04-12-2010, 08:08 PM | #11 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
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04-12-2010, 08:11 PM | #12 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
विकिलीक्स के दस्तावेजों से यह साफ है कि जम्हूरियत और अवाम की खुशहाली के लिए वह इराक या अफगानिस्तान में मौजूद नहीं। दरअसल ये मुल्क उसके लिए नए जंगी सामानों की बेशकीमती लैबोरेटर्री है, यहां वे नए हथियारों का इस्तेमाल ही नहीं करते, उनका परीक्षण भी करते हैं। इस तरह सालों से चल रहा है अमन और जम्हूरियत के नाम पर जंग का कारोबार। इराक की लड़ाई एक सोची समझी साज़िश थी। अमेरिका के लिए इराक को ज़मीन थी जो उसके वर्ल्ड नम्बर वन के तमगे को बरकरार रखने में मदद कर सकती थी। युद्ध की सैकड़ों दास्तानों से भरा अमेरिकी इतिहास यही कहता है कि युद्ध उसके लिए कारोबार है। इराक में 1991 से लड़ते रहने के बावजूद अभी भी अमेरिकी सैनिक वहां क्या कर रहे हैं, क्या वजह है कि अमेरिका इराक से बाहर नहीं निकलना चाहता ? इसके पीछे भी अमेरिका का कारोबारी दिमाग़ काम कर रहा है।
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04-12-2010, 08:14 PM | #13 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
दरअसल दुनिया के 40 देशों के एजेंट इराक में तेल के ठेकों को पाना चाहते थे। इसीलिए युद्ध ख़त्म होने के साथ ही अमेरिका ने तेल कुओं को क़ब्ज़े में लिया और आनन- फानन में नया तेल क़ानून पास किया। ये 26 जनवरी 2007 को किया गया। यहीं से इराक अमेरिका के लिए पैसा बनाने की मशीन बन गया। अमेरिकी तेल कंपनियां इराक के तेल कुओं से 100 से 300 फीसदी तक मुनाफा कमा रही हैं। इन कम्पनियों ने एक तरह से विश्व तेल बाज़ार पर एकाधिकार जमा लिया है और जब चाहते हैं तब कच्चे तेल के दामों में बढोत्तरी कर देते हैं। अमेरिकी कम्पनियों से हासिल होने वाला राजस्व अमेरिका की अर्थव्यवस्था की इमारत गढ़ता है। साथ में अमेरिका ने ख़ुद अपनी उर्जा की ज़रुरत को बढ़ा रखा है। इसकी भी पूर्ति इराक के कुओं से होती है। बात यहीं नहीं थमती, इराकी ज़मीन पर अमेरिकी लड़ाई का कनेक्शन अमेरिकी सांसदों की जेब से भी है।
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04-12-2010, 08:17 PM | #14 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
इराक में जितने टैंक उड़ते हैं, जितनी सैनिकों की वर्दियां फटती हैं, जितनी गोलियां चलती हैं, सांसदों की जेब उतनी ही वज़नी होती चली जाती है। हथियार और युद्धक विमान बनानेवाली दुनिया की पांच सबसे बड़ी कंपनियां बोइंग, नारथार्प, ग्रेमेन, लाकहीड मार्टिन और रेथियोर अमेरिका की हैं और इन कम्पनियों का बिज़नेस इराक जैसे युद्ध से ही चलता है। अगर युद्ध नहीं होगा तो कम्पनियां दीवालिया भी हो सकती हैं। ज़ाहिर है युद्ध जारी रखने के लिए हथियार बनानेवाली ये कम्पनियां अमेरिकी सांसदों तक पहुंच बनाती हैं। एक आकलन के मुताबिक युद्ध के बाद इन कम्पनियों के मुनाफे में 600 फीसदी तक बढ़त दर्ज की गई है। 2002 में ये कम्पनियां 1 अरब डॉलर के घाटे में चल रही थीं जबकि 2007 में उन्होंने 13 अरब डॉलर का कारोबार किया। समझा जा सकता है कि अमेरिका दुनिया में विनाश की पृष्ठभूमि रचकर अपनी अर्थव्यवस्था को मज़बूत करता है।
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04-12-2010, 08:22 PM | #15 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
खुलासों की एक और फेहरिस्त विकिलीक्स की ओर से सामने आई है। दस्तावेजों में दुनिया भर में फैले अमेरिकी दूतावास का अपनी सरकार से हुए खतोकिताबात की तफसील दी हुई है। 2लाख 50 हजार दस्तावेजों की फेहरिस्त को अभी से कूटनीति की दुनिया का 9- 11 करार दिया जा रहा है।
सबसे पहले हम आपको यह बताना चाहते हैं कि डाक्यूमेंट है क्या ? तीन अहम दस्तावेज जिनकी वजह से अमेरिका को सबसे ज्यादा शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है और जिसकी वजह से दमिश्क से दिल्ली तक हिल रही हैं सरकारें। अब हम आपको बताते हैं कि जिन 2 लाख पचास हजार डाक्यूमेंट्स के लीक होने की बात सामने आ रही है वह है कैसा ? खत में उपर लिखा है नो फार्न यानी उसे किसी गैर अमेरिकी को नहीं भेजा जा सकता। नीचे लिखा है सिपडीस यानी सीक्रेट इंटरनेट प्रोटोक़ॉल डिस्ट्रीब्यूशन। यह दुनिया भर में फैले अमेरिकी दूतावासों का खास इंटरनेट नेटवर्क है। सीक्रेट खत में टिमकेन ने जर्मनी की सरकार को दी गई धमकी का जिक्र किया है। |
04-12-2010, 08:34 PM | #16 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
खत से पता चलता है कि अमेरिका ने जर्मनी पर दबाव डाला था कि अगर खालिद अल मसरी मामले में जर्मनी की अदालत ने सीआईए के अफसरों के खिलाफ वारंट की तामील के लिए दबाव डाला तो उसकी कीमत जर्मनी की सरकार को चुकानी पड़ सकती है। अल मसरी नाम के अलकायदा के आतंकवादी को पकड़ने की नीयत से गलती से सीआईए ने जर्मनी के एक नागरिक खालिद अल मसरी को जर्मनी से अगवा कर लिया और उसे अफगानिस्तान ले जाकर वहां उसे यातना दी। बाद में जब सच सामने आया तो सीआईए ने उसे रिहा तो कर दिया लेकिन जर्मनी की सरकार को खामोश रहने या फिर कीमत चुकाने की धमकी दी। खत से ये राज खुला है कि अमेरिकी सरकार सिर्फ ईरान या उत्तर कोरिया जैसे देशों को ही नहीं, नाटो के अपने मित्र देशों को भी धमकाने से बाज नहीं आती।
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05-12-2010, 01:20 AM | #17 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
arvind भाई का विषय chunaav aur maadhavi ji का yogdaan ! achchi pathneey samagri एकत्रित की है आप दोनों ने |
माधवी जी एक व्यक्तिगत सुझाव है की विवादित साईट के लिंक को सीधे ना देकर आप गूगल सर्च का लिंक दें तो उचित रहेगा | एक ना एक दिन इस डोमेन को भी ब्लोक किया जायेगा और साथ में गूगल उससे रिलेटेड पेज भी पिंग करके उड़ा देगा !!!! |
05-12-2010, 04:51 AM | #18 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
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05-12-2010, 07:18 AM | #19 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
A request to all the members:
Kindly don't post any controversial video, official website links or pictures related to this topic, and please try to keep the discussion to be as neutral on the subject as possible. US government is desperate to ban all the supporters of this controversial website.
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05-12-2010, 10:07 AM | #20 |
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Re: क्या है विकिलिक्स मे???
Everything is fair in love and war
और युद्ध जब दुनिया की सबसे दुर्लभ वस्तु के लिए हो तो नामुंकिन कुछ भी नहीं इराक के बारे में जो दस्तावेज विकिलीक्स ने पेश किये हैं, मेरे लिए वो कतई चौकाने वाले नहीं है
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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