06-01-2015, 05:17 PM | #11 |
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Re: प्रेम ... समय
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06-01-2015, 07:33 PM | #12 |
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Re: प्रेम ... समय
धन्यवाद, मित्र. यहाँ अपने विचार रखने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
08-01-2015, 03:49 PM | #13 |
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Re: प्रेम ... समय
पवित्रा ने बहुत ही बढ़िया तरीके से अपनी बात को यहाँ रखा है। मैं पवित्रा से पूरी तरह से सहमत हूँ कि अगर प्यार सच्चा है तो वो वक्त के साथ और गहरा होता जाता है। प्यार में कोई शर्त नहीं होती अगर आप किसी से प्यार करते हैं तो वो इंसान चाहे आपके पास हो या आपसे बहुत दूर हो ,आपका प्यार कभी कम नहीं होता। अगर हम किसी से प्यार करते हैं लेकिन सामने वाला हमसे प्यार नहीं करता तो भी हमारा प्यार उसके लिए कम नहीं होना चाहिए क्योंकि प्यार में कोई सौदा नहीं होता। अगर हम प्यार के बदले प्यार पाना चाहते हैं और न मिलने पर हमें गुस्सा या निराशा होती है तो वो हमारा स्वार्थ होता है प्यार नहीं। हमारे लिए महत्व इस बात का होना चाहिए की हमारे दिल में किसी के लिए प्यार है। स्वामी विवेकानंदजी ने कहा है की प्यार करके उसे न पाना दुखद नहीं है बल्कि किसी से भी प्यार न करना दुखद है। हो सकता है मैं विषय से भटक रही होऊ लेकिन मैं यहाँ कहना चाहूंगी ,मैंने आज खबर पढ़ी की एक लड़के ने लड़की के न कहने पर उसके ऊपर तेज़ाब डाल दिया ,ऐसी ख़बरें आये दिन सुनने को मिलती हैं मुझे समझ नहीं आता ये कौन सा प्यार है ?
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08-01-2015, 06:12 PM | #14 | |
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Re: प्रेम ... समय
Quote:
ये प्यार है ही नहीं , ये Obsession है। और Obsession आकर्षण की वजह से होता है , प्यार की वजह से नहीं। अब देखिये क्या कोई माँ अपने बच्चे के साथ ऐसा क्रूर व्यवहार कर सकती है ? कभी नहीं। क्यूंकि वहां प्रेम है। प्यार में हम किसी को भी नुक्सान नहीं पहुंचा सकते। और जो लोग ऐसी क्रूर हरकत करते हैं वो वास्तव में मनोरोगी हैं।
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08-01-2015, 11:02 PM | #15 |
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Re: प्रेम ... समय
यदि यहां मौजूद सभी मित्रो के विचार ईस सुत्र में एक जैसे ही है....तो फिर पोल के नतीजे मुझे क्युं समज नही आ रहे?
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08-01-2015, 11:19 PM | #16 | |
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Re: प्रेम ... समय
Quote:
Deep ji I think ye by mistake hua hai.....mujhe bhi starting mein poll samajh nahin aayi thi....aur maine Yes ke favor mein vote kar diya but baad mein realize hua ki mujhe No ke favor mein vote dena tha.....I think baki logon ko bhi yahi misunderstanding hui hogi......bcuz Poll ka question clear nahin tha isliye voting galat ho gayi...baad mein thread ka 1st post read kiya tab samajh aaya ki poll actually hai kis question pe based.
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09-01-2015, 04:38 PM | #17 |
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Re: प्रेम ... समय
Bahot hi umda topic hai ye pyar....
Humare Kai saathi ne pyar ke apne apne vichar ko prastut kiya... Humari nazar Mai pyar bas pyar hi hota hai...or vo to bas ho jata hai....hum jaise pyar karte hai unki khushi ke liye hum kuch bhi karne ko taiyar hote hai....pyar samay ke saath or gahera hota hai.....pyar Mai hota hai niswarth tyag or samarpan.... |
10-01-2015, 05:42 PM | #18 |
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Re: प्रेम ... समय
pyar to dil ki gharaiyo me basta hai bs itna hi kahe ge
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11-01-2015, 07:26 PM | #19 |
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Re: प्रेम ... समय
सही कहा आपने मित्र
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
11-01-2015, 07:28 PM | #20 | |
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Re: प्रेम ... समय
Quote:
बहुत सही कहा आपने शिखा ....लगता है आप भी इस अनमोल दरिया ....से हो के गुजरी हैं ..
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