10-12-2010, 08:20 PM | #11 |
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Re: कुछ सीख देने वाली कहानियाँ (inspiring stories)
A Glass Of Milk One day, a poor boy who was selling goods from door to door to pay his way through school, found he had only one thin dime left, and he was hungry. He decided he would ask for a meal at the next house. However, he lost his nerve when a lovely young woman opened the door. Instead of a meal he asked for a drink of water. She thought he looked hungry so brought him a large glass of milk. He drank it slowly, and then asked, "How much do I owe you?" "You don't owe me anything," she replied. "Mother has taught us never to accept pay for a kindness." He said..... "Then I thank you from my heart." As Howard Kelly left that house, he not only felt stronger physically, but his faith in God and man was strong also. He had been ready to give up and quit. Year's later that young woman became critically ill. The local doctors were baffled. They finally sent her to the big city, where they called in specialists to study her rare disease. Dr. Howard Kelly was called in for the consultation. When he heard the name of the town she came from, a strange light filled his eyes. Immediately he rose and went down the hall of the hospital to her room. Dressed in his doctor's gown he went in to see her. He recognized her at once. He went back to the consultation room determined to do his best to save her life. From that day he gave special attention to the case. After a long struggle, the battle was won. Dr. Kelly requested the business office to pass the final bill to him for approval. He looked at it, then wrote something on the edge and the bill was sent to her room. She feared to open it, for she was sure it would take the rest of her life to pay for it all. Finally she looked, and something caught her attention on the side of the bill. She read these words....."Paid in full with one glass of milk" (Signed)
Dr. Howard Kelly.
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10-12-2010, 10:08 PM | #12 |
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Re: कुछ सीख देने वाली कहानियाँ (inspiring stories)
सिकंदर भाई बहुत अच्छा सूत्र शुरू किया है ....
बहुत अच्छी प्रस्तुति दी में भी कोशिश करुगा की मैं भी अपना योगदान दे सकू धन्यवाद |
11-12-2010, 08:51 AM | #13 | |
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Re: कुछ सीख देने वाली कहानियाँ (inspiring stories)
Quote:
आपका हार्दिक आभार
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11-12-2010, 08:24 PM | #14 |
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Re: कुछ सीख देने वाली कहानियाँ (inspiring stories)
इक बूढी , इक बूढा और इक छोटा सा कमरा ................. आज के व्यस्त माहौल से कुछ समय निकला है , "अंजना " और इक अजीज के घर डेरा डाला है . पंहुचा दरवाजे पर तो गजब का सत्कार हुआ , नास्ते पानी का बेहतरीन व्यवहार हुआ . भाभी जी ने मुस्कुरा कर नमस्कार किया , भतीजी भतीजों ने झुक कर प्रणाम किया . हालचाल के सिलसिले की शुरुआत हुई , कुछ पुरानी यादों की भी बात हुई . पर मेरा ध्यान तो उनके बंगले पर था , उसके कंगूरों और आँगन के जंगले पर था . थकहार कर मैंने उनसे पूँछ ही डाला , क्या तुमने था कही पर डाका डाला . तो मुस्कुराकर महाशय जी बोले , की मेरे हिस्से में आये थे इतने ही धेले . उनसे ही यह घर बनवाया है , कालीन और सब साज से सजवाया है . देखो कितनी मेहनत से डिजाईन करवाया था , बड़े मुश्किल से बाबूजी को पटाया था . इतना सुनते ही मेरे मन में इक बात आई , उनके माँ -बाबू जी की हमे याद आई . बस मैं झट से बोला की बाबूजी से मिलवाओ , जरा माता जी के भी दर्शन करवाओ . इतना सुनकर भाभी जी ने मेरी और चाय बढाई , और बोली की मिल लेना अभी तो आप आये है भाई . पर मैं हूँ अपनी जिद का पक्का था ,
अब उनसे ही मिलने का इरादा कर रखा था . हार कर मित्र मुझे बंगले के पीछे ले जाते है , और इक छोटा सा कमरा मुझे दिखाते है . उक कमरे में इक बूढा इक टूटी चारपाई पर लेटा है , ना कोई साज है न कोई सज्जा का रेता है . इक बुढिया बूढ़े के पैर दबाती है , नम आँखों को अपने अंचल से छुपाती है . इतना देखकर सारा नज़ारा साफ़ हुआ , धन का भूत मेरे सिर से ख़ाक हुआ . हे रे मानुष !! तू अपने कर्मो पे शर्मा तो जरा ! इक बूढी , इक बूढा और इक छोटा सा कमरा .................इक छोटा सा कमरा
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Last edited by Sikandar_Khan; 11-12-2010 at 09:10 PM. Reason: edit |
13-12-2010, 07:43 PM | #15 |
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Re: कुछ सीख देने वाली कहानियाँ (inspiring stories)
चाणक्य एक जंगल में झोपड़ी बनाकर रहते थे। वहां अनेक लोग उनसे परामर्श और ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते थे। जिस जंगल में वह रहते थे, वह पत्थरों और कंटीली झाडि़यों से भरा था। चूंकि उस समय प्राय: नंगे पैर रहने का ही चलन था, इसलिए उनके निवास तक पहुंचने में लोगों को अनेक कष्टों का सामना करना पड़ता था। वहां पहुंचते-पहुंचते लोगों के पांव लहूलुहान हो जाते थे।
एक दिन कुछ लोग उस मार्ग से बेहद परेशानियों का सामना कर चाणक्य तक पहुंचे। एक व्यक्ति उनसे निवेदन करते हुए बोला, ‘आपके पास पहुंचने में हम लोगों को बहुत कष्ट हुआ। आप महाराज से कहकर यहां की जमीन को चमड़े से ढकवाने की व्यवस्था करा दें। इससे लोगों को आराम होगा।’ उसकी बात सुनकर चाणक्य मुस्कराते हुए बोले, ‘महाशय, केवल यहीं चमड़ा बिछाने से समस्या हल नहीं होगी। कंटीले व पथरीले पथ तो इस विश्व में अनगिनत हैं। ऐसे में पूरे विश्व में चमड़ा बिछवाना तो असंभव है। हां, यदि आप लोग चमड़े द्वारा अपने पैरों को सुरक्षित कर लें तो अवश्य ही पथरीले पथ व कंटीली झाडि़यों के प्रकोप से बच सकते हैं।’ वह व्यक्ति सिर झुकाकर बोला, ‘हां गुरुजी, मैं अब ऐसा ही करूंगा।’ इसके बाद चाणक्य बोले, ‘देखो, मेरी इस बात के पीछे भी गहरा सार है। दूसरों को सुधारने के बजाय खुद को सुधारो। इससे तुम अपने कार्य में विजय अवश्य हासिल कर लोगे। दुनिया को नसीहत देने वाला कुछ नहीं कर पाता जबकि उसका स्वयं पालन करने वाला कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंच जाता है।’ इस बात से सभी सहमत हो गए।
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13-12-2010, 07:47 PM | #16 |
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Re: कुछ सीख देने वाली कहानियाँ (inspiring stories)
एक छोटा सा गाँव था गाँव का नाम क्या था इससे हमारी कहानी का कोई लेना देना नहीं है | ये एक न्यायी राजा के राज्य का हिस्सा था | राज्य व राजा का नाम भी हमारी कहानी का हिस्सा नहीं है | अब चलते हैं मतलब की बात पर | इस गाँव में एक किसान के घर एक होनहार बालक का जन्म हुआ | किसान ने उसकी प्रतिभा को देखकर उसे काशी पढ़ने भेज दिया | समय बीतता गया और एक दिन वो बालक एक युवा आचार्य बनकर पुनः गाँव वापस आया |
एक दिन प्रातः काल आचार्य जी स्नानादि करने के पश्चात सूर्य-अर्घ्य दे रहे थे | अर्घ्य देते समय उन्होंने बुदबुदाते हुए प्रार्थना की- “प्रीती बड़ी माता की, और भाई का बल ; ज्योति बड़ी किरणों की, और गंगा का जल ||” आचार्य जी का इतना कहना क्या के पास से गुजरती धोबन ने अपने गधे को एक जोरदार डंडा मारा और कहा - “चल गधे ! एक गधे की बात को क्या सुनता है !” आस पास खड़े लोग हंस पड़े | आचार्य जी ठहरे पढ़े-लिखे विद्वान और एक अदना सी धोबन ने खुले आम गधा कह कर अपमान कर दिया | अत्यंत मर्माहत से आचार्य ने ना कुछ खाया ना पिया दिन भर गुमसुम से एकान्तवास लिए सोचते रहे | जाने कब रात हुई, जाने कब फिर सुबह हुई पता ना चला | पौ फटने को थी तब तक कुछ निर्णय लेते हुए जल्दी से नित्य क्रियाओं से निवृत्त हुए और चल पड़े राजप्रासाद की ओर | दोपहर चढ़े आचार्य जी राजा के सम्मुख प्रस्तुत थे | राजा ने जब विद्वान का परिचय जाना तो ससम्मान आसान दिया और पधारने का कारण जानना चाहा | आचार्य जी ने अपनी पीड़ा कह सुनाई | राजा ने कहा “यदि उस गँवार नारी ने आपका असम्मान किया है तो उसे दंड जरूर मिलेगा |” धोबन को राजदरबार में बुला-भेजा गया | दूसरे दिन फिर सभा लगी | राजा ने धोबन से पूछा “क्या तुमने आचार्य जी को गधा कहा ? ” धोबन ने जवाब दिया “नहीं सरकार मैं इतने बड़े विद्वान को भला गधा कैसे कह सकती हूँ |” आचार्य जी बोले “क्या तुमने अपने गधे को मारते हुए ‘चल गधे ! एक गधे की बात को क्या सुनता है !’ नहीं कहा था | धोबन : जी वो तो आपकी बात सुन के कहा था | राजा : कौन सी बात ? धोबन : आप आचार्य जी से ही पूछ लीजिए | राजा : आचार्य जी क्या आप अपनी बात दोहराएँगे ? आचार्य जी : “प्रीती बड़ी माता की, और भाई का बल ; ज्योति बड़ी किरणों की, और गंगा का जल || राजा : बात तो बिलकुल सही है | माँ से ज्यादा स्नेह किसी का नहीं हो सकता | भाई के समान कोई दूसरा बल नहीं होता | सूर्य की किरणों से ज्यादा कोई रौशनी नहीं दे सकता | और गंगा सा कोई जल संसार में नहीं | इसमें गधे जैसी कौन सी बात है | तुमने तो इस बात पर आचार्य जी को गधे के समान कह कर बड़ी मानहानि की | धोबन : महाराज आचार्य जी की बात सिर्फ सत्य प्रतीत होती है परन्तु है नहीं | राजा : अच्छा ! तो सही क्या है ? धोबन : महाराज ! “प्रीति बड़ी त्रिया (स्त्री) की ; (क्योंकि बात अगर पिता और पुत्र में फंसे तो माँ पुत्र का कभी साथ नहीं देगी परन्तु पत्नी किसी भी हाल में साथ होगी) और बाहों का बल | (जब बैरी अकेले में घेर लेगा तो भाई जब जानेगा तब जानेगा लेकिन वहाँ अपनी बाहों का बल ही काम आएगा ) ज्योति बड़ी नैनो की, (जब आँख ही ना हों तो क्या सूरज की किरणों की रौशनी और क्या अमावस का अँधेरा सब बराबर है ) और मेघा का जल | (गंगा जी पवित्र भले ही हैं लेकिन वे ना तो जन-जन की प्यास बुझा सकती हैं ना ही सभी खेतों में फसलों की सिंचाई कर सकती हैं) बस यही सोच कर मैंने कहा ‘चल गधे ! एक गधे की बात को क्या सुनता है !’ क्योंकि इनका यह पुस्तकीय ज्ञान हमारे लिए सही बिलकुल भी मिथ्या है जिसकी जरूरत मेरे गधे को भी नहीं है | राजा : आचार्य जी, अब आप क्या कहते हैं ? आचार्य : महाराज मुझे इस बात की समझ आज हुई है कि सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान संपूर्ण ज्ञान नहीं होता | अभी बहुत कुछ शेष है जो मुझे अपने बुजुर्गों और व्यवहारिक जीवन का ज्ञान रखने वाले अनपढ़ परन्तु बुद्धिमान लोगों से सीखना शेष है | पाठकों कहानी तो यहाँ समाप्त होती है लेकिन इसमें छिपी दसियों सीख समझने के बावजूद कहीं अधिक और गहराई में दबा देखता हूँ | आशा है आप उन चीजों को भी खोज पायेंगे |
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14-12-2010, 04:42 PM | #17 |
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Re: कुछ सीख देने वाली कहानियाँ (inspiring stories)
आहा सूत्र है
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14-01-2011, 07:45 PM | #18 |
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Re: कुछ सीख देने वाली कहानियाँ (inspiring stories)
एक लड़का लड़की को देखने के लिए हर
रोज़ उसके CD के शोरूम से एक नई CD खरीदता था , एक दिन लड़के को लगा की लड़की उसे कभी नहीं चाहेगी और वो मर गया . कुछ दिन लड़का शोरूम पे नहीं आया तब वो लड़की उसके घर गयी , तो पता चला की वो मर गया है , तब लड़के की माँ ने उस लड़की को लड़के का कमरा दिखाया , लड़की ने देखा की वो cd's भी सील्पैक थी , तब लड़की बहुत रोई क्योकि लड़की हर रोज़ उसमे एक लव लैटर रखती थी .......
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15-01-2011, 04:06 AM | #19 | |
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Re: कुछ सीख देने वाली कहानियाँ (inspiring stories)
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शायद इसीलिये भावनाओँ को अभिव्यक्त करना अत्यन्त आवश्यक है । आन्तरिक संवेगोँ , संवेदनाओँ को यदि शब्द या स्पर्श के माध्यम से परिभाषित न किया जाये तो वो बेमानी होती हैँ । उसके कोई मायने नहीँ होते । बिना प्रसार के वो मृतप्राय होती हैँ ।
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दूसरोँ को ख़ुशी देकर अपने लिये ख़ुशी खरीद लो । |
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15-01-2011, 05:43 PM | #20 | |
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कुछ सीख देने वाली कहानियाँ (inspiring stories)
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Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
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