07-09-2011, 01:51 PM | #11 |
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Re: फटा पोस्टर निकला हीरो.......
ज़िन्दगी में हमारी वाट इस से नहीं लगती है कि हम कौनसा रास्ता चुनते है.. वाट लगती है इस से कि हम कौनसा रास्ता छोड़ते है.. पैसा कमाने के दो रास्ते है.. एक फोर्टकट और दूसरा छोटा फोर्टकट एफे एफे केफे केफे हो गए केफे केफे एफे एफे हो गए.. इसे पता नहीं कि दुनिया कितनी बड़ी हरामजादी है तुम साले कितने बड़े कुत्ते कमीने हो.. दो दशक पहले के डाय्लोग्स और आज के डाय्लोग्स बदल गए है.. किरदार बदल गए है.. ब्लैक एंड व्हाईट कुछ भी नहीं रहा.. सब कुछ ग्रे शेड में हो गया है.. फिर भी कुछ डाय्लोग्स है जो हमेशा ऐसे ही याद किये जाने वाले है.. ऐसे में एवरग्रीन हिंदी फिल्मो के किरदारों के डाय्लोग्स है जो ऑरकुट पर किसी कम्युनिटी में मिले थे..
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07-09-2011, 06:54 PM | #12 |
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Re: फटा पोस्टर निकला हीरो.......
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
के ज़िंदगी तेरी जुल्फों के नर्म सायों में गुजरने पाती तो शादाब हो भी सकती थी ये तीर जो मेरी जीस्त का मुकद्दर है तेरी नज़र कि शुआयों में खो भी सकती थी अजब ना था कि मैं बेगाना-ऐ-आलम रह कर तेरी जमाल कि रानाइयों में खो रहता तेरा गुदाज़ बदन तेरी नीमबाज़ आंखें इन्हीं हसीन फसानों में महव हो रहता पुकारती मुझे जब तल्खियां ज़माने की तेरे लबों से हलावत के घूँट पी लेता हयात चीखती फिरती बरहना सर और मैं घनेरी ज़ुल्फ के साए में छुप के जी लेता मगर ये हो ना सका और अब ये आलम है के तू नहीं, तेरा गम ,तेरी जुस्तजू भी नहीं गुज़र रही है कुछ इस तरह ज़िंदगी जैसे इसे किसी के सहारे कि आरजू भी नहीं ज़माने भर के दुखों को लगा चुका हूँ गले गुज़र रहा हूँ कुछ अनजानी रह गुजारों से मुहीब साए मेरी सम्त बढ़ते आते हैं हयात-ओ-मौत के पुरहौल खारज़ारों से ना कोई जादा, ना मंजिल, ना रोशनी का सुराग भटक रही है खलायों में जिंदगी मेरी इन्हीं खलायों में रह जाऊंगा कभी खोकर मैं जानता हूँ मेरी हमनफस मगर यूंही कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है |
07-09-2011, 07:00 PM | #13 |
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Re: फटा पोस्टर निकला हीरो.......
मैं और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं
तुम होती तो कैसा होता तुम ये कहती, तुम वो कहती तुम इस बात पे हैरान होती तुम उस बात पे कितना हँसती तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता मैं और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं ========== ये रात हैं या, तुम्हारी जुल्फे खुली हुयी है है चांदनी या तुम्हारी नज़रों से मेरी राते धुली हुयी है ये चाँद है, या तुम्हारा कंगन सितारे है, या तुम्हारा आँचल हवा का झोंका है, या तुम्हारे बदन की खुशबू ये पत्तियों की हैं सरसराहट, के तुम ने चुपके से कुछ कहा है ये सोचता हूँ, मैं कब से गुमसुम के जब के, मुझको को भी ये खबर है, के तुम नहीं हो, कही नहीं हो मगर ये दिल हैं के कह रहा है, तुम यही हो, यही कही हो ========== मजबूर ये हालात, इधर भी है, उधर भी तनहाई की एक रात, इधर भी है, उधर भी कहने को बहोत कुछ हैं मगर किस से कहे हम कब तक यूँ ही खामोश रहे हम और सहे हम दिल कहता हैं दुनियाँ की हर एक रस्म उठा दे दिवार जो हम दोनों में है, आज गिरा दे क्यों दिल में सुलगते रहे, लोगों को बता दे हां हम को मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत अब दिल में यही बात, इधर भी है, उधर भी |
07-09-2011, 07:04 PM | #14 |
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Re: फटा पोस्टर निकला हीरो.......
I know such English that I will leave the British behind. You see sir, I can talk English, I can walk English, I can laugh English, I can run English, because English is such a funny language. Bhairo becomes Byron because their minds are very narrow. In the year 1929 when India was playing Australia at the Melbourne stadium Vijay Hazare and Vijay Merchant were at the crease. Vijay Merchant told Vijay Hazare. look Vijay Hazare Sir , this is a very prestigious match and we must consider it very prestigiously. We must take this into consideration, the consideration that this is an important match and ultimately this consideration must end in a run. In the year 1979 when Pakistan was playing against India at the Wankhede stadium Wasim Raja and Wasim Bari were at the crease and they took the same consideration. Wasim Raja told Wasim Bari, look Wasim Bari, we must consider this consideration and considering that this is an important match we must put this consideration into action and ultimately score a run. And both of them considered the consideration and ran and both of them got out.
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07-09-2011, 07:46 PM | #15 |
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Re: फटा पोस्टर निकला हीरो.......
हीरो
* shashi_kapoor तेरे सामने तेरी मौत खड़ी है कुत्ते!! * तुम्हारे लिए मेरी जान भी हाज़िर है! * अपने आदमियों से कहो की बंदूकें फेंक दे! * दुनिया की कोई ताक़त हमे जुदा नही कर सकती! * मेरे होते हुए तुम्हारा कोई बाल भी बाका नहीं कर सकता! * माँ, मुझे आशीर्वाद दे! * पुलिस मेरे पीछे लगी हुई है! * खबरदार जो उसे हाथ भी लगाया! * मेरी माँ बहुत बीमार है.. * जब तब अपने बाप के खून का बदला नही ले लेता, चैन से नही बैठूँगा!!
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07-09-2011, 07:48 PM | #16 |
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Re: फटा पोस्टर निकला हीरो.......
हिरोईन
* भगवान के लिए मुझे छोड़ दो! * हटो. तुम बड़े वो हो ! * नहीं! * मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकती! * प्यार करना कोई गुनाह नहीं! * कुछ गूंडे मेरे पीछे पड़े है! * कोई देख लेगा! * मैने तुम्हे क्या समझा, और तुम क्या निकले! * तुम मुझसे कितना प्यार करते हो? * आज तुम नही आते तो पता नही क्या हो जाता!! * मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हू!
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Last edited by Sikandar_Khan; 08-09-2011 at 07:20 PM. |
08-09-2011, 07:41 AM | #17 |
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Re: फटा पोस्टर निकला हीरो.......
जब भी किसी नायिका का rape होने वाला होता है तो वो बोलती है.
भगवान् के लिए मुझे छोड़ दो, मैं तुम्हारे हाथ जोडती हु. क्या तुमारे घर में माँ बहिन नहीं हैं. कमीने कुत्ते, तो यह है तेरा असली चेहरा. बचाओ...................
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
08-09-2011, 07:58 AM | #18 |
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Re: फटा पोस्टर निकला हीरो.......
बहुत ही गजब का सूत्र है
पुरानी यादें तजा ह्पो गयी / |
08-09-2011, 07:14 PM | #19 |
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Re: फटा पोस्टर निकला हीरो.......
बहन * मेरे भैया को लंबी उमर देना, भगवान! * मेरे भाई पे कोई आँच ना आए! * खबरदार जो मुझे छूआ भी, मैं अपनी जान दे दूँगी! * भय्या.. तुम तो बस मेरे लिए एक प्यारी सी भाभी ले आओ .. * भगवान के लिए, मेरा सुहाग मत उजाडो.. * भगवान के लिए मुझे छोड़ दो.. * मैं किसी को मुंह दिखाने लायक ना रही.. * दरवाजा क्यों बंद कर रहे हो.. * ये आप मुझे कहाँ ले जा रहे है..
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08-09-2011, 07:56 PM | #20 |
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Re: फटा पोस्टर निकला हीरो.......
विलेन
* अब सारे हिन्दुस्तान पर हमारा राज़ होगा! * बताओ फार्मूला कहाँ है? * तुम्हारी माँ हमारे क़ब्ज़े मैं है! * ये सौदा तुम्हे बहुत महंगा पड़ेगा * इन गोरी गोरी कलाईयों को काम करने की क्या ज़रूरत है! * यहाँ तेरी इज़्ज़त बचाने कोई नही आएगा! * बुला तेरे भगवान को– देखता हूँ कौन आता है? * गद्दारी की एक ही सज़ा होती है, मौत! * उसकी कोई तो कमज़ोरी होगी, कोई माँ या बहन?
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