और फोरम को नित नयी ऊँचाइयों पर ले जाएँ
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10-04-2011, 09:46 PM | #13 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
हमारा भी नाम पहले 2 टाईप के लोगो मे लिखा जाएगा हम ये प्रयास करेँगे
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10-04-2011, 10:32 PM | #14 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
शुरुआत (The beginning) अभी भारत के चार राज्यो में चुनाव होने वाले है, और दूसरी तरफ अन्ना हज़ारे का अनशन ख़तम हुआ है, एक उम्मीद के साथ की लोकपाल बिल पास हो जाएगा. लेकिन सवाल यह है की अन्ना को अनशन क्यो करना पड़ा. पहले गाँधी जी अंग्रेज़ो के खिलाफ अनशन करते थे अब अन्ना देशी सरकार के खिलाफ, क्या कुछ बदला है आज़ादी के बाद. बहुत लोग बोल रहे है की इससे क्या होगा, जो है वैसे ही सब कुछ रहेगा, भारत का कुछ नही हो सकता. और अब तो चुनाव का टाइम है तो लोग और बोलना शुरू कर दिए है छोड़ो हटाओ वोट कौन डालेगा, मेरे एक वोट से क्या होगा, साला इंडिया के सिस्टम ही ऐसा है, एक अकेला चना भाड़ नही फोड़ता आदि आदि. छोड़ो यार मुझे क्या पड़ी है भाड़ में जाए दुनिया मुझे अपनी फॅमिली की चिंता है. चुनाव वाले दिन जो छुट्टी होगी उसमे चाचा जी के नये बंगले को देखने जाना है. लोग छाँव में बैठकर सूर्य की रोशनी का इंतज़ार कर रहे हैं. मेरा ऐसे लोगो से सवाल है की जनाब आपने इस देश को दिया क्या है? आपके जैसो लोग अगर अंग्रेज़ो के ज़माने में रहते तो हम अभी भी एलिज़ाबेथ गुणगान कर रहे होते. रोड पर गंधगी आप फैलाते है, बिजली आप चोरी करते है, पानी आप बर्बाद करते है, और कहते है सरकार सो रही है. अगर पूछा जाए इसका ज़िम्मेदार कौन है, तो आप बोलेंगे यह सभी नेता, सब चोर हैं. चलिए अब बात मुद्दे पर आ गयी, यह चोर और डाकू नेता कैसे बन गये, संसद कैसे पहुच गये, कभी सोचा है आपने? वे इसलिए सत्ता है हैं क्योकि आपने वोट नही डाला. क्रमश
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10-04-2011, 11:11 PM | #15 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
क्या आपको पता है? भारत में ६५ प्रतिशत अशिक्षित और ७५ प्रतिशत झुग्गी झोपड़ियो में रहने वाले वोट डालते हैं. ६५ प्रतिशत शिक्षित मध्यम वर्ग जो की भारत की आबादी का ४० प्रतिशत है वोट ही नही डालता. ज़रा सोचिए, अगर यह शिक्षित लोग अगर वोट डालते तो क्या चोर डाकू और बलात्कारी नेता बन पाते?
अब आप पूछेंगे एक वोट से क्या फ़र्क पड़ता है? १९२३ में हिटलर एक वोट से नाज़ी पार्टी का नेता बन गया था. १८७५ में एक वोट से फ्रांस में डेमॉक्रेसी आई थी. १७७६ में एक वोट से अँग्रेज़ी को जर्मन की जगह अमेरिका की official भाषा बनाया गया था. दूर क्यो जाए, कुछ साल पहले १ वोट से अटल बिहारी वाजपयी की सरकार गिर गयी थी. जनाब, बात केवल एक वोट की है, और आप जैसे तो करोड़ो हैं. तो वोट ज़रूर डाले और अच्छे लोगो को सत्ता में पहुचाए. प्रसिद्द लेखक कमलेश्वर ने एक बार लिखा था की ज़िंदा कौमे ५ साल इंतज़ार नही करती, ऐसे में कम से कम हमे ५ साल बाद कुछ तो करना चाहिए. कही ना कही से शुरुआत तो करनी ही होगी.
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11-04-2011, 12:24 AM | #16 | ||
Special Member
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सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
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सिर्फ एक टाईप का इंसान बनने में क्या परेशानी है? दो-दो कैरेक्टर कैसे संभालोगे? :bash: परिणिति वही होगी---------कन्फ्यूजड!!!
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12-04-2011, 05:21 PM | #17 | |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
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मैं आपकी बातों से पूर्णत: सहमत हूँ/ एक अच्छे नागरिक होने के नाते हमें मतदान में अवश्य भाग लेना चाहिए/ लेकिन हमारी बहाने बाज प्रजा यहाँ भी कन्नी कटाने से बज नहीं आती है/ किसी ने कहा है की "जैसे हम होंगे वैसी हमारी सरकार होगी/"
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12-04-2011, 05:59 PM | #18 | |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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12-04-2011, 06:37 PM | #19 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
रघु ही क्यूँ
ये रोडीज की पूरी टीम ही *** है/
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12-05-2011, 07:59 PM | #20 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
हम भी अपना चिंतन इधर ही पोस्ट करे का! या रहने दो, अभिषेक भाई को थोड़े और थैंक्स मिलने दो!
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