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#11 | |
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बी०पी और लिपिड-प्रोफ़ाईल पर भी सदा नजर रक्खें, संभव हो तो एक बार ग्लाईसेमिक-हिमोग्लोबिन (Hb A1C) टेस्ट करा कर देख लें। |
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#12 |
Special Member
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बड़ी खतरनाक बीमारी है, जिंदगी से मिठास ही खत्म
और सबसे बड़ी बात इसको नियंत्रित तो किया जा सकता है खत्म नहीं * मेथी और जामुन के बिज को बराबर मात्रा में मिलाकर बारिक पिस लें इस चूर्ण को रोज सुबह खाने से मधुमेह नियंत्रण में रहता है * करी पता का काढ़ा भी बहुत असरकारक होता है तजा करी पत्ते की थोड़ी सी पत्तियों को पानी में डालकर खौलाएं और फिर छानकर चाय की तरह पि लें अगर इसे महीने में छः या सात बार प्रयोग करते हैं तो पुरे महीने आपका मधुमेह नियंत्रण में रहेगा
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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#13 | |
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Hb A1c टेस्ट भी नोर्मल है ! |
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#14 | |
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#15 |
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#16 |
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देश में करीब ५ करोड़ से ज्यादा लोग इससे ग्रस्त हैं। अगर यह नियंत्रण में न रहा तो कई बिमारियों का कारण बन जाता है, जैसे - हार्ट अटैक, किडनी और दिमाग संबंधी रोग, ग्लुकोमा, यहाँ तक की चमड़ी का फ़टना भी।
जीवन-शैली में बदलाव की बात सभी कहते हैं, पर क्या यह आज-कल जिस तरह के काम-धन्धे में हम लगे रहते हैं, क्या यह संभव हो सकता है, आदर्श रूप में? वैसे जिन बड़े बदलावों की बाअत की जाती है, वे हैं - |
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#17 |
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(१) खाना नियंत्रित हो, पर उसमें असंतृप्त वसा अम्ल, रेशे, ऐन्टी-औक्सीडेन्ट, और विटामीन की मात्रा थोड़ी ज्यादा हो।
(२) वजन पर नियंत्रण, लेकिन वजन कम करना किसी पेशेवर के संसर्ग में रह कर किया जाए। (३) तनाव पर नियंत्रण, यह ध्यान और मालिश के जरिए हो, और किसी अच्छे आदत के साथ भी। (४) पैर की विशेष देख-भाल हो, क्योंकि यहाँ पर लगना वाला हलका सा घाव भी विकराल रूप ले सकता है। ऊँगलियों के बीच का स्थान जरुर हमेशा सुखा रहना चाहिए। विदेश में तो विशेष जूते बनते हैं, डायबेटिक लोगों के लिए। (५) ७ से ८ घंटे नींद लेने की एक सही आदत हो, सोने का सही पैटर्न कायम रहे। (६) तम्बाकू संबंधी उत्पादों से १००% दूर रहा जाए। (७) अपनी फ़िटनेस को हर हाल में बेहतर बना कर रखा जाए। पर इसमें से कुछ खास तो हो नहीं पाता, सुबह जब ८.३० पर ड्युटी पड़नी हो तो....सो ज्यादातर दवा के भरोसे हीं चलना पड़ता है, और फ़िर यही आदत बन जाती है। |
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#18 |
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---मधुमेह २ किस्म की होती है . टाइप -१ और टाइप -२ .शुरुवाति दौर में सभी को टाइप २ मधुमेह होती है .इस प्रकार की मधुमेह में .पेनक्रियाज ग्रंथि इंसुलिन तो बनाता है ,पर वो ग्लूकोज को शक्ति में बदल ने के लिए काफी नहीं होती ,इसका असर शरीर में थकान ,ज्याद भूख लगाना ,बार बार पेशाब लगना आदि लक्षण होते है .इस टाइप ले मधुमेह के के लिए गोली लेनी पड़ती है ,और खान पान में भी परहेज करना पड़ता है .
जब शरीर में पेनक्रियाज ग्रंथि इंसुलिन बनाना बिलकुल बंद कर देता है तो टाइप -१ मधुमेह हो जाती है .ये एक खतरनाक स्थिति है .शरीर में इंसुलिन बिलकुल न होने की वजह से ,ग्लूकोज शक्ति में बदल ही नहीं पाती ,जिसकी वजह से रक्त में अधिक सुगर जमा हो जाती है .अगर रक्त में निश्चित मात्र से ज्यादा सुगर जमा हो जाए तो उसका परिणाम खतरनाक होते है .इसकी वजह से आख के रक्त धमनी में असर होती है और आख के रोशिनी कम हो जाती है ,यह किडनी के काम को भी प्रभाबित करती है ,अगर सुगर को नियंत्रण में न लाया जाए तो आख और किडनी दोनों खराब हो जाती है . टाइप -१ मधुमेह का नियंत्रण भी बहुत तकलीफ देह होती है ,इसका मरीज को दैनिक २ बार इंसुलिन की इंजेक्सन लेनी पड़ती है और खान पान में कडा परहेज करना पडता है ,फिर इंसुलिन की दबाई भी एकदम महंगी होती है ......... इसलिए दोस्तों मधुमेह एक साइलेंट किलर है ,जो आदमी को धीरे धीरे खत्म करती है ...इस से बचिये.. |
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#19 |
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निशांत बंधू ने सही बताया है | मेथी इस रोग के लिए अच्छी दवा है | वैसे मधुमेह के रोगी के लिए सुबह की सैर बहुत राहत वाली होती है |
सुबह उठते ही बिना कुल्ला किये आधा लीटर पानी पीना और फिर शौच के बाद सैर करने से मधुमेह नियंत्रित होती है | मधुमेह की बीमारी से हमारी विल पावर और मेमोरी पर काफी प्रभाव पड़ता है | इस रोग का मरीज बहुत जल्दी खुश और बहुत जल्दी तनाव ग्रस्त होता है | बाकी अभी इसको पूरी तरह ख़त्म करने वाली औषधि बनी नहीं है | |
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#20 |
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क्या मधुमेह को नियंत्रित करने के लि किए जाने वाले उपायों से जीवन में आने वाले अनुशासन से क्या हमारा जीवन ज्यादा स्वस्थ और लम्बा हो सकता है? मुझे लगता है हाँ, हो सकता है। स्वस्थ जीवन शैली हमेशा हमारे फ़ायदे में हीं रहेगी, चाहे मधुमेह के बहाने हीं हम स्वस्थ और नियमित जीवन शैली क्यों नहीं अपनाते...
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