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Old 08-09-2011, 09:08 AM   #11
bhavna
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Default Re: दूध के दांत भी क्या खूब!

इलाज : अगर प्राइमरी दांतों (दूध के दांत) में क्राउडिंग (एक-दूसरे पर चढ़े हुए दांत) हो तो परमानेंट दांतों में भी क्राउडिंग होने के चांस बहुत ज्यादा होते हैं। अगर बच्चे के मुंह में प्राइमरी और परमानेंट, दोनों तरह के दांत हैं तो क्राउडिंग को दूर करने के लिए डॉक्टर प्लांड एक्सट्रेक्शन करते हैं। दूध का दांत निकालकर परमानेंट दांत की सही जगह बनाई जाती है। साथ ही अप्लायंस भी लगाते हैं। अगर दांत ज्यादा उभरे हुए हों या टेढ़े-मेढ़े हों तो सात-आठ साल की उम्र में डॉक्टर बच्चे को ऑर्थो टेनर लगा सकते हैं। ये कस्टम-मेड अप्लायंस होते हैं। ये फ्लैक्सेबल और टेंपररी होते हैं।

इसके बाद 11-12 साल की उम्र में जब प्री-मोलर आने लगते हैं तो ब्रेसेज लगाए जा सकते हैं। आमतौर पर डॉक्टर 12 साल के बाद ही परमानेंट ब्रेसेज लगाते हैं। पहले सिर्फ मेटल के ब्रसेस आते थे, जो देखने में अच्छे नहीं लगते थे। अब सिरेमिक, कलर्ड और लिंगुअल ब्रसेस भी आते हैं। लिंगुअल ब्रसेस दांतों के अंदर की तरफ से लगाए जाते हैं और बाहर से नजर नहीं आते। ब्रसेस हटाए जाने के बाद रिटेनर्स लगाए जाते हैं। ये अक्रेलिक से बने इम्प्लांट्स होते हैं तो तारों की मदद से दांतों के पीछे लगाए जाते हैं। इन्हें आमतौर पर एक साल के लिए लगाया जाता है, ताकि ब्रसेज की मदद से दांत जिस स्थिति में आए हैं, उन्हें वहां बरकरार रखा जा सके।
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Old 08-09-2011, 09:08 AM   #12
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ध्यान दें : ब्रसेस की सफाई सही तरीके से की जानी चाहिए। इसके लिए अलग तरह के ब्रश मिलते हैं, वरना दांतों में गंदगी जमा हो सकती है, वे पीले पड़ सकते हैं और उनमें कैविटी या (सुराख) हो सकती है
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Old 08-09-2011, 09:08 AM   #13
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चोट से दांत टूट/निकल जाए

गिरने या चोट लगने से कई बार बच्चों के दांत निकल या टूट जाते हैं। ऐसे में निकले हुए दांत को कच्चे दूध में या फिर मुंह में ही रखकर फौरन डेंटिस्ट के पास ले जाएं। डॉक्टर दांत को दोबारा जगह पर लगा देगा। दांत निकलने के एक घंटे में डॉक्टर के पास पहुंच जाएं तो बेहतर है, हालांकि दो-तीन घंटे तक भी खास दिक्कत नहीं होती, लेकिन इससे ज्यादा देर होने पर दांत लगाना मुश्किल हो सकता है। अगर दांत लग नहीं सकता तो स्पेस मेंटेनर लगवाना चाहिए ताकि अगला दांत आने के लिए जगह बनी रहे। दांत अगर टूट गया है, पर निकला नहीं है तो डॉक्टर जांच करते हैं कि कितना टूटा है। अगर दांत का ऊपरी हिस्सा (इनेमल) टूटा है तो कंपोजिट मटीरियल से ठीक कर देते हैं। अगर नस को भी नुकसान पहुंचा है तो पल्प ट्रीटमेंट करने के बाद कंपोटिज फिलिंग करते हैं। परमानेंट दांत निकला है तो फटाफट रूट कनाल करके एक प्रॉविजन टेंपररी क्राउन (टोपी)लगा देते हैं। बच्चा 16 साल से ऊपर का है तो क्राउन लगा देते है। दांत अगर हिल रहा है तो कंपोजिट एंड वायर स्पिलंड या फाइबर स्प्लिंड की मदद से साइड वाले दांतों से जोड़ देते हैं।
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Old 08-09-2011, 09:08 AM   #14
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टूटे-फूटे या गैप वाले दांत

बच्चों के दांतों में आमतौर पर गैप होता ही है और यह अच्छा भी है। इससे क्राउडिंग की आशंका कम हो जाती है। जिन बच्चों के दांतों में स्पेस नहीं होता, उनमें क्राउडिंग के 80 फीसदी चांस होते हैं। पैरंट्स को ध्यान देना चाहिए कि इन गैप्स के बीच अगर खाना फंस जाए तो ढंग से सफाई करा दें। आमतौर पर 12-13 साल की उम्र तक गैप खुद भर जाता है। ऐसा नहीं होता तो ब्रसेज लगवा सकते
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Old 08-09-2011, 09:09 AM   #15
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पीले या भद्दे दांत

कुछ बच्चों के दांत जन्म से ही पीले या बदरंग होते हैं। इसे फ्लोरोसिस कहा जाता है। पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने पर यह प्रॉब्लम होती है। ऐसे दांतों का इलाज कराने के लिए इंतजार करना चाहिए। 17-18 साल की उम्र में कंपोजिट लेमिनेशन आदि करा सकते हैं। अगर ऊपरी पीलापन है, तो आमतौर पर उसकी वजह चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स, आयरन सिरप, ऐंटि-बॉयोटिक का ज्यादा इस्तेमाल या पेट खराब रहना आदि हो सकती हैं। इसे ऊपर से सफाई कर ठीक किया जा सकता है।
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Old 08-09-2011, 09:09 AM   #16
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मुंह से बदबू आना

बच्चों के मुंह से अगर बदबू आती है तो आमतौर पर उसकी वजह उसका ढंग से ब्रश नहीं करना होता है। इसके अलावा पेट खराब, टॉन्सिलाइटिस, साइनोसाइटिस, मसूढ़ों की बीमारी, खांसी आदि होने के कारण भी कई बार मुंह से बदबू आने लगती है। दांतों और जीभ, दोनों की सफाई का ध्यान रखें और जो बीमारी है, पहले उसका इलाज कराएं।
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Old 08-09-2011, 09:09 AM   #17
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दांत का न निकलना

कई बार बच्चे के मुंह में दूध का दांत भी रह जाता है और पक्का दांत नहीं आता। ऐसे में पांच-दस साल में दांत की रूट कमजोर हो जाती है। तब डॉक्टर माइनर सर्जरी करके अंदर फंसा हुआ दांत निकालते हैं और बेसेज की मदद से उसे सही जगह पर लाते हैं।
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Old 08-09-2011, 09:09 AM   #18
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ऑर्थोडॉन्टिक प्रॉब्लम

कई बार बच्चों में ऑर्थोडॉन्टिक समस्याएं होती हैं, मसलन जबड़े की ग्रोथ का सही नहीं होना, दोनों जबड़ों का बराबर नहीं बढ़ना या ठुड्डी का ज्यादा बड़ा होना आदि। इसके लिए डॉक्टर हेड गियर, चिन कप, चिन मास्क जैसे ऑर्थोपैडिक अप्लायंस लगाते हैं। बच्चे की इस तरह की समस्याओं को 7 से 10 साल की उम्र में ठीक करा लेना ठीक होता है क्योंकि उम्र बढ़ने पर ये प्रॉब्लम बढ़ जाती हैं और इलाज मुश्किल होता है। 12 साल की उम्र के बाद ये प्रॉब्लम आमतौर पर सर्जरी से ठीक होती हैं। ऑर्थोडॉन्टिक ऐसे प्रॉब्ल्मस को देखते हैं।
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Old 08-09-2011, 09:10 AM   #19
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दिक्कत की वजहें

बोतल से दूध पिलाना: आमतौर पर लोग बच्चे के मुंह में दूध की बोतल लगाकर छोड़ देते हैं। यह सही नहीं है। इससे नर्सिगं बॉटल केरीज हो जाती हैं, जिसमें आगे के दांत काले और धब्बेदार हो जाते हैं। इससे बचने के लिए बच्चे को बोतल से दूध न पिलाएं और सोते हुए तो बिल्कुल नहीं क्योंकि अक्सर बच्चा मुंह में दूध लेकर सो जाता है। बोतल में पानी दे सकते हैं। इस पानी में डॉक्टर से पूछकर फ्लोराइड की बूंदें या टैब्लेट मिला सकते हैं। इससे दांतों में कीड़ा लगने की आशंका काफी कम हो जाती है।

अंगूठा चूसना : अंगूठा या उंगली चूसने से बच्चों के दांतों में प्रॉब्लम आ जाती है। इससे ऊपर के दांत बाहर निकल आते हैं और नीचे के दांत पीछे चले जाते हैं। मुंह में बार-बार पेंसिल या उंगली डालना भी सही नहीं है।

दांतों का जल्दी टूटना : दांत अगर वक्त से पहले टूट जाए या दूसरा दांत आने में वक्त हो, जीभ थोड़ी बड़ी हो तो दांतों में फासला हो सकता है और वे बाहर की तरफ भी आ सकते हैं। ऐसे में अगला दांत आने तक स्पेस मेंटेनर लगवा लेना चाहिए ताकि अगले दांत के लिए जगह बनी रहे।


दांत कुरेदना : बच्चे अक्सर मुंह में कुछ-न-कुछ डालते रहते हैं। कई बार नुकीले चीजों से दांतों को कुरेदते भी हैं। इससे दांत खराब हो सकते हैं।

जिनेटिक : अगर पैरंट्स के दांत खराब हैं तो बच्चे के दांत खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखकर और रेग्युलर डेंटल चेकअप से इस आशंका को कम किया जा सकता है।

खाने की आदतें : बच्चों का ज्यादा टॉफी-चॉकलेट खाना, कोला पीना आदि भी दांत खराब कर सकता है।

दूसरे कारण : मुंह से सांस लेने या दांत की जगह पर बार-बार जीभ लगाने से भी प्रॉब्लम हो सकती है। मुंह से सांस लेने से ऊपर और नीचे के दांतों का कॉन्टैक्ट सही नहीं होता। इससे दांत टेढ़े-मेढ़े हो सकते हैं। इसी तरह, दांत की खाली जगह पर बार-बार जीभ लगाते रहने से प्रेशर पड़ता है और दांत बाहर की तरफ आ सकते हैं।
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Old 08-09-2011, 09:10 AM   #20
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खुद ठीक हो जाती हैं ये खामियां

- बच्चों के दांतों से जुड़ी कुछ प्रॉब्लम ऐसी होती हैं, जो वक्त के साथ अपनेआप ठीक हो जाती हैं। ये प्रॉब्लम बच्चे की ग्रोथ का हिस्सा होती हैं। मसलन, जब बच्चा पैदा होता है तो उसके नीचे का जबड़ा छोटा लगता है लेकिन 12-13 साल की उम्र तक यह अनुपात में आ जाता है।

- आठ से दस साल की उम्र में ऊपर के दांतों में गैप आ जाता है। इसे अगली-डकलिंग स्टेज कहा जाता है। जब साइड के दांत (कैनाइन) और दाढ़ें निकलती हैं, तो यह गैप अपने आप भर जाता है। अगर 12-13 साल की उम्र के बाद भी गैप बना रहता है तो उसे बंद कराना पड़ता है।

- दूध के दांतों में कई बार क्राउडिंग होती है, जो अक्सर खुद चली जाती है।
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