14-01-2015, 03:24 PM | #11 |
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Re: पिता
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
14-01-2015, 03:28 PM | #12 |
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14-01-2015, 03:29 PM | #13 |
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14-01-2015, 03:30 PM | #14 |
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14-01-2015, 03:31 PM | #15 |
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14-01-2015, 03:31 PM | #16 |
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14-01-2015, 03:36 PM | #17 |
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14-01-2015, 03:37 PM | #18 |
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Re: पिता
पिता पिता जीवन है,संम्बल है,शक्ति है, पिता सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति है, पिता अंगुली पकडे बच्चे का सहारा है, पिता कभी कुछ खट्टा कभी खारा है, पिता ! पिता पालन है पोषण है परिवार का अनुशासन है, पिता ! पिता धौस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है, पिता ! पिता रोटी है कपड़ा है मकान है, पिता ! पिता छोटे परिंदे का बड़ा आसमान है, पिता ! पिता अप्रदर्शित अनंत प्यार है, पिता है तो बच्चों को इन्तजार है, पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने है, पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने है, पिता से परिवार में प्रतिपल राग है, पिता से ही माँ की बिंदी और सुहाग है, पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है, पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है, पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ती है, पिता ! पिता रक्त में दिये हुये संस्कारों की मूर्ती है, पिता ! पिता एक जीवन को जीवन का दान है, पिता ! पिता दुनिया दिखाने का अहसान है, पिता ! पिता सुरक्षा है अगर सिर पर हाथ है, पिता नही तो बचपन अनाथ है, तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो, पिता का अपमान नही उन पर अभिमान करो, क्योंकि माँ-बाप की कमी को कोई पाट नहीं सकता, और ईश्वर भी उनके आशीषों को काट नही सकता ! विश्व में किसी भी देवता का स्थान दूजा है, माँ-बाप की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है, विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्राएँ व्यर्थ है, यदि बेटे के होते माँ-बाप असमर्थ है, वो खुशनसीब है,माँ-बाप जिनके साथ होते है, क्योंकि,माँ-बाप के आशीषों के हाथ हजारों हाँथ होते है,
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14-01-2015, 03:47 PM | #19 |
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Re: पिता
मां का साया नहीं, पिता दुधमुंही को लिए ढो रहा है सवारी जयपुर: ाजस्थान के भरतपुर में एक रिक्शा चालक पिछले कुछ दिनों से कपड़े में अपनी नवजात बेटी को एक हाथ में लिए और दूसरे से रिक्शे के हैंडल को पकड़े सवारी को उनकी मंजिल तक पहुंचाता दिखता है। अपनी एक माह की दुधमुंही बच्ची को इस तरह मौसम के थपेड़ों के बीच घूमने को मजबूर रिक्शाचालक का नाम बबलू है। दलित जाति से रिश्ता रखने वाले बबलू को उसकी जीवन संगिनी शांति बच्ची को पैदा करते ही चल बसी। रोज कमाकर परिवार का पेट पालने वाले बबलू के लिए ज्यादा समय शोक मनाने के लिए भी नहीं बचा। और किसी तरह क्रिया क्रम करने के बाद अपने बूढ़े पिता का भार संभाल रहे बबलू को रिक्शे का हैंडल संभालना पड़ा।
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14-01-2015, 03:47 PM | #20 |
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Re: पिता
रोज कमाकर परिवार का पेट पालने वाले बबलू के लिए ज्यादा समय शोक मनाने के लिए भी नहीं बचा। और किसी तरह क्रिया क्रम करने के बाद अपने बूढ़े पिता का भार संभाल रहे बबलू को रिक्शे का हैंडल संभालना पड़ा।
घर में और किसी के न होने की वजह से बबलू को अपनी नन्ही परी को साथ लेकर ही घूमना पड़ता है। बबलू कहता है कि कभी-कभार वह बच्ची को अपने पिता के पास छोड़कर जाता है लेकिन बीच में बार-बार दूध पिलाने के लिए वापस भी आता है।
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