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Old 11-09-2011, 01:05 AM   #11
samir
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रामप्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा




रामप्रसाद बिस्मिल भारत के महान सपूत थे जिन्होने भारत की आजादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनका जन्म सन १८९७ में उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में हुआ था। १९ दिसम्बर, सन १९२७ को ब्रिटिश शासन ने उनको गोरखपुर जेल में फांसी पर चढा दिया।

रामप्रसाद बिस्मिल ने यह आत्म-कथा अपनी फांसी से दो दिन पहले ही समाप्त की थी।

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित वन्दे मातरम् के बाद अमर शहीद रामप्रसाद 'बिस्मिल' का 'सरफरोशी की तमन्ना' ही वह गीत है जिसे गाते हुए कितने ही देशभक्त फांसी के फन्दे को चूम लिये।
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित वन्दे मातरम् के बाद अमर शहीद रामप्रसाद 'बिस्मिल' का सरफरोशी की तमन्ना ही वह गीत है जिसे गाते हुए कितने ही देशभक्त फांसी के फन्दे को चूम लिये। यह गीत नीचे दिया जा रहा है :

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए कातिल में है


वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमान,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है


करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है


रहबरे राहे मुहब्बत, रह न जाना राह में
लज्जते-सेहरा न वर्दी दूरिए-मंजिल में है


अब न अगले वलवले हैं और न अरमानों की भीड़
एक मिट जाने की हसरत अब दिले-बिस्मिल में है ।


ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-कातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर,
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


हाथ जिन में हो जुनून कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से,
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,
जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम.
जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


यूँ खड़ा मकतल में कातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें कोई रोको ना आज
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून
तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए कातिल में है



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Old 11-09-2011, 01:06 AM   #12
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सरल हसतरेखा शास्त्र (हिंदी)


मनुष्य में सदा से ही अपने भाग्य को जानने की इच्छा रही है और हसतरेखा इसका एक अच्छा माध्यम है । ह्सतरेखा विज्ञानं प्राचीन काल से ही भारत में लोकप्रिय है । भारत ही इसका जन्मदाता है । यहाँ तक कि विश्व प्रसिद हसतरेखा विशेषज्ञ कीरो ने भी इस ज्ञान को भारत में ही आकर सीखा था ।
किसी भी व्यक्ति के हाथ को देखकर उसके जीवन की कमियों का पता लगाया जा सकता है और उनको दूर भी किया जा सकता है। यदि समय रहते समस्या पता लग जाए तो उसका समाधान भी आसन हो जाता है।

अत्यन्त सरल भाषा में लिखी हुई २०० पन्नों की प्रस्तुत पुस्तक जिज्ञासु पाठको को अवश्य पसंद आयेगी ।



फाइल का आकार: 2.5 Mb



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Old 11-09-2011, 01:06 AM   #13
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सरल अंक शास्त्र


संसार का प्रारम्भ अंक से ही हुआ है । इसलिए अंक का बड़ा महत्व है। अंक के बिना किसी भी कार्य का शुभारम्भ सम्भव नही है।
जो व्यक्ति अंको के रहस्य को जान लेता है, वो हमेशा सुखी जीवन बिताता है। ज्योतिष एवं अंक विज्ञानं में रूचि रखने वालो को ये पुस्तक अवश्य पसंद आयेगी।

http://www.multiupload.com/HTASMBUHQN
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Old 11-09-2011, 01:06 AM   #14
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अंधायुग - धरमवीर भारती



अंधायुग धरमवीर भारती की एक प्रसिद रचना है। महाभारत की १८ वीं संध्या से लेकर कृष्ण की मृत्यु के समय तक की ये गाथा अपने आप में एक एतिहासिक धरोहर है।


http://www.multiupload.com/KXFCQ0GHH3
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Old 11-09-2011, 01:06 AM   #15
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कुरुक्षेत्र - रामधारी सिंह दिनकर


रामधारी सिंह दिनकर (२३ सितंबर १९०८- २४ अप्रैल १९७४) भारत में हिन्दी के एक प्रमुख लेखक. कवि, निबंधकार थे। कवि दिनकर आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रांत के बेगुसराय जिले का सिमरिया घाट कवि दिनकर की जन्मस्थली है। इन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। साहित्य के रूप में इन्होंने संस्कृत, बंग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था। ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता रामधारी सिंह दिनकर स्वतंत्रता पूर्व के विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने जाते रहे। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रांति की पुकार है, तो दूसरी ओर कोमल श्रृँगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें कुरूक्षेत्र और उवर्शी में मिलता है।


उनके साहित्य में वीर रस की प्रधानता है। आजादी से पहले उन्होंने देशभक्ति की भावनाओ से परिपूरन रचनायें लिखी। उनके प्रस्तुत महाकाव्य कुरुक्षेत्र में महाभारत के शान्ति पर्व का उल्लेख है।




http://www.multiupload.com/GKKBKGBUG1
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Old 11-09-2011, 01:07 AM   #16
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आधुनिक हिन्दी कविता में डाक्टर जगदीश गुप्त का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनका जन्म १९२४ में शाहाबाद हरदोई में हुआ।आपने प्रयाग विश्वविद्यालय से एम।ए।, डी।फिल। की उपाधि प्राप्त की। आपको मैथिली शरण गुप्त सम्मान तथा श्री नारायण चतुर्वेदी सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। आपने पचास से अधिक पुस्तकों का लेखन-संपादन किया है।
आपका
प्रबंध काव्य सांझ है ।

फाइल का आकार : 300 Kb


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Old 11-09-2011, 01:07 AM   #17
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है और भी दुनिया में सुखनवर बोहोत अच्छे ,
कहते है कि ग़ालिब का है अंदाज़-ऐ-ब्याँ और।

ग़ालिब उर्दू के महान शायरों में से एक है। इस किताब में उनके कुछ मशहूर चुनिन्दा शेर लिए गए है। उम्मीद है , आपको पसंद आएंगे ।



फाइल का आकार : 450 Kb




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Old 11-09-2011, 01:07 AM   #18
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ABCD उपन्यास रविंदर कालिया द्वारा लिखित एक बेहतरीन लघु उपन्यास है. इसमे पारिवारिक रिश्तों के ताने -बाने को ख़ूबसूरती से बुना गया है. एक बार पढ़कर अवश्य देखें.



फाइल का आकार: 1Mb



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Old 11-09-2011, 01:08 AM   #19
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गुलज़ार की त्रिवेणिया

गुलज़ार साहब को कौन नही जानता। उनका अपना ही एक अंदाज़ है। देखिये-

सामनेआएमेरे, देखामुझे, बातभीकी
मुस्कराएभी, पुरानीकिसीपहचानकीखातिर

कलकाअखबारथा, बसदेखभीलिया, रखभीदिया


कुछ ऐसी ही त्रिवेणियों का संकलन है ये पुस्तक।


फाइल का आकार : 175 kb



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Old 11-09-2011, 01:08 AM   #20
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इस पुस्तक में हिन्दी के प्रसिद लेखकों की कहानियों का संग्रह है। कुल २७ कहानियाँ इस पुस्तक में है।

हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेष्ठ कहानी माने जाने वाली कहानी चंद्रधर शर्मा गुलेरी की "उसने कहा था " से लेकर सहादत हसन मंटो की कहानी "टोबाटेक सिंह " तक और जयशंकर प्रसाद की " आकाशदीप" से लेकर इंशा अल्ला खां द्वारा रचित "रानी केतकी की कहानी " भी इस संग्रह में है।
उम्मीद है आपको ये संग्रह पसंद आयेगा।

साइज़: २.३ Mb


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किताब, पुस्तक, फ्री, मुफ्त, साहित्य


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