06-06-2011, 06:21 PM | #11 |
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Re: जीवन चलने का नाम।
Thanks भाई जो आप लिख रहे हो वह वाक्य मे काबिलेतारीफ है |
07-06-2011, 01:43 AM | #12 |
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Re: जीवन चलने का नाम।
भाई, आत्म-हत्या एकमात्र विकल्प नहीं बचता. जिन्दगी जीने के लिए कई रस्ते तब भी हर हाल में खुले रहते है. बस जरूरत होती है एक सही रास्ता पकड़ने की.
वो अलग बात है कई लोग समाज के तानों से परेशान होकर ऐसे कदम उठाते हैं. लिकं माँ-बाप को चाहिए कि बच्चों के साथ ऐसे समय में उनके अच्छे दोस्त बनकर पेश आएं, और उम्मीदों का ज्यादा दबाव ना डालें. |
07-06-2011, 01:46 AM | #13 |
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Re: जीवन चलने का नाम।
आज हमारे प्रदेश का बारहवीं औए दसवीं का रिजल्ट निकला है. अगले कई दिनों तक अखबार में ऐसे कई घटनाओं का जिक्र आएगा जिसमें बच्चे निराश होकर कोई गलत कदम उठा चुके होंगे. इसमें बहुत भारी गलती उन माँ-बाप की है जो उन्हें हर हाल में मेरिट में देखना चाहते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए.
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09-06-2011, 12:14 AM | #14 | |
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Re: जीवन चलने का नाम।
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प्रत्येक व्यक्ति को अपनी ' असफलता ' पर घबराना नहीं चाहिए | इस तरह की बातें हमेशा इंसान को मोटिवेट करतीं हैं | अरविद जी को धन्यवाद
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ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
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09-06-2011, 11:35 PM | #15 |
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Re: जीवन चलने का नाम।
प्रेरक ! अद्वितीय !! उत्कृष्ट !!!
हृदयस्पर्शी सामग्री के लिए आभार बन्धु /
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
10-06-2011, 01:28 PM | #16 |
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Re: जीवन चलने का नाम।
सही समय पर सही सूत्र बनाया है भाई |
कमोवेश कुछ ऐसी परिस्थिति मेरे घर में हाल में ही हुई | मेरे छोटे भाई ने इसी साल बारहवीं की परीक्षा ९४% में पास की किन्तु IIT में दाखिला नहीं मिल पाया | वो इस बात पर खुश नहीं था की उसे ९४% मिले, इस बात पर दुखी था की IIT में नहीं हुआ | मैं उदाहरण लायक चीज़ तो नहीं हूँ लेकिन मेरा अपना अनुभव भी ऐसा ही रहा है, बी टेक से शुरू किया लेकिन अंत में इतिहास में मास्टर्स किया, IAS प्री,मेंस क्लियर करने के बाद इंटरव्यू में अटक गया और आज multimedia में काम कर रहा हूँ और जिंदगी आराम से बिताने का इंतज़ाम है | कोई भी परीक्षा ना तो पहली होती है ना आखिरी ||| |
10-06-2011, 02:58 PM | #17 | |
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Re: जीवन चलने का नाम।
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11-06-2011, 12:12 PM | #18 |
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Re: जीवन चलने का नाम।
एक बहुत ही प्रेरणादायक सुत्र की बधाई ।
मनुष्य को अपनी सोच को सकारात्मक बनानी चाहिये । जो व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थियो मे भी सकारात्मक विचार करना जानते है उनके लिये कुछ भी कठिन नही है । सकारात्मक नजरिये वाला व्यक्ति हर मुसिबत मे एक अवसर खोजता है और नकारात्मक नजरिये वाला व्यक्ति हर अवसर मे एक मुसिबत ।
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==========हारना मैने कभी सिखा नही और जीत कभी मेरी हुई नही ।==========
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11-06-2011, 02:51 PM | #19 | |
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Re: जीवन चलने का नाम।
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कौन कहता है कि आसमां मे सुराख नहीं हो सकता.... अरे, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो। |
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01-07-2011, 06:29 PM | #20 |
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Re: जीवन चलने का नाम।
एक चित्र बनाने में किसी को 17 वर्ष लग जाये, तो आप क्या कहेंगे. कहेंगे कि पेंटिंग उसके वश की नहीं । उसे तोबा कर लेना चाहिए। लेकिन मानव इतिहास के सबसे विख्यात चित्रकार लियोनार्डो द विंची एसे ही शख्स थे। मोनालिसा का चित्र पूरा करने में उन्हे 17 वर्ष लगे। केवल होंठ बनाने में 12 साल लगे। जी हां, वही मोनालिसा, जिस पर न जाने कितनी भाषाओं में कितने आलेख, शोधपत्र व किताबें छप चुकी हैं, पर आज भी वह मुस्कान रहस्यमयी बनी हुई है। यह कई शोधों से प्रमाणित हो चुका है कि विंची डिसलेक्सीया व एडीडी (अटेंशन डेफिसीट डिसाओर्डर) से पीड़ित थे। पहले में व्यक्ति शुद्ध लिखने - पढ़ने में कमजोर होता है व दूसरे में उसका ध्यान किसी एक चीज पर केंद्रित नहीं हो पाता। इसी कारण विंची अपनी लगभग 30 पेंटिंग पूरी नहीं कर पाये। वे पूर्णतावादी थे. थोड़ी भी कमी रहने पर नाखुश होनेवाले। एडीडी के कारण टालू प्रवृति के थे। "कल करे, सो आज कर", के उलटा आज का काम कल पर टालनेवाले। वे चित्रकार ही नहीं, मूर्तिकार, इंजीनियर, शरीर विज्ञान के भी मास्टर थे। उन्होने आज के हेलीकाप्टर से सैकड़ों साल पहले 15 वीं सदी में ही उसकी डिजाइन बना दी. वे रेटिना को डिजाइन करने वाले भी पहले व्यक्ति थे। एक साथ कई कामों में लगे रहनेवाले। अगर आप भी किसी एक विषय को फोकस नहीं कर पाते, तो आपका कुंठित हो जाना सही नहीं। निराशा, अवसाद को टा – टा कहिए। कई विषयो को पढ़िए, पर आत्मघाती कदम कभी न उठाइए। धीरे – धीरे आपकी बहुआयामी प्रतिभा खिलेगी. आप भी विंची कि तरह आलराउंडर हो सकते है।
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